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रक्षा बंधन वैदिक पर्व- पुरुष स्त्री कोई भी रक्षा सूत्र बंधवा सकता है |एक वर्ष तक अनपेक्षित दुर्घटना से सुरक्षा |

  💐🌹 रक्षा का महापर्व "रक्षाबंधन" 💐🌹   पर्व मंत्रोच्चारण उपरांत या रक्षा वस्तु / राखी कोई भी किसी को भी उसकी आयु,रक्षा,प्रगति के उद्देश्य से बाँध सकता है ,केवल सहोदरी,अनुजा,अग्रजा या बहन   –भाई का ही पर्व नहीं है |   येषु अति प्रसिद्धं उत्सव :   अस्ति रक्षाबंधन : ।  रक्षाबंधन दिवसे भगिनी निज भ्रातु : राखी मणिबन्धनं   करोति ।  तथांच भ्राता तस्या : रक्षणाय वचनं ददाति । . .. अस्माकं आपणात्   मूल्यवान् राखी न क्रीत्वा साधारणं सूत्रम् एव प्रयोगं कुर्या त् । हमारी पुरातन संस्कृति के इतिहास मे रक्षाबंधन ऐसा त्योहार है। जिसकी महिमा विश्व के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद   ( श्रावन   च तुर्दशी तिथि) यजुर्वेद(पूर्णिमा श्रावण) , सामवेद (भाद्रपद माह शुक्ल तृतीया ) आदि में ज्योतिष मुहूर्त के अनुसार रक्षा सूत्र बांधा जाता है। - कान्यकुब्ज कश्यप वं शांडिल्य गोत्र सामवेद के ही होते हैं। श्राद्ध , गीतापाठ आदि सामवेद के ब्राह्मण द्वारा पाठ से शीघ्र ही फलप्रद।| सामवेदीय हरतालियेका तीज हस्त नक्षत्र में रक्षासूत्र बांधते है। जिनको अपने गोत्र का ज्ञान नहीं उनको कश्यप ही मानने का निर्देश

मंगला गौरी-विवाह एवं दाम्पत्य सुख (मंगलवार )

  मंगला गौरी व्रत (शिव अर्धांगिनी देवी गौरी की पूजा ) सावन माह का हर दिन उपयोगी है |मंगलवार के दिन ,दाम्पत्य सुख के लिए देवी गौरी से प्रार्थना कर अनिष्ट गृह, क्रूर गृह मंगल आदि के दोष के निराकरण के लिए विशेष उपयोगी | (क्यों करे ?-\विवाह बाधा दूर, मंगल दोष दू र,दाम्पत्य सुख ,पति की आयु वृद्धि ,प्रेम विवाह हेतु, संतान अभाव दूर , पारिवारिक क्लेश कष्ट दूर) किस राशी /लग्न वाले करे? कुम्भ,मकर,तुला,कन्या,वृष,मिथुन,राशी वाले स्त्री पुरुष के लिए उपयोगी | नवग्रह,स्वस्तिक लाल वस्त्र पर देवी प्रतिमा,सप्त प्रकार के अनाज, | संकल्प-हाथ में जल लेकर | पुत्र पौत्र सौभाग्य वृद्धये श्रीमंगला गौरी प्रीत्यर्थं पंचवर्ष पर्यन्तं मंगला गौरीव्रतम अहम करिष्ये’ कहे फिर जल पृथ्वी पर छोड़ दे | लाल वस्त्र,लाल आसन| उत्तर दिशा की और मुह कर –16 बत्ती   का दीपक (आटे या धातु का )महुए या गाय के घी अथवा तिल के तेल का प्रदीप्त करे | वर्तिका भी लाल रंग की हो|मौली या कलावा की बत्ती उत्तम है, श्वेत रंग की वर्तिका प्रयोग न करे | 16 की संख्या का महत्व |  अर्पित की जाने वाली वास्तु 16 हो या प्रत्येक वास्तु 16 की