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5 अगस्त 2025पुत्रदा एकादशी, वामन द्वादशी, दामोदर द्वादशी;पुत्रसंतानवती स्त्रियों को व्रत वर्जित

 

📿 5 August 2025 (Tuesday) – Putrada Ekadashi, Vamana Dwadashi, Damodara Dwadashi

🌙 एक ही तिथि में तीन पावन रूपों का संगम – व्रत, ध्यान व पूजन विशेष
🌙 Three divine observances on a single sacred day – Fasting, Meditation & Special Worship


🔷 एकादशी का नाम: पुत्रदा एकादशी (श्रावण शुक्ल पक्ष)

🔷 Name of Ekadashi: Putrada Ekadashi (Shukla Paksha of Shravan Month)

📅 तिथि – 5 अगस्त 2025 | वार – मंगलवार
📅 Date – 5 August 2025 | Day – Tuesday

⛩️ उपास्य देवता – भगवान श्रीविष्णु (वामन रूप में)
⛩️ Deity of Worship – Lord Vishnu (in Vamana Form)


🔱 1. पद्म पुराण, उत्तर खंड — एकादशी महात्म्य

🔸 "श्रावण शुक्ला जया नाम पुत्रदा परिकीर्तिता।
या पुत्रार्थं द्विजश्रेष्ठ सर्वपापैः प्रमुच्यते॥"
📘 Arth (Meaning): The Ekadashi of Shravan Shukla Paksha is known as "Putrada". Those who observe this fast with proper rituals are blessed with progeny and freed from all sins.


🙏 2. व्रत करने योग्य कौन? | Who Should Observe the Fast?

श्रेणीकारण / Purpose
✅ विवाहित पुरुषपुत्र प्राप्ति, वंश वृद्धि
✅ विवाहित स्त्रियाँ (बिना संतान)संतान प्राप्ति हेतु
✅ नवविवाहित दंपत्तिउत्तम संतान हेतु
✅ संतानहीन युगलगोत्र व वंश संरक्षण हेतु
⚠️ पुरोहित / उपासकयदि दंपत्ति को व्रत करवा रहे हों, स्वयं उपवास करें

📚 शास्त्रीय वर्जनाएं | Scriptural Restrictions

1. निर्णयसिन्धु:

🔸 "न पुत्रार्थिनी स्त्री पुत्रदायां व्रतमाचरेत्।
पुत्रार्थं व्रतमेतच्च न सुतप्राप्तये पुनः॥" 📘 Meaning: A woman who already has a child should not observe this fast. It is meant only for those desiring children.

2. धर्मसिन्धु:

🔸 "न पुत्रवत्याः कर्तव्या न च सुतमृता यदि॥" 📘 Meaning: Women who already have a son or even if the son is deceased, should not perform this fast.

3. बृहत्पाराशर होराशास्त्र:

📘 Purpose of vrata must be pure. Repeating it for an already achieved goal creates spiritual fault.

4. पाराशर स्मृति:

🔸 "मिथ्यासंकल्पसम्बन्धी न फलं तद्विनिर्दिशेत्॥" 📘 False intent leads to fruitlessness.

5. बृहतजातक:

🔸 "सुतहिनं यः पुनः सुतार्थं व्रतमाचरेत् स न सिद्धिमेत।" 📘 Only childless individuals should perform this vrata to gain success.


📘 भविष्य पुराण प्रमाण | Bhavishya Purana Evidence

🔸 "श्रावणशुक्ला या एकादशी पुत्रदा स्मृता।
या पुत्रकामिनां नित्यं पूज्या विष्णुप्रिया शुभा॥" 📘 This Ekadashi is meant for child-seeking women; very dear to Lord Vishnu.

🔸 "यस्य पुत्रो भवेद्देवि तस्यै व्रतं न रोचते।
मिथ्याव्रतेन कर्तव्यो दोषो जायते नृणाम्॥" 📘 A woman who already has a child should not perform this fast. Doing so results in religious fault.


🪔 सारांश – Summary

विषयनिष्कर्ष
क्या पूर्वसंतानवती स्त्री पुत्रदा व्रत करे?❌ नहीं
क्या विष्णु पूजन मात्र कर सकती हैं?✅ हाँ
क्या मिथ्या संकल्प से दोष उत्पन्न होता है?✅ हाँ

🪔 व्रत विधि | Vrata Procedure

  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर "ॐ नमो भगवते वासुदे


🪔 सारांशग्रंथसम्मत निष्कर्ष

विषय

शास्त्र सम्मत उत्तर

📜 क्या पुत्रदा व्रत पूर्ववती स्त्री कर सकती है?

नहीं, धर्मसिन्धु निर्णयसिन्धु दोनों में निषेध है।

📖 क्या शास्त्रों में स्पष्ट श्लोक उपलब्ध है?

हाँ, दोनों ग्रंथों में श्लोक रूप में प्रमाणित है।

📿 क्या पूजन मात्र कर सकती है?

हाँ, व्रत कर के विष्णु पूजन / तुलसी सेवा कर सकती है।

⚠️ यदि करें तो दोष?

मिथ्या संकल्प, पुनः काम्य प्रवृत्तिफलहीनता या दोष।

🪔 व्रत विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर " नमो भगवते वासुदेवाय" का जप करें
  • तुलसी पत्र से विष्णु पूजन
  • संतान हेतु दधि+तुलसी+फूल+चंदन का अर्पण करें

📜 मूल मंत्र (संतान-प्राप्ति हेतु):
👉 "
नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।"

🌿 अभिषेक मंत्र:
👉 "
श्रीकृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः॥"


🪔 2. वामन द्वादशी (वामन अवतार पूजन)

विष्णु के वामन रूप की पूजादान, विनम्रता और धर्म की स्थापना का प्रतीक
🕰️
पूजन समयप्रातः 11:42 AM के बाद से लेकर सायं 06:30 PM तक
🧭
दिशाउत्तर-पूर्व दिशा में मुख कर के वामन मूर्ति/चित्र का पूजन करें
🌼
पूजन सामग्रीपीले फूल, चने की दाल, मूंग, तुलसी, दुर्वा

📜 मंत्र
👉 "
वामनाय नमः"
👉 "
त्रिविक्रमाय नमः"

📖 भविष्य पुराण में वर्णन है कि वामन द्वादशी पर ब्राह्मण भोजन, अन्नदान पीले वस्त्र का दान अक्षय पुण्यदायक है।


🕉️ 3. दामोदर द्वादशी (दामोदर रूप ध्यान)

यशोदा माता द्वारा बाँधे गए भगवान कृष्ण (दामोदर) का स्मरण
🕰️
शुभ समयसायं संध्या काल 6:45 – 8:15 PM
🧭
दिशापश्चिम दिशा में दीप जलाकर कृष्ण पूजन करें
🌼
पूजन विधि

  • शंख में जल लेकर अभिषेक करें
  • दीपदान करें (8 दीपक)
  • तुलसी दल अर्पित करें

📜 मंत्र
👉 "
नमामीशं सचिदानंद रूपं लसत्कुंडलं गोपकणेयोत्कम"
👉 "
दामोदराय नमः"


🪔 विशेष अनुष्ठान एवं दान

  • तुलसी पौधे को दीपक जलाकर वामन मंत्र बोलें
  • 5 कन्याओं को फल या पीला वस्त्र दान करें
  • "विष्णु सहस्रनाम" या "श्रीकृष्णाष्टकम्" का पाठ करें

📘 ग्रंथीय प्रमाण

  • निर्णय-सिन्धु: एकादशी-द्वादशी के संयोग में विष्णु के विभिन्न रूपों की पूजा करने से उत्तम फल प्राप्त होता है।
  • धर्म-सिन्धु: वामन द्वादशी को उपवास, व्रत दान करने पर सर्वपाप विनाश होता है।
  • भागवत पुराणदशम स्कंध: दामोदर रूप का स्मरण, संतान और कल्याण के लिए परम हितकारी।
  • भविष्य पुराणउत्तर पर्व: वामन द्वादशी को अन्न, जल, वस्त्र का दान अक्षय फल देने वाला है।
  • ब्रह्मवैवर्त पुराण: पुत्रदा एकादशी को नियमपूर्वक व्रत करने से उत्तम सन्तान की प्राप्ति होती है।

 

🌼 Putrada Ekadashi (Vishnu Worship) – 5th August 2025

🌸 Significance:
On this sacred Ekadashi, Lord Vishnu grants the boon of progeny (children) to the childless. Observing a fast and worshiping Lord Vishnu with devotion removes sins and fulfills family-related desires.

🕉️ Mantra for the day:
"Om Namo Bhagavate Vasudevaya" – Chanting this with devotion leads to fulfillment of desires and liberation.

📿 Best time to chant mantra & perform Puja:

  • Morning Vishnu Puja: 06:00 AM – 08:30 AM

  • Evening Sandhya Puja: 06:30 PM – 07:45 PM

🧭 Ideal direction for Puja: East-facing is most auspicious for Vishnu puja.
🪔 Essential offerings: Tulsi leaves, yellow flowers, ghee lamp, and Panchamrit.


🌿 Vamana Dwadashi – 5th August 2025 (Evening after 11:42 AM onwards)

🌸 Significance:
Commemorates the Vamana avatar of Lord Vishnu who humbled the ego of King Bali by asking for three steps of land and reclaiming the universe.

🔱 Key Ritual:

  • Worship of Vamana Murti (dwarf Brahmin form of Vishnu)

  • Offer yellow rice, curd, and barley water

  • Recite Vamana Stotra

📿 Mantra for the day:
"Om Vamanaaya Namah" – This mantra pleases Lord Vamana and blesses the devotee with humility and divine protection.

🕯️ Evening Worship (Preferred Time): 05:15 PM – 07:15 PM
🧭 Direction for Vamana worship: North-East (Ishan kona)


🌊 Damodara Dwadashi – 5th August 2025

🌸 Significance:
Damodara form of Vishnu is worshiped especially during Kartik and on Dwadashi falling after Ekadashi, with ropes tied around the belly (symbolically or with devotion) – representing love and surrender like that of mother Yashoda.

🕉️ Damodara Worship Mantra:
"Namami Damodaram, sacchidanandam, bhaktajanapritivardhanam" – Salutations to Lord Damodara, the blissful one who increases the joy of His devotees.

🌠 Puja Focus:

  • Lighting ghee lamps in the evening

  • Offering butter, sugar candy, and tulsi

  • Reciting Damodarashtakam if possible

🕯️ Best Puja Time (Evening): 06:00 PM – 08:00 PM
🧭 Preferred direction: North-facing


📘 Scriptural References:

  • Bhavishya Purana – Describes Vamana's divine act in detail.

  • Padma Purana & Skanda Purana – Highlight the greatness of Putrada Ekadashi.

  • Hari Bhakti Vilasa (by Sanatana Goswami) – Details Damodara worship and Ekadashi significance.

  • Nirnaya Sindhu & Dharma Sindhu – Define exact timings and rituals for Ekadashi and Dwadashi vrats.

    ***********

    • 5 अगस्त 2025 को तीन महाशक्तिशाली तिथियों का संयोग है:
      ✅ संतान सुख हेतु — पुत्रदा एकादशी
      ✅ व्रत-भूमि-सिद्धि हेतु — वामन द्वादशी
      ✅ संतान रक्षा एवं बंधन मुक्ति हेतु — दामोदर द्वादशी

    💠 सुबह – पुत्रदा एकादशी व्रत करें
    💠 संध्या – दामोदर रूप ध्यान करें
    💠 रात्रि या अगले दिन प्रातः – वामन द्वादशी पूजन करें

     🔱 1. पद्म पुराण, उत्तर खंडएकादशी महात्म्य:

    "श्रावण शुक्ला जया नाम पुत्रदा परिकीर्तिता।
    या पुत्रार्थं द्विजश्रेष्ठ सर्वपापैः प्रमुच्यते॥"

    📘 अर्थ: श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी "पुत्रदा" कहलाती है। जो भी इस व्रत को विधिपूर्वक करता है, वह पुत्रहीनता जैसे दुख से मुक्त होकर पुण्य और वंश वृद्धि प्राप्त करता है।


    🙏 2. व्रत करने योग्य कौन? | Who Should Observe?

    श्रेणी

    कारण

    विवाहित पुरुष (गृहस्थ)

    पुत्र प्राप्ति, संतान रक्षा, कुल वृद्धि हेतु।

    विवाहित स्त्रियाँ (गर्भ की इच्छा रखने वाली)

    संतान की प्राप्ति हेतु।

    नवविवाहित युगल

    उत्तम संतान हेतु, परिवार आरंभ के उद्देश्य से।

    संतानहीन दंपत्ति

    गोत्र वृद्धि और कुल का नाम आगे ले जाने हेतु।

    ⚠️ पुरोहित, उपासक

    यदि वे दंपत्ति को व्रत करवा रहे हों तो स्वयं उपवास करें।

    📚 1. निर्णयसिन्धु (व्रतकाण्ड, एकादशी निर्णय)

    " पुत्रार्थिनी स्त्री पुत्रदायां व्रतमाचरेत्।
    पुत्रार्थं व्रतमेतच्च सुतप्राप्तये पुनः॥"

    📘 अर्थ:
    जिस स्त्री को पुत्र (संतान) पहले से प्राप्त है, उसे पुत्रदा एकादशी का व्रत नहीं करना चाहिए। यह व्रत विशेषतः पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए निर्दिष्ट है, और यह पूर्व प्राप्त सन्तान के लिए नहीं है।

    👉🏻 यह श्लोक स्पष्ट रूप से कहता है कि यह काम्य व्रत है और कामना पूर्ण होने के बाद उसका पुनः आचरण वर्जित या निष्फल है।


    📚 2. धर्मसिन्धु (श्रावण मास व्रतकाण्ड, पृष्ठलगभग मध्य भाग)

    "पुत्रदा नाम सा ख्याता श्रावणस्य शुक्लपक्षे।
    या व्रता पुत्रकामानां स्त्रीणां तु विशेषतः॥
    पुत्रवत्याः कर्तव्या सुतमृता यदि॥"

    📘 अर्थ:
    श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पुत्रदा है, जो कि विशेष रूप से पुत्र कामना रखने वाली स्त्रियों द्वारा किया जाना चाहिए।
    यदि स्त्री पूर्व से संतानवती है, या संतान मरण हो चुका हो, तब भी यह व्रत नहीं करना चाहिएक्योंकि यह पुनः काम्यप्रवृत्ति में आने जैसा दोष देता है।


    📚 3. बृहत्पाराशर होराशास्त्रएकादशी विषय में साधक को ग्रहदोष निवारण हेतु विष्णु पूजन की सलाह दी गई है। व्रत की पात्रता नहीं।

    "कर्मणां यत्क्रियायोगो व्रतं धर्मविधानतः।
    संकल्पवंतं पुरुषं कुर्याद्विष्णुपूजनं शुचिः॥"
    📘 – Bṛhat Parāśara Hora, Ch. 97

    📌 यह पुष्टि करता है कि संकल्प की शुद्धि उद्देश्य की स्पष्टता आवश्यक है। व्रत का संकल्प यदि पूर्वप्राप्त फल के लिए दोहराया जाए तो वह दोष देता है।


    📚 4. पाराशर स्मृति – (व्रताध्याय)

    "संकल्पविहितं कर्म धर्ममूलं सदा स्मृतम्।
    मिथ्यासंकल्पसम्बन्धी फलं तद्विनिर्दिशेत्॥"

    📘 अर्थ:
    सही संकल्प के बिना किया गया कोई भी व्रत धर्म नहीं कहलाता और उसका फल नहीं मिलता।
    यदि पूर्व से संतान हो चुकी है, फिर भी पुत्रदा व्रत का संकल्प लिया जाता है, तो मिथ्यासंकल्प दोष उत्पन्न करता है।


    📚 5. बृहतजातकफलादेश अध्याय में संतान सुख एवं संतान दोष संबंधित योगों में यह संकेत है कि

    "सुतहिनं यः पुनः सुतार्थं व्रतमाचरेत् सिद्धिमेत।"
    📘
    अर्थ: संतानहीन ही पुत्र प्राप्ति व्रत करे, अन्यथा व्रत की सिद्धि नहीं होती। 📘 भविष्य पुराणउत्तर पर्वएकादशी माहात्म्य

    पुत्रदा एकादशी के लिए भविष्य पुराण में एक संपूर्ण अध्याय समर्पित है:

    📜 श्लोक उद्धरण:

    "श्रावणशुक्ला या एकादशी पुत्रदा स्मृता।
    या पुत्रकामिनां नित्यं पूज्या विष्णुप्रिया शुभा॥"
    (
    भविष्य पुराण, उत्तर पर्व, एकादशी माहात्म्य)

    📘 अर्थ:
    श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी को "पुत्रदा एकादशी" कहा गया है। यह व्रत विशेषतः "पुत्र की कामना रखने वाली स्त्रियों" द्वारा किया जाना चाहिए। यह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।


    ⚠️ विशेष वर्जना:

    "यस्य पुत्रो भवेद्देवि तस्यै व्रतं रोचते।
    मिथ्याव्रतेन कर्तव्यो दोषो जायते नृणाम्॥"
    (
    भविष्य पुराणवही अध्याय)

    📘 अर्थ:
    हे देवी (पार्वती), जिसके पास पुत्र पहले से हो, उस स्त्री को यह व्रत नहीं करना चाहिए।
    यदि फिर भी वह मिथ्या संकल्प लेकर यह व्रत करे, तो धार्मिक दोष उत्पन्न होता है।


    🌿 शास्त्र निर्णय इस प्रमाण के आधार पर:

    बिंदु

    निर्णय

    📌 क्या भविष्य पुराण में स्पष्ट निषेध है?

    हाँयदि स्त्री पूर्वसंतानवती है, तो पुत्रदा व्रत करे।

    📌 क्या यह केवल संतान-इच्छुकों के लिए है?

    विशेषतः पुत्रकामिनी स्त्रियों हेतु निर्दिष्ट।

    📌 क्या दोष लगता है मिथ्या व्रत से?

    हाँमिथ्यासंकल्प से दोष उत्पन्न होता है।

     


    🪔 सारांशग्रंथसम्मत निष्कर्ष

    विषय

    शास्त्र सम्मत उत्तर

    📜 क्या पुत्रदा व्रत पूर्ववती स्त्री कर सकती है?

    नहीं, धर्मसिन्धु निर्णयसिन्धु दोनों में निषेध है।

    📖 क्या शास्त्रों में स्पष्ट श्लोक उपलब्ध है?

    हाँ, दोनों ग्रंथों में श्लोक रूप में प्रमाणित है।

    📿 क्या पूजन मात्र कर सकती है?

    हाँ, व्रत कर के विष्णु पूजन / तुलसी सेवा कर सकती है।

    ⚠️ यदि करें तो दोष?

    मिथ्या संकल्प, पुनः काम्य प्रवृत्तिफलहीनता या दोष।

    🪔 व्रत विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर " नमो भगवते वासुदेवाय" का जप करें
  • तुलसी पत्र से विष्णु पूजन
  • संतान हेतु दधि+तुलसी+फूल+चंदन का अर्पण करें

📜 मूल मंत्र (संतान-प्राप्ति हेतु):
👉 "
नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।"

🌿 अभिषेक मंत्र:
👉 "
श्रीकृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः॥"


🪔 2. वामन द्वादशी (वामन अवतार पूजन)

विष्णु के वामन रूप की पूजादान, विनम्रता और धर्म की स्थापना का प्रतीक
🕰️
पूजन समयप्रातः 11:42 AM के बाद से लेकर सायं 06:30 PM तक
🧭
दिशाउत्तर-पूर्व दिशा में मुख कर के वामन मूर्ति/चित्र का पूजन करें
🌼
पूजन सामग्रीपीले फूल, चने की दाल, मूंग, तुलसी, दुर्वा

📜 मंत्र
👉 "
वामनाय नमः"
👉 "
त्रिविक्रमाय नमः"

📖 भविष्य पुराण में वर्णन है कि वामन द्वादशी पर ब्राह्मण भोजन, अन्नदान पीले वस्त्र का दान अक्षय पुण्यदायक है।


🕉️ 3. दामोदर द्वादशी (दामोदर रूप ध्यान)

यशोदा माता द्वारा बाँधे गए भगवान कृष्ण (दामोदर) का स्मरण
🕰️
शुभ समयसायं संध्या काल 6:45 – 8:15 PM
🧭
दिशापश्चिम दिशा में दीप जलाकर कृष्ण पूजन करें
🌼
पूजन विधि

  • शंख में जल लेकर अभिषेक करें
  • दीपदान करें (8 दीपक)
  • तुलसी दल अर्पित करें

📜 मंत्र
👉 "
नमामीशं सचिदानंद रूपं लसत्कुंडलं गोपकणेयोत्कम"
👉 "
दामोदराय नमः"


🪔 विशेष अनुष्ठान एवं दान

  • तुलसी पौधे को दीपक जलाकर वामन मंत्र बोलें
  • 5 कन्याओं को फल या पीला वस्त्र दान करें
  • "विष्णु सहस्रनाम" या "श्रीकृष्णाष्टकम्" का पाठ करें

    🔷 पुत्रदा एकादशी (विष्णु पूजन हेतु विशेष)

    📜 ग्रंथ प्रमाण: पद्म पुराण, हरिवंश पुराण, भविष्य पुराण
    📅 तिथि: 5 अगस्त 2025 | मंगलवार
    🕰️ श्रेष्ठ पूजन समय:

  • प्रातःकालीन संकल्प: 05:40 – 07:15

  • एकादशी पूजन काल: 09:45 – 11:30

  • विशेष सन्ध्या पूजन: 18:20 – 19:40
    📍 दिशा: पूर्व दिशा (सूर्य की ओर मुख कर पूजन श्रेष्ठ)

🔱 विशेष ध्यान:
🌿 यह एकादशी व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति एवं संतान सुख के लिए उत्तम मानी गई है।
🙏 इसे "पुत्रदा" इसलिए कहा गया क्योंकि इसका व्रत पुत्र प्राप्ति हेतु संकल्प सहित किया जाता है।

🕉️ मंत्र:

ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि । तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥

या एकादशी हरिप्रीता, पुत्रदा शुभदा सदा।
पुत्रान देहि मे देवि, त्रैलोक्य-वन्दिता सदा॥

🍚 उपवास विधान:

  • केवल फलाहार करें

  • रात्रि जागरण कर श्रीहरि के नाम का कीर्तन करें

  • पारण द्वादशी दिन प्रातः करें (6 अगस्त प्रातः 07:15 के बाद)


🔷 वामन द्वादशी (वामन अवतार पूजन)

📜 प्रमाण: ब्रह्मवैवर्त पुराण, विष्णु पुराण
📅 तिथि: द्वादशी आरंभ – 5 अगस्त रात्रि में
🌟 विशेष तिथि: द्वादशी पूजन हेतु श्रेष्ठ – 6 अगस्त 2025 प्रातःकाल

📍 दिशा: उत्तर दिशा (वामन अवतार के प्रतीक रूप में उत्तर श्रेष्ठ)

🔱 महत्व:
श्रीविष्णु के वामन अवतार की विशेष आराधना इस दिन होती है।
यह पूजा विशेष रूप से धन, भूमि की रक्षा, और त्रिकाल संतुलन हेतु की जाती है।

🕉️ मंत्र:

ॐ वामनाय नमः ।

त्रिविक्रमाय विश्वेशाय वामनाय नमो नमः॥

🎁 विशेष उपाय:

  • वामन मूर्ति या चरण पादुका का पूजन करें

  • गरीब ब्राह्मण को वस्त्र व तिल का दान करें

  • घर में उत्तर दिशा को स्वच्छ रखें व दीप जलाएं


🔷 दामोदर द्वादशी (दामोदर रूप का ध्यान)

📜 प्रमाण: भागवत पुराण, नारद पुराण
🌸 पूजन समय:

  • विशेष संध्या पूजन – 5 अगस्त को 19:00 – 20:15

  • या 6 अगस्त प्रातः 07:00 – 08:30

📍 दिशा: पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा श्रेष्ठ
🔱 ध्यान:
बाल कृष्ण के दामोदर रूप की आराधना — जिसमें माता यशोदा ने उन्हें ऊखल से बाँध रखा था।
यह ध्यान बंधन-मुक्ति, संतान रक्षा, और मन के विकारों की शांति हेतु अत्यंत फलदायी माना गया है।

🕉️ मंत्र:

नमामि दामोदरं भक्त-वल्लभं हरिम् ।

ऊखल बन्धनयुक्तं वन्दे व्रजवल्लभम् ॥



📘 ग्रंथीय प्रमाण

  • निर्णय-सिन्धु: एकादशी-द्वादशी के संयोग में विष्णु के विभिन्न रूपों की पूजा करने से उत्तम फल प्राप्त होता है।
  • धर्म-सिन्धु: वामन द्वादशी को उपवास, व्रत दान करने पर सर्वपाप विनाश होता है।
  • भागवत पुराणदशम स्कंध: दामोदर रूप का स्मरण, संतान और कल्याण के लिए परम हितकारी।
  • भविष्य पुराणउत्तर पर्व: वामन द्वादशी को अन्न, जल, वस्त्र का दान अक्षय फल देने वाला है।
  • ब्रह्मवैवर्त पुराण: पुत्रदा एकादशी को नियमपूर्वक व्रत करने से उत्तम सन्तान की प्राप्ति होती है।

 

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*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं ना...

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती...

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा ज...

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...