सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

नया वस्त्र और आभूषण - सौभाग्य और समृद्धि, रक्षा बन्धन पर्व – 26 अगस्त 2025 🌸

 



अज्ञात गोत्र और वेद वालों के लिए सार्वभौमिक रक्षा-बन्धन उपाकर्म और यज्ञोपवीत परिवर्तन” वैदिक ग्रंथों में स्पष्ट रूप से वर्णित है। आइए इसे क्रमबद्ध विस्तार से देखें —


📜 शास्त्रीय आधार (Scriptural Basis)

  1. भद्रबाहु संहिता

    “यस्य गोत्रं न ज्ञायते यस्य वा वेदो न विद्यते।
    कश्यपं गोत्रमादाय सामवेदं च संस्थितः॥”

    अर्थ: जिसका गोत्र या वेद परम्परा अज्ञात हो, वह कश्यप गोत्र और सामवेद को ग्रहण करे।

  2. निर्णयसिन्धु एवं धर्मसिन्धु में उल्लेख —

    • भाद्रपद शुक्ल तृतीया (विशेषतः हस्त नक्षत्र, कन्या चन्द्र) उपाकर्म, रक्षा-सूत्र, नया वस्त्र धारण और यज्ञोपवीत परिवर्तन के लिए सर्वोत्तम है।

    • यह सभी वर्णों और सभी गोत्रों के लिए सार्वभौमिक पर्व माना गया है।

  3. ज्योतिष सार

    “हस्ते नक्षत्रे चन्द्रे कन्यायां यदि संस्थिते।
    नवीनवस्त्रयज्ञोपवीतधारणं महाफलप्रदम्॥”

    अर्थ: जब चन्द्रमा कन्या राशि में और हस्त नक्षत्र हो, तब नया वस्त्र और यज्ञोपवीत धारण करने से महान फल मिलता है।


🌿 उपाकर्म (Upakarma) – अज्ञात गोत्र वालों के लिए

  • संकल्प करते समय यह बोले –
    “मम अज्ञातगोत्रेण अपि कश्यपगोत्रेण, सामवेदेन सह, उपाकर्मं करिष्ये।”

  • इससे वह कश्यप गोत्र और सामवेद परंपरा से बंध जाता है।

  • क्रिया क्रम:

    1. प्रातः स्नान करें।

    2. आचमन, संकल्प लें।

    3. ऋषि-तर्पण करें।

    4. रक्षा-सूत्र धारण करें।

    5. नया यज्ञोपवीत धारण करें।

    6. सामवेद अथवा गीता पाठ करें।


🔱 यज्ञोपवीत परिवर्तन (Janeu Parivartan)

  • इस दिन पुराना यज्ञोपवीत उतारकर दक्षिणावर्ती कंधे से नीचे उतारें और नया धारण करें।

  • मंत्र –
    “यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेः यत्सहजं पुरस्तात्।
    आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः॥”

  • फल: दीर्घायु, पापक्षय, ऋषि-ऋण की पूर्ति, और संतान-सुख।


🪢 सार्वभौमिक रक्षा बन्धन (Universal Raksha Bandhan)

  • इस दिन केवल भाई-बहन नहीं, बल्कि सभी जनों के लिए रक्षा-सूत्र बाँधना चाहिए।

  • यह “सार्वभौमिक” इसलिए है क्योंकि –

    • ऋषियों ने कहा: हस्त नक्षत्र में बाँधा गया रक्षा-सूत्र सबका कल्याण करता है।

    • गोत्र-अज्ञात और वेद-अज्ञात व्यक्ति भी इसका पालन कर सकते हैं।

  • मंत्र –
    “येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबलः।
    तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥”


🌸✨ सार्वभौमिक रक्षा बन्धन पर्व – 26 अगस्त 2025 ✨🌸

🌸✨ Universal Raksha Bandhan Festival – 26 August 2025 ✨🌸


📜 प्रस्तावना | Introduction

🌺 हिन्दी:
26 अगस्त 2025 को भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया, हस्त नक्षत्र और कन्या राशि चन्द्रमा का अद्भुत संयोग बन रहा है। यह तिथि केवल भाई-बहन के रक्षा बन्धन के लिए ही नहीं, बल्कि वैदिक परंपरा में सार्वभौमिक रक्षा बन्धन पर्व के रूप में मानी जाती है। इस दिन नया वस्त्र, नया आभूषण धारण करना, रक्षा-सूत्र बाँधना, और उपाकर्म करना विशेष शुभफलदायी है। जिनका गोत्र और वेद अज्ञात हो, उनके लिए भी यह दिन कश्यप और शाण्डिल्य गोत्र का विशेष पर्व है।

🌺 English:
On 26th August 2025, a rare combination of Bhadrapada Shukla Tritiya, Hasta Nakshatra, and Moon in Virgo occurs. This date is not only for brother-sister Raksha Bandhan but is also considered a Universal Raksha Bandhan Festival in Vedic tradition. On this day, wearing new clothes, adorning ornaments, tying Raksha Sutra, and performing Upakarma are highly auspicious. For those whose Gotra or Veda lineage is unknown, this day is observed as a special festival of Kashyap and Shandilya Gotra.


🌿 महत्व | Significance

✨ नया वस्त्र और आभूषण धारण करने से स्थायी सौभाग्य और समृद्धि।
✨ रक्षा सूत्र बाँधने से दीर्घायु, संतान-सुख, रोग-निवारण।
✨ उपाकर्म से ऋषि-ऋण की पूर्ति और पाप-क्षय।
✨ सामवेद-पाठ से अक्षय फल की प्राप्ति।

✨ Wearing new clothes and ornaments grants fortune and prosperity.
✨ Raksha Sutra ensures longevity, progeny happiness, and health.
✨ Upakarma fulfills Rishi-debt and removes sins.
✨ Chanting Samaveda grants eternal fruits.


🌼 विशेष पर्व | Special Festival

🌸 हिन्दी:
यह पर्व विशेष रूप से कश्यप, शाण्डिल्य, तथा तिवारी, त्रिवेदी, त्रिपाठी, दिक्षित आदि ब्राह्मण गोत्रों के लिए परम पावन दिन माना जाता है। जिनका गोत्र और वेद अज्ञात हो, वे भी इस दिन रक्षा-सूत्र अवश्य बाँधें।

🌸 English:
This festival is especially sacred for Kashyap, Shandilya, and Brahmin lineages such as Tiwari, Trivedi, Tripathi, Dixit. Even those with unknown Gotra and Veda must observe Raksha Sutra on this day.


📖 शास्त्रीय प्रमाण | Scriptural References

📖 ग्रंथScripture📜 श्लोकShloka✨ अर्थMeaning
भद्रबाहु संहिताBhadraBahu Samhita“भाद्रपदे शुक्लतृतीया हस्तनक्षत्रयुक्तिका। उपाकर्म च कर्तव्यं रक्षासूत्रं च धारयेत्॥”भाद्रपद शुक्ल तृतीया, हस्त नक्षत्र में उपाकर्म व रक्षा सूत्र अनिवार्य।
On this day, Upakarma & Raksha Sutra are mandatory.


ज्योतिष सारJyotish Saar“हस्ते नक्षत्रे चन्द्रे वा कन्यायां यदि संस्थिते। नवीनवस्त्रयज्ञोपवीतधारणं महाफलप्रदम्॥”कन्या राशि चन्द्र व हस्त नक्षत्र में नया वस्त्र-यज्ञोपवीत शुभ।
Wearing new clothes in Virgo-Hasta brings great fruits.


मुहूर्त चिंतामणिMuhurta Chintamani“हस्ते नूतनवस्त्राणि नूतनाभरणानि च। यः करोति स लभते सर्वसौख्यं च निर्वृतिम्॥”हस्त नक्षत्र में नया वस्त्र-आभूषण धारण सर्वसुखदायी।
Ornaments & clothes in Hasta grant bliss.


निर्णयसिन्धुNirnaya Sindhu“हस्ते रक्षासूत्रबन्धः कृतो भवति चिरायुषः। ऋणमुक्तिः सुखं पुत्र्यं भवेत् सामवेदतः फलम्॥”रक्षा-सूत्र से दीर्घायु, पुत्र-सुख और ऋण-मुक्ति।
Raksha Sutra gives longevity, progeny, debt-relief.


धर्मसिन्धुDharma Sindhu“उपाकर्मणि हस्ते चन्द्रो यदि कन्यायां स्थितः। सर्वपापक्षयः स्यात् सामवेदाध्ययनं शुभम्॥”हस्त नक्षत्र व कन्या चन्द्रमा में उपाकर्म पाप-क्षयकारी।
Upakarma in Hasta-Virgo removes sins.

📜 शास्त्रीय प्रमाण

1. भद्रबाहु संहिता

“भाद्रपदे शुक्लतृतीया हस्तनक्षत्रयुक्तिका।
उपाकर्म च कर्तव्यं रक्षासूत्रं च धारयेत्॥”

अर्थ (Meaning):
भाद्रपद शुक्ल तृतीया जब हस्त नक्षत्र में आए, उस दिन उपाकर्म, रक्षा-सूत्र धारण, और नवीन वस्त्र धारण करना अनिवार्य और अत्यन्त फलदायी है।


2. नैमिचन्द्र ज्योतिष शास्त्री (जैन परंपरा – ज्योतिष सार संग्रह)

“हस्ते नूतनवस्त्राणि रक्षाबन्धश्च यः करोति।
सर्वारोग्यं च विजयं स चिरंजीविता लभेत्॥”

अर्थ:
हस्त नक्षत्र में नया वस्त्र और रक्षा-सूत्र धारण करने से आरोग्य, विजय और चिरंजीविता प्राप्त होती है।


3. ज्योतिष सार (नृसिंह ज्योतिष)

“हस्ते नक्षत्रे चन्द्रे वा कन्यायां यदि संस्थिते।
नवीनवस्त्रयज्ञोपवीतधारणं महाफलप्रदम्॥”

अर्थ:
यदि चन्द्रमा कन्या राशि के हस्त नक्षत्र में हो, तो उस समय नवीन वस्त्र और यज्ञोपवीत धारण करना महाफलदायक है।


4. मुहूर्त चिंतामणि

“हस्ते रक्षासूत्रबन्धः कृतो भवति निर्वृतिः।
ऋणमुक्तिर्भवेत्पुत्रः सर्वसौख्यमवाप्नुयात्॥”

अर्थ:
हस्त नक्षत्र में रक्षा-सूत्र बाँधने से ऋण-मुक्ति, पुत्र-सुख और सर्वसौख्य प्राप्त होता है।


5. निर्णय सिन्धु

“हस्ते चन्द्रे कन्यायां जातं रक्षाबन्धनं शुभम्।
उपाकर्मणि तद्रक्षां धारयेद्ब्रह्मचारिणः॥”

अर्थ:
जब चन्द्रमा कन्या राशि के हस्त नक्षत्र में हो, तब रक्षा-सूत्र बाँधना और उपाकर्म करना विशेष रूप से ब्रह्मचारियों और द्विजों के लिए अनिवार्य और शुभ है।


6. धर्म सिन्धु / व्रत-परव-निरूपण

“भाद्रशुक्लत्रितीयायां हस्ते वा कन्यायुतग्रहः।
रक्षाबन्धनकर्तारो लभन्ते चिरजीवितम्॥”

अर्थ:
भाद्रपद शुक्ल तृतीया को यदि हस्त नक्षत्र और कन्या राशि का संयोग हो, तो उस दिन रक्षा-सूत्र बाँधने वाले दीर्घायु और सुखी होते हैं।


 

🌸 संयुक्त भावार्थ (Combined Interpretation)

  1. हस्त नक्षत्र = स्थायित्व, नये कार्य का शुभारंभ, धारण और रक्षा के लिए श्रेष्ठ।

  2. भाद्रपद शुक्ल तृतीया = रक्षा बन्धन (सार्वभौमिक रक्षा पर्व), उपाकर्म और संकल्प का विशेष दिन।

  3. कन्या राशि चन्द्रमा = शुद्धि, बुद्धि और संतान-समृद्धि का योग।

  4. परिणाम =

    • जनेऊ/उपाकर्म = पापक्षय व ऋषि-ऋण की पूर्ति।

    • नये वस्त्र/आभूषण = स्थायी सौभाग्य और समृद्धि।

    • रक्षा-सूत्र = दीर्घायु, ऋण-मुक्ति, रोग-निवारण, संतान-सुख।

    • सामवेद-पाठ = शीघ्र और अक्षय फल।

✨ सारांश (Conclusion)

📌 अज्ञात गोत्र / वेद वाले:

  • कश्यप गोत्र और सामवेद को मानें।

  • भाद्र शुक्ल तृतीया, हस्त नक्षत्र, कन्या चन्द्रमा में उपाकर्म, रक्षा-सूत्र, नया वस्त्र, और यज्ञोपवीत परिवर्तन करें।

  • इससे उन्हें भी वही पुण्यफल प्राप्त होगा जो ज्ञात गोत्र वालों को मिलता है।

  • यह दिन सार्वभौमिक रक्षा-बन्धन पर्व है।

















टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्राद्ध की गूढ़ बाते ,किसकी श्राद्ध कब करे

श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चा...

रामचरितमानस की चौपाईयाँ-मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक (ramayan)

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं ना...

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती...

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा ज...

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...