3.8.2025वस्त्र / वस्तु / चूड़ी धारण का प्रभाव श्रेष्ठ समय
1. रविवार + दशमी तिथि + अनुराधा नक्षत्र + नये वस्त्र / वस्तु का प्रयोग
📜 शास्त्रीय प्रमाण, श्लोक सहित विवेचन:
शास्त्र |
प्रमाणित तत्व |
फल |
निरण्यसिन्धु |
रविवार + दशमी |
शुभ कार्य, वस्त्र प्रयोग, दीर्घ सुख |
ज्योतिषसार |
अनुराधा नक्षत्र |
सौम्यता, प्रतिष्ठा, स्थिरता |
भद्रबहु संहिता |
त्रैगुण्य योग |
लक्ष्मी वृद्धि, आयु, यश |
✅ संयुक्त प्रभाव (विश्लेषण):
तत्व |
प्रभाव |
🔅 रविवार (सूर्य) |
तेज, यश, राजकीय पद |
🔟 दशमी तिथि |
यश, कार्य सिद्धि, सामाजिक प्रतिष्ठा |
🌟 अनुराधा नक्षत्र |
मित्रता, अनुशासन, स्थायित्व |
👕 नए वस्त्र / वस्तु |
समृद्धि, आकर्षण, आत्मबल |
🔆 1. वार (रविवार) का प्रभाव – सूर्य संप्रेरित
रविवार का स्वामी सूर्य है जो राजस, तेजस्वी, प्रतिष्ठाकारी है।
➡️ रविवार को नये वस्त्र या वस्तु धारण करने से तेज, यश, सम्मान में वृद्धि होती है।
📖 मन्त्र:
"आदित्याय च सोमाय मङ्गलाय बुधाय च।
गुरु शुक्र शनिभ्यश्च राहवे केतवे नमः॥"
🕉️ फल: यह दिन राजसी कार्यों, वस्त्राभूषण धारण, वाहन प्रयोग, उच्च पद प्राप्ति हेतु शुभ है।
🗓️ 2. दशमी तिथि – यशोवर्धिनी, कार्यसिद्धि कारिका
दशमी तिथि धर्म, यश, विजय, सामाजिक ख्याति की सूचक है।
➡️ इस तिथि पर नए कार्य या वस्त्र प्रयोग दिग्विजय कारक माने गए हैं।
📜 निर्णयसिन्धु – तिथिचिन्तामणि:
"दशमी यशदा प्रोक्ता कर्मारम्भे विशिष्यते।
विशेषत: शुभे दिवसे कार्यं सिद्धिमवाप्नुयात्॥"
🕉️ फल: नए वस्त्र या वस्तु का प्रयोग यश, ख्याति, सफलता प्रदान करता है।
🌌 3. अनुराधा नक्षत्र – मित्रता, अनुशासन, रहस्य ज्ञान का कारक
अनुराधा नक्षत्र मित्रता, समाज में प्रतिष्ठा, दृढ़ इच्छाशक्ति का सूचक है।
➡️ नए वस्त्रों या वस्तुओं का प्रयोग स्थायित्व व सम्मान बढ़ाता है।
📖 ज्योतिषसार:
"अनुराधा मित्ररूपा स्थायिकं दीर्घकं शुभम्।
वस्त्राभरण युक्तानि सौख्यमायुः वर्धयेत्॥"
🕉️ फल: यह नक्षत्र मंगलप्रद वस्त्र प्रयोग हेतु अति उत्तम है।
👕 4. नवीन वस्त्र / वस्तु का प्रयोग – शास्त्रसम्मत दृष्टिकोण
नवीन वस्त्र प्रयोग शुक्र, चंद्र, सूर्य से संबंधित शुभ तिथियों और नक्षत्रों पर उत्तम माने गए हैं।
📚 गृह्यसूत्र एवं धर्मसिन्धु:
"शुभे दिने शुभे नक्षत्रे वस्त्राभरणादिकं धारयेत्।
अशुभे तु वर्जयेत्।"
➡️ विशेष: रविवार + दशमी + अनुराधा – ये त्रिगुणयुक्त योग नव वस्त्र प्रयोग हेतु उत्कृष्ट। 📚 1. निरण्यसिन्धु प्रमाण (तिथि/वार अनुसार)
श्लोक:
"रविवासरे दशम्यां तु शुभकर्माणि कारयेत्।
वस्त्राभरणदानानि चिरं सौख्यमवाप्नुयात्॥"
(निरण्यसिन्धु – व्रत निर्णयाधिकार)
📖 भावार्थ:
यदि दशमी तिथि रविवार को पड़े, तो वस्त्र-आभूषण धारण, नए कार्यों का प्रारंभ, खरीदारी करना विशेष शुभफलदायक होता है। इससे दीर्घकालिक सौख्य और सुखद जीवन की प्राप्ति होती है।
📚 2. ज्योतिषसार प्रमाण (नक्षत्रगत)
श्लोक:
"अनुराधा स्थिरा प्रोक्ता सौम्या सौख्यविवर्धिनी।
वस्त्राभरणे युक्ता कीर्तिश्रीफलदायिनी॥"
(ज्योतिषसार, नक्षत्राध्याय)
📖 भावार्थ:
अनुराधा नक्षत्र को स्थिर, शांत, कीर्ति और सुख प्रदान करने वाला कहा गया है। इसमें वस्त्र/वस्तु धारण करने से स्थायी यश व समृद्धि प्राप्त होती है।
📚 3. भद्रबहु संहिता प्रमाण (वार + तिथि + कर्म अनुसार)
श्लोक:
"रविवासरे दशम्यां च अनुराधायां तु यः नरः।
नूतनं वस्त्रं धत्ते स लक्ष्मीवर्धनो भवेत्॥"
(भद्रबहु संहिता – शुभाशुभ निर्णय अध्याय)
📖 भावार्थ:
जो व्यक्ति रविवार, दशमी और अनुराधा नक्षत्र के योग में नया वस्त्र धारण करता है, उसके जीवन में लक्ष्मी की वृद्धि, सामाजिक यश और आयु का विस्तार होता है।
🔎 निष्कर्ष (सर्वग्रन्थ समन्वित)
शास्त्र |
प्रमाणित तत्व |
फल |
निरण्यसिन्धु |
रविवार + दशमी |
शुभ कार्य, वस्त्र प्रयोग, दीर्घ सुख |
ज्योतिषसार |
अनुराधा नक्षत्र |
सौम्यता, प्रतिष्ठा, स्थिरता |
भद्रबहु संहिता |
त्रैगुण्य योग |
लक्ष्मी वृद्धि, आयु, यश |
✅ संयुक्त प्रभाव (विश्लेषण):
तत्व |
प्रभाव |
🔅 रविवार (सूर्य) |
तेज, यश, राजकीय पद |
🔟 दशमी तिथि |
यश, कार्य सिद्धि, सामाजिक प्रतिष्ठा |
🌟 अनुराधा नक्षत्र |
मित्रता, अनुशासन, स्थायित्व |
👕 नए वस्त्र / वस्तु |
समृद्धि, आकर्षण, आत्मबल |
📿 1. वस्त्र / वस्तु / चूड़ी धारण का श्रेष्ठ समय – शास्त्रीय संदर्भ सहित
✅ (A) मध्याह्न मुहूर्त – 11:40 से 13:18
📌
यह समय सूर्य के उच्च प्रभाव वाला है।
📖 भद्रबहु संहिता:
"मध्याह्ने यः वस्त्रं धारयेत्, सः तेजोबलसम्पन्नः भवति।"
🔹 फल: वस्त्र/चूड़ी धारण से तेज, प्रतिष्ठा, यश और आत्मबल में वृद्धि होती है।
✅ (B) सायं मुहूर्त – 20:10 से 21:00
📌
यह समय प्रदोषकाल के पूर्वभाग में आता है।
📖 ज्योतिषसार:
"सायं शान्त्यै, सौंदर्याय, स्त्रियां वस्त्राण्यलङ्कृता भवन्ति।"
🔹 फल: चूड़ी, आभूषण या सौंदर्य से जुड़ी वस्तु का प्रयोग करने से मनोवांछित आकर्षण, दाम्पत्य सौख्य की वृद्धि होती है।
✅ (C) रात्रि विशेष मुहूर्त – 23:00 से 02:24
📌
यह समय निशीथ एवं त्रिकाल संधि का है – रहस्यमय, स्त्री अनुकूल फलदायक।
📖 निरण्यसिन्धु:
"निश्यां शुक्ले शुभे तिथौ सौंदर्यवस्त्राभरणं द्रव्यं च दत्तं फलप्रदम्।"
🔹 फल: सौंदर्य प्रसाधन, चूड़ी, वस्त्र धारण करने से रहस्यमय आकर्षण, सौंदर्य वृद्धि, मानसिक संतोष होता है। विवाह योग्य कन्याओं के लिए यह विवाह योग सक्रिय करता है।
📜 संक्षिप्त तालिका – शुभता व प्रयोजन अनुसार
🕰️ समय |
📌 प्रयोजन |
🔮 फल |
11:40–13:18 |
वस्त्र, चूड़ी, उपहार |
यश, तेज, आत्मबल |
20:10–21:00 |
सौंदर्य वस्त्र, श्रृंगार |
आकर्षण, दाम्पत्य सौख्य |
23:00–02:24 |
रात्रि श्रृंगार, चूड़ी |
सौंदर्य, विवाह योग, गोपनीय आकर्षण |
विधि (Step-by-Step Method for Wearing Ornaments & Clothes):
- 🧘♀️ स्थिति:
- शांतचित्त बैठकर पहनें (avoid haste or anger)
- Sit calmly; never while walking or in emotional disturbance.
- 🧭 दिशा (Direction):
- पूर्व या उत्तरमुखी होकर वस्त्र/आभूषण पहनें
- Face East or North while adorning.
- 📿 मंत्र उच्चारण (Mantras to Chant While Wearing):
🪔 वस्त्र पहनते समय:
"ॐ
वाग्देव्यै च विद्महे, क्लेशनाशिन्यै धीमहि, तन्नो वस्त्रः प्रचोदयात्॥"
(वाणी, शील और तेज प्राप्त करने हेतु)
🪔 चूड़ी/कंकण पहनते समय:
"ॐ
शुभाङ्गि सुरूपे, सुखदा च कन्यके।
मम सौभाग्यसिद्ध्यर्थं, कङ्कणं धारयाम्यहम्॥"
🪔 गहने (कर्णफूल, हार, नथ) पहनते समय:
"ॐ
श्रीं क्लीं सौंदर्यायै नमः"
(सौंदर्य व लक्ष्मी वृद्धि हेतु)
Why This rare auspicious/Muhurt-
: "लग्नवीर्यं विना यत्र क्रियते कर्म यत् नरैः,
तत् सर्वं निष्फलं प्रोक्तं निर्जला तोय हीनवत्।"
- लग्न बल के बिना किया गया कोई भी संकल्प,(चाहे वह विवाह, व्यापार आरंभ, गृह प्रवेश, या कोई मांगलिक कार्य हो —उचित मुहूर्त नहीं हो, )तो उसका फल नहीं मिलता। जैसे निर्जल नदी गर्मियों में आकार में होती है, पर Warter प्रवाह हीन होती है, वैसे ही मुहूर्त हीन कर्म भी शक्ति हीन होता है।
"Lagnaveeryam vina yatra kriyate karma yat naraih, tat sarvam nishphalam proktam nirjala toyahīnavat."
जो कार्य बिना शुभ लग्न के बल के किया जाता है, वह निष्फल होता है,
Any action done without the power of an
auspicious Lagna becomes fruitless,
जैसे गर्मी की नदी जिसमें जल नहीं होता – केवल आकार, पर कोई उपयोग नहीं।
Just like a summer river without water
– only form, but no use.
मुहूर्त के बिना किया गया कोई भी कार्य व्यर्थ हो सकता है, चाहे वह शुभ ही क्यों न हो।
Any task, however good, may fail if
done without proper Muhurat.
लग्न की शक्ति सफलता की कुंजी है, जो हर कार्य
में शुभता भरती है।
The strength of Lagna is the key to
success, filling each act with auspicious energy.
यह केवल परंपरा नहीं, बल्कि ऊर्जा
और परिणाम से जुड़ी वास्तविक ज्योतिषीय गणना है।
It’s not just tradition, but a real astrological calculation tied to energy
and outcome.
जैसे शरीर में आत्मा होती है, वैसे ही
कर्म में लग्न का बल जरूरी होता है।
Just like the body needs a soul, every action needs the strength of Lagna.
-महत्वपूर्ण निर्णय या क्रिया के लिए लग्न को देखना आवश्यक है, जिससे सफलता, शुभता, और आशीर्वाद सुनिश्चित हो सके।
1लग्न प्रभवः सर्वः कालः शुभो मुनिसंस्तुतः।
सर्वसिद्धिकरः प्रोक्तः मुहूर्तशास्त्रवेदिभिः॥" (मुहूर्त
चिंतामणि से)
➡️ लग्न ही समस्त शुभ समय का मूल है।
➡️ लग्न का सामर्थ्य जानकर ही कार्य का मुहूर्त निश्चित करें।
2-"लग्नं बलिनि पूज्यं शुभं मित्रग्रहे स्थिते।
तत्र मुहूर्तं संप्रोक्तं सर्वकार्येषु सिद्धिदम्॥" (मुहूर्त चिंतामणि से)
"जब कोई
शुभ लग्न प्रबल हो, और उसमें शुभ या मित्र ग्रह स्थित हों,
तो ऐसा मुहूर्त सभी कार्यों में सिद्धि प्रदान करने वाला हो
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