5.8.2025 आज नवीन वस्त्र, गहने, चूड़ियाँ आदि धारण ?
📚 4 अगस्त 2025 के दिन (सोमवार), ज्येष्ठा नक्षत्र + एकादशी/दशमी तिथि + वृश्चिक चंद्र + नवीन वस्त्र-चूड़ी-आभूषण प्रयोग पर शास्त्रीय ग्रंथों से समेकित विश्लेषण:
(प्रमाण: ज्योतिष
सार, भद्रबाहु
संहिता, पाराशर होरा शास्त्र, भारतीय ज्योतिष, मुहूर्त
चिंतामणि इत्यादि)
🔍 4 अगस्त 2025 (सोमवार) के दिन नवीन वस्त्र, गहने, चूड़ियाँ आदि के प्रथम प्रयोग पर शास्त्रीय दृष्टिकोण से विस्तृत विवेचन:
🔸तिथि |
दशमी (11:41 तक), एकादशी (11:42 से) |
🔸नक्षत्र |
ज्येष्ठा (09:12 से आरंभ) |
🔸चंद्र स्थिति |
वृश्चिक राशि में |
🔸वार |
सोमवार |
🌑 1. ज्येष्ठा नक्षत्र का प्रभाव
🔻
तामसिक, तीव्र, विद्वेषात्मक, ग्रहणकारी नक्षत्र
📖 भद्रबाहु संहिता:
“ज्येष्ठायां च ग्रहैः युक्ते वस्त्रभूषणधारणं न कारयेत्। अशुभं भवति।"
(ज्येष्ठा में ग्रह विशेषतः चंद्रमा स्थित हो तो नए वस्त्र, गहने, चूड़ियाँ पहनना वर्ज्य।)
📖 ज्योतिष सार:
"ज्येष्ठा क्रूरकर्मणि, रहस्यकर्म, यंत्रतंत्र प्रयोग योग्य।"
❌ दैनिक, पारिवारिक, सौंदर्य अथवा सार्वजनिक कार्यों हेतु वर्जित।
📖 मुहूर्त चिंतामणि:
"ज्येष्ठा नक्षत्रे नववस्त्राभरणादीनां प्रयोगे न युक्तं। स्त्रीक्लेश, दोष संभवः।"
📖 पाराशर होरा शास्त्र:
"ग्रहयुतो ज्येष्ठा नक्षत्रे चंद्रे, स्त्रीनाश, भावनाश।"
🌘 2. चंद्रमा वृश्चिक (नीच) राशि में
🔻
नीचस्थ चंद्र = मानसिक दुर्बलता, मोह, भ्रम
📖 भद्रबाहु संहिता:
"नीचचंद्रे सौंदर्यकार्यं वर्जयेत्।"
(सौंदर्य-सज्जा कार्य जैसे वस्त्र-गहनों का प्रयोग वर्ज्य।)
📖 भारतीय ज्योतिष सिद्धांत:
“चंद्रमा यदि नीचस्थ हो तो सौम्य कार्य रुक जाएं; विशेषतः सोमवार को।”
🌗 3. दशमी / एकादशी संधिकाल
🔶
दशमी (11:41 तक) – मध्यम
🔷 एकादशी (11:42 से) – उत्तम, विशेषतः व्रत, जप आदि के लिए
📖 मुहूर्त चिंतामणि:
"एकादश्यां वस्त्रधारणं यद्यपि शुभं, तथापि नक्षत्रदोषे निषेधः।"
(तिथि शुभ हो, परंतु यदि नक्षत्र दोषयुक्त हो, तो निषेध रहता है।)
🌕 4. वार – सोमवार (चंद्रवार)
📖 मुहूर्त चिंतामणि:
"सोमवारे चंद्रे शुभे वस्त्रधारणं शुभदं।"
📖 भद्रबाहु संहिता:
"सोमवार सौम्यकार्ये, सौंदर्य-परिधेय-अभूषण कर्मे।"
👉 लेकिन यहाँ चंद्रमा नीचस्थ व अशुभ नक्षत्र में है – अतः वार का शुभत्व निष्प्रभावी हो जाता है।
🧾 🔚 निष्कर्ष (संयुक्त प्रभाव):
घटक |
प्रभाव |
ज्येष्ठा नक्षत्र |
❌ अशुभ – तामसिक, विद्वेष कारक |
वृश्चिक चंद्र |
❌ अशुभ – नीचस्थ, मानसिक क्षति |
दशमी/एकादशी |
⚠️ मध्यम-शुभ (एकादशी शुभ, पर संधिकाल दोष) |
सोमवार |
✅ शुभ (पर नीचचंद्र से निष्फल) |
✅ यदि अत्यावश्यक हो, तो उपाय:
🔸
वस्त्र या आभूषण को पहले शंख-गंगाजल मिश्रित जल से स्नान कराएँ।
🔸 ताम्रपत्र पर रखें और 5 बार “ॐ दुं दुर्गायै नमः” जपें।
🔸 फिर “ॐ चन्द्राय नमः” का 11 बार उच्चारण करें।
🔸 अंत में वस्त्र/गहनों को दाहिने हाथ में लेकर दक्षिण की ओर मुख करके धारण करें।
विधि (Step-by-Step Method for Wearing Ornaments & Clothes):
- 🧘♀️ स्थिति:
- शांतचित्त बैठकर पहनें (avoid haste or anger)
- Sit calmly; never while walking or in emotional disturbance.
- 🧭 दिशा (Direction):
- पूर्व या उत्तरमुखी होकर वस्त्र/आभूषण पहनें
- Face East or North while adorning.
- 📿 मंत्र उच्चारण (Mantras to Chant While Wearing):
🪔 वस्त्र पहनते समय:
"ॐ वाग्देव्यै च विद्महे, क्लेशनाशिन्यै धीमहि, तन्नो वस्त्रः प्रचोदयात्॥"
(वाणी, शील और तेज प्राप्त करने हेतु)
🪔 चूड़ी/कंकण पहनते समय:
"ॐ शुभाङ्गि सुरूपे, सुखदा च कन्यके।
मम सौभाग्यसिद्ध्यर्थं, कङ्कणं धारयाम्यहम्॥"
🪔 गहने (कर्णफूल, हार, नथ) पहनते समय:
"ॐ श्रीं क्लीं सौंदर्यायै नमः"
(सौंदर्य व लक्ष्मी वृद्धि हेतु)
विधि (Step-by-Step Method for Wearing Ornaments & Clothes):
- 🧘♀️ स्थिति:
- शांतचित्त बैठकर पहनें (avoid haste or anger)
- Sit calmly; never while walking or in emotional disturbance.
- 🧭 दिशा (Direction):
- पूर्व या उत्तरमुखी होकर वस्त्र/आभूषण पहनें
- Face East or North while adorning.
- 📿 मंत्र उच्चारण (Mantras to Chant While Wearing):
🪔 वस्त्र पहनते समय:
"ॐ
वाग्देव्यै च विद्महे, क्लेशनाशिन्यै धीमहि, तन्नो वस्त्रः प्रचोदयात्॥"
(वाणी, शील और तेज प्राप्त करने हेतु)
🪔 चूड़ी/कंकण पहनते समय:
"ॐ
शुभाङ्गि सुरूपे, सुखदा च कन्यके।
मम सौभाग्यसिद्ध्यर्थं, कङ्कणं धारयाम्यहम्॥"
🪔 गहने (कर्णफूल, हार, नथ) पहनते समय:
"ॐ
श्रीं क्लीं सौंदर्यायै नमः"
(सौंदर्य व लक्ष्मी वृद्धि हेतु)
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