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दान, रत्न, जप, रंग या वस्तु का दान / प्रयोग किस दिन करें – When to Perform Donation, Wear Gemstones, Chant Mantras, or Use Colors/Items for Auspicious Planetary Results

 

दान, रत्न, जप, रंग या वस्तु का दान / प्रयोग किस दिन करें (ग्रहों का शुभ परिणाम हो) – When to Perform Donation, Wear Gemstones, Chant Mantras, or Use Colors/Items for Auspicious Planetary Results

ग्रहों का प्रभाव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सूक्ष्म रूप से कार्य करता है। इन ग्रहों के साथ संपर्क स्थापित करना, उनसे फल प्राप्त करना या उनसे संतुलन बनाए रखना तभी संभव होता है जब दिन, भाव, दशा, एवं जन्मकुंडली के योग एकात्मता में हों।

-एक गंभीर त्रुटि अनेक साधकों एवं जिज्ञासुओं द्वारा बारंबार होती है

 वे शुभ ग्रहों के दिन, उनके प्रभावी समय या दशा में दान जैसा कार्य कर बैठते हैं, जिससे उनका बल, जो स्वाभाविक रूप से जीवन में उल्टे दिशा में प्रवाहित होने लगता है।

1-जिस दिन किसी ग्रह का प्रभाव चरम पर होता है, वह दिन केवल उसके स्मरण, जप, ध्यान या मानसिक समर्पण हेतु अनुकूल माना गया है उस दिन किसी प्रकार का दान, या रंग प्रयोग नहीं करना चाहिए।

 उदाहरण स्वरूप, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह सर्वोच्च बल में है, और गुरुवार के दिन वह हल्दी, पीला वस्त्र या पीले पुष्पों का दान करता है, तो वह अपनी ही शुभता को द्रवीभूत करता है। इसीलिए, शुभ ग्रह के प्रभावी दिन केवल उसका मानसिक पूजन करना ही उचित होता है।

2-यदि कुंडली में कोई ग्रह लग्न, द्वितीय, सप्तम अथवा अष्टम भाव का स्वामी है, तो उसके दिन उस ग्रह से संबंधित किसी भी वस्तु का प्रयोग वर्जित है।

 ये भाव जीवन की स्थिरता, आयु, संबंध, संपत्ति और मानसिक संतुलन से जुड़ते हैं। उस दिन केवल उस ग्रह का मंत्रोच्चार या मौन स्मरण करना ही सुरक्षित मार्ग होता है।

उदाहरण के रूप में, यदि किसी की कुंडली में मंगल अष्टम भाव का स्वामी है, तो मंगलवार के दिन लाल रंग का प्रयोग या रक्तवर्धक रत्न धारण करना निषिद्ध होगा।

3-कुछ lagn/ प्रकृति से ही उग्र, तेजस्वी एवं तपोमयी होती हैं

-मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक meen और धनु।

इन राशियों के जातकों के लिए मंगलवार और गुरुवार ही विशेष रूप से प्रयोग और साधना हेतु उपयुक्त माने जाते हैं। इन दिनों के अतिरिक्त, यदि कोई अन्य दिन ग्रह प्रयोग हेतु चुना जाए, तो उसका फल अवांछित हो सकता है। साथ ही यह भी स्मरणीय है कि यदि मंगलवार और गुरुवार आपके लिए विशेष शुभ हैं, तो उस दिन ग्रह से संबंधित किसी भी वस्तु का दान भूलकर भी किया जाए, अन्यथा जो तेज, जो योग, जो गति आपको प्राप्त होने वाली थी, वह रुक जाती है।

4-दशा और अंतरदशा में चल रहे ग्रह का स्मरण अनिवार्य होता है।

- वह ग्रह यदि पीड़ित है, तो शांति के लिए उसकी प्रार्थना करें;

-यदि वह शुभ है और जीवन में गति दे रहा है, तो उसका कृतज्ञ स्मरण करें, किन्तु कभी भी उसकी ऊर्जा को रोकने वाले कार्य करें। जैसे ही आप उस ग्रह का उसका दान कर देते हैं, उसकी लहरों का संतुलन खंडित हो सकता है। इसलिए दशा में चल रहे ग्रह की ओर केवल ध्यान, मंत्र या मौन समर्पण ही सबसे उपयुक्त उत्तर होता है।

------ दशा और अंतरदशा मेंशुभ ग्रह है - अनिवार्य स्मरण दान - हैं

शड्बल एवं षोडशवर्गीय बलों में जो ग्रह सर्वाधिक मजबूत होता है, वह जीवन में यश, प्रतिष्ठा और उन्नति हेतु स्वतः कार्य करता है। परंतु यदि वही ग्रह जीवन में अच्छा फल दे रहा हो, तो उसकी शक्तियों को उत्सर्ग (दान) द्वारा कम नहीं किया जाना चाहिए। यह एक सूक्ष्म लेकिन अटल नियम है। ग्रह जितना मजबूत हो, उसके लिए उतनी ही सावधानी अपेक्षित होती है।

ग्रहों के साथ व्यवहार करते समय इन बातों का ध्यान रखना वैसा ही है, जैसे वसंत ऋतु में पौधों को काट देना या वर्षा में बीज रोपना। प्रकृति का संतुलन, ज्योतिष का संतुलन, और आत्मा का संतुलनये तीनों साथ चलते हैं।

-ग्रहों के प्रभाव में यह समरसता बनी रहे, इसके लिए साधक को ग्रहों के दिन, भाव, दशा और बल का सूक्ष्म निरीक्षण करना चाहिए, और उसी अनुसार मंत्रोच्चार, ध्यान, प्रयोग अथवा मौन पालना करना चाहिएलेकिन किसी भी परिस्थिति में बिना विचार के दान या रत्न-प्रयोग नहीं करना चाहिए।

·         📜 ग्रह प्रयोग, दान, और मंत्र-जप के 5 प्रमुख नियम (संहितानुसार)

·         ✅ 1. दिन के अनुसार ग्रह प्रयोग का नियम

·         प्रत्येक दिन विशेष ग्रह प्रभाव में होता है:

दिन

शुभ ग्रह

प्रयोग करें

दान करें

रविवार

सूर्य

आत्मबल, सम्मान हेतु मंत्र

नेत्र-दान, लाल वस्त्र दान

सोमवार

चंद्र

शांति, मन स्थिरता हेतु

दूध, सफेद फूल दान

मंगलवार

मंगल

भूमि, साहस, रक्त हेतु

तांबा, रक्त पदार्थ दान

बुधवार

बुध

बुद्धि, लेखन, व्यापार हेतु

हरा वस्त्र, मूंग दान

गुरुवार

गुरु

संतान, ज्ञान हेतु

पीला चना, हल्दी दान

शुक्रवार

शुक्र

भोग, प्रेम, कला हेतु

चांदी, इत्र, दही दान

शनिवार

शनि

कर्म, संयम, न्याय हेतु

लोहा, काला वस्त्र, तेल दान

2. लग्न, द्वितीय, सप्तम, अष्टम भाव स्वामी से संबंधित ग्रह का दिन हो तो...

  • उस दिन उस ग्रह का कोई रत्न, रंग प्रयोग करें
  • क्योंकि यह भाव स्वास्थ्य, धन, विवाह, मृत्यु भाग्य से जुड़ा होता है।
  • मंत्र जप या स्मरण किया जा सकता हैशांति हेतु, लेकिन ग्रह का प्रभाव बढ़ाना नहीं चाहिए

🔴 उदाहरण:

  • आपकी कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी शनि हैशनिवार को शनि रत्न, काला रंग या तेल का दान . प्रयोग नहीं करें.

3. शुभ राशियाँ दिन (विशेष संकेत)

·         मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु राशि वालों के लिए:

o    मंगलवार गुरुवार ही प्रयोग योग्य हैं।

o    इन राशियों के जातक इन दोनों दिनों केवल मंत्र जाप करें, प्रयोग करें, पर दान करें।

🔴 गुरुवार को यदि आपकी राशि धनु है, तो:

·         गुरु मंत्र जप करें

·         हल्दी या पीले वस्त्र का दान करें

4. दशा-अन्तर्दशा आधारित ग्रह प्रयोग

·         जो ग्रह आपकी दशा में चल रहा हैउसे:

o    स्मरण करें (नाम मंत्र, बीज मंत्र, स्तुति)

o    शांति हेतु जप करें

o    कभी भी उस ग्रह का रत्न, दान, रंग, आभूषण बिना परामर्श के प्रयोग करें।

🔴 दशा का ग्रह बलवान है, तो मंत्र जप से नियंत्रित करें

 यदि पीड़ित है, तो दान , जप से प्रसन्न करें

5. शड्बल और शोडशवर्ग अनुसार प्रयोग नियम

·         जिस ग्रह को शड्बल में उच्चतम बल मिला हैउस ग्रह का प्रयोग स्वतः बढ़ता है

·         ऐसे ग्रह का दान नहीं करना चाहिए, अन्यथा उसका शुभ प्रभाव घटता है।

📌 उदाहरण:

·         आपकी कुंडली में मंगल को 180% बल मिला है (शड्बल) → आप मंगलवार को मंगल का दान या त्याग नहीं करें, केवल मंत्र जप या ध्यान करें

·         🪔 सारांश निर्देश:

ग्रह

दान नहीं करना जब...

प्रयोग/जप करें जब...

वह ग्रह लग्न, 2nd, 7th, 8th भाव स्वामी हो

दिन उस ग्रह का हो


वह ग्रह दशा में हो और पीड़ित हो

शुभ दिन हो (मंगलवार, गुरुवार, शनिवार आदि)


वह ग्रह शड्बल में उच्चतम हो

शांति हेतु मंत्र जप की आवश्यकता हो


 

🔆 दिन अनुसार शुभ कार्य मंत्रविशेष व्याख्या

1. सोमवारमानसिक शांति, दान, शिव पूजन हेतु श्रेष्ठ

  • यह दिन चंद्रमा का है, जो मन, जल तत्व और मातृत्व से जुड़ा है।
  • मानसिक शांति, जल दान, चंद्र दोष निवारण, माता की सेवा आदि करें।
  • जल अर्पण, शिवलिंग पर दूध चंदन लगाना अत्यंत शुभ होता है।
  • भूमि खरीद, जल-सम्बंधित व्यापार, आयुर्वेद या शिक्षा कार्य प्रारंभ करें।
  • व्रत, ब्रह्मचर्य संयम से किए कार्य स्थायित्व देते हैं।
  • मन की चंचलता को शांति मिलती हैध्यान का श्रेष्ठ समय है।
  • मानसिक रोगों के लिए विशेष उपचार प्रारंभ करेंलाभ होता है।
  • उपाय: शिव जी को बेलपत्र जल चढ़ाएं, चंद्र मंत्र का जाप करें।
  • मंत्र: " सोम सोमाय नमः" या " नमः शिवाय"
  • वस्त्र: सफेद | दान: चावल, दूध, श्वेत पुष्प | रंग: चंद्रवर्ण

2. मंगलवारसाहस, भूमि, रोग निवारण, शत्रु पर विजय

  • यह दिन मंगल ग्रह का होता हैउग्रता, ऊर्जा और रक्त से संबंधित।
  • भूमि, निर्माण, वाहन, कर्ज, कोर्ट-कचहरी, साहसिक कार्य आरंभ करें।
  • पुराने रोग, ऑपरेशन, शत्रु बाधा, कर्ज मुक्ति के उपाय इस दिन करें।
  • हनुमान जी की पूजा, सुंदरकांड, मंगलवार व्रत विशेष फलदायक।
  • शारीरिक ताकत और आत्मबल में वृद्धि होती है।
  • झगड़े, आग, रक्तपात से दूर रहेंअहंकार पर नियंत्रण रखें।
  • उपाय: हनुमान जी को सिंदूर, चमेली तेल, लाल पुष्प चढ़ाएं।
  • मंत्र: " अं अंगारकाय नमः" या " हं हनुमते नमः"
  • वस्त्र: लाल | दान: मसूर दाल, गुड़, तांबा | रंग: रक्तवर्ण

3. बुधवारबुद्धि, व्यापार, शिक्षा, लेखन निर्णय हेतु

  • यह दिन बुध ग्रह से संबंधित हैविवेक, व्यापार, संचार और वाणी का प्रतीक।
  • व्यापार की शुरुआत, डॉक्युमेंट साइन, परीक्षा, भाषण आदि के लिए श्रेष्ठ।
  • संतान, मित्रता, वार्ता सलाह-विचार में सफलता मिलती है।
  • वाणी दोष, तर्क, कोर्ट केस में संतुलन आता है।
  • गणपति पूजा, बुद्ध मंत्र जप, बुध व्रत अत्यंत लाभकारी।
  • शुभ कार्यों हेतु हस्ताक्षर या अनुबंध बुध वार को करें।
  • मानसिक स्थिरता, गणित, तर्क शक्ति स्मरण शक्ति बढ़ती है।
  • उपाय: हरे वस्त्र धारण करें, तुलसी को जल दें।
  • मंत्र: " बुं बुधाय नमः" या " गणपतये नमः"
  • दान: हरी मूँग, धनिया, पन्ना | रंग: हरा

4. गुरुवारज्ञान, धर्म, गुरु सेवा, विवाह, विद्या हेतु

  • यह दिन बृहस्पति देव का हैज्ञान, गुरु, संतान, विवाह और धर्म का अधिष्ठाता।
  • शिक्षा में प्रवेश, विद्या आरंभ, विवाह निर्णय, संतति प्राप्ति के लिए उत्तम।
  • गुरु सेवा, भागवत श्रवण, विष्णु-लक्ष्मी पूजन शुभ होता है।
  • सभी शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए श्रेष्ठ दिन।
  • पीले वस्त्र, हल्दी, चना, नारियल का उपयोग करें।
  • संतान, ज्ञान, धर्म और विवाह में कोई बाधा हो तो यह दिन श्रेष्ठ।
  • उपाय: विष्णु सहस्रनाम, बृहस्पति मंत्र, ब्राह्मण को दान करें।
  • मंत्र: " बृं बृहस्पतये नमः" या " नमो भगवते वासुदेवाय"
  • रंग: पीला | दान: चना, पीली मिठाई | दिशा: उत्तर-पूर्व

5. शुक्रवारसौंदर्य, प्रेम, स्त्री, कला, समृद्धि हेतु

  • शुक्र का दिनसुख, सौंदर्य, भोग, स्त्री, संगीत विलास का कारक।
  • सौंदर्य प्रसाधन, गृह सज्जा, वाहन खरीद, वस्त्र, आभूषण आदि खरीदें।
  • स्त्रियों से जुड़े कार्य, पार्लर, वस्त्र, गायन, रंगमंच, मीडिया आदि में शुभ।
  • दाम्पत्य सुख, प्रेम संबंधों की शुरुआत, सुलह और सौंदर्य वृद्धि में श्रेष्ठ।
  • लक्ष्मी पूजन, सप्तशती पाठ, शुक्र मंत्र अत्यंत फलदायक।
  • शरीर के शुक्र संबंधी रोग जैसे प्रजनन, त्वचा, मूत्र रोग में उपचार करें।
  • सफेद वस्त्र, गुलाब, चंदन आदि का उपयोग करें।
  • मंत्र: " शुक्राय नमः" या " श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः"
  • दान: चावल, शक्कर, इत्र, सफेद वस्त्र | रंग: सफेद

6. शनिवारशनि शांति, न्याय, पुरानी बाधा से मुक्ति हेतु

  • यह दिन शनि का हैकर्म, दंड, न्याय और जीवन की परीक्षा का प्रतीक।
  • पुराने रुके कार्यों, कोर्ट केस, रोग, शत्रु से मुक्ति हेतु उपाय करें।
  • शनिदेव, भैरव, काल भैरव, महाकाल की आराधना करें।
  • लोहे, तेल, काले वस्त्र, तिल, उड़द का दान करें।
  • कर्म सुधार, सेवा, नियमानुसार पूजाविशेष लाभकारी।
  • गरीब, रोगी, मजदूर की सेवा करेंशनि कृपा प्राप्त होगी।
  • उपाय: पीपल पर दीपक जलाना, शनिवार व्रत रखना।
  • मंत्र: " शं शनैश्चराय नमः" या " नमः कालभैरवाय"
  • रंग: काला/नीला | दिशा: पश्चिम | पूजन: तैलाभिषेक

7. रविवारआत्मबल, स्वास्थ्य, सरकारी कार्य, मान-सम्मान

  • यह दिन सूर्य का हैआत्मा, तेज, राज्य, पिता, सरकारी कार्यों का अधिपति।
  • आत्मविश्वास, सरकारी लाभ, पदोन्नति, शरीर की ऊर्जा बढ़ाने हेतु श्रेष्ठ।
  • सूर्य अर्घ्य, आदित्य हृदय स्तोत्र, सूर्य नमस्कार करें।
  • सरकारी नौकरी, आवेदन, निर्णय, पिता या उच्च अधिकारियों से संपर्क करें।
  • रक्त, नेत्र, हृदय से संबंधित उपचार या पूजा इस दिन करें।
  • प्रशासनिक, नेतृत्व या प्रतिष्ठा संबंधी कार्य इस दिन आरंभ करें।
  • मंत्र: " घृणिः सूर्याय नमः" या " सूर्याय नमः"
  • दान: गुड़, गेहूं, तांबा | रंग: नारंगी/गेरुआ | वस्त्र: हल्के रंग

 

When to Perform Japa, Donation, or Use of Colors and Items (For Auspicious Planetary Results)

The influence of planets subtly operates in every aspect of life. Establishing a connection with them, receiving their benefits, or maintaining harmony is only possible when the day, house, planetary periods (dasha), and the yogas of the birth chart are in unison.

A common mistake repeated by many spiritual seekers and practitioners is performing donations or similar acts on the days and during the periods of auspicious planets. This inadvertently weakens their positive influence, redirecting their natural flow.

  1. On the day when a planet's influence is at its peak, it should only be remembered, meditated upon, or chanted mentally. Avoid donations or use of planetary colors/items on such days.

    Example: If Jupiter is strongest in a chart and one donates turmeric or yellow items on Thursday, it diminishes the planet's positive energy.

  2. If a planet rules the 1st (Lagna), 2nd, 7th, or 8th house, refrain from using its associated items on its day. These houses are linked with stability, lifespan, wealth, and mental balance. On such days, only chanting or silent remembrance is advisable.

    Example: If Mars is the 8th lord, avoid red color or blood-enhancing gems on Tuesday.

  3. Certain ascendants are naturally fiery, intense, and spiritual: Aries, Cancer, Leo, Scorpio, Sagittarius, and Pisces. For them, Tuesday and Thursday are most suited for planetary practices and sadhana. On these days, only mantras should be used, never donation.

    Example: Sagittarius natives should recite Jupiter's mantras on Thursday but not donate yellow items.

  4. The planet currently active in one's dasha or antardasha must be consciously remembered:

    • If afflicted: Offer prayers and chant for peace.

    • If benefic: Offer gratitude through mantras but avoid donation or blocking its energy flow.

    Example: Donating items linked to a benefic dasha planet can disrupt its balance.

  5. Planets with the highest Shadbala (strength) naturally work toward success and reputation. Their energies should not be diminished by donation.

    This is a subtle but immutable rule: The more powerful a planet is, the more carefully it should be treated.

Ignoring these principles is like cutting plants in spring or sowing seeds during rain. Balance in nature, astrology, and the soul must be preserved.

Always align your actions—mantras, meditations, and experiments—with the planets' day, house ownership, strength, and dasha status. But never use gemstones or perform donations without reflection.


5 Primary Rules of Planetary Practice, Donation, and Japa (As per Scriptures)

1. Rule of Practice by Day

DayPlanetPracticeAvoid Donation Of
SundaySunMantra for self-confidenceEyes, red cloth
MondayMoonPeace, mind stabilityMilk, white flowers
TuesdayMarsCourage, vitalityCopper, blood items
WednesdayMercuryIntellect, speech, tradeGreen clothes, green gram
ThursdayJupiterChildren, wisdomTurmeric, yellow items
FridayVenusLove, luxury, artsSilver, perfumes, curd
SaturdaySaturnKarma, justiceIron, black clothes, oil

2. If the day's planet owns the Lagna, 2nd, 7th, or 8th house:

  • Do not use that planet's gemstone or associated colors.

  • These houses relate to health, wealth, relationships, and longevity.

  • Use only mantras for balance and peace.

Example: If Saturn rules the 8th house in your chart, avoid black color or its gem on Saturday.

3. Sign-Based Special Days

  • Aries, Cancer, Leo, Scorpio, Sagittarius, Pisces ascendants:

    • Use only Tuesday & Thursday for planetary practices.

    • Only mantra/japa on these days; never donations.

Example: If Sagittarius is your ascendant, chant Jupiter mantras on Thursday but avoid donations.

4. Planetary Period-Based Practices

  • For the planet in your current dasha:

    • Chant its mantras or hymns.

    • Never use its items or gem without guidance.

Example: If a strong planet is active in your dasha, control its effects via mantra, not donation.

5. Shadbala & Divisional Strength Rule

  • If a planet has maximum strength (Shadbala), it already uplifts your life.

  • Never donate its items – doing so can diminish its positive output.

Example: If Mars has 180% Shadbala strength in your chart, avoid donating Mars items on Tuesday. Chant only.


Summary Guidelines:

Planet ConditionAvoid Donation When...Practice/Chant When...
Owns Lagna, 2nd, 7th, or 8th houseOn its weekdayDuring dasha if not afflicted
Has highest ShadbalaOn its day or in dashaTo maintain harmony
Is benefic and active in dashaAnytimeOffer gratitude via mantra, not donation

Auspicious Actions & Mantras by Day

  • Monday: Mental peace, water-related work, Shiv worship

    • Mantra: "Om Som Somaya Namah" / "Om Namah Shivaya"

    • Color: White | Donation: Rice, milk

  • Tuesday: Courage, Mars energy, healing

    • Mantra: "Om Ang Angarakaya Namah" / "Om Hanumate Namah"

    • Color: Red | Donation: Lentils, jaggery

  • Wednesday: Speech, intelligence, communication

    • Mantra: "Om Bum Budhaya Namah" / "Om Ganapataye Namah"

    • Color: Green | Donation: Green gram, coriander

  • Thursday: Wisdom, children, marriage, guru

    • Mantra: "Om Brim Brihaspataye Namah" / "Om Namo Bhagavate Vasudevaya"

    • Color: Yellow | Donation: Turmeric, yellow sweets

  • Friday: Beauty, love, luxury

    • Mantra: "Om Shukraya Namah" / "Om Shreem Hreem Kleem Mahalaxmyai Namah"

    • Color: White | Donation: Sugar, perfume

  • Saturday: Justice, delay removal, karma

    • Mantra: "Om Sham Shanischraya Namah" / "Om Namah Kalabhairavaya"

    • Color: Black/Blue | Donation: Oil, black items

  • Sunday: Self-confidence, health, respect

    • Mantra: "Om Ghrinih Suryaya Namah" / "Om Suryaya Namah"

    • Color: Orange | Donation: Wheat, copper

Let all practices be aligned with awareness. Never donate or wear gems impulsively. Let your planets bless, not withdraw.


































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संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...