12अगस्त से 7 सितंबर – व्रत, त्यौहार एवं चातुर्मास विशेष पर्व
चातुर्मास के पावन दिनों में अगस्त से 7 सितंबर तक अनेक व्रत, पर्व और उत्सव मनाए जाते हैं। इन दिनों में उपवास, पूजा, जप और दान का विशेष पुण्य माना गया है।
12 अगस्त – संकष्टी गणेश चतुर्थी, कजरी तृतीया
मंत्र: ॐ गं गणपतये नमः
लाभ: विघ्न दूर होते हैं, कार्य सिद्धि मिलती है।
13 अगस्त – मनसा देवी पूजा, बहुला व्रत
मंत्र: ॐ मनसायै नमः
लाभ: पशु-पक्षी कल्याण व परिवार की रक्षा।
देवी को मुख्य रूप से सर्पों
से रक्षा करने वाली देवी माना जाता है।
· मनसा देवी भगवान शिव की पुत्री और नागों की अधिष्ठात्री देवी हैं।
· उन्हें नागराज वासुकि की बहन कहा है।
· पूजा से सर्पदंश से रक्षा, विषनाश और परिवार की सुरक्षा होती है।
13 अगस्त – मनसा देवी पूजा, —
मंत्र (मनसा देवी):
ॐ मनसायै नमः
ॐ सर्व नागप्रसूते देवेि मनसेि नमोऽस्तु ते
पूजा लाभ: सर्पदंश से रक्षा, शत्रु निवारण, रोग-शांति, और संतान रक्षा।
बहुला व्रत
📜 बहुला व्रत — विस्तृत कथा, महत्व, लाभ, पूजा विधि और मंत्र
1. कथा
बहुला माता को माँ दुर्गा का एक रूप माना जाता है, जो विशेष रूप से बंगाल, ओडिशा, बिहार और पूर्वी भारत में पूजा जाती हैं। प्राचीन काल में एक दुष्ट असुर ने लोगों को अत्यंत परेशान कर रखा था। वह असुर अत्याचारी था, जिसके कारण लोकों का जीवन संकट में था।
तब गांव के एक बुजुर्ग ऋषि ने सभी को सलाह दी कि वे माँ बहुला का व्रत करें और उसकी पूजा से रक्षा एवं शांति प्राप्त करें। भक्तों ने बड़ी श्रद्धा और निष्ठा के साथ यह व्रत आरम्भ किया।
माँ बहुला ने अपनी महाशक्ति से असुर का संहार किया और लोगों को मुक्ति दिलाई। तब से यह व्रत संकट निवारण, शत्रु व विनाशक शक्तियों से रक्षा, और समृद्धि के लिए अत्यंत पूजनीय माना गया।
2. महत्त्व
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रक्षा एवं कष्टमोचन: बहुला व्रत करने से सभी प्रकार के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कष्ट दूर होते हैं।
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शत्रु-विनाश: व्रतकर्ता के शत्रु कमजोर पड़ जाते हैं और वे संकटों से सुरक्षित रहते हैं।
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सौभाग्य एवं समृद्धि: घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है, धन-धान्य की वृद्धि होती है।
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आध्यात्मिक बल: श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत करने से आत्मा की शक्ति बढ़ती है।
3. लाभ
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रोग-व्याधि से रक्षा होती है।
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ऋण, आर्थिक संकट और घर की समस्याएँ कम होती हैं।
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मानसिक शांति एवं संतोष प्राप्त होता है।
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सुख-शांति के साथ परिवार में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
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भक्त की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
4. पूजा-विधि
(क) तैयारी
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व्रत वाले दिन शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। सुबह स्नान कर स्वच्छ लाल या पीले वस्त्र धारण करें।
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पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें और माँ बहुला की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
(ख) पूजा
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कलश स्थापना: मिट्टी या तांबे के कलश में जल भरकर उसके ऊपर आम्रपल्लव और नारियल रखें।
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शिवलिंग या माँ बहुला की प्रतिमा का पूजन: जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से पंचामृत से अभिषेक करें।
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माला एवं बेलपत्र अर्पण: लाल फूल, बेलपत्र, धतूरा, अक्षत आदि चढ़ाएं।
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धूप-दीप प्रज्वलित करें।
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मंत्र जाप: ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं बहुलायै नमः’ का कम से कम 108 बार जाप करें।
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कथा व्रत का पाठ: व्रत कथा का श्रवण या स्वयं पढ़ें।
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आरती: शाम को दीपक लेकर आरती करें।
(ग) उपवास
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व्रत के दौरान फलाहार करें या निर्जल उपवास रखें।
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अहिंसक विचार और कर्मों का पालन करें।
(घ) दान
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व्रत समाप्ति पर जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और अन्य वस्तुओं का दान करें।
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दान करते समय सद्भावना और करुणा भाव रखें।
5. मुख्य मंत्र-ॐ ऐं ह्रीं क्लीं बहुलायै नमः।
ॐ — ब्रह्माण्ड की मूल ऊर्जा।
ऐं — बुद्धि और ज्ञान की शक्ति।
ह्रीं — देवी की शुभ और रक्षात्मक ऊर्जा।
क्लीं — आकर्षण और सफलता का बीज।
बहुलायै — माँ बहुला का नाम, जो संकट हरती हैं।
नमः — श्रद्धापूर्वक नमस्कार।
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14 अगस्त – चंद्र षष्ठी, हल षष्ठी, बलराम जयंती
मंत्र: ॐ बलरामाय नमः
लाभ: पुत्र रक्षा और कृषि में समृद्धि।
15 अगस्त – श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (गृहस्थ)
मंत्र: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
लाभ: धर्म स्थापना, प्रेम और भक्ति की प्राप्ति।
16 अगस्त – वैष्णव जन्माष्टमी, सिंह संक्रांति
मंत्र: ॐ नमो नारायणाय
लाभ: मोक्ष प्राप्ति; यह विशेष रूप से उन लोगों का पर्व है जिन्होंने विष्णु को एकमात्र देव मानकर दीक्षा ली है।
17 अगस्त – गोगा नवमी
मंत्र: ॐ गोगाय नमः
लाभ: साहस और रोग निवारण।
18 अगस्त – अमृत सिद्धि योग
मंत्र: ॐ सिद्धाय नमः
लाभ: सभी कार्यों में सफलता।
19 अगस्त – एकादशी
मंत्र: ॐ नारायणाय विद्महे
लाभ: पाप शमन और मोक्ष।
20 अगस्त – बुध प्रदोष
मंत्र: ॐ नमः शिवाय
लाभ: बुद्धि व व्यापार वृद्धि।
21 अगस्त – मासिक शिवरात्रि, गुरु पुष्य योग
मंत्र: ॐ नमः शिवाय
लाभ: शिवकृपा और खरीदारी में सफलता।
22 अगस्त – घोर चतुर्दशी
मंत्र: ॐ कालभैरवाय नमः
लाभ: नकारात्मक शक्तियों से रक्षा।
23 अगस्त – सनत श्री अमावस्या
मंत्र: ॐ पितृभ्यः नमः
लाभ: पितृ शांति और आशीर्वाद।
25 अगस्त – रवि योग
मंत्र: ॐ रवये नमः
लाभ: सभी कार्यों में सफलता।
26 अगस्त – हरतालिका व्रत, वराह अवतार दिवस, सामवेदीय वर्ग रक्षाबंधन एवं उपाकर्म
मंत्र: ॐ वराहाय विद्महे महामूखाय धीमहि तन्नो वराहः प्रचोदयात्
लाभ: विवाहिताओं का अखंड सौभाग्य, ब्रह्मरक्षा, अन्न-समृद्धि, भूमि सुख, संतान रक्षा।
विशेष: इस दिन जिनका वेद सामवेद है अथवा जिनको अपना गोत्र ज्ञात नहीं है, वे रक्षाबंधन पर्व एवं उपाकर्म (जनेऊ परिवर्तन) करते हैं। साथ ही शाण्डिल्य एवं कश्यप गोत्र के ब्राह्मण भी इस दिन रक्षाबंधन का पालन करते हैं।
27 अगस्त – विनायक चतुर्थी
मंत्र: ॐ गं गणपतये नमः
लाभ: विघ्न नाश और सफलता।
पूजा का उत्तम समय मध्याह्न (मध्याह्न काल) होता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि गणेश जी इसी समय अवतरित हुए थे। समय: 10:15–12:05 (तुला लग्न), चतुर्थी तक शाम 15:44 तक
शिवा चतुर्थी
मासिक व्रत जो हर कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
"शिवा" नाम पार्वती जी का सूचक है, और इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी का पूजन होता है।
इसे मोक्षदायिनी चतुर्थी और पापमोचनी चतुर्थी भी कहते हैं।
2. किसकी पूजा होती है
मुख्य रूप से भगवान शिव (लिंग स्वरूप)।साथ में माता पार्वती और गणेश जी।
यह शिव और शक्ति के अविनाशी मिलन का प्रतीक माना जाता है
28 अगस्त – ऋषि पंचमी
मंत्र: ॐ सप्तर्षिभ्यो नमः
लाभ: पाप निवारण और शुद्धि।
29 अगस्त – सूर्य षष्ठी, बलराम जयंती
मंत्र: ॐ आदित्याय नमः
लाभ: आयु, बल और स्वास्थ्य।
30 अगस्त – संतान सप्तमी, विश्वान सप्तमी
मंत्र: ॐ सुपुत्राय नमः
लाभ: संतान सुख और रक्षा।
31 अगस्त – राधा अष्टमी, महालक्ष्मी व्रत आरंभ, मासिक दुर्गा अष्टमी
मंत्र: ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
लाभ: धन, सौभाग्य और समृद्धि।
1 सितंबर – नंदा नवमी
मंत्र: ॐ नंदायै नमः
लाभ: घर-परिवार में सुख और समृद्धि।
2 सितंबर – दशावतार व्रत, तेजा दशमी, रामदेव मेला
मंत्र: ॐ दशावताराय नमः
लाभ: सर्वांगीण कल्याण और रक्षा।
3 सितंबर – डोल ग्यारस, पदमा एकादशी
मंत्र: ॐ वासुदेवाय नमः
लाभ: भक्ति और पाप मुक्ति।
4 सितंबर – बावन अवतार दिवस
मंत्र: ॐ वामनाय नमः
लाभ: धर्म रक्षा और विजय।
5 सितंबर – शुक्र प्रदोष
मंत्र: ॐ नमः शिवाय
लाभ: दाम्पत्य सुख और उन्नति।
6 सितंबर – अनंत चतुर्दशी
मंत्र: ॐ अनन्ताय नमः
लाभ: सर्व कार्य सिद्धि और दीर्घ सुरक्षा।
7 सितंबर – पूर्णिमा, खग्रास चंद्र ग्रहण
मंत्र: ॐ सोमाय नमः
लाभ: दान-पुण्य, मानसिक शांति और पितृ कृपा।
12अगस्त से 7 सितंबर – व्रत, त्यौहार एवं चातुर्मास विशेष पर्व
तिथि |
व्रत / पर्व |
मंत्र |
पूजा का लाभ |
1 अगस्त |
हरियाली अमावस्या |
ॐ वृक्षाय नमः |
प्रकृति संरक्षण व हरित जीवन का आशीर्वाद। |
4 अगस्त |
नाग पंचमी |
ॐ नमः नागाय |
सर्पदोष निवारण व भूमि उर्वरता। |
6 अगस्त |
श्रावणी / झूलन यात्रा आरंभ |
ॐ कृष्णाय नमः |
भक्ति, प्रेम और आनंद की वृद्धि। |
9 अगस्त |
रक्षाबंधन एवं उपाकर्म |
ॐ यज्ञोपवीताय नमः |
धर्म रक्षा व भाई-बहन के प्रेम में वृद्धि। |
12 अगस्त |
संकष्टी गणेश चतुर्थी, कजरी तृतीया |
ॐ गं गणपतये नमः |
विघ्न नाश व कार्य सिद्धि। |
13 अगस्त |
मनसा देवी पूजा, बहुला चतुर्थी |
ॐ मनसायै नमः |
पशु-पक्षी कल्याण व परिवार रक्षा। |
14 अगस्त |
चंद्र षष्ठी, हल षष्ठी, बलराम जयंती |
ॐ बलरामाय नमः |
पुत्र रक्षण व कृषि समृद्धि। |
15 अगस्त |
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (गृहस्थ) |
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय |
धर्म स्थापना व प्रेम का आशीर्वाद। |
16 अगस्त |
वैष्णव जन्माष्टमी, सिंह संक्रांति |
ॐ नमो नारायणाय |
विशुद्ध वैष्णव भक्ति व मोक्ष प्राप्ति। |
17 अगस्त |
गोगा नवमी |
ॐ गोगाय नमः |
साहस व रोग-निवारण। |
18 अगस्त |
अमृत सिद्धि योग |
ॐ सिद्धाय नमः |
आरंभ कार्य में सफलता। |
19 अगस्त |
एकादशी व्रत |
ॐ नारायणाय विद्महे |
पाप शमन व मोक्ष प्राप्ति। |
20 अगस्त |
बुध प्रदोष |
ॐ नमः शिवाय |
बुद्धि व व्यापार वृद्धि। |
21 अगस्त |
मासिक शिवरात्रि, गुरु पुष्य योग |
ॐ नमः शिवाय |
शिव कृपा व क्रय में सफलता। |
22 अगस्त |
घोर चतुर्दशी |
ॐ कालभैरवाय नमः |
नकारात्मक शक्तियों से रक्षा। |
23 अगस्त |
सनत श्री अमावस्या |
ॐ पितृभ्यः नमः |
पितृ शांति व आशीर्वाद। |
25 अगस्त |
रवि योग |
ॐ रवये नमः |
सभी कार्य में सफलता। |
26 अगस्त |
हरतालिका व्रत, वराह अवतार, संवेदीय वर्ग रक्षाबंधन, उपाकर्म |
ॐ वराहाय विद्महे |
अखंड सौभाग्य, ब्रह्मरक्षा व अन्न-समृद्धि। |
27 अगस्त |
विनायक चतुर्थी, चंद्र दर्शन निषेध |
ॐ गं गणपतये नमः |
विघ्न नाश। |
28 अगस्त |
ऋषि पंचमी |
ॐ सप्तर्षिभ्यो नमः |
पाप निवारण। |
29 अगस्त |
सूर्य षष्ठी, बलराम जयंती |
ॐ आदित्याय नमः |
आयु व बल वृद्धि। |
30 अगस्त |
संतान सप्तमी, विश्वान सप्तमी |
ॐ सुपुत्राय नमः |
संतान सुख व आयु वृद्धि। |
31 अगस्त |
राधा अष्टमी, महालक्ष्मी व्रत |
ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः |
धन व सौभाग्य। |
1 सितंबर |
नंदा नवमी |
ॐ नंदायै नमः |
समृद्धि व सौभाग्य। |
2 सितंबर |
दशावतार व्रत, तेजा दशमी, रामदेव मेला |
ॐ दशावताराय नमः |
सर्वांगीण कल्याण। |
3 सितंबर |
डोल ग्यारस, पदमा एकादशी |
ॐ वासुदेवाय नमः |
भक्ति व पाप मुक्ति। |
4 सितंबर |
बावन अवतार दिवस |
ॐ वामनाय नमः |
धर्म रक्षा व विजय। |
5 सितंबर |
शुक्र प्रदोष |
ॐ नमः शिवाय |
दाम्पत्य सौख्य। |
6 सितंबर |
अनंत चतुर्दशी |
ॐ अनन्ताय नमः |
सर्व कार्य सिद्धि व रक्षा। |
7 सितंबर |
पूर्णिमा, खग्रास चंद्र ग्रहण |
ॐ सोमाय नमः |
दान-पुण्य व मानसिक शांति। |
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