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हवन-आम की लकड़ी वर्जित (शास्त्रोक्त प्रमाण) |

  यज्ञादि हवन कर्मों में आम की समिधा ( लकड़ी) से हवन नहीं करना चाहिए। जबकि द्वार पर तोरण , माला , पुजा , कलश आदि मे आम के पत्ते शुभ मगल कारी माने गए हैं | आम काष्ठ  समिधा / लकड़ी  यज्ञ कर्म में सर्वथा त्याज्य है , | यज्ञीय वृक्ष से आशय है — जिन वृक्षों का यज्ञ में हवन या  पू जा मे  पत्र , पुष्प , समिधा लकड़ी आदि का प्रयोग  शास्त्रों में बताया गया है । यज्ञीय वृक्ष अर्थात यग्न या हवन मे प्रयोग किए जाने वाले वृक्ष की लकड़ी -      ( संदर्भ ग्रंथ संस्कार भास्करे ब्रह्मपुराणे) पलाशफल्गुन्यग्रोधाः प्लक्षाश्वत्थविकंकिताः। उदुंबरस्तथा बिल्वश्चंदनो यज्ञियाश्च ये।। सरलो देवदारुश्च शालश्च खदिरस्तथा। समिदर्थे प्रशस्ताः स्युरेते वृक्षा विशेषतः।।   संदर्भ ग्रंथ -   आह्निकसूत्रावल्यां - वायुपुराण | 2 शमीपलाशन्यग्रोधप्लक्षवैकङ्कितोद्भवाः। वैतसौदुंबरौ बिल्वश्चंदनः सरलस्तथा।। शालश्च देवदारुश्च खदिरश्चेति याज्ञिकाः।। अर्थ* हवन समिधा कार्यके लिए उल्लेखित वृक्षों की लकड़ी शुभ – 1 पलाश /ढाक/छौला  2 फल्गु  3 वट  4 पाकर  5 पीपल  6 विकंकत /कठेर   7 गूलर  8 बेल 9 चंदन  10 सरल  

पितृ शाप मुक्ति,अखंड दाम्पत्य ,सौभाग्यकारी15 जुलाई अशुन्य शयन व्रत पूजा

         आषाढ़ माह से श्रवण माह देव शयन काल - अशुन्य शयन -शेष शैयापर लक्ष्मी सहित विष्णु जी शयन करते है इसलिए कहा गया .दाव शयनी एकादशी से देव उतनी एकादशी तक विष्णु जी सोते है .10.7.2022 से 16.7.2022तक देव शयन प्रारंभ . -त्रयोदशी को कामदेव ,चतुर्दशी को यक्ष गण,पूर्णिमा को शिव,प्रतिपदा को ब्रह्मा ,द्वितीया को विश्वकर्मा,तृतीया को उमा जी, शयन करती है . -जुलाई से अक्टूबर तक ,प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष द्वितीया को विष्णु मंदिर या ब्राह्मण को ऋतु फल ,९वर्जित फल खट्टे स्वाद वाले जैसे नीबू,कैरी,इमली,अनार,मौसंबी,संतरा,एवं स्त्री वाची फल देना निषेध है .)दक्षिणा दान करे . -चार माह एसा करने से अक्स्न्द दाम्पत्य सुख,पितु कृपा,सौभग्य बढ़ता है -स्नान उपरांत विष्णु भगवान की पूजा करे. -दिन में यथासंभव मौन रहे . -संध्या समय विष्णु लक्ष्मी का शयन उत्सव ,उनकी पूजा करे. चंद्रमा निकलने पर जल,फल,पुष्प सुगंध अर्पण करे. जल अर्पण   का मन्त्र- गगन अंगण संदीप क्षीर अब्धि मथन उद्भव . भाभासित दिगा भोग रमानुज नमोस्तुते . इसके उपरांत भोजन कर सकते है . ************* इस वर्ष इस ही दिन स्वर्ण