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19.8.2025-एकादशी व्रत -कथा – पूजन विधि (निषेध )

 

🚫 अजा एकादशी व्रत -कथा पूजन विधि निषेध (भूमिका सहित)

📜 कुंडली निर्माण संदर्भ | Horoscope Accuracy Note

📌 कुंडली निर्माण (Horoscope Making)केवल विशोत्तरी दशा ही नहीं, अन्य 42+ दशाएँ भी होती हैं।
📌 Note: Vimshottari Dasha is not always applicable in every horoscope. Always verify with divisional charts.

📚 विशेष परामर्शदाता:
🔹 डॉ. आर. दीक्षित🏛 वास्तु विशेषज्ञ
🔹 डॉ. एस. तिवारी🔱 वैदिक ज्योतिषाचार्य
📧 Email: tiwaridixitastro@gmail.com | 📞 +91 9424446706


🔹 भूमिका (Introduction)

शास्त्रों में एकादशी व्रत को अत्यंत पुण्यदायक और पाप-नाशक कहा गया है। किंतु सभी व्रत सर्वजन-समान नहीं होते।
विशेष परिस्थितियों में, जैसे

  • पुत्रवती (संतानवती) स्त्रियाँ,
  • गर्भवती या स्तनपान कराने वाली माताएँ,
  • शारीरिक दुर्बलता, रोग, या विशेष काल (संक्रांति, ग्रहण, रविवार आदि),

इनमें कठोर निराहार उपवास करने पर फल की अपेक्षा विपरीत दोष उत्पन्न हो सकता है।

 धर्मशास्त्र कहता है कि धर्म का पालनयथाशक्ति और स्थितिके अनुसार ही होना चाहिए, अन्यथा पुण्य के स्थान पर दोष ही प्राप्त होता है।

इसी कारण ग्रंथों ने ऐसे व्रतों के लिए निषेध और अपवाद नियम बताए हैं। नीचे प्रमुख शास्त्रीय प्रमाण दिए जाते हैं। अजा एकादशी पूजन मार्गदर्शिका (Aja Ekadashi Pooja Guide)

🌸 अजा एकादशी पूजन विधि (Pooja Vidhi)

1. प्रातः स्नान करके पीले या स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. भगवान विष्णु का ध्यान करें और संकल्प लें –

   संस्कृत मंत्र: 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'

   English: Chant the holy name of Lord Vishnu with full devotion.

3. घी का दीपक प्रज्वलित करें, पीले/सफेद कपास की वर्तिका से।

4. विष्णु सहस्रनाम या गीता पाठ करें।

5. संध्या काल पुनः दीपक जलाकर विष्णु स्तुति करें।

6. फलाहार या जल-पान के साथ व्रत का पालन करें।

✨ अजा एकादशी का फल (Benefits)

अजा एकादशी व्रत से अकाल मृत्यु, पाप और दुःख नष्ट होते हैं। यह व्रत विशेष रूप से जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति प्रदान करने वाला कहा गया है।

🚫 एकादशी व्रत – निषेध (Restrictions)

भूमिका: धर्मशास्त्र बताते हैं कि पुत्रवती, गर्भवती, स्तनदा स्त्रियों तथा विशेष काल में कठोर उपवास त्याज्य है।

1️ पुत्रवती स्त्री और गृहस्थ:
“गृहस्थो यदि पुत्रवान् कुर्यादेकादशीव्रतम्।
तस्य पुत्रविनाशो वा दुर्गतिर्वा प्रजायते॥”
📖 नारद पुराण, पूर्व भाग, अध्याय 113
👉 यदि कोई गृहस्थ, विशेषकर पुत्रवती अवस्था में, कठोर उपवास करता है तो संतान पर संकट या दुर्गति आती है।

2️ गर्भवती या स्तनदा स्त्री:
“गर्भिणी वा स्तनदा वा नोपोष्यं तपसः फलम्।
न स्त्री स्वेच्छया कुर्याद्व्रतम् अनारम्भसम्भवम्॥”
📖 मनुस्मृति, अध्याय 5, श्लोक 47
👉 गर्भवती या स्तनपान कराने वाली स्त्रियों को कठोर उपवास से कोई पुण्यफल नहीं मिलता।

3️ संक्रांति काल:
“संक्रान्तौ वर्जितं सर्वं, आहारं व्रतं च नाचरेत्।
वातपीडाभवः स्त्रीणां, दोषदं च शिशोः सदा॥”
📖 गृह्यसूत्र / अशनविचार
👉 संक्रांति के समय व्रत वर्जित है, इससे स्त्रियों को वात-दोष और बच्चों को रोग होता है।

4️ ग्रहण काल:
“ग्रहणे तु व्रतं त्याज्यं स्त्रीणां गर्भिण्यपि च सदा।
बालानां रोगदं पापं, रजस्तम उपद्रवम्॥”
📖 पाराशर स्मृति, अध्याय 1, श्लोक 24
👉 ग्रहण के समय गर्भवती या पुत्रवती स्त्रियों को व्रत नहीं करना चाहिए।

5️ रविवार उपवास:
“रविवारे तु यो व्रतम् उपोष्यं कुरुते नरः।
तस्य पित्तविकारोऽभूत् अग्निदोषः सदा ध्रुवम्॥”
📖 स्कन्द पुराण, ब्रह्मखण्ड, अध्याय 55
👉 रविवार को उपवास करने से पित्तदोष और अग्निदोष उत्पन्न होता है।

🌼 निष्कर्ष (Conclusion)

अजा एकादशी व्रत मोक्षदायक और पाप-नाशक है। किंतु शास्त्रसम्मत नियमों और निषेधों का पालन करते हुए फलाहार, दीपदान, जप और पूजन से भी व्रत का समान पुण्य प्राप्त होता है।


1️ पुत्रवती स्त्री और गृहस्थ

📜 श्लोक:
गृहस्थो यदि पुत्रवान् कुर्यादेकादशीव्रतम्।
तस्य पुत्रविनाशो वा दुर्गतिर्वा प्रजायते॥
📖 नारद पुराण, पूर्व भाग, अध्याय 113

👉 अर्थ: यदि कोई गृहस्थ, विशेषकर पुत्रवती अवस्था में, कठोर निराहार उपवास करता है तो संतान पर संकट या स्वयं पर दुर्गति का भय रहता है।


2️ गर्भवती या स्तनदा स्त्री

📜 श्लोक:
गर्भिणी वा स्तनदा वा नोपोष्यं तपसः फलम्।
स्त्री स्वेच्छया कुर्याद्व्रतम् अनारम्भसम्भवम्॥
📖 मनुस्मृति, अध्याय 5, श्लोक 47

👉 अर्थ: गर्भवती या स्तनपान कराने वाली स्त्रियों को कठोर उपवास करने से कोई पुण्यफल नहीं मिलता। र्म कहता है कि उन्हें केवल लघु उपवास या फलाहार ही करना चाहिए।


3️ संक्रांति काल

📜 श्लोक:
संक्रान्तौ वर्जितं सर्वं, आहारं व्रतं नाचरेत्।
वातपीडाभवः स्त्रीणां, दोषदं शिशोः सदा॥
📖 गृह्यसूत्र / अशनविचार

👉 अर्थ: संक्रांति के समय व्रत वर्जित है, क्योंकि इससे स्त्रियों को वात-दोष और बच्चों को रोग होने की संभावना रहती है।


4️ ग्रहण काल

📜 श्लोक:
ग्रहणे तु व्रतं त्याज्यं स्त्रीणां गर्भिण्यपि सदा।
बालानां रोगदं पापं, रजस्तम उपद्रवम्॥
📖 पाराशर स्मृति, अध्याय 1, श्लोक 24

👉 अर्थ: ग्रहण के समय स्त्रियों, विशेषकर गर्भवती या पुत्रवती स्त्रियों को उपवास नहीं करना चाहिए। इससे बालकों में रोग मानसिक विक्षोभ उत्पन्न हो सकते हैं।


5️ रविवार उपवास

📜 श्लोक:
रविवारे तु यो व्रतम् उपोष्यं कुरुते नरः।
तस्य पित्तविकारोऽभूत् अग्निदोषः सदा ध्रुवम्॥
📖 स्कन्द पुराण, ब्रह्मखण्ड, अध्याय 55

👉 अर्थ: रविवार को उपवास करने से पित्त दोष, अग्निदोष (पाचन शक्ति का ह्रास) और अधिक गर्मी होती है। यह स्त्रियों के लिए विशेष रूप से हानिकारक है।


संक्षेप निष्कर्ष (Bilingual Summary)

  • हिंदी: पुत्रवती, गर्भवती और स्तनदा स्त्रियों को कठोर एकादशी उपवास वर्जित है। उन्हें केवल फलाहार या लघु उपवास करना चाहिए।
  • English: Married women with children, pregnant and nursing mothers must avoid strict Nirjala Ekadashi fasting. They may observe symbolic fasting with fruits or milk instead.

📖 अजा एकादशी कथा Bilingual

स्रोत: ब्रह्मवैवर्त पुराण एवं पद्मपुराण (एकादशी माहात्म्य)

महात्मा वशिष्ठ मुनि ने महाराज हरिश्चंद्र से कहा:
राजन! तुम्हारे सभी दुखों का नाश केवल अजा एकादशी व्रत से संभव है।

🌸 कथा
सत्यप्रतिज्ञ राजा हरिश्चंद्र अपने वचन-पालन के कारण दारुण दुःख भोग रहे थे। उन्होंने अपना राज्य, धन, यहाँ तक कि धर्मपत्नी और पुत्र तक बेच डाले। स्वयं श्मशान में डोम (चांडाल) के नौकर बन गए।

वशिष्ठ मुनि के उपदेश पर उन्होंने अजा एकादशी का उपवास और रात्रि-जागरण किया। उस व्रत के प्रभाव से उनके सभी पाप नष्ट हो गए, ऋणमुक्त हुए और पुनः राज्य, परिवार तथा वैभव की प्राप्ति हुई।


महत्व (Importance)

  • यह व्रत करने से महापाप भी नष्ट होते हैं
  • गृहस्थी में सुख-शांति, संतान की उन्नति, और अंत में वैकुण्ठधाम की प्राप्ति होती है।
  • भगवान श्रीराम ने युधिष्ठिर से कहा:

हे राजन! अजा एकादशी के प्रभाव से मनुष्य पापमुक्त होकर सत्यलोक और विष्णुलोक को प्राप्त करता है।


📜 प्रमाण श्लोक (पद्मपुराण)

अजा नाम्नी तु सा प्रोक्ता सर्वपापप्रणाशिनी
उपोष्य यः पुमान्सम्यग् वैष्णवं लोकमाप्नुयात्

👉 अर्थ: यह अजा नाम की एकादशी सभी पापों का नाश करनेवाली है। जो इसे श्रद्धा से करता है, वह विष्णु लोक को प्राप्त करता है।


🌺 सार

  • हिंदी: अजा एकादशी व्रत से हरिश्चंद्र जैसे कठिन संकट भी मिट जाते हैं। यह पापों का नाश करके सुख, राज्य और अंत में विष्णुलोक की प्राप्ति कराती है।
  • English: Aja Ekadashi removes even the greatest sins, restores lost fortune (as in King Harishchandra’s story), and grants liberation to Vishnu’s abode.

📿 मंत्र (Mantra)

  • मुख्य जप मंत्र :
    नमो भगवते वासुदेवाय
  • सहायक स्तुति :
    विष्णवे नमः
    👉 भगवान विष्णु के नाम-स्मरण और रामनाम-जप को विशेष फलदायी कहा गया है।

🪔 दीपक एवं वर्तिका (Lamp & Wick)

  • शास्त्रों (निरणयसिन्धु, धर्मसिन्धु) में संध्या-पूजा हेतु दीपक का विधान है।
  • दीपकघी का दीपक (एकमुखी या पंचमुखी)
  • वर्तिका (बत्ती)पीत कापस (पीले कपास की रूई) या साधारण सफेद कपास की बत्ती।
  • संध्या समय दक्षिणाभिमुख दीपक रखना श्रेष्ठ है।

🎨 रंग (Colour for Puja)

  • विष्णु पूजा में सामान्यत: पीला, सफेद और हरा रंग शुभ माना गया है।
  • अजा एकादशी पर विशेषकर पीला वस्त्र, पीले पुष्प (अर्घ्य में) और हल्दी-कुंकुम प्रयोग का विधान है।
    👉 पीला रंगसतोगुण लक्ष्मी-कृपा का द्योतक है।

संक्षेप bilingual

  • हिंदी: अजा एकादशी पर पीले वस्त्र धारण करके घी का दीपक, पीले कपास की बत्ती से जलाकर संध्या पूजा करें और नमो भगवते वासुदेवायका जप करें।
  • English: On Aja Ekadashi, wear yellow attire, light a ghee lamp with yellow/white cotton wick at dusk, and chant “Om Namo Bhagavate Vasudevaya” for best results.

·         📜 अजा एकादशी पूजन विधि (Aja Ekadashi Puja Vidhi)

क्रम / Step

विधान (हिंदी)

Procedure (English)

1️ संकल्प

प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें और संकल्प लेंमैं विष्णुप्रीत्यर्थ अजा एकादशी व्रत करूँगा।

After morning bath, wear yellow clothes and take vow: “I shall observe Aja Ekadashi for pleasing Lord Vishnu.”

2️ उपवास नियम

अन्न, चावल, दाल, तिलहन, मसाले, प्याज-लहसुन का त्याग। फलाहार, दूध, पंचामृत या केवल जल से उपवास।

Avoid grains, pulses, onion, garlic, spices. Take fruits, milk, panchamrit, or water-only fast.

3️ पूजा सामग्री

पीले पुष्प, तुलसी पत्र, धूप, दीपक, पंचामृत, शंख-घंटी, नारियल या मिठाई।

Yellow flowers, Tulsi leaves, incense, ghee lamp, panchamrit, conch-bell, coconut or sweets.

4️ दीपक-वर्तिका

घी का दीपक, पीले/सफेद कपास की बत्ती, संध्या समय दक्षिणाभिमुख जलाएँ।

Ghee lamp with yellow/white cotton wick, light facing south at dusk.

5️ मंत्र-जप

📿 मुख्य मंत्र नमो भगवते वासुदेवाय (108 बार)
सहायक विष्णवे नमः, रामनाम जप

Main mantra: Om Namo Bhagavate Vasudevaya (108 times).
Additional: Om Vishnave Namah, chanting Lord Rama’s name.

6️ आरती भोग

विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तुति का पाठ करें। तुलसीदल, पंचामृत और मिठाई का भोग अर्पित करें।

Recite Vishnu Sahasranama or stotra. Offer Tulsi leaves, panchamrit, and sweets as bhog.

7️ निषेध

क्रोध, झूठ, परनिंदा, तामसिक भोजन, शयन में असावधानी वर्जित है।

Avoid anger, falsehood, criticism, tamasic food, and negligence in discipline.

8️ पारणा

अगले दिन (द्वादशी प्रातः) तुलसी जल अर्पण के बाद अनाज ग्रहण करें।

Next morning (Dwadashi), break the fast by offering water to Tulsi and then taking grains.

·         अजा एकादशी पूजन विधि तालिका

क्रम / Step

विधान (हिंदी)

Procedure (English)

1️ संकल्प

प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें और संकल्प लेंमैं विष्णुप्रीत्यर्थ अजा एकादशी व्रत करूँगा।

After morning bath, wear yellow clothes and take vow: “I shall observe Aja Ekadashi for pleasing Lord Vishnu.”

2️ उपवास नियम

अन्न, चावल, दाल, तिलहन, मसाले, प्याज-लहसुन का त्याग। फलाहार, दूध, पंचामृत या केवल जल से उपवास।

Avoid grains, pulses, onion, garlic, spices. Take fruits, milk, panchamrit, or water-only fast.

3️ पूजा सामग्री

पीले पुष्प, तुलसी पत्र, धूप, दीपक, पंचामृत, शंख-घंटी, नारियल या मिठाई।

Yellow flowers, Tulsi leaves, incense, ghee lamp, panchamrit, conch-bell, coconut or sweets.

4️ दीपक-वर्तिका

घी का दीपक, पीले/सफेद कपास की बत्ती, संध्या समय दक्षिणाभिमुख जलाएँ।

Ghee lamp with yellow/white cotton wick, light facing south at dusk.

5️ मंत्र-जप

📿 नमो भगवते वासुदेवाय (108 बार)
सहायक विष्णवे नमः, रामनाम जप

Main mantra: Om Namo Bhagavate Vasudevaya (108 times).
Additional: Om Vishnave Namah, chanting Lord Rama’s name.

6️ आरती भोग

विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तुति का पाठ करें। तुलसीदल, पंचामृत और मिठाई का भोग अर्पित करें।

Recite Vishnu Sahasranama or stotra. Offer Tulsi leaves, panchamrit, and sweets as bhog.

7️ निषेध

क्रोध, झूठ, परनिंदा, तामसिक भोजन, शयन में असावधानी वर्जित है।

Avoid anger, falsehood, criticism, tamasic food, and negligence in discipline.

8️ पारणा

अगले दिन (द्वादशी प्रातः) तुलसी जल अर्पण के बाद अनाज ग्रहण करें।

Next morning (Dwadashi), break the fast by offering water to Tulsi and then taking grains.

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श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...