20.8.2025 नए वस्त्र, आभूषण, चूड़ी आदि प्रयोग करने पर स्त्री और पुरुष वर्ग पर क्या परिणाम होगा?
📚 विशेष परामर्शदाता:
🔹 डॉ. आर. दीक्षित – 🏛
वास्तु विशेषज्ञ
🔹 डॉ. एस. तिवारी – 🔱
वैदिक ज्योतिषाचार्य
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+91 9424446706
(पुनर्वसु नक्षत्र + बुधवार + द्वादशी (13:58 तक) + त्रयोदशी (13:59 से) के योग में)
भूमिका एवं औचित्य (४ पंक्तियों में)
नारी जीवन में वस्त्र, आभूषण और मेहँदी केवल श्रृंगार नहीं, बल्कि सौभाग्य और मंगल के प्रतीक माने गए हैं।
ज्योतिष ग्रंथों में प्रत्येक नक्षत्र का मनुष्य के कर्म और जीवन पर विशेष प्रभाव बताया गया है।
पुनर्वसु नक्षत्र विशेषतः स्त्रियों हेतु नूतन वस्त्र-आभूषण धारण और मेहँदी प्रयोग को सौभाग्यवर्धक माना गया है।
अतः इस काल में इनका प्रयोग न केवल सौंदर्य बल्कि पातिव्रत्य, संतान-सुख और लक्ष्मी स्थिरता का कारण बनता है।
🕉 विशेष टिप्पणी (ग्रंथ-आधारित)
निर्णयसिन्धु में कहा गया है –
"द्वादश्यां वस्त्रग्रहणं पुण्यं, त्रयोदश्यां तु निषिद्धम्।"
अर्थ: द्वादशी में नूतन वस्त्र धारण पुण्यकारी है, किंतु त्रयोदशी में यह निषिद्ध माना गया है।
- 13:58 तक (द्वादशी अवधि) – स्त्री व पुरुष दोनों के लिए वस्त्र-आभूषण धारण अत्यंत शुभ।
- 13:59 के बाद (त्रयोदशी अवधि) – वस्त्र-आभूषण धारण वर्ज्य, अशुभ फलदायी।
- 10:27-12:21-Best Time; Good-Beforee 07:45;
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📖 ग्रंथ प्रमाण
वाराह संहिता (मुहूर्ताध्याय):
"पुनर्वसुस्तथा पुष्यश्च श्रवणं श्रवणान्वितम्।
वस्त्राभरणनूतन्येषु सर्वकार्येषु शस्यते॥"
अर्थ: पुनर्वसु, पुष्य और श्रवण नक्षत्र वस्त्र-आभूषण धारण, गृह-प्रवेश और नूतन कार्यों के लिए अत्यन्त शुभ माने गए हैं।
🔷 फलादेश (विस्तार से)
पुनर्वसु नक्षत्र में स्त्री वर्ग द्वारा वस्त्र, वस्तु, आभूषण, मेहँदी (मेगदी/मेंहदी) का प्रयोग करने के परिणाम
📖 शास्त्रीय प्रमाण
- मुहूर्त चिन्तामणि (अध्याय–नूतनवस्त्राधान):
"पुनर्वसूस्तथा पुष्यश्च श्रवणं रोहिणी तथा।
नूतनवस्त्रग्रहणे स्त्रीणां सौभाग्यविवृद्धये॥"
अर्थ: पुनर्वसु, पुष्य, श्रवण व रोहिणी नक्षत्रों में स्त्रियों को नए वस्त्र धारण करना सौभाग्य वृद्धि और मंगलकारक है।
- निर्णयसिन्धु (व्रताधिकार):
"स्त्रीणां पुनर्वसुयोगे वासोभूषणधारणे।
सौम्यत्वं सौभाग्यलाभः पुत्रसौख्यप्रवृद्धयः॥"
अर्थ: स्त्री वर्ग यदि पुनर्वसु नक्षत्र में वस्त्र व आभूषण धारण करे तो उसमें की वृद्धि होती है।
- वाराह संहिता (मुहूर्ताध्याय):
"नूतनं च वस्त्रं स्त्रीणां पुनर्वसुश्रवणयुतम्।
मङ्गलं सर्वदा प्रोक्तं सौभाग्याय सदा स्मृतम्॥"
अर्थ: स्त्रियों के लिए पुनर्वसु व श्रवण नक्षत्र में नया वस्त्र धारण करना सर्वदा मंगलकारी और सौभाग्य प्रदायक है।
- स्त्री वर्ग (नारी वर्ग):
- बुधवार को चूड़ी, आभूषण और नए वस्त्र धारण करने से सौभाग्य वृद्धि, पितृदोष क्षय तथा संतान-सुख बढ़ता है।
- द्वादशी तिथि तक धारण करने पर आरोग्य, गृह-सौख्य और पति-पत्नी संबंधों में मधुरता आती है।
- त्रयोदशी के प्रारम्भ (13:59 के बाद) में धारण करने पर मंगल कार्य में देरी, कलह और व्यय की संभावना बढ़ती है।
- अतः स्त्रियों को वस्त्र-आभूषण 13:58 पूर्व ही धारण करना श्रेष्ठ।
- पुरुष वर्ग:
- बुधवार + पुनर्वसु नक्षत्र में वस्त्र-आभूषण धारण करने से विद्या, बुद्धि और व्यापार में उन्नति होती है।
- द्वादशी तक धारण करने से ऋण से छुटकारा, रोग-क्षय और मित्रों का सहयोग मिलता है।
- परंतु त्रयोदशी (13:59 के बाद) में नूतन वस्त्र धारण करने से अपव्यय, मानसिक अशांति तथा शिव क्रोधजन्य कष्ट प्राप्त होता है।
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📿 नव वस्त्र, आभूषण, चूड़ी धारण करने से पूर्व की पूर्ण विधिपूर्वक प्रक्रिया, जिससे उसका अलौकिक और शास्त्रोक्त शुभ प्रभाव प्राप्त हो। यह विधि पुराणों, भद्रबाहु संहिता, ललिता तंत्र, व्रतसार आदि के निर्देशों पर आधारित है:
वस्त्र / आभूषण / चूड़ी शुद्धिकरण:
- उन्हें पहले गंगाजल, केवड़ा या गुलाब जल में कुछ समय रखें।
- धूप, दीप व मंत्र द्वारा अभिमंत्रित करें।
📿 शुद्धिकरण मंत्र (सभी के लिए):
"ॐ पवित्रं चरितं देवि वस्त्राणां शुभकारणम्।
गंधद्वारं धन्यरूपं मम सौभाग्यवर्धनम्॥"
👗 4. वस्त्र धारण विधि व मंत्र:
📌 जब वस्त्र धारण करें, तब यह मंत्र जपें:
"ॐ वसनं मे जगदंबे शुभं कुरु मम सदा।
सौम्यं सौभाग्यमायुष्यमायातु मे त्वया सह॥"
👉 इससे वस्त्रों के माध्यम से आने वाली शक्ति स्थायी होती है।
💍 आभूषण धारण पूर्व मंत्र (Ornaments):
📌 प्रत्येक आभूषण धारण करते समय यह श्लोक बोलें:
"रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषां जयम्।
कांतिं सौभाग्यमायुष्यमायातु मम भूषणैः॥"
👉 यह मंत्र देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है।
🧿 चूड़ी धारण पूर्व मंत्र:
📿 चूड़ियों को दोनों हाथों में पहनते समय यह तांत्रिक देवी मंत्र जपें:
"ॐ चूडा मणि प्रभा देवी सौभाग्यं मे प्रयच्छतु।
कांचन वर्णा कनकाभा चूडिके मम सदा शुभं भव॥"
👉 विशेषतः कांच की चूड़ियाँ धारण करने पर मानसिक शांति, दाम्पत्य सुख और नारी शक्ति की वृद्धि होती है।
🔥. दीपक जलाना (Mandatory):
- वस्त्र या चूड़ी पहनने से पूर्व एक दीपक (घी/तिल) जरूर जलाएँ।
- दीपक के पास कुछ चावल, दूर्वा, पुष्प व हल्दी रखें।
📿 दीपक मंत्र:"ॐ दीप ज्योतिर्नमोस्तुते। त्रैलोक्यं तिमिरापहम्॥"
🌷 8. देवी का आह्वान (पूजन मंत्र):
📿 चूड़ी, वस्त्र और आभूषण धारण करने से पहले करें:
"ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं सौम्यायै दुर्गायै नमः।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके॥"
🙏 मंत्र बोलकर देवी से प्रार्थना करें कि वस्त्र/चूड़ी/भूषण आपके जीवन में सौंदर्य, रक्षा और सौभाग्य बढ़ाएं।
✅ 📜 प्रभाव / लाभ:
- वस्त्रों से मानसिक संतुलन, व्यवहार में माधुर्य आता है।
- आभूषणों से व्यक्तित्व में आकर्षण और लक्ष्मी शक्ति का वास होता है।
- चूड़ियों से नारीत्व, दाम्पत्य सौख्य और मनोबल की वृद्धि होती है।
- मंत्र एवं विधि से ये वस्तुएँ ‘सजीव’ होकर आपके भाग्य को उत्तम बनाती हैं।
✅ यदि अत्यावश्यक हो, तो यह उपाय करें:
🔹 "ॐ शुभं करोति कल्याणम्" – 11 बार उच्चारण करें।
🔹 चंद्रमा के दर्शन के बाद ही वस्त्र/गहना धारण करें।
🔹 वस्त्र धारण से पूर्व पंचामृत से स्नान करने का संकेत शास्त्र में है।
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"नये वस्त्र आभूषण आदि
का प्रयोग शुभ कार्यों के लिए हो, परंतु उनका प्रयोग बिना सही मुहूर्त या
समय के अशुभ फल दे सकता है।"
नया वस्त्र, आभूषण या चूड़ी पहनना एक शुभ कार्य हो सकता है, लेकिन यह व्यक्ति की व्यक्तिगत कुंडली और तिथि-मुहूर्त पर निर्भर करता है। अगर यह अशुभ समय (जैसे शनिवार, आश्लेषा नक्षत्र, और चतुर्थी तिथि) के साथ हो, तो इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
👑 4. स्वर्ण धारण – शिव कृपा का कारक (लिंग पुराण, शिवार्चन प्रकरण)
📘 लिंगपुराण – पूर्वभाग, अध्याय 108
"शिवपूजायां सुवर्णं धारयेत् स श्रद्धालुर्नरः।
सौम्यं लभते सौख्यं, धनं पुत्रं च सञ्जयेत्॥"
जो शिव पूजा के समय स्वर्ण (सोने) के वस्त्र या आभूषण धारण करता है, उसे धन, पुत्र, और सुख की प्राप्ति होती है।
✅ यदि अत्यावश्यक हो, तो यह उपाय करें:
🔹 "ॐ शुभं करोति कल्याणम्" – 11 बार उच्चारण करें।
🔹 चंद्रमा के दर्शन के बाद ही वस्त्र/गहना धारण करें।
🔹 वस्त्र धारण से पूर्व पंचामृत से स्नान करने का संकेत शास्त्र में है।
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1. 2. दुबारा प्रयोग (Reusing the Item): +*********************************************************************
2.
घर में वस्तु रखना (Keeping an
Object at Home):
If an object is inauspicious, it can bring disruption, financial
troubles, health issues, and family discord.
3.
दुबारा प्रयोग (Reusing the
Item):
Reusing a negative object can block good fortune, reduce confidence,
and bring suffering and inconvenience. It can also impact your
ability to make good decisions.
सावधानी (Caution):
Always be mindful of the timing and energy of the objects you
keep at home or reuse, as they have a significant influence on your well-being
and future outcomes.
If an object is reused, especially in critical moments, the following effects may arise:
- भाग्य का रुकना (Stagnation
of Good Fortune):
Reusing an object that was used in negative circumstances before can stop good fortune. It can lead to failure in significant events like exams, interviews, or important occasions. - आत्मविश्वास में कमी (Loss of
Confidence):
Reusing such an item can reduce self-confidence, causing you to feel doubtful or hesitant during crucial moments like decisions or performances. - कष्ट और असुविधा (Suffering
and Inconvenience):
The item might bring inconvenience and misfortune, disrupting daily life and causing unnecessary troubles. - निर्णय लेने में समस्या (Trouble
in Decision Making):
The item may affect your mental clarity, making it hard to make clear decisions during critical times. This could lead to poor choices or missed opportunities.
. घर में वस्तु रखना (Keeping the Item at Home):
अगर कोई वस्तु घर में रखी जाए, और वह शुभ न हो या सही समय पर न हो, तो इसके प्रभाव इस प्रकार हो सकते हैं:
- वातावरण में अशांति (Disturbance
in Atmosphere):
If the object is negative, it can create disturbance and tension in the home environment. This could lead to family conflicts and emotional stress among the household members. - आर्थिक संकट (Financial
Troubles):
If the object is inauspicious, it may bring a decline in wealth and financial troubles. The presence of such objects can lead to financial instability in the home. - स्वास्थ्य समस्याएँ (Health
Issues):
A negative item in the house can cause physical and mental issues. It could lead to health-related problems, affecting the well-being of family members. - सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों में गिरावट (Decline
in Social and Family Relationships):
A harmful object may bring tension and discord among family members, affecting the harmony and closeness within the family.
- श्लो क (आधिकारिक शास्त्रों में):
"नये वस्त्र आभूषण आदि का प्रयोग शुभ कार्यों के लिए हो, परंतु उनका प्रयोग बिना सही मुहूर्त या समय के अशुभ फल दे सकता है।"
📘 निरण्यसिन्धु (द्वादशी व्रत)
"द्वादश्यां च नवान्नं च नूतनवस्त्रभोजनं।शुभं मान्यं गृहं कार्यं सर्वसौभाग्यवर्धनम्॥"🔸 नव वस्त्र, नवान्न और स्वर्ण धारण करने से सौभाग्य एवं गृहशांति की वृद्धि होती है।
नया वस्त्र, आभूषण या चूड़ी पहनना एक शुभ कार्य हो सकता है, लेकिन यह व्यक्ति की व्यक्तिगत कुंडली और तिथि-मुहूर्त पर निर्भर करता है। अगर यह अशुभ समय (जैसे शनिवार, आश्लेषा नक्षत्र, और चतुर्थी तिथि) के साथ हो, तो इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
✅ यदि अत्यावश्यक हो, तो यह उपाय करें:
🔹 "ॐ शुभं करोति कल्याणम्" – 11 बार उच्चारण करें।
🔹 चंद्रमा के दर्शन के बाद ही वस्त्र/गहना धारण करें।
🔹 वस्त्र धारण से पूर्व पंचामृत से स्नान करने का संकेत शास्त्र में है।
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