✨ 22 अगस्त 2025 नये वस्त्र, वस्तु, आभूषण, श्रृंगार, विवाह, यात्रा, भूमि और गृह कार्य आरम्भ (Friday | Shukravar)
🌙 नक्षत्र (Nakshatra): आश्लेषा (Ashlesha) – चन्द्रमा कर्क राशि में
🕉 तिथि (Tithi): कृष्ण चतुर्दशी → अमावस्या आरम्भ 11:56 AM से
🔹 विशेष योग और दोष:
· पितृ/पितोरी अमावस्या प्रारम्भ – 11:56 बजे से
· घोर चतुर्दशी (Darsha/Amavasya Puja)
· भद्रा (Bhadra) – प्रारम्भ 12:50 PM से, भूमि संबंधित कार्यों पर निषेध प्रभाव
· व्यतीपात योग – 16:11 बजे तक (अशुभ फलकारक, नये कार्य, विवाह, सौंदर्य-श्रृंगार हेतु वर्जित)
· आश्लेषा मूल दोष – विशेषकर नये वस्त्र, आभूषण, चूड़ी, मेंहदी, श्रृंगार आदि कार्यों पर प्रतिकूल फल
📜 ग्रंथ प्रमाण (निरण्यसिन्धु, धर्मसिन्धु, मुहूर्त चिन्तामणि):
"चतुर्दश्यां तु
यः कुर्यात् नूतनं
वस्त्र-भूषणम्।
मूलाश्लेषायुतायां च
तस्य दुःखं प्रजायते॥"
(अर्थ: जो व्यक्ति चतुर्दशी तिथि, आश्लेषा नक्षत्र और मूल दोष के समय नये वस्त्र, आभूषण अथवा श्रृंगार करता है, उसके जीवन में दुख, कलह और पीड़ा की वृद्धि होती है।)
🪔 पितृ/पितोरी अमावस्या पूजा-विधि एवं मंत्र:
· प्रातः स्नान कर पितृ-तर्पण व दीपदान करें।
· संध्या समय “ॐ नमः पितृभ्यः स्वधा” मंत्र से आहुति दें।
· अघोर चतुर्दशी पर भगवान शिव को काला तिल, अक्षत और जल से अभिषेक करने का विधान है।
📌 संयुक्त
प्रभाव
(Ashlesha + Chaturdashi + Amavasya + Bhadra + Vyatipaat):
➡️
नये वस्त्र, वस्तु, आभूषण, श्रृंगार, विवाह, यात्रा, भूमि और गृह कार्य
आरम्भ अशुभ
एवं
वर्जित
माने गये हैं।
➡️
केवल श्राद्ध,
पितृ-तर्पण, दान, उपवास, शिव-पार्वती पूजा, दीपदान, महामृत्युंजय जप अत्यन्त फलदायी रहेंगे।
👉 निष्कर्ष: 22 अगस्त 2025 शुक्रवार को नए कार्य, वस्त्र, आभूषण व श्रृंगार से बचें। पितृ पूजा, शिव उपासना और दान पुण्य ही श्रेष्ठ हैं।
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