सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती।
आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा ।
एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।
मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी |
जय गणेश जय गणेश देवा।
अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।
जय गणेश जय गणेश देवा।
हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा ।
लड्डूअन का भोग लगे संत करें सेवा।
जय गणेश जय गणेश देवा।
दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।
मनोरथ को पूरा करो। जाए बलिहारी।
जय गणेश जय गणेश देवा।
आहुति मंत्र -
ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है।
ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है।
अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-
मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्।
गणेश पूजन की सामग्री
एक चौकिया पाटे का प्रयोग करें ।लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं।
चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं।
गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है।
लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध दही शहद शक्कर गंगाजल या किसी भी नदी का पवित्र जल क्षेत्र पंचमेवा सुपारी पान लौंग
दूर्वा सिंदूर पुष्प तिल एवं कोई भी ऋतु फल अर्पण करें।
सरल विधि है कि जिस चीज को अर्पण करें ,उसका नाम लेकर समर्पयामि कहें ।
जैसे पुष्प अर्पण करना है तो पुष्पम समर्पयामि।
हाथ मे जल लेकर-
ओम अपवित्र पवित्रो वा सर्वावस्थां गतो वा।
या स्मरेत् पुंडरीकाक्षं सा बाह्य अभ्यांतर शूची ।
ओम पुंडरीकाक्ष पुनातु ।
ओम जल पृथ्वी पर छोड़ दें।
गणेश जी का ध्यान -
प्रातः स्मरामि गणनाथं अनाथ बंधु, सिंदूर पूर परि शोभित।
गण्ड़ युग्गमं उदंड विघ्न परिखण्डन चंड दंड माखण्डल आदि सुरनायक वृंद वन्दनं।
मंत्र एवं अर्पित किये जाने वले पत्ते-
सुरनयकाय नमः -शमी पत्र। अर्पित करें ।
गणाधीशाय नमः उमा पुत्राय नमः बिल्वपत्र अर्पित करें।
गजमुखए नमः दूर्वा अर्पित करें।
लंबोदराय नमः बेल का पत्ता अर्पित करें।
हरसू नवे नमह धतूरे का पत्ता अर्पित करें।
शूर्प करणाय नमः तुलसी का पत्ता अर्पित करें।
एकदंताय नमः भटकटैया। हेरंबाय नमः सिंदूर या सिंदूर वृक्ष का पत्ता अर्पित करें ।चतुर्होत्रे नमह तेज पत्र अर्पित।
विक टाय नमह कनेर का पत्ता ।
हेमतुन्डाय नमः केले का। विनायकाय नमः आंक का ।
पुष्पांजलि का मंत्र - नाना सुगंधि पुष्पाणि यथा काल उद्भभबानी चा पुष्पांजलि मया दत्तम ग्रहण परमेश्वर।
पुष्पम समर्पयामि - सर्व सिद्ध सर्व सफलतम देहि में नमः।
लक्ष्मी प्रद मंत्र -
ओम नमो विघ्न राजाय सर्व सौख्य प्रदायनी ।
दुष्ट अरिश्ट विनाशाय पराय परमात्मने ।
लम्बोदर महविर्यम नाग योज्ञ्ंनोप शोभितं।अर्ध चंद्र्धरं देवं विघ्न व्ह्यू विनाश्नं ।
पूजा ध्यान रखे आवश्यक बाते-
1- दीपक की बत्ती का रंग नारंगी या लाल होना चाहिए अथवा रुई के स्थान पर मौली या कलावे का प्रयोग करें ।
2- दीपक की बत्ती के रूप में यह विशेष शुभ प्रभाव देने वाली होती है सफेद रंग की भर्ती का या दीपक की बत्ती गणेश पूजन में शुभप्रभात भी नहीं मानी गई है।
3- दीपक की बत्ती का मुह पुर्व याउत्तर दिशा मे हो।
गणेश जी का मुख दक्षिण दिशा में हो एवं अपना मुंह पूजा करते समय उत्तर दिशा में हो ।
4- शुद्ध घी का दीपक दाहिनी ओर रखें यदि तेल का दीपक प्रयोग करते हैं तो अपने बाई और रखें तथा कलश भी अपने बायी और रखना चाहिए।
5- कलश् पर नारियल आड़ा रखें जिसका मोटा वाला भाग अपनी और हो तथा पूंछ वाला भाग गणेश भगवान की ओर होना चाहिए ।
विशेष ध्यान रखने योग्य बात है कि कभी भी नारियल कलश में उल्टा यह फसाकर नहीं रखना चाहिए शास्त्रों के अनुसार यह व्यवस्था दी गई है।
Regards
Jyotish Shiromani Pt V.K Tiwari
9424446706, jyotish9999@gmail.com
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