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श्री कृष्ण जन्माष्टमी - पूजा विधि और जन्मदिन उत्सव क्यो करना चाहिये|

संक्षिप्त विधि:     व्रत के दिन स्वच्छ रहे। स्वच्छ वस्त्र पहने। स्वच्छ वस्त्रों, आसन पर बैठे। स्नान जल में तीर्थ नदी का जल मिलाले या भावना कर कहे - गंगा यमुना गोदावरी नर्मदा इहागच्छ इहा तिष्ठ, आपके जल में सन्निध्य आने से मेरे सब पाप नष्ट हो धुल जाए। पूर्व या उतर दिशा में मुंहकर स्नान करे, काले तिल भी पानी में डाले। प्रातः स्नान उपरांत पूजन कक्ष में बैठकर हाथ मे जल लेकर कहे - मम अखिल पाप प्रशमन पूर्वक सर्व अमीष्ट सिद्धये श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत महं करिष्ये। मध्य या दोपहर 12 से 12.40 के मध्य काले तिल मिश्रित जल को अपने उपर छिडके या पुनः स्नान करे यदि अस्वच्छ हो। मां देवकी को जल अचमनी से या जैस संभव हो अर्पण करे - प्रणमे देवजननी त्वया जातस्तु वामनः। वसुदेवात् तथा कृष्णो नमर तुभ्यं नमो नमः। सपुत्र अध्र्य प्रदतं मे गृहाण इमं नमो स्तुते। श्री कृष्ण को पुष्पांजलि - ओम धर्माय धर्मेश्वरथ धर्मपतये धर्मसंभवाय गोविदाय नमो नमः।  रात्रि 12 बजे के बाद नालछेदन, नामकरण, षष्ठी पूजन क्रिया की भावना करे। आरती  भगवान श्रीकृष्ण  आरती श्रीकृष्ण कन्हैया  की | मथुरा कारागृह अवतारी | गोकुल जसुदा गोद  बिहारी

भोजपुर का अधूरा अद्भुत शिव मंदिर : रहस्य-दर्शन

Bhojeshwar Shivling Bojpur भोजपुर का अधू रा अद्भुत शिव मंदिर : रहस्य- उत्तर भारत का सोमनाथ कहलाने वाला भोजपुर नगर का भोजेश्वर मंदिर विश्व का दुर्लभ मंदिर है। राजा भोज द्वारा जीर्णोद्धार कराया गया इसलिए इस मंदिर का नाम भोजेश्वर प्रचलित एवम प्रसिद्ध हुआ। यह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर एवं विदिशा से 45 मील की दूरी पर रायसेन जिले के गोहरगंज तहसील के औबेदुल्ला उपखण्ड   में वेत्रवती नदीके किनारे अवस्थित है। वेत्रवती नदी प्रसिद्ध नाम बेतवा नदी के किनारे बसा हुआ है।     कुमरी गांव के निकट सघन वन में बेतवा नदी एक कुंड से निकलकर बहती है ।बेतवा नदी का उद्गम स्थल है। एक रात में पांडवों द्वारा अधूरा मंदिर निर्माण- यह मान्यता है - मंदिर का निर्माण द्वापर युग में पांडवों द्वारा अपने अज्ञातवास काल में , मां कुंती की पूजा के लिए किया था। भीम द्वारा विशाल पत्थर एकत्र किए गए थे।पांडवों द्वारा इस शिवलिंग कानिर्माण एक रात में ही किए करने का प्रयास किया था। परंतु सूर्योदय हो जाने के कारण मंदिर का क