📘 शुभाशुभ लग्न एवं पूजन मार्गदर्शन (ग्रंथ-संग्रह)
श्री विष्णु / लक्ष्मी / सरस्वती
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पूजा-दिशा: उत्तर या पश्चिम
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दीपक: घृतदीप
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वर्तिका रंग: सफेद / पीला
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दीपक की दिशा: दिन – पूर्वाभिमुख, रात्रि – उत्तराभिमुख
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शुभ लग्न: वृषभ, तुला, मीन
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उत्तम होरा: चन्द्र होरा, गुरु होरा
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राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: वर्ज्य
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श्लोक प्रमाण:
“घृतदीपः सदा कार्यो विष्णोर्लक्ष्म्याः सरस्वत्याः ।
प्रसन्ना सर्वदा भूत्वा ददत्याशु मनोगतम् ॥” -
अर्थ: घी का दीप करने से ये देवता शीघ्र प्रसन्न होकर मनोकामना पूर्ण करते हैं।
भगवान शिव / रुद्र
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पूजा-दिशा: पूर्व या उत्तर
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दीपक: तिल तेल दीप
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वर्तिका रंग: लाल
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दीपक की दिशा: दिन – उत्तराभिमुख, रात्रि – पूर्वाभिमुख
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शुभ लग्न: वृषभ, सिंह, मकर
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उत्तम होरा: सूर्य होरा, शनि होरा
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राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: वर्ज्य
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श्लोक प्रमाण:
“तिलतेन प्रदीपः स्याद् रुद्रस्य प्रीतिकरः सदा ।” -
अर्थ: शिव-पूजन तिल तेल दीपक से करने पर विशेष प्रसन्न होते हैं।
श्री गणेश
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पूजा-दिशा: उत्तर
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दीपक: घृतदीप
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वर्तिका रंग: पीला
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दीपक की दिशा: दिन – उत्तराभिमुख, रात्रि – उत्तराभिमुख
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शुभ लग्न: कन्या, मीन
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उत्तम होरा: बुध होरा
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राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: वर्ज्य
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श्लोक प्रमाण:
“मङ्गले च गणाधीशं पूजयेत् घृतदीपकैः ।” -
अर्थ: गणेश जी का पूजन घृतदीप से करना सर्वश्रेष्ठ है।
दुर्गा / काली
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पूजा-दिशा: दक्षिण
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दीपक: तिल तेल दीप
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वर्तिका रंग: लाल / काला
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दीपक की दिशा: दिन – दक्षिणाभिमुख, रात्रि – पश्चिमाभिमुख
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शुभ लग्न: सिंह, वृश्चिक, मकर
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उत्तम होरा: मंगल होरा, शनि होरा
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राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: ✦ विशेष पूजनीय
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श्लोक प्रमाण:
“राहुकाले विशेषेण कालीपूजां समाचरेत् ।
सिद्धिर्भवति निःशङ्का देव्या एव प्रसादतः ॥” -
अर्थ: राहुकाल में काली-पूजन करने पर निश्चय ही सिद्धि और प्रसन्नता मिलती है।
छिन्नमस्ता
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पूजा-दिशा: दक्षिण / पश्चिम
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दीपक: सरसों तेल दीप
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वर्तिका रंग: लाल
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दीपक की दिशा: दिन – पश्चिमाभिमुख, रात्रि – दक्षिणाभिमुख
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शुभ लग्न: वृश्चिक, मकर
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उत्तम होरा: मंगल होरा, शनि होरा
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राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: ✦ विशेष पूजनीय
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श्लोक प्रमाण: कालिका पुराण
धूमावती
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पूजा-दिशा: दक्षिण
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दीपक: सरसों तेल दीप
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वर्तिका रंग: काला
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दीपक की दिशा: दिन – पश्चिमाभिमुख, रात्रि – दक्षिणाभिमुख
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शुभ लग्न: मकर, कुम्भ
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उत्तम होरा: शनि होरा, राहु होरा
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राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: ✦ विशेष पूजनीय
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श्लोक प्रमाण: रुद्रयामल तन्त्र
बगलामुखी (पिताम्बरा)
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पूजा-दिशा: दक्षिण-पश्चिम
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दीपक: घृतदीप
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वर्तिका रंग: पीला
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दीपक की दिशा: दिन – दक्षिणाभिमुख, रात्रि – पश्चिमाभिमुख
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शुभ लग्न: कन्या, मकर
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उत्तम होरा: गुरु होरा, शुक्र होरा
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राहुकाल / यमघण्टक / गुलिक: ✦ विशेष पूजनीय
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श्लोक प्रमाण:
“पीतवस्त्रधरां देवीं पीतदीपैः सुपूजिताम् ।
ब्रह्मास्त्ररूपिणीं देवीं बगलां तां नमाम्यहम् ॥” -
अर्थ: पीले दीपक से पिताम्बरा देवी की पूजा करने पर विजय और स्तम्भन शक्ति प्राप्त होती है।
📖 श्लोक संग्रह (सभी)
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“घृतदीपः सदा कार्यो विष्णोर्लक्ष्म्याः सरस्वत्याः ।
प्रसन्ना सर्वदा भूत्वा ददत्याशु मनोगतम् ॥” -
“तिलतेन प्रदीपः स्याद् रुद्रस्य प्रीतिकरः सदा ।”
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“मङ्गले च गणाधीशं पूजयेत् घृतदीपकैः ।”
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“राहुकाले विशेषेण कालीपूजां समाचरेत् ।
सिद्धिर्भवति निःशङ्का देव्या एव प्रसादतः ॥” -
“पीतवस्त्रधरां देवीं पीतदीपैः सुपूजिताम् ।
ब्रह्मास्त्ररूपिणीं देवीं बगलां तां नमाम्यहम् ॥”
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