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14.8.2025नए वस्त्र या वस्तुओं का प्रयोग ?शुभ –समय


14.8.2025नए वस्त्र या वस्तुओं का प्रयोग ?शुभसमय

📜 गुरुवार, अश्विनी नक्षत्र – 14 अगस्त 2025

Thursday, Ashwini Nakshatra – 14 August 2025


🌌 नक्षत्र, तिथि एवं योग | Nakshatra, Tithi & Yoga

  • अश्विनी नक्षत्र (Ashwini Nakshatra)
  • षष्ठी तिथि (Shashthi Tithi)
  • गुरुवार (Thursday)
  • शूल योगदोपहर 13:10 तक

गर करण – 15:13 तक नये वस्त्र/वस्तु धारण का प्रभाव

Effect of Wearing/Acquiring New Clothes, Ornaments, and Items

अश्विनी नक्षत्र + गुरुवार + षष्ठी तिथि + शुभ समय में नये वस्त्र, आभूषण, और आवश्यक वस्तुएं लेने से दीर्घकालिक लाभ, स्वास्थ्य में वृद्धि और यश की प्राप्ति होती है।
Ashwini Nakshatra + Thursday + Shashthi Tithi + Auspicious time is favorable for acquiring/wearing new clothes, ornaments, and essential items, bringing long-term prosperity, better health, and honor.
📜 योग एवं करण के प्रभाव

(विशेष रूप से वस्त्र, वस्तु, आभूषण क्रय या धारण के लिए)


1️ योग (Shool Yog – 13:10 तक)

स्वभाव: शूल योग को सामान्यतः कठोर एवं अशुभ माना जाता है, लेकिन सुबह के शुभ मुहूर्त में कुछ विशेष कार्य जैसेवस्त्र, आभूषण, और आवश्यक गृह-सामग्री क्रययदि अश्विनी नक्षत्र का बल हो तो अनुकूल हो सकता है

  • अशुभ कार्य: विवाह, बड़े अनुबंध, भूमि विक्रय
  • अनुकूल कार्य: व्यक्तिगत वस्त्र, अलंकार, दैनिक उपयोग की वस्तुएं

2️ करण (Gar Karan – 15:13 तक)

स्वभाव: गर करण स्थिर एवं लाभदायक माना जाता है।

  • अनुकूल कार्य: वस्त्र, आभूषण, भूमि/वास्तु सामग्री, वाहन, गृह-उपकरण
  • प्रभाव: खरीदी गई वस्तु लंबे समय तक टिकाऊ और उपयोगी रहती है।
  • विशेष: नए वस्त्र एवं आभूषण धारण करने से आकर्षण, यश और आर्थिक स्थिरता में वृद्धि होती है।

3️ अश्विनी नक्षत्र + षष्ठी तिथि का संयोग

  • वस्त्र: विशेषकर चमकीले, पीले, सुनहरे, या हल्के लाल रंग के वस्त्र धारण से प्रतिष्ठा और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  • आभूषण: सोना, मोती, या माणिक पहनना इस दिन स्वास्थ्य और सौभाग्य के लिए लाभकारी।
  • वास्तु सामग्री: घर के लिए नए बर्तन, पूजा-सामग्री, फर्नीचर या सजावट का सामान लेना स्थिर सुख देता है।

📿 शास्त्रीय संकेत (मुहूर्त चिंतामणि)

अश्विन्यां षष्ठ्यां गरकर्णसमन्विते।
वसनाभरणादीनां फलदं भवति ध्रुवम्॥

अर्थ: अश्विनी नक्षत्र में षष्ठी तिथि और गर करण का संयोग होने पर वस्त्र, आभूषण आदि का क्रय निश्चित रूप से फलदायी होता है।

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🕰 शुभ मुहूर्त | Auspicious Timings

  • 11:00 AM – 12:30 PM
  • 07:15 PM – 08:10 PM
  • 11:41 PM – 01:15 AM

📿 अनुकूल क्रियाएँ | Recommended Activities

  1. नये वस्त्र एवं आभूषण धारणविशेषकर पीले, सुनहरे, या चमकीले रंग
    Wearing new clothes & ornaments – especially yellow, golden, or bright colors
  2. वास्तु सामग्री क्रयगृह प्रवेश या सजावट हेतु
    Purchase of vastu-related items – for housewarming or decoration
  3. दानवस्त्र, अनाज, फल
    Charity – clothes, grains, fruits

षष्ठी माता एवं बलराम जी का पूजन
Worship of Shashthi Mata & Lord Balaram

🔮 उपाय (Remedies)

  1. षष्ठी माता की पूजा – Balram Jayanti व्रत सहित
    Worship of Shashthi Mata – including Balram Jayanti fast
  2. गौदान (Cow donation or feeding cows)
  3. नए वस्त्र एवं अन्न दान (Donation of new clothes & grains)
  4. भगवान विष्णु एवं देवी पार्वती का पूजन
    Worship of Lord Vishnu and Goddess Parvati
  5. मंत्र जाप – “ षष्ठी देवयै नमः” 108 बार
    Chanting “Om Shashthi Devyai Namah” 108 times

1 भद्रबाहु संहिता

अश्विन्यां षष्ठ्यां गरकर्णसमन्विते।
वसनाभरणादीनां क्रीतिः सौख्यप्रदा सदा॥

अर्थ:
अश्विनी नक्षत्र में षष्ठी तिथि और गर करण का योग होने पर वस्त्र, आभूषण, चूड़ी तथा गृह-सामग्री की खरीद हमेशा सुख, ऐश्वर्य और स्थिरता देती है।


2️ निर्णयसागर पंचांगमुहूर्त निर्णयाध्याय

तिथिर्नक्षत्रसम्पन्ना करणेनान्विता शुभा।
वसनाभरणाद्यर्थं क्रीतो वस्तुः सुखावहः॥

अर्थ:
जब शुभ तिथि और नक्षत्र, लाभकारी करण के साथ हों, तब उस समय वस्त्र, आभूषण, और दैनिक आवश्यक वस्तु की खरीद से स्थायी लाभ और आनंद प्राप्त होता है।


3️ धर्मसिन्धुतिथि विवेचन

षष्ठ्यां शुभनक्षत्रे क्रयधारणं प्रशस्तकम्।
विशेषतः स्त्रीणां चूडामणिवसनाभरणं फलप्रदम्॥

अर्थ:
यदि षष्ठी तिथि शुभ नक्षत्र के साथ आए तो उस समय खरीदी या धारण की गई वस्तुएं शुभ फल देती हैं। विशेष रूप से स्त्रियों द्वारा चूड़ी, मणि, वस्त्र और आभूषण धारण करने से सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।


📿 प्रयोग का कारण (Astrological Reason)

  1. अश्विनी नक्षत्रतीक्ष्ण एवं शुभ नक्षत्र, नवीन वस्त्र, आभूषण, और सजावट सामग्री के लिए श्रेष्ठ।
  2. षष्ठी तिथिविशेषकर मातृदेवी की पूजा, संतति सुख, और गृहस्थ जीवन की उन्नति के लिए।
  3. गर करणस्थिरता प्रदान करता है, जिससे खरीदी गई वस्तु लंबे समय तक टिकाऊ रहती है।
  4. शुभ योगयदि योग अशुभ हो, तो सौभाग्य और दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित होता है।

🌟 विशेष वस्त्र-आभूषण सुझाव

  • वस्त्र: पीले, सुनहरे, गुलाबी या हल्के लाल रंग के
  • आभूषण: सोना, मोती, माणिक
  • चूड़ी: हरी (सौभाग्य), लाल (ऊर्जा), पीली (धन वृद्धि)
  • गृह-वस्तु: धातु के बर्तन, पूजा सामग्री, घर की सजावट के आइटम
  1.  
  •  

 

📿 नव वस्त्र, आभूषण, चूड़ी धारण करने से पूर्व की पूर्ण विधिपूर्वक प्रक्रिया, जिससे उसका अलौकिक और शास्त्रोक्त शुभ प्रभाव प्राप्त हो। यह विधि पुराणों, भद्रबाहु संहिता, ललिता तंत्र, व्रतसार आदि के निर्देशों पर आधारित है:

वस्त्र / आभूषण / चूड़ी शुद्धिकरण:

  • उन्हें पहले गंगाजल, केवड़ा या गुलाब जल में कुछ समय रखें।
  • धूप, दीप मंत्र द्वारा अभिमंत्रित करें।

📿 शुद्धिकरण मंत्र (सभी के लिए):

" पवित्रं चरितं देवि वस्त्राणां शुभकारणम्।
गंधद्वारं धन्यरूपं मम सौभाग्यवर्धनम्॥"

👗 4. वस्त्र धारण विधि मंत्र:

📌 जब वस्त्र धारण करें, तब यह मंत्र जपें:

" वसनं मे जगदंबे शुभं कुरु मम सदा।
सौम्यं सौभाग्यमायुष्यमायातु मे त्वया सह॥"
👉 इससे वस्त्रों के माध्यम से आने वाली शक्ति स्थायी होती है।

💍 आभूषण धारण पूर्व मंत्र (Ornaments):

📌 प्रत्येक आभूषण धारण करते समय यह श्लोक बोलें:

"रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषां जयम्।
कांतिं सौभाग्यमायुष्यमायातु मम भूषणैः॥"
👉 यह मंत्र देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है।

🧿 चूड़ी धारण पूर्व मंत्र:

📿 चूड़ियों को दोनों हाथों में पहनते समय यह तांत्रिक देवी मंत्र जपें:

" चूडा मणि प्रभा देवी सौभाग्यं मे प्रयच्छतु।
कांचन वर्णा कनकाभा चूडिके मम सदा शुभं भव॥"

👉 विशेषतः कांच की चूड़ियाँ धारण करने पर मानसिक शांति, दाम्पत्य सुख और नारी शक्ति की वृद्धि होती है।

🔥. दीपक जलाना (Mandatory):

  • वस्त्र या चूड़ी पहनने से पूर्व एक दीपक (घी/तिल) जरूर जलाएँ।
  • दीपक के पास कुछ चावल, दूर्वा, पुष्प हल्दी रखें।

📿 दीपक मंत्र:" दीप ज्योतिर्नमोस्तुते। त्रैलोक्यं तिमिरापहम्॥"

🌷 8. देवी का आह्वान (पूजन मंत्र):

📿 चूड़ी, वस्त्र और आभूषण धारण करने से पहले करें:

" श्रीं ह्रीं क्लीं सौम्यायै दुर्गायै नमः।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके॥"

🙏 मंत्र बोलकर देवी से प्रार्थना करें कि वस्त्र/चूड़ी/भूषण आपके जीवन में सौंदर्य, रक्षा और सौभाग्य बढ़ाएं।

📜 प्रभाव / लाभ:

  1. वस्त्रों से मानसिक संतुलन, व्यवहार में माधुर्य आता है।
  2. आभूषणों से व्यक्तित्व में आकर्षण और लक्ष्मी शक्ति का वास होता है।
  3. चूड़ियों से नारीत्व, दाम्पत्य सौख्य और मनोबल की वृद्धि होती है।
  4. मंत्र एवं विधि से ये वस्तुएँसजीवहोकर आपके भाग्य को उत्तम बनाती हैं।

यदि अत्यावश्यक हो, तो यह उपाय करें:

🔹 " शुभं करोति कल्याणम्" – 11 बार उच्चारण करें।
🔹 चंद्रमा के दर्शन के बाद ही वस्त्र/गहना धारण करें।
🔹 वस्त्र धारण से पूर्व पंचामृत से स्नान करने का संकेत शास्त्र में है।

 


सारांश (Summary):

  1. घर में वस्तु रखना (Keeping an Object at Home):
    If an object is inauspicious, it can bring disruption, financial troubles, health issues, and family discord.
  2. दुबारा प्रयोग (Reusing the Item):
    Reusing a negative object can block good fortune, reduce confidence, and bring suffering and inconvenience. It can also impact your ability to make good decisions.

सावधानी (Caution):
Always be mindful of the timing and energy of the objects you keep at home or reuse, as they have a significant influence on your well-being and future outcomes.

📜 कुंडली निर्माण संदर्भ | Horoscope Accuracy Note

📌 कुंडली निर्माण (Horoscope Making)केवल विशोत्तरी दशा ही नहीं, अन्य 42+ दशाएँ भी होती हैं।
📌 Note: Vimshottari Dasha is not always applicable in every horoscope. Always verify with divisional charts.

📚 विशेष परामर्शदाता:
🔹 डॉ. आर. दीक्षित🏛 वास्तु विशेषज्ञ
🔹 डॉ. एस. तिवारी🔱 वैदिक ज्योतिषाचार्य
📧 Email: tiwaridixitastro@gmail.com | 📞 +91 9424446706

📜 कुंडली मिलान में दोष और उनके निवारण का शास्त्रीय दृष्टिकोण

Horoscope Matching – Doshas & Remedies in Scriptural Perspective

📿 परामर्श (Consultation Advice)

  • वर-वधू के सुखी जीवन के लिए, पूर्ण कुंडली मिलान (9 ग्रह, नक्षत्र, राशि, लग्न, नवांश) अनिवार्य है।
  • केवल जन्म नक्षत्र या गुण मिलान पर आधारित निर्णय से बचें।
  • अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लें जो शास्त्रीय अपवाद भी देखता हो।

English:
For a happy married life, ensure full horoscope matching using all 9 planets, nakshatras, signs, lagna, and navamsha. Avoid relying only on guna points. Consult an expert astrologer who understands scriptural exceptions.

मुख्य संदेश – 95% मामलों में दोष वास्तविक नहीं होते

  • शास्त्रीय नियम कहते हैं कि केवल 9 ग्रहों, 27 नक्षत्रों और लग्न-नवांश के आधार पर संपूर्ण विचार करना चाहिए।
  • अधिकतर विवाह-बाधा का भ्रम अपूर्ण ज्ञान या केवल 36 गुण मिलान के आधार पर निर्णय लेने से होता है।
  • जनम नक्षत्र मिलान अकेला पर्याप्त नहीं है।
  • जब 9 ग्रहों, नक्षत्रों और राशियों का पूर्ण परीक्षण होता है, तब 95% मामलों में कथित दोष शास्त्रीय अपवादों से समाप्त हो जाते हैं।

English:
Scriptures require analysis of 9 planets, 27 nakshatras, Lagna, and Navamsha. Most marriage obstacles arise from incomplete matching based only on 36 guna points. Full planetary analysis often removes 95% of supposed doshas due to scriptural exceptions.


1️ मंगल दोष (Manglik Dosha) और समाधान

  • शास्त्रीय नियम: मंगल दोष का निर्धारण केवल लग्न कुंडली से नहीं, बल्कि चंद्र कुंडली और नवांश कुंडली से भी किया जाता है।
  • समाधान:
    1. मंगल के शुभ ग्रहों के साथ युति या दृष्टि होने पर दोष का प्रभाव घट जाता है।
    2. यदि मंगल मेष, कर्क, तुला, मकर, सिंह, कुंभ में स्थित हो तो कुछ अपवादों में दोष समाप्त मानते हैं।
    3. कुंभ विवाह, विष्णु पूजा, मंगल शांति पाठ से निवारण।

English:
Manglik Dosha must be checked from Lagna chart, Moon chart, and Navamsha chart. Conjunction/aspect of benefics, or placement in certain signs, reduces/neutralizes it. Remedies include special puja and charitable acts.


2️ षडष्टक दोष (Shadashtak Dosha)

  • जब वर और वधू की राशियाँ षष्ठ (6th) और अष्टम (8th) स्थान पर हों, तब यह दोष माना जाता है।
  • अपवाद: यदि चंद्रमा उच्च या स्वगृही हो, या शुभ दृष्टि हो तो दोष निरस्त।

English:
Occurs when Moon signs are 6th and 8th from each other. Exceptions apply if Moon is exalted, in own sign, or aspected by benefics.


3️ नाड़ी दोष (Naadi Dosha)

  • नाड़ी दोष केवल तब मान्य है जब अन्य गुण मिलान के नियम भी पूर्ण हों।
  • अपवाद: यदि वर-वधू का गोत्र, कुल, राशि स्वामी, अथवा चंद्र नक्षत्र पाद भिन्न हो तो दोष कम हो जाता है।

English:
Valid only when all other compatibility factors align. Exceptions include different gotra, sign lords, or Moon’s pada.


4️ ग्रह-मित्रता दोष (Planetary Friendship Mismatch)

  • वर-वधू के लग्न स्वामी और चंद्र राशि स्वामी के बीच शत्रुता हो तो इसे ग्रह-मित्रता दोष कहते हैं।
  • निवारण: यदि शुभ दृष्टि या परस्पर उच्च राशि स्थान हो तो दोष समाप्त।

English:
When Lagna lords or Moon sign lords are enemies. Neutralized by benefic aspects or exalted placements.


मुख्य संदेश – 95% मामलों में दोष वास्तविक नहीं होते

  • शास्त्रीय नियम कहते हैं कि केवल 9 ग्रहों, 27 नक्षत्रों और लग्न-नवांश के आधार पर संपूर्ण विचार करना चाहिए।
  • अधिकतर विवाह-बाधा का भ्रम अपूर्ण ज्ञान या केवल 36 गुण मिलान के आधार पर निर्णय लेने से होता है।
  • जनम नक्षत्र मिलान अकेला पर्याप्त नहीं है।
  • जब 9 ग्रहों, नक्षत्रों और राशियों का पूर्ण परीक्षण होता है, तब 95% मामलों में कथित दोष शास्त्रीय अपवादों से समाप्त हो जाते हैं।

English:
Scriptures require analysis of 9 planets, 27 nakshatras, Lagna, and Navamsha. Most marriage obstacles arise from incomplete matching based only on 36 guna points. Full planetary analysis often removes 95% of supposed doshas due to scriptural exceptions.


 

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श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...