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फिर समय नहीं आएगा व्यापार ,ज्ञान बढाए ,करे -.चित्रगुप्त पूजा(विधि) अटूट रिश्ते बनाये मनाये भाई दूज

   व्यापार में ,बरक्कत करे परीक्षा में सफलता दे ,करे   चित्रगुप्त पूजा(विधि) ,    अटूट रिश्ते  बनाये मनाये भाई दूज   (लक्ष्मी,सरस्वती और  कष्ट हरणी महा काली पूजा पर्व )  9424446706     jyotish9999@gmail.com astrologybyvk(facebook)                   * दिनांक 20   * 21अक्टूबर तक – Ø     स्थिर लग्न   –   धनु लग्न   का उत्तम समय 10:55-12.44 ; वृषभ लग्न   का उत्तम समय 19:31-21.13 Ø    प्रत्येक मंगल कार्य हेतु श्रेष्ठ समय - श्रेष्ठतम   द्विघटी(48मिनट के सूक्ष्म शुभ काल ) - समस्त शुभ कार्य -गौ पूजा , तिलक,भोजन ,पूजा,भाई दूज कार्य ,चित्रगुप्त पूजा विधि मन्त्र - 7.53-8.24 ; 10:57-11:43 :12:28-13.14 ; 19:30-22:20 ; Ø    विजय काल   14.00-14:46 बजे तक | Jh egkdkyh nokr % iwtu % L;kgh eqDr nkokr dks Hkxorh egky{eh ds lkeus iq"i rFkk v{kr iqap <sjh esa j[kdj mlesa flUnwj ls LofLrd cuk ns rFkk ekSyh yisV nsA  Å¡ egkdkY;S ue % bl ea= ls xa/k iq"ikfn ipksipkj ;k "kksM'kksipkj ls nokr esa Hkxorh egkdkyh dk iwtu djs vkSj var esa bl izdkj /;ku] izkFkZuk

ज्ञान,धन ,सौभाग्य उपहार में ले दीपक प्रज्वलित करें , -17से 21 अक्टूबरः

दिनांक                                                   दीप प्रज्वलन 2017 दिन -                             समय                                             17 अक्टूबर मंगलवार     हवन    07ः30-08ः00;                                   ज्ञान        21ः32-22ः00 ; 19ः32-20ः00;                                                                                                    सौभाग्य  भौतिक सुख      19ः32-20ः00  ; 22ः32-21ः00 18 अक्टूबर बुधवार 06ः12-6ः48;                               ज्ञान      20ः32-21ः00 06ः 3.10-07ः00;  20ः32-09ः00                                       सौभाग्य  भौतिक सुख      12ः40-13ः00; 19 अक्टूबर गुरूवार                   हवन       11ः33-12ः00; 18ः32-19ः00       ज्ञान        06ः21-06ः48;                                                सौभाग्य  भौतिक सुख        20ः32-21ः00           23ः32-24ः00 20 अक्टूबर शुक्रवार                हवन 

दिवाली -लक्ष्मी पूजा,मन्त्र सरल - स्मरणीय बाते

दिवाली - लक्ष्मी पूजा - 19 .1 0 .201 7 - ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम : ॥ ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥ ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये देहि दापय स्वाहा॥धनधान्यसमृद्धिं मे ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥   ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट - लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥ प्रदोष काल में पूजन मुहूर्त--- *प्रदोष काल में पूजन कार्य शुभ रहेगा।। *पूजा के समय माँ लक्ष्मी जी का मुख नेऋत्य में , अपना मुंह ईशान कोण में रखें।। विशेष लाभ हेतु-- *माता लक्ष्मी जी को केसरिया धागे में बनी   108 मखाने की माला अर्पित करें।। पूजन के इसका प्रसाद सभी परिजन ग्रहण करें।। *लक्ष्मी जी को कांसी की थाली में बिठाएँ।। *लक्ष्मी जी को केसर , कस्तूरी और गोरचन का तिलक लगाएं।। *लक्ष्मी जी के दायें तरफ पीतल में देशी घी का दीपक जलाकर चीनी (शक्कर) डालें।। *लक्ष्मी जी के बाएं तरफ Mahua oil , आंवले के तेल का दीपक (मिटटी का) जलाए