17 अगस्त 2025 सिंह संक्रांति— दान, राशिज , नाम प्रभाव
- इस वर्ष 17 अगस्त 2025 को सुबह 02:01 (IST) पर सूर्य सिंह राशि (Simha Rashi) में प्रवेश करेगा। यह समय "संक्रांति मुहूर्त" कहलाता है और यह पूरे दिन के लिए शुभ समय (Punya Kaal) प्रारंभ करता
- इस संक्रांति का महत्व— सूर्य अपने मुळत्रिकोण राशि सिंह में आया है, जो आध्यात्मिक शक्ति, आत्मबल, नेतृत्व गुण और सामर्थ्य को सक्रिय करता
- .17 & 20 August best For दान;
❌ अशुभ (17 & 20 अगस्त २०२५,)
- प्रातः 08:25 तक (अशुभ लग्न)
- — 12:35 से 14:20 तक
- — 14:20 से 15:10 तक
(इन समयों में संक्रांति-दान, उपासना या यात्रा से बचना चाहिए)
पहलू |
विवरण |
संक्रीति तिथि |
17 अगस्त 2025, सुबह ≈ 02:01 IST |
महत्व |
सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश, आत्मसामर्थ्य, ऊर्जा, नेतृत्व का समय |
पूजा विधि |
जल अर्पण, तिल-गुड़ दान, गायत्री मंत्र, सूर्याष्टकम् |
दान |
अन्न, तिल, गुड़, गाय, अनाज, उदार दान |
राशिज प्रभाव |
वृषभ, सिंह, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन पर विशेष असर और संसोधन |
व्यवहारिक चेतावनी |
माह भर विवाद/क्रोध/तनाव की संभावना—धैर्य, स्वाध्याय और पूजा से नियंत्रित रहें |
🌞 भाद्रपद मास में सूर्य-पूजन — “विवस्वान” स्वरूप की आराधना
भाद्र मास में सूर्यदेव की विशेष उपासना “विवस्वान” नाम से की जाती है। शास्त्रों में विवस्वान को जीवन, तेज, स्वास्थ्य और आयु का दाता कहा गया है।
🔹 श्लोक (विवस्वान स्वरूप)
“विवस्वानं च लोकेशं, तेजसां पतिमव्ययम् ।
नमामि विश्वनायकं, लोकत्राणाय कारणम् ॥”
📖 अर्थ (हिन्दी + English):
मैं उन विवस्वान रूपी सूर्यदेव को प्रणाम करता हूँ, जो लोकपालक, अचल तेजस्वी और सम्पूर्ण जगत के रक्षक हैं।
I bow to Vivasvan, the radiant Sun, eternal master of brilliance,
protector of the three worlds, and sustainer of life.
2. मानवीय जीवन पर प्रभाव — सुत्रधार संक्रांति के दिन
- यह संक्रांति आत्मबल, नेतृत्व, सत्ता और एकता का समय लाती है।
- संवेदनशीलता, आत्मस्थिरता और सामाजिक जिम्मेदारियाँ बढ़ सकती हैं (राशि–निर्दिष्ट असर नीचे देखें)।
- इस संक्रांति के समय दान, सूर्य पूजा, व्रत, गौदान, और सम्मान-अर्चना विशेष लाभदायक माने जाते हैं।
3. संक्रांति दान और पूजा विधि
- स्नान के पश्चात्, सूर्य देवता को जल (अरघ्य) अर्पण करें, विशेषतः लाल फूल, गुड़, तिल, और खिचड़ी आदि दिए जा सकते हैं। दान: चावल, तिल, गुड़, वस्त्र, अनाज, गो-चारा, ब्राह्मणों में भोजन, और गरीबों में दान अत्यंत पुण्यदायक होते हैं।
- परंपरागत पूजा मंत्रों में 'आदित्य हृदय स्तोत्र', 'गायत्री मंत्र' और 'सूर्याष्टकम्' का उच्चारण किया जाता है।
🔹 भाद्र मास में दान की महिमा (ग्रंथ प्रमाण सहित)
धर्मसिंधु, दान प्रकाशिका व गरुड़पुराण में वर्णित है :
- मधु (शहद) का दान — रोग शमन व अमृतत्व की प्राप्ति।
- घृत-मिश्रित क्षीर (घी मिली खीर) — आरोग्य, स्नेह और संतति सुख की वृद्धि।
- लवण (नमक) — दैनंदिन जीवन की कठिनाइयों का नाश, मानसिक संतुलन की प्राप्ति।
- गुड (जग्गरी) — सौम्यता, सौख्य और आयु वृद्धि।
🔹 श्लोक (दान महिमा)
“दानं भद्रफलं प्राहुः सुर्यायामृतदायकम् ।
मधुक्षीरघृतं दत्वा सर्वरोगान् प्रमुच्यते ॥”
📖 अर्थ:
सूर्यदेव को भाद्र मास में दान करने से भद्रफल प्राप्त होता है।
विशेषतः मधु, दूध-घी की खीर दान करने से मनुष्य रोगमुक्त होकर आयु, आरोग्य व सौभाग्य प्राप्त करता है।
🔹 क्यों करना चाहिए दान?
- भाद्र मास में सूर्य दक्षिणायन रहते हैं, इस समय उनके तेज का संतुलन मानव जीवन पर विशेष प्रभाव डालता है।
- दान से सूर्य के तप-ऊर्जा की उग्रता शांत होकर आरोग्य, आयुष्य और आर्थिक उन्नति मिलती है।
- दान केवल भौतिक नहीं, बल्कि मन और व्यवहार में सौम्यता, दया और सहानुभूति लाने का माध्यम है।
भाद्रपद मास में सूर्यपूजन व दान के लिए —
4. तिथि: शुक्ल सप्तमी, अष्टमी, पूर्णिमा, कृष्ण नवमी, द्वादशी।
5. दिन: विशेषतः रविवार।
6. समय: सूर्योदय (प्रातः) → श्रेष्ठ, मध्याह्न → उत्तम, संध्याकाल → फलदायी।
4. सूर्य मंत्र एवं गायत्री मंत्र
दिन में तीन बार संध्या के समय (मध्य प्रभात, मध्यान्ह, संध्या) – निम्न
मंत्र
उच्चारित
करें:
🌞 शुद्ध संकलित रूप
बीज आवाहन:
ॐ ऐं श्रीं ह्रीं क्लीं भूर् भुवः स्वः ॥
गायत्री मंत्र:
तत्सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि ।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
सूर्योपासना पंक्ति:
आपो ज्योती रसोऽमृतं ब्रह्म भूर्भुवः स्वः ।
फलकामना मंत्र (संयुक्त):
ॐ ऐं श्रीं ह्रीं क्लीं भूर् भुवः स्वः ।
सर्वसुख-सौभाग्य-संपदं मम देहि मे स्वाहा ॥
✨ अर्थ (Bilingual)
Sanskrit/Hindi:
यह सूर्य गायत्री का मूल मंत्र है, जिसमें बीज-मंत्रों द्वारा ऊर्जा, सौभाग्य और आयुष्य की कामना की जाती है।
English:
This is a composite form of the Surya Gayatri Mantra combined with seed
mantras (Om Aim Shreem Hreem Kleem), invoking the Sun as the source of energy,
prosperity, vitality, and divine illumination.
📖 प्रमाण:
- ऋग्वेद 3.62.10 (गायत्री मंत्र मूल स्रोत)
- तैत्तिरीय आरण्यक (आपो ज्योती रसोऽमृतम् ब्रह्म...)
- धर्मसिन्धु एवं निर्णयसिन्धु में संक्रांति-स्नान और सूर्य-दान का आधार
🕉 मंत्र
- संक्रांति-विशेष: “ॐ घृणिः सूर्याय नमः”
- देवी-अनुग्रह हेतु: “ॐ दुर्गायै नमः”
5. राशिज प्रभाव (12 राशियों पर) — सिंह संक्रांति + सूर्य–केतु conjunction
17 अगस्त 2025 से लगभग एक महीने तक सूर्य का केतु के साथ संयोग सिंह राशि में रहेगा, जिसका मुख्य प्रभाव वृषभ, सिंह, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन राशियों पर अधिक पड़ेगा।
प्रभाव और उपाय:
- वृषभ: पारिवारिक संघर्ष; शुक्रवार को पार्वती को सफेद फूल अर्पित करें, रविवार को दूध दान करें।
- सिंह: आत्मबल में वृद्धि; रोज सूर्योदय पर सूर्य अर्घ्य दें, गले में लाल धागा बाँधें, मन और ह्रदय की ध्यान करें।
- कन्या: व्यवसाय में सफलता लेकिन चिंता; बुध्रसी घास (दूर्वा) दें, विष्णु सहस्रनाम जप करें।
- वृश्चिक: तनाव, स्वास्थ्य मामला; रविवार को सूर्य को लाल फूल दें, आदित्य हृदय स्तोत्र जप करें।
- मकर: मानसिक तनाव; सूर्य को जल + लाल चंदन अर्पण करें, महामृत्युंजय मंत्र जप करें।
मीन: आध्यात्मिक उन्नति का काल; विष्णु की समाधि में झुकें और गुरुवार को पीले फल दान करें। किन व्यक्तियों (नाम के प्रथम अक्षर वाले) को व्यावहारिक जीवन – संबंध, परिचय, सहयोग, कार्यसिद्धि आदि में बाधा का अनुभव होगा।
🚫 प्रभावित नाम–प्रथम अक्षर (सिंह संक्रांति 17 अगस्त 2025)
- T, Ta, To, Te
- D, Da, De, Do
- R, Ra, Ri, Ru, Re
- Y, Ya, Yo, Bh
- G, Ga, Gi, Gu, Ge
⚠️ इन अक्षरों वाले जातकों को:
- नए संबंध या परिचय में सहयोग नहीं मिलेगा
- कार्यस्थल/व्यवसाय में अपेक्षित सहमति में बाधा
- यात्रा या संचार में अड़चन
- मनमुटाव या तकरार की संभावना
- निर्णयों में अकेलेपन का अनुभव
· 🌞 16 सितम्बर 2025 तक
· नक्षत्र : नक्षत्रों वाले जातकों को सुख-संपत्ति की प्राप्ति, सहयोग और इच्छित उपलब्धियाँ मिलेंगी।
· भरणी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, अश्लेशा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा, धनिष्ठा, पूर्व भाद्रपद, रेवती
· नाम के प्रथम अक्षर : जिनके नाम निम्नलिखित प्रथम अक्षरों से प्रारंभ होते हैं, उन्हें सर्वाधिक अनुकूलता प्राप्त होगी :
· ली, लू, ले, लो, अ, ई, उ, ए, ओ, वे, वो, का, की, कु, घ, के, को, हा, ही, हू, डी, डू, डे, डो, मो, टा, टी, टू, ते, टो, पा, पी, पू, पे, पो, रा, री, ती, तू, ते, तो, नो, या, यी, यू, भू, धा, फा, ढा, भे, भो, जा, जी, जू, गो, गी, गु, गे, से, सो, दा, दी, दू, दे, दो, चा, ची
· 🌟 1 सितम्बर – 13 सितम्बर 2025
· नक्षत्र : नक्षत्रों वाले जातकों को सुख-संपत्ति की प्राप्ति, सहयोग और इच्छित उपलब्धियाँ मिलेंगी।
· अश्विनी, कृत्तिका, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, मघा, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, स्वाती, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढा, श्रवण, शतभिषा, उत्तर भाद्रपद
· नाम के प्रथम अक्षर : जिनके नाम निम्नलिखित प्रथम अक्षरों से प्रारंभ होते हैं, उन्हें सर्वाधिक अनुकूलता प्राप्त होगी :
· चु, चे, चो, ला, अ, ई, उ, ए, ओ, वा, वी, वू, कु, घ, ङ, छ, हु, हे, हो, डा, मा, मी, मू, मे, ते, टो, पा, पी, पू, पू, ष, ण, ठ, पे, पो, रू, रे, रो, ता, ना, नी, नू, ने, नो, ये, यो, भा, भी, भू, भे, भो, जा, जी, जू, खी, खू, खे, खो, गो, सा, सी, सु, दा, दी, दू, थ, झ
6. विवाद, युद्... जीवन पर प्रभाव (सामजिक-आर्थिक)...
- 31 अगस्त से 16 सितंबर 2025 तक का समय कुछ राशि वालों पर “विरोध”, “क्रोध”, "युद्ध" जैसी मानसिक परिस्थितियों का काल संभव है (आपके सवाल का यह हिस्सा वेब स्रोतों में स्पष्ट नहीं मिला)। यह अधिकतर गोचर और मंगल/शनि की द्वि-संयोग क्षेत्रों से जुड़ा हो सकता है।
- व्यवहारिक दृष्टि से, नाम (पहला अक्षर) के अनुसार व्यक्तिगत राशियों को मिथ्याचार से बचाना चाहिए—लेकिन ऐसा कोई सटीक सूत्र उपलब्ध नहीं।
🕉 शांति उपाय:
- सूर्य को अर्घ्य: “ॐ आदित्याय नमः” का जप
- लाल पुष्प या लाल वस्त्र का दान
- किसी भी कार्य से पूर्व गायत्री मंत्र 11 बार जप
📜 सिंह संक्रांति (१७ अगस्त २०२५) – शुभ-अशुभ विवेचन
❌ अशुभ दिन
- रविवार (विशेषतः तिल का सेवन या तिलदान निषिद्ध)
- शुक्रवार (तिल का ग्रहण वर्जित)
❌ सफलता संदिग्ध नाम-अक्षर
- ट, ठ, ड, ढ, ण से प्रारम्भ होने वाले नामधारी जातक
(व्यवहार, संबंध, सहयोग, कार्यसिद्धि में बाधा का संकेत)
✅ विशेष दान (सिंह संक्रांति पर)
- तिल (विशेषकर काले तिल)
- तैल (तिल का तेल या सरसों का तेल)
- कंबल या वस्त्र
📖 प्रमाण:
धर्मसिंधु एवं निर्णयसिन्धु में कहा गया है कि “सिंहसंक्रान्तौ तैलताम्रतिलदानं सर्वदुःखनाशनं भवति।”
✅ उचित आहार
- दूध
- मीठे फल
- सात्त्विक भोजन
❌ वर्जित भोजन
- तिल
- मांस
- मदिरा
✅ शेष समय में (विशेषकर गोधूलि वेला और सूर्यास्त से पूर्व) सिंह संक्रांति-दान और सूर्योपासना उत्तम मानी गई है।
- सूर्य का ध्यान कर संकल्प लें —
“भाद्रपद मासे विवस्वान् सूर्यनारायणस्य प्रसाद सिद्ध्यर्थं अहं अर्घ्यदानं करिष्ये”
2️⃣ सूर्य का ध्यान-मंत्र
ध्यान करते हुए यह मंत्र जपें —
“जपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम् ।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ॥”
📖 अर्थ:
जो जपाकुसुम (लाल पुष्प) के समान तेजस्वी हैं, कश्यपगोत्रीय हैं, अंधकार के शत्रु हैं, पापों का नाश करने वाले हैं, उन दिवाकर सूर्य को मैं नमस्कार करता हूँ।
3️⃣ अर्घ्यदान
- तांबे के लोटे में जल भरें, उसमें लाल पुष्प, अक्षत, कुश, गुड़, तिल मिलाएँ।
- पूर्वाभिमुख खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दें।
- अर्घ्य देते समय मंत्र —
“ॐ घृणिः सूर्याय नमः” (3 बार)
4️⃣ सूर्योपासना मंत्र (विवस्वान स्वरूप)
“ॐ विवस्वते नमः”
“ॐ आदित्याय नमः”
“ॐ भास्कराय नमः”
5️⃣ दान-वस्तुएँ (भाद्र मास हेतु विशेष)
📖 गरुड़पुराण, दानप्रकाशिका
- मधु (शहद) — मन को शांति व सुखद वाणी प्रदान करता है।
- घृत-मिश्रित क्षीर (घी व दूध से बनी खीर) — आयु, बल व तेज वृद्धि करता है।
- लवण (नमक) — रोग व क्लेश का नाश करता है।
- गुड़ — धन व सौभाग्य में वृद्धि करता है।
🕉 दान-मंत्र:
“ॐ सूर्याय विवस्वते नमः । इदं मधु-क्षीर-लवण-गुडादिकं दानं मम सर्वरोग-शोक-निवारणाय गृह्यताम् ॥”
6️⃣ उपयुक्त तिथि, दिन, समय
- तिथि → भाद्र शुक्ल सप्तमी, अष्टमी, पूर्णिमा, कृष्ण नवमी, द्वादशी।
- दिन → रविवार (मुख्य), अन्य दिनों में भी शुभ।
- समय →
- सूर्योदय (प्रातः) → सर्वश्रेष्ठ।
- मध्याह्न → उत्तम।
- संध्याकाल (गोधूलि) → रोग-निवारण हेतु फलदायी।
7️⃣ पूजन के बाद
- सूर्य को नमस्कार कर यह प्रार्थना करें —
“नमो आदित्याय भास्कराय, नमो विवस्वते प्रभवे ।
दोषरोगविनाशाय सुखसमृद्ध्यै नमोऽस्तु ते ॥”
📖 अर्थ:
हे भास्कर! हे विवस्वान! आप रोग-दोष का नाश करने वाले हैं, सुख-समृद्धि देने वाले हैं, आपको नमस्कार है।
✨ फल (ग्रंथोक्त):
- रोग-शोक का नाश।
- कष्ट, क्लेश और विवाद से मुक्ति।
- तेज, आयु, बल और समृद्धि की वृद्धि।
- पितृ वंशजों को संतोष।
************************************************************
🔹 अनुशंसा व संदर्भ
यह जानकारी प्रामाणिक ग्रंथों एवं पारंपरिक ज्योतिष–मुहूर्त शास्त्र पर आधारित है।
विशेष अनुशंसा :
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखा एवं वास्तु विशेषज्ञ —
- पं. वी.के. तिवारी
- डॉ. एस. तिवारी
- डॉ. आर. दीक्षित
📍 स्थान : बेंगलुरु – 560102
📞 सम्पर्क : +91
94244 46706
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें