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नव दुर्गा : घट स्थापना एवं दुर्गा पूजा महत्व तथा शीघ्र फलदाई समय

विभिन्न पुराणों एवं विशेष देवी भागवत पुराण मार्कंडेय पुराण में उपलब्ध जानकारी प्रस्तुत-  पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी ज्योतिष शिरोमणि भोपाल | घट स्थापना एवं दुर्गा पूजा  महत्व तथा शीघ्र फलदाई समय घट स्थापना की संक्षिप्त  विधि  !-ईशान कोण में रूद्र घट निर्माण कर शिव की स्थापना रुद्र की स्थापना उसके k नवग्रह की स्थापना एवं कलश पर अथवा  पार्टी चौकी पर नारियल पूजा कर मौली लपेटकर रखें. 2- इसके पश्चात पूर्व दिशा में ही सर्वतो भद्र मंडल का निर्माण कर उस पर मध्य में कलश स्थापित कर पंच पल्लव एवं रत्न आदि कलश में डालकर उस पर किसी प्लेट में  चावल रख कर.  उस पर देवी की प्रतिमा स्थापित करें . प्रथम 6 दिन कलश में इंद्र वरुण कुबेर शिव मां भगवती आदि देवी विराजित होते हैं.  सप्तमी तिथि से मूर्ति की पूजा होती है 3- आग्नेय कोण में साउथ ईस्ट दिशा में षोडश मातृका बनाकर उस पर गौर स्थापित करें दाहिने भाग में दीपक रखें दीपक की भर्ती का विषम संख्या में हो एवं श्वेत यह रवि की बत्ती का निषेध है लाल रंग या नारंगी रंग की वर्तिका हो इसके लिए मूल्य कलावा सर्वथा उचित है उसके सामने ही गणेश या

नव दुर्गा विशेष महत्व :मंत्र, हवन, पूजा विधि, संक्षिप्त भोग एवं अर्पण सामग्री

विभिन्न पुराणों एवं विशेष देवी भागवत पुराण मार्कंडेय पुराण में उपलब्ध जानकारी प्रस्तुत पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी - ज्योतिष शिरोमणि भोपाल   त्रिदेव में श्रेष्ठ मां भगवती योग माया देवी भागवत के पंचम स्कंध में त्रिदेव में श्रेष्ठ    मां भगवती को बताया गया है. व्यास जी द्वारा त्रिदेव ओं की तुलना में भगवती की श्रेष्ठता प्रतिपादित की गई है . भगवती योग माया के ही प्रभाव से प्रत्येक युग में भगवान विष्णु विभिन्न अवतार लेते हैं . अत्यंत रहस्य वाली भगवती नेत्र की पलक झपक ने मात्र से जगत की उत्पत्ति पालन तथा सम्हार कर सकती हैं इन्हीं मां भगवती   योग माया के द्वारा श्रीकृष्ण को प्रसूति गृह से निकालकर गोप राजनंद के भवन में पहुंचा कर उनकी रक्षा की गई. यही योग माया कंस के विनाश के लिए श्री कृष्ण को मथुरा ले गई. श्री कृष्ण को द्वारका बनाने की प्रेरणा इन्हीं मां भगवती ने दी  मकड़ी के तंतु जाल में फंसे कीट की भांति विष्णु महेश आदि सभी देवी भगवती की लीला से माया रूपी बंधन में पड़ जाते हैं और आवागमन के चक्र में भ्रमण करते रहते हैं अर्थात मां देवी भगवती की पूजा का विशिष्ट म