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पूजन विधि -सात्त्विक+“उग्र देव-देवी”

 



  • 📖 प्रस्तावना (Introduction)


    किसी भी देवी-देवता की पूजा तभी फलदायी होती है जब वह शास्त्रसम्मत विधि से की जाए।
    पूजा के लिए दिन, लग्न, मुहूर्त, दिशा, दीपक, वर्तिका आदि का महत्व अत्यधिक बताया गया है।
    सात्त्विक देवताओं के लिए जहाँ शांति, स्वच्छता और घृतदीप का विधान है, वहीं उग्र देवताओं के लिए रात्रि, तैलदीप और विशेष बीज मंत्र आवश्यक बताए गए हैं।
    यदि उपासक शास्त्रों के अनुसार विधिपूर्वक पूजन करता है तो उसकी मनोकामनाएँ शीघ्र पूर्ण होती हैं।
    गलत दिशा, अशुभ लग्न अथवा अनुचित समय में की गई पूजा से विपरीत फल भी प्राप्त हो सकता है।
    अतः यह संग्रह भक्तों को सही मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु तैयार किया गया है।
    इसमें विभिन्न देवताओं की सात्त्विक एवं उग्र पूजा-विधियाँ स्पष्ट रूप से अलग-अलग दी गई हैं।
    भक्त इस ग्रंथ-संग्रह से लाभ उठाकर अपनी पूजा को अधिक प्रभावी एवं सफल बना सकेंगे।



    The worship of any deity bears fruit only when performed according to scriptural injunctions.
    Key factors such as day, lagna (ascendant), muhurta (auspicious timing), direction, lamp type, and wick color hold great significance.
    For Satvik deities, purity, calmness, and ghee lamps are prescribed, whereas for Ugra deities, night worship, oil lamps, and specific seed mantras are essential.
    When a devotee follows these rules as described in scriptures, desires are fulfilled quickly.
    Worship performed at the wrong time, direction, or under inauspicious lagna can lead to adverse results.
    This compilation is prepared to provide authentic guidance to practitioners.
    It separately presents the Satvik and Ugra modes of worship for various deities.
    Through this, devotees can enhance the effectiveness and success of their spiritual practices.

    ------------------------------------------------------------------------------------------ 

    सात्त्विक पूजा → दिन, घृतदीप, हल्के रंग (सफेद/पीला), पूर्व/उत्तर दिशा, शांत मंत्र

  • उग्र पूजा → रात्रि, तैलदीप (तिल/सरसों), गहरे रंग (लाल/काला), दक्षिण/पश्चिम दिशा, उग्र बीज मंत्र

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📖 शुभाशुभ लग्न एवं पूजन मार्गदर्शन (ग्रंथ-संग्रह)

Shubhashubh Lagna & Puja Guidelines (Scriptural Collection)


✨ श्री विष्णु / लक्ष्मी / सरस्वती

Vishnu / Lakshmi / Saraswati

  • पूजा-दिशा: उत्तर या पश्चिम | North or West

  • दीपक: घृतदीप | Ghee Lamp

  • वर्तिका रंग: सफेद / पीला | White / Yellow

  • दीपक की दिशा: दिन – पूर्व, रात्रि – उत्तर | Day – East, Night – North

  • शुभ लग्न: वृषभ, तुला, मीन | Taurus, Libra, Pisces

  • उत्तम होरा: चन्द्र, गुरु | Moon, Jupiter

  • राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: वर्ज्य | Avoided

श्लोक (Shloka):
“घृतदीपः सदा कार्यो विष्णोर्लक्ष्म्याः सरस्वत्याः ।
प्रसन्ना सर्वदा भूत्वा ददत्याशु मनोगतम् ॥”

👉 हिन्दी अर्थ: घी का दीप जलाने से विष्णु, लक्ष्मी और सरस्वती प्रसन्न होकर मनोकामना शीघ्र पूर्ण करती हैं।
👉 English Meaning: Worship with a ghee lamp pleases Vishnu, Lakshmi, and Saraswati, who quickly grant one’s desires.


🔱 भगवान शिव / रुद्र

Shiva / Rudra

  • पूजा-दिशा: पूर्व या उत्तर | East or North

  • दीपक: तिल तेल दीप | Sesame Oil Lamp

  • वर्तिका रंग: लाल | Red

  • दीपक की दिशा: दिन – उत्तर, रात्रि – पूर्व | Day – North, Night – East

  • शुभ लग्न: वृषभ, सिंह, मकर | Taurus, Leo, Capricorn

  • उत्तम होरा: सूर्य, शनि | Sun, Saturn

  • राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: वर्ज्य | Avoided

श्लोक (Shloka):
“तिलतेन प्रदीपः स्याद् रुद्रस्य प्रीतिकरः सदा ।”

👉 हिन्दी अर्थ: शिवजी तिल तेल के दीप से विशेष प्रसन्न होते हैं।
👉 English Meaning: Lord Shiva is especially pleased by a lamp lit with sesame oil.


🕉️ श्री गणेश

Ganesha

  • पूजा-दिशा: उत्तर | North

  • दीपक: घृतदीप | Ghee Lamp

  • वर्तिका रंग: पीला | Yellow

  • दीपक की दिशा: दिन – उत्तर, रात्रि – उत्तर | Day – North, Night – North

  • शुभ लग्न: कन्या, मीन | Virgo, Pisces

  • उत्तम होरा: बुध | Mercury

  • राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: वर्ज्य | Avoided

श्लोक (Shloka):
“मङ्गले च गणाधीशं पूजयेत् घृतदीपकैः ।”

👉 हिन्दी अर्थ: गणेशजी की मंगल पूजा घी के दीपक से करनी चाहिए।
👉 English Meaning: Ganesha should be worshiped with ghee lamps for auspicious results.


🪔 दुर्गा / काली

Durga / Kali

  • पूजा-दिशा: दक्षिण | South

  • दीपक: तिल तेल दीप | Sesame Oil Lamp

  • वर्तिका रंग: लाल / काला | Red / Black

  • दीपक की दिशा: दिन – दक्षिण, रात्रि – पश्चिम | Day – South, Night – West

  • शुभ लग्न: सिंह, वृश्चिक, मकर | Leo, Scorpio, Capricorn

  • उत्तम होरा: मंगल, शनि | Mars, Saturn

  • राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: विशेष पूजनीय | Especially Auspicious

श्लोक (Shloka):
“राहुकाले विशेषेण कालीपूजां समाचरेत् ।
सिद्धिर्भवति निःशङ्का देव्या एव प्रसादतः ॥”

👉 हिन्दी अर्थ: राहुकाल में काली की पूजा करने से निःसंदेह सिद्धि और कृपा प्राप्त होती है।
👉 English Meaning: Worshiping Kali during Rahu Kaal undoubtedly grants success and the Goddess’s grace.


⚡ छिन्नमस्ता

Chhinnamasta

  • पूजा-दिशा: दक्षिण / पश्चिम | South / West

  • दीपक: सरसों तेल दीप | Mustard Oil Lamp

  • वर्तिका रंग: लाल | Red

  • दीपक की दिशा: दिन – पश्चिम, रात्रि – दक्षिण | Day – West, Night – South

  • शुभ लग्न: वृश्चिक, मकर | Scorpio, Capricorn

  • उत्तम होरा: मंगल, शनि | Mars, Saturn

  • राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: विशेष पूजनीय | Especially Auspicious

श्लोक (Shloka):
(कालिका पुराणोक्त मंत्र)

👉 हिन्दी अर्थ: छिन्नमस्ता देवी की पूजा राहुकाल और उग्र समय में करने से अद्वितीय सिद्धि प्राप्त होती है।
👉 English Meaning: Worship of Chhinnamasta during Rahu Kaal or fierce timings brings extraordinary spiritual attainments.


🌑 धूमावती

Dhumavati

  • पूजा-दिशा: दक्षिण | South

  • दीपक: सरसों तेल दीप | Mustard Oil Lamp

  • वर्तिका रंग: काला | Black

  • दीपक की दिशा: दिन – पश्चिम, रात्रि – दक्षिण | Day – West, Night – South

  • शुभ लग्न: मकर, कुम्भ | Capricorn, Aquarius

  • उत्तम होरा: शनि, राहु | Saturn, Rahu

  • राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: विशेष पूजनीय | Especially Auspicious

श्लोक (Shloka):
(रुद्रयामल तंत्रोक्त मंत्र)

👉 हिन्दी अर्थ: धूमावती की पूजा राहुकाल में करने से शत्रु-विनाश और कठिन कार्य सिद्ध होते हैं।
👉 English Meaning: Worship of Dhumavati during Rahu Kaal destroys enemies and grants success in difficult undertakings.


🟡 बगलामुखी (पिताम्बरा)

Baglamukhi (Pitambara)

  • पूजा-दिशा: दक्षिण-पश्चिम | South-West

  • दीपक: घृतदीप | Ghee Lamp

  • वर्तिका रंग: पीला | Yellow

  • दीपक की दिशा: दिन – दक्षिण, रात्रि – पश्चिम | Day – South, Night – West

  • शुभ लग्न: कन्या, मकर | Virgo, Capricorn

  • उत्तम होरा: गुरु, शुक्र | Jupiter, Venus

  • राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: विशेष पूजनीय | Especially Auspicious

श्लोक (Shloka):
“पीतवस्त्रधरां देवीं पीतदीपैः सुपूजिताम् ।
ब्रह्मास्त्ररूपिणीं देवीं बगलां तां नमाम्यहम् ॥”

👉 हिन्दी अर्थ: पीले दीप और पीले वस्त्रों से पूजी जाने वाली बगलामुखी ब्रह्मास्त्र स्वरूपिणी हैं, जो विजय और स्तम्भन शक्ति देती हैं।
👉 English Meaning: Baglamukhi, worshiped with yellow lamps and garments, is of Brahmastra nature, granting victory and paralyzing enemies.

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 📖 शास्त्रीय प्रमाण (शान्त देवता)

श्लोक १
घृतदीपः सदा कार्यो विष्णोर्लक्ष्म्याः सरस्वत्याः ।
प्रसन्ना सर्वदा भूत्वा ददत्याशु मनोगतम् ॥

👉 अर्थ: विष्णु, लक्ष्मी और सरस्वती की पूजा में सदैव घी का दीपक करना चाहिए। इससे वे शीघ्र प्रसन्न होकर मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।

श्लोक २
तिलतेन प्रदीपः स्याद् रुद्रस्य प्रीतिकरः सदा ।
घृतदीपः सदा कार्यः पवित्रः सर्वकामदः ॥

👉 अर्थ: शिव-रुद्र की पूजा तिल तेल के दीप से करनी चाहिए, जबकि अन्य देवताओं के लिए घृतदीप सर्वकामदाता है।

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📖 शास्त्रीय प्रमाण (उग्र देवता)

श्लोक १
राहुकाले विशेषेण कालीपूजां समाचरेत् ।
सिद्धिर्भवति निःशङ्का देव्या एव प्रसादतः ॥

👉 अर्थ: राहुकाल में काली-पूजन विशेष रूप से करना चाहिए क्योंकि यह काल सिद्धि प्रदायक और देवी प्रसन्न कराने वाला है।

श्लोक २
पीतवस्त्रधरां देवीं पीतदीपैः सुपूजिताम् ।
ब्रह्मास्त्ररूपिणीं देवीं बगलां तां नमाम्यहम् ॥

👉 अर्थ: पीत वस्त्र धारण करने वाली बगलामुखी देवी का पीले दीपक से पूजन करना चाहिए। वह स्तम्भन-शक्ति और विजय प्रदान करती हैं।

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5. पंचमुखी हनुमान (Ugra Hanuman)

ग्रंथ: हनुमान तांत्रिकोपासना ग्रंथ
श्लोक:

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् स्वाहा ।

हिंदी अर्थ: पंचमुखी उग्र रूपी रुद्रात्मक हनुमान का यह बीज मंत्र है, जो सभी बाधाएँ हरता है।
English Meaning: This is the seed mantra of Panchamukhi Hanuman, the Rudra-form, which removes all obstacles and grants protection.


6. देवी काली (Ugra Shakti Devi)

ग्रंथ: काली तंत्र
श्लोक:

राहुकाले विशेषेण कालीपूजां समाचरेत् । सिद्धिर्भवति निःशङ्का देव्या एव प्रसादतः ॥

हिंदी अर्थ: राहुकाल में काली पूजन विशेष फलदायी और सिद्धि देने वाला होता है।
English Meaning: Worship of Goddess Kali during Rahu Kaal unfailingly bestows success and fulfillment.


7. लक्ष्मी-सरस्वती (Satvik Devi)

ग्रंथ: लक्ष्मी तंत्र, सरस्वती स्तोत्र
श्लोक:

घृतदीपं सदा कार्यं लक्ष्म्याः सरस्वत्याः प्रियं स्मृतम् ।

हिंदी अर्थ: लक्ष्मी और सरस्वती की पूजा में सदैव घृतदीप प्रज्वलित करना चाहिए।
English Meaning: For worship of Lakshmi and Saraswati, ghee lamps are always considered auspicious and pleasing.

📖 शास्त्रीय श्लोक-संग्रह (Granth References)

1. गणेश पूजा (Ganesha Worship)

ग्रंथ: गणेश पुराण
श्लोक:

गणानां त्वा गणपतिं हवामहे कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम् ।

हिंदी अर्थ: हम गणेशजी का आवाहन करते हैं, जो गणों के स्वामी हैं और सभी कवियों में श्रेष्ठ बुद्धि प्रदान करते हैं।
English Meaning: We invoke Lord Ganesha, the leader of celestial hosts and the wisest among the wise, who grants supreme intellect.


2. शिव पूजा (Shiva Worship – Satvik)

ग्रंथ: शिवपुराण
श्लोक:

ॐ नमः शिवाय शान्ताय करुणानिधये नमः ।

हिंदी अर्थ: शांत, करुणामय भगवान शिव को नमस्कार है।
English Meaning: Salutations to Lord Shiva, who embodies peace and compassion.


3. रुद्र / भैरव (Ugra Shiva Form)

ग्रंथ: रुद्रयामल तंत्र
श्लोक:

काले च रात्रौ तु विशेषतः पूजितो भैरवो ददाति सिद्धिम् ।

हिंदी अर्थ: मध्यरात्रि में भैरव की पूजा विशेष सिद्धि प्रदान करती है।
English Meaning: Worship of Bhairava at midnight grants extraordinary spiritual powers.


4. हनुमान (Hanuman – Satvik)

ग्रंथ: रामचरितमानस
श्लोक:

बालसमय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयौ अंधियारो ।

हिंदी अर्थ: बाल्यकाल में हनुमानजी ने सूर्य को निगल लिया, जिससे तीनों लोकों में अंधकार छा गया।
English Meaning: In his childhood, Hanuman swallowed the Sun, plunging the three worlds into darkness.

📖 शास्त्रीय श्लोक-संग्रह (Granth References)

1. गणेश पूजा (Ganesha Worship)

ग्रंथ: गणेश पुराण
श्लोक:

गणानां त्वा गणपतिं हवामहे कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम् ।

हिंदी अर्थ: हम गणेशजी का आवाहन करते हैं, जो गणों के स्वामी हैं और सभी कवियों में श्रेष्ठ बुद्धि प्रदान करते हैं।
English Meaning: We invoke Lord Ganesha, the leader of celestial hosts and the wisest among the wise, who grants supreme intellect.


2. शिव पूजा (Shiva Worship – Satvik)

ग्रंथ: शिवपुराण
श्लोक:

ॐ नमः शिवाय शान्ताय करुणानिधये नमः ।

हिंदी अर्थ: शांत, करुणामय भगवान शिव को नमस्कार है।
English Meaning: Salutations to Lord Shiva, who embodies peace and compassion.


3. रुद्र / भैरव (Ugra Shiva Form)

ग्रंथ: रुद्रयामल तंत्र
श्लोक:

काले च रात्रौ तु विशेषतः पूजितो भैरवो ददाति सिद्धिम् ।

हिंदी अर्थ: मध्यरात्रि में भैरव की पूजा विशेष सिद्धि प्रदान करती है।
English Meaning: Worship of Bhairava at midnight grants extraordinary spiritual powers.


4. हनुमान (Hanuman – Satvik)

ग्रंथ: रामचरितमानस
श्लोक:

बालसमय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयौ अंधियारो ।

हिंदी अर्थ: बाल्यकाल में हनुमानजी ने सूर्य को निगल लिया, जिससे तीनों लोकों में अंधकार छा गया।
English Meaning: In his childhood, Hanuman swallowed the Sun, plunging the three worlds into darkness.


5. पंचमुखी हनुमान (Ugra Hanuman)

ग्रंथ: हनुमान तांत्रिकोपासना ग्रंथ
श्लोक:

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् स्वाहा ।

हिंदी अर्थ: पंचमुखी उग्र रूपी रुद्रात्मक हनुमान का यह बीज मंत्र है, जो सभी बाधाएँ हरता है।
English Meaning: This is the seed mantra of Panchamukhi Hanuman, the Rudra-form, which removes all obstacles and grants protection.


6. देवी काली (Ugra Shakti Devi)

ग्रंथ: काली तंत्र
श्लोक:

राहुकाले विशेषेण कालीपूजां समाचरेत् । सिद्धिर्भवति निःशङ्का देव्या एव प्रसादतः ॥

हिंदी अर्थ: राहुकाल में काली पूजन विशेष फलदायी और सिद्धि देने वाला होता है।
English Meaning: Worship of Goddess Kali during Rahu Kaal unfailingly bestows success and fulfillment.


7. लक्ष्मी-सरस्वती (Satvik Devi)

ग्रंथ: लक्ष्मी तंत्र, सरस्वती स्तोत्र
श्लोक:

घृतदीपं सदा कार्यं लक्ष्म्याः सरस्वत्याः प्रियं स्मृतम् ।

हिंदी अर्थ: लक्ष्मी और सरस्वती की पूजा में सदैव घृतदीप प्रज्वलित करना चाहिए।
English Meaning: For worship of Lakshmi and Saraswati, ghee lamps are always considered auspicious and pleasing.


📜 देवता-वार पूजन मार्गदर्शन (शास्त्रीय आधार पर)


🕉 शान्त-सात्त्विक देवता

1. श्री विष्णु / लक्ष्मी / सरस्वती

  • पूजा-दिशा: उत्तर या पश्चिम

  • दीपक: घृतदीप

  • वर्तिका रंग: सफेद / पीला

  • दीपक की दिशा:

    • दिन: पूर्वाभिमुख

    • रात्रि: उत्तराभिमुख

  • शुभ लग्न: वृषभ, तुला, मीन

  • उत्तम होरा: चन्द्र होरा, गुरु होरा

  • राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: वर्ज्य

  • श्लोक प्रमाण:
    “घृतदीपः सदा कार्यो विष्णोर्लक्ष्म्याः सरस्वत्याः ।
    प्रसन्ना सर्वदा भूत्वा ददत्याशु मनोगतम् ॥”

    👉 अर्थ: घी का दीप करने से ये देवता शीघ्र प्रसन्न होकर मनोकामना पूर्ण करते हैं।


2. भगवान शिव / रुद्र

  • पूजा-दिशा: पूर्व या उत्तर

  • दीपक: तिल तेल दीप

  • वर्तिका रंग: लाल

  • दीपक की दिशा:

    • दिन: उत्तराभिमुख

    • रात्रि: पूर्वाभिमुख

  • शुभ लग्न: वृषभ, सिंह, मकर

  • उत्तम होरा: सूर्य होरा, शनि होरा

  • राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: वर्ज्य

  • श्लोक प्रमाण:
    “तिलतेन प्रदीपः स्याद् रुद्रस्य प्रीतिकरः सदा ।”
    👉 अर्थ: शिव-पूजन तिल तेल दीपक से करने पर विशेष प्रसन्न होते हैं।


3. श्री गणेश

  • पूजा-दिशा: उत्तर

  • दीपक: घृतदीप

  • वर्तिका रंग: पीला

  • दीपक की दिशा:

    • दिन: उत्तराभिमुख

    • रात्रि: उत्तराभिमुख

  • शुभ लग्न: कन्या, मीन

  • उत्तम होरा: बुध होरा

  • राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: वर्ज्य

  • श्लोक प्रमाण:
    “मङ्गले च गणाधीशं पूजयेत् घृतदीपकैः ।”
    👉 अर्थ: गणेश जी का पूजन घृतदीप से करना सर्वश्रेष्ठ है।


उग्र स्वरूप देव-देवी

4. दुर्गा / काली

  • पूजा-दिशा: दक्षिण

  • दीपक: तिल तेल दीप

  • वर्तिका रंग: लाल / काला

  • दीपक की दिशा:

    • दिन: दक्षिणाभिमुख

    • रात्रि: पश्चिमाभिमुख

  • शुभ लग्न: सिंह, वृश्चिक, मकर

  • उत्तम होरा: मंगल होरा, शनि होरा

  • राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: ✦ विशेष पूजनीय

  • श्लोक प्रमाण:
    “राहुकाले विशेषेण कालीपूजां समाचरेत् ।
    सिद्धिर्भवति निःशङ्का देव्या एव प्रसादतः ॥”

    👉 अर्थ: राहुकाल में काली-पूजन करने पर निश्चय ही सिद्धि और प्रसन्नता मिलती है।


5. छिन्नमस्ता

  • पूजा-दिशा: दक्षिण / पश्चिम

  • दीपक: सरसों तेल दीप

  • वर्तिका रंग: लाल

  • दीपक की दिशा:

    • दिन: पश्चिमाभिमुख

    • रात्रि: दक्षिणाभिमुख

  • शुभ लग्न: वृश्चिक, मकर

  • उत्तम होरा: मंगल होरा, शनि होरा

  • राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: ✦ विशेष पूजनीय

  • श्लोक प्रमाण: कालिका पुराण


6. धूमावती

  • पूजा-दिशा: दक्षिण

  • दीपक: सरसों तेल दीप

  • वर्तिका रंग: काला

  • दीपक की दिशा:

    • दिन: पश्चिमाभिमुख

    • रात्रि: दक्षिणाभिमुख

  • शुभ लग्न: मकर, कुम्भ

  • उत्तम होरा: शनि होरा, राहु होरा

  • राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: ✦ विशेष पूजनीय

  • श्लोक प्रमाण: रुद्रयामल तन्त्र


7. बगलामुखी (पिताम्बरा)

  • पूजा-दिशा: दक्षिण-पश्चिम

  • दीपक: घृतदीप

  • वर्तिका रंग: पीला

  • दीपक की दिशा:

    • दिन: दक्षिणाभिमुख

    • रात्रि: पश्चिमाभिमुख

  • शुभ लग्न: कन्या, मकर

  • उत्तम होरा: गुरु होरा, शुक्र होरा

  • राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: ✦ विशेष पूजनीय

  • श्लोक प्रमाण:
    “पीतवस्त्रधरां देवीं पीतदीपैः सुपूजिताम् ।
    ब्रह्मास्त्ररूपिणीं देवीं बगलां तां नमाम्यहम् ॥”

    👉 अर्थ: पीले दीपक से पिताम्बरा देवी की पूजा करने पर विजय और स्तम्भन शक्ति प्राप्त होती है।

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श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा ज...

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...