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शमी वृक्ष - घर में लगाना क्यों आवश्यक है? – भ्रांतियों का निवारण



शमी वृक्ष - घर में लगाना क्यों आवश्यक है? – भ्रांतियों का निवारण

🌳 शमी वृक्ष को घर में लगाना क्यों आवश्यक है? – भ्रांतियों का निवारण, शास्त्रों से प्रमाणित मार्गदर्शन 🌳
(Bhranti Nivaran Lekh – शास्त्रीय प्रमाण सहित)
🌿 शमी का वृक्ष – शास्त्रसम्मत उपयोग, पूजा, महत्व और लाभ 🌿
(सभी बिंदु वैदिक, पुराणिक एवं वास्तु शास्त्रानुसार)-Pt V.k.Tiwari (Astrologer ,Vastu , Palmist)94244446706-


✅ 1. शमी का वृक्ष – परिचय और शास्त्रीय महत्व

संस्कृत नाम: शमी (शमि) | वैज्ञानिक नाम: Prosopis cineraria
अन्य नाम: खेजड़ी (राजस्थान), जंडी (पंजाब), सुमुर (गुजरात)
शमी वृक्ष को हिंदी में विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे – शमी, सामी, चिकुर, रेजड़ी, चोंकर। इसे कई क्षेत्रों में बणि वृक्ष (Banni Tree) भी कहा जाता है

📜 शास्त्रीय उल्लेख:

“शमी शत्रुन् संहरति सदा विजयं ददाति च।”
महाभारत, अनुशासन पर्व
👉 इसका अर्थ है – शमी वृक्ष शत्रु नाश करता है और विजय प्रदान करता है।

📌 प्रस्तावना: भ्रांति बनाम सत्य

आजकल एक आम भ्रांति (misconception) प्रचलित है कि —

"शमी वृक्ष को घर में नहीं लगाना चाहिए, यह अशुभ होता है।"

यह पूर्णत: अशास्त्रीय, अवैज्ञानिक, और लोकप्रचलित अंधविश्वास है।
वास्तविकता यह है कि शमी वृक्ष को शास्त्रों, पुराणों और वास्तु शास्त्रों में रक्षा, शनि शांति, व भवन कल्याण के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।


🔍 भ्रांति क्यों फैली?

  • लोक में शनि को "क्रूर" मानकर डर फैलाया गया
  • कुछ पुरानी कथाओं में इसे श्मशान से जोड़ा गया
  • गलत अनुवाद व अर्धज्ञान से उत्पन्न भय
  • बिना शास्त्र प्रमाण के फैला हुआ लोकमत

📖 शास्त्र क्या कहते हैं? – प्रमाणित श्लोक

"शमी शमयते पापं शमी शत्रून् निबर्हति।
शमी ददाति सततं सुखं सौभाग्यमेव च॥"

स्कन्द पुराण, वैष्णव खण्ड
🔹 शमी पापों को शांत करती है, शत्रु नाश करती है, सुख-सौभाग्य देती है।

"यस्य द्वारे सदा तिष्ठेत् तत्र दोषो न विद्यते॥"
नारद पुराण
🔹 जिसके द्वार पर शमी रहती है, वहाँ कोई ग्रह दोष नहीं टिकता।

"शमीगृहे नित्यवसेत् शनैश्चरः"
बृहद संहिता – वराहमिहिर
🔹 शनि शमी के वास में रहते हैं – अतः शमी को घर के समीप लगाने से शनि प्रसन्न होते


🔱 2. शमी की पूजा किसकी होती है?

  • 🌞 शनि देव – शमी शनि ग्रह का प्रिय वृक्ष है।
  • 🔱 भगवान शिव – शिवलिंग पर शमीपत्र चढ़ाना विशेष पुण्यदायक होता है।
  • 🏹 अर्जुन ने अपने गाण्डीव धनुष को शमी वृक्ष में छिपाया था – विजयशमी/दशहरा पर इसे प्रणाम किया जाता है।
  • 🪔 नवरात्रि दशहरा पर शमी पूजन और पत्तों का आदान-प्रदान “सोना” मानकर किया जाता है।

🌳 3. शमी वृक्ष को घर/घाट की बाउंड्री में लगाने के लाभ

लाभ

विवरण

🔵 शनि दोष निवारक

शमी शनि का प्रिय वृक्ष होने से शनि की दृष्टि या साढ़ेसाती-ढैय्या के प्रभाव को कम करता है।

🔴 क्लेश व विवाद शांत

“शम” धातु से बना – शांति देनेवाला। गृहकलह, कोर्ट-कचहरी के योग में इसे लगाना लाभकारी।

🟢 नजर दोष नाशक

घर में तंत्र/बुरी दृष्टि हो तो इसकी छाया में दीपक जलाने से रक्षा होती है।

🔱 रक्षा कवच निर्माण

शमी की पत्तियाँ, लकड़ी को जलाकर राख बनाकर ताबीज में भरकर पहनना या दरवाजे पर लटकाना शुभ।

🪔 यज्ञ/हवन उपयोगी

इसकी लकड़ी अत्यंत पवित्र मानी जाती है – विशेष रूप से रुद्र हवन, शनि यज्ञ में।

🌬वातावरण शुद्धि

यह सूखा सहन करनेवाला और प्रदूषण सोखने वाला वृक्ष है – वास्तु अनुसार उत्तर या पश्चिम में लगाना शुभ।

📌 इस आधार पर शमी को घर में लगाने की दिशाएं व लाभ

दिशा

शास्त्र-सम्मत कारण

ग्रंथ प्रमाण

उत्तर-पश्चिम (वायव्य)

शत्रु बाधा, मानसिक तनाव, व तांत्रिक प्रभाव का नाश

मानसार, स्कन्द पुराण

पश्चिम दिशा

शनि की शुभता हेतु, करियर स्थिरता

बृहदसंहिता

मुख्य द्वार पर

ग्रह दोष, बुरी दृष्टि व नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा

नारद पुराण

बाउंड्री के चार कोनों में

भूमि रक्षा, चोरी, विघ्न, तांत्रिक बाधा निवारण

स्कन्द पुराण, वास्तु सूत्र

🔵 शनि दोष निवारक

शमी शनि का प्रिय वृक्ष होने से शनि की दृष्टि या साढ़ेसाती-ढैय्या के प्रभाव को कम करता है।






 

🔴 क्लेश व विवाद शांत

“शम” धातु से बना – शांति देनेवाला। गृहकलह, कोर्ट-कचहरी के योग में इसे लगाना लाभकारी।

 

🟢 नजर दोष नाशक

घर में तंत्र/बुरी दृष्टि हो तो इसकी छाया में दीपक जलाने से रक्षा होती है।

 

🔱 रक्षा कवच निर्माण

शमी की पत्तियाँ, लकड़ी को जलाकर राख बनाकर ताबीज में भरकर पहनना या दरवाजे पर लटकाना शुभ।

 

🪔 यज्ञ/हवन उपयोगी

इसकी लकड़ी अत्यंत पवित्र मानी जाती है – विशेष रूप से रुद्र हवन, शनि यज्ञ में।

 

🌬वातावरण शुद्धि

यह सूखा सहन करनेवाला और प्रदूषण सोखने वाला वृक्ष है – वास्तु अनुसार उत्तर या पश्चिम में लगाना शुभ।

🕉️ 4. शमी वृक्ष की पूजा विधि व मंत्र

पद्धति:

  • शमी वृक्ष के नीचे सरसों का तेल दीपक जलाएं।
  • काले तिल, काली उड़द, नीले फूल अर्पित करें।
  • "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का 108 बार जाप करें।
  • शमीपत्र लेकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।

शास्त्रीय मंत्र:

"ॐ अश्वत्थः छायया शमी नित्यं पूज्या विभूतिभिः।
यस्तामर्चयते नित्यं न तस्य कदाचन भयम्।"

पद्म पुराण

अर्थ: जो मनुष्य शमी वृक्ष की नित्य पूजा करता है, उसे कभी भी किसी प्रकार का भय नहीं रहता।

🛡️ 5. किन्हें विशेष लाभ मिलेगा – ज्योतिष आधार पर

जातक/योग

लाभ

शनि साढ़ेसाती/ढैय्या

विशेष शांति मिलेगी

शनि महादशा/अंतरदशा

दोषों की शांति, मानसिक स्थिरता

राहु-केतु या मंगल पीड़ित

क्रोध, शत्रु बाधा शांति

वक्री शनि या अशुभ दृष्टि

शमी पूजा/स्थापन लाभदायक

🏠 6. घर में कहाँ लगाएं? – वास्तु अनुसार

दिशा

लाभ

उत्तर-पश्चिम (वायव्य)

शत्रु बाधा व मानसिक चिंता नाशक

उत्तर-पश्चिम (वायव्य)

शत्रु बाधा व मानसिक चिंता नाशक

🧿 7. खास प्रयोग – रक्षा हेतु

शमी के 11 पत्र + काले तिल + राई + नमक – इसे नीले कपड़े में बाँधकर मुख्य द्वार पर टांगें।
✅ **शनिवार को शमी के नीचे सरसों तेल का दीपक लगाकर “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” का जप करें।
✅ **काली गाय की पूँछ से शमी पत्र छूकर घर में रखें – नज़र दोष नाश।
✅ **हवन में शमी लकड़ी जलाकर राख ताबीज में रखें – शत्रु निवारक ताबीज।

📚 8. ग्रंथों में उल्लेख

महाभारत

अर्जुन ने शमी में धनुष छिपाया, विजय प्रतीक

 

स्कंद पुराण

शमी वृक्ष की पूजा से अशुभ गृह दोष शांत

 

निरुक्त / पाणिनि व्याकरण

“शम” = शांति, नाश, स्तम्भन

 

बृहद संहिता (वराहमिहिर)

शमी को उग्र ग्रहों के दमन हेतु उपाय बताया गया है

 

नारद पुराण

शमी वृक्ष की परिक्रमा से दोषों का ना

ग्रंथ

शमी संबंधी उल्लेख





📌 निष्कर्ष: क्यों लगाएं शमी वृक्ष?

🔹 धर्म + ज्योतिष + वास्तु – तीनों शास्त्रों में इसकी पुष्टि है।
🔹 यह शनि का शुभ प्रतिनिधि है – दोष को शमन करता है, कल्याणकारी है।
🔹 इसकी पूजा और स्थापना से मानसिक, आध्यात्मिक और पारिवारिक सुरक्षा मिलती है।
🔹 किसी भी धार्मिक स्थान, घर की बाउंड्री, या यज्ञ मंडप के पास इसे लगाया जाए तो शुभ फलदायी है।🔱 शास्त्रीय आधार व ग्रंथ प्रमाण:

"शमी शत्रुन् संहरति सदा विजयं ददाति च।"
महाभारत, अनुशासन पर्व
🔹 शमी शत्रु का नाश करती है और विजय प्रदान करती है।

"शमी शमयते पापं शमी शत्रुन् निबर्हति।
शमी ददाति सततं सुखं सौभाग्यमेव च॥"

स्कंद पुराण
🔹 शमी पापों को शमन करती है, शत्रुओं का नाश करती है और सौभाग्य प्रदान करती है।

"शमी महाद्रुमाणां च ग्रहपीडाप्रशान्तये।
यस्य द्वारे सदा तिष्ठेत् तत्र दोषो न विद्यते॥"

नारद पुराण
🔹 जिस घर के द्वार पर शमी रहती है, वहाँ किसी भी प्रकार का ग्रहदोष नहीं टिकता।

 

🪔 शमी की पूजा – विशेष अवसर व देवता

  • शनि देव की विशेष कृपा हेतु शनिवार को शमी पूजन
  • दशहरा (विजयदशमी) पर “अपराजिता” के रूप में पूजा
  • शिवलिंग पर शमीपत्र अर्पण से पाप नाश
  • रक्षात्मक यज्ञों में शमी की लकड़ी का प्रयोग
  • शनि, राहु, मंगल, केतु दोष शमन हेतु शमी उपयोगी

📌 शमी वृक्ष को घर में कहाँ लगाएं – वास्तु अनुसार

🔃 दिशा

✅ लाभ

उत्तर-पश्चिम (वायव्य)

शत्रु बाधा, मानसिक चिंता व विरोधी शक्तियों का नाश

पश्चिम (पश्चिमोन्मुख शनि हेतु)

शनि दोषों का शमन, करियर में स्थिरता

मुख्य द्वार के दोनों ओर

दृष्टिदोष, नज़र दोष व तांत्रिक प्रभाव से रक्षा

घर की बाउंड्री के चारों कोनों पर

भूमि व भवन की रक्षा, चोरी व विघ्न का निवारण

शमी वृक्ष को घर में कहाँ 📚 1. महाभारत – अनुशासन पर्व

"शमी शत्रून् संहरति सदा विजयं ददाति च।"
महाभारत, अनुशासन पर्व, अध्याय 93
🔹 शमी शत्रुओं का नाश करती है और सदा विजय देती है।
👉 शास्त्रों के अनुसार इसे गृह रक्षा हेतु लगाया जाता है।


📚 2. स्कन्द पुराण – वैष्णव खण्ड

"शमी शमयते पापं शमी शत्रून् निबर्हति।
शमी ददाति सततं सुखं सौभाग्यमेव च॥"

स्कन्द पुराण, वैष्णव खण्ड
🔹 शमी पापों को शमन करती है, शत्रुओं का नाश करती है।
👉 इसलिए इसे घर के मुख्य द्वार पर या बाउंड्री में लगाना उचित माना गया है।


📚 3. नारद पुराण – पूर्व भाग

"शमी महाद्रुमाणां च ग्रहपीडाप्रशान्तये।
यस्य द्वारे सदा तिष्ठेत् तत्र दोषो न विद्यते॥"

नारद पुराण, पूर्व भाग, अध्याय 58
🔹 शमी ग्रह पीड़ा को शांत करती है, और जिसके द्वार पर यह हो, वहाँ कोई दोष नहीं रहता।
👉 स्पष्ट रूप से शमी को द्वार पर लगाना शुभ कहा गया है।


📚 4. बृहदसंहिता – वराहमिहिर

"शमीगृहे नित्यवसेत् शनैश्चरः"
बृहदसंहिता, अध्याय 57 – ग्रहशांति अध्याय
🔹 वराहमिहिर के अनुसार शनि की शांति हेतु शमीगृह का विधान किया गया है।
👉 शमी को शनि की दिशा – पश्चिम व वायव्य (उत्तर-पश्चिम) में लगाना लाभकारी है।


📚 5. वास्तुशास्त्र – मूल सूत्रानुसार (ब्राह्मण ग्रंथों व मानसार)

"वृक्षाणां स्थापने देशं दिशं च परिसंयोजयेत्।
गृहं रक्षायै युक्तं वा ग्रहबाधापहर्तृ च।"

मानसार, अध्याय 35
🔹 वृक्ष की दिशा व स्थान का समुचित चयन आवश्यक है।
👉 तंत्र/ग्रहबाधा के निवारण हेतु उत्तर-पश्चिम में रक्षात्मक वृक्ष लगाने की परंपरा है – जिसमें शमी अग्रणी है।


📌 इस आधार पर शमी को घर में लगाने की दिशाएं व लाभ

दिशा

शास्त्र-सम्मत कारण

ग्रंथ प्रमाण

उत्तर-पश्चिम (वायव्य)

शत्रु बाधा, मानसिक तनाव, व तांत्रिक प्रभाव का नाश

मानसार, स्कन्द पुराण

पश्चिम दिशा

शनि की शुभता हेतु, करियर स्थिरता

बृहदसंहिता

मुख्य द्वार पर

ग्रह दोष, बुरी दृष्टि व नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा

नारद पुराण

बाउंड्री के चार कोनों में

भूमि रक्षा, चोरी, विघ्न, तांत्रिक बाधा निवारण

स्कन्द पुराण, वास्तु सूत्र

लगाएं – शास्त्र प्रमाण सहित विवरण (वास्तु एवं ज्योतिषीय दृष्टिकोण से)

शमी वृक्ष को किस दिन, किस नक्षत्र और किस समय घर लाना या लगाना शुभ होता है – शास्त्र, मुहूर्त एवं ज्योतिष के अनुसार संपूर्ण मार्गदर्शन

🗓️ 1. श्रेष्ठ दिन (शुभवार) – विशेष लाभ के अनुसार

दिन

लाभ

शनिवार (Saturday)

शनि कृपा, शनि दोष शांति हेतु अत्यंत उत्तम





 

मंगलवार (Tuesday)

मंगल दोष, क्रोध, रक्त विकार, कोर्ट केस से राहत

 

दशहरा (विजयदशमी)

अर्जुन द्वारा शमी पूजन की स्मृति, “विजय वृक्ष”

 

अमावस्या

पितृ दोष, तांत्रिक बाधा निवारण हेतु

 

श्रावण सोमवार / महाशिवरात्रि

शिव को प्रिय शमीपत्र हेतु

✨ 2. श्रेष्ठ नक्षत्र – स्थायी, रक्षा व ग्रहशांति हेतु

नक्षत्र

गुणधर्म

कारण

उत्तराषाढ़ा

ध्रुव (स्थिर)

स्थायी रक्षा, भूमि रक्षा, वास्तु शांति हेतु श्रेष्ठ

रोहिणी

मृदु-सौम्य

घर में सुख-शांति और संतुलन हेतु

श्रवण

चरित्र निर्माण

पितृ शांति, परिवार रक्षा

चित्रा

उत्साह, ऊर्जा

ग्रह दोषों से मुक्त करने हेतु

पुष्य

पवित्र व शुभतम

किसी भी पूजन या रक्षा हेतु सर्वोत्तम नक्षत्र







⏰ 3. श्रेष्ठ समय (मुहूर्त)

मुहूर्त

कारण

भिजीत मुहूर्त (दोपहर 11:45–12:35 लगभग)

सर्वसिद्धिकारी समय





 

विजय मुहूर्त (दशहरे पर विशेष)

विजय, बाधा नाश हेतु

 

प्रातः ब्रह्म मुहूर्त (4:30–5:30 AM)

आध्यात्मिक शक्ति हेतु

 

संध्याकाल दीपदान समय

विशेषतः शनिवार को शनि पूजन हेतु

📿 4. शमी लाते समय या लगाते समय मंत्र व प्रयोग

  • लाने से पूर्व मंत्र:

“ॐ शं शनैश्चराय नमः” या
“ॐ नमो भगवते शमीद्रुमाय सर्वदोष निवारणाय नमः”

  • दीपक जलाकर तिल या काले उड़द अर्पित करें।
  • शमी की 7 परिक्रमा करें।
  • तुलसी या गंगाजल से छिड़काव करें।

🔐 5. क्या ध्यान रखें? (Do's and Don'ts)

शमी को हमेशा अपने हाथों से घर लाएं – दूसरों से न मँगवाएं।
उसे अपवित्र स्थान (बाथरूम, कूड़ेदान के पास) न रखें।
शमी को कभी सूखने न दें – नियमित जल चढ़ाएं।
शमी वृक्ष की छाया में भोजन या शयन न करें।
शमी की डालियों से ताबीज बनाकर दरवाजे पर लटकाना शुभ है।


📌 निष्कर्ष:

शमी वृक्ष को शनिवार + पुष्य नक्षत्र + अभिजीत या संध्या मुहूर्त में लाना या लगाना सर्वोत्तम है। दशहरे के दिन "विजय वृक्ष पूजन" के रूप में इसे स्थापित करें तो शत्रु बाधा, शनि पीड़ा, नजर दोष, व भूमि संकट से मुक्ति मिलती है।

यदि चाहें तो मैं शमी स्थापना की पूजा विधि, विशेष शनि मंत्रों की सूची और दशहरे के दिन शमी पूजन संकल्प सहित दे सकता हूँ।

 

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श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...