28 जून 2025 -नए वस्त्र, चूड़ी, आभूषण या नई वस्तुएं प्रयोग/धारण करें, तो उसका भविष्य फल क्या होगा?📿 वार स्वामी: शनिवार, आश्लेषा नक्षत्र, और चतुर्थी तिथि
🌸 शुभ प्रयोग हेतु प्रश्न:
यदि 28 जून 2025 को - नए वस्त्र, चूड़ी, आभूषण या नई वस्तुएं प्रयोग/धारण करें, तो उसका
भविष्यफल क्या होगा?
भविष्य में सौभाग्य, सफलता और मानसिक संतुलन कैसे देगा –
. घर में वस्तु रखना (Keeping the Item at Home):
अगर कोई वस्तु घर में रखी जाए, और वह शुभ न हो या सही समय पर न हो, तो इसके प्रभाव इस प्रकार हो सकते हैं:
- वातावरण
में अशांति (Disturbance in Atmosphere):
If the object is negative, it can create disturbance and tension in the home environment. This could lead to family conflicts and emotional stress among the household members. - आर्थिक
संकट (Financial Troubles):
If the object is inauspicious, it may bring a decline in wealth and financial troubles. The presence of such objects can lead to financial instability in the home. - स्वास्थ्य
समस्याएँ (Health Issues):
A negative item in the house can cause physical and mental issues. It could lead to health-related problems, affecting the well-being of family members. - सामाजिक
और पारिवारिक रिश्तों में गिरावट (Decline in Social and Family Relationships):
A harmful object may bring tension and discord among family members, affecting the harmony and closeness within the family.
2. दुबारा प्रयोग (Reusing the Item):
If an object is reused, especially in critical moments, the following effects may arise:
- भाग्य
का रुकना (Stagnation of Good Fortune):
Reusing an object that was used in negative circumstances before can stop good fortune. It can lead to failure in significant events like exams, interviews, or important occasions. - आत्मविश्वास
में कमी (Loss of Confidence):
Reusing such an item can reduce self-confidence, causing you to feel doubtful or hesitant during crucial moments like decisions or performances. - कष्ट
और असुविधा (Suffering and Inconvenience):
The item might bring inconvenience and misfortune, disrupting daily life and causing unnecessary troubles. - निर्णय
लेने में समस्या (Trouble in Decision Making):
The item may affect your mental clarity, making it hard to make clear decisions during critical times. This could lead to poor choices or missed opportunities.
सारांश (Summary):
- घर में
वस्तु रखना (Keeping an Object at Home):
If an object is inauspicious, it can bring disruption, financial troubles, health issues, and family discord. - दुबारा
प्रयोग (Reusing the Item):
Reusing a negative object can block good fortune, reduce confidence, and bring suffering and inconvenience. It can also impact your ability to make good decisions.
सावधानी (Caution):
Always be mindful of the timing and energy of the objects you
keep at home or reuse, as they have a significant influence on your well-being
and future outcomes.
- श्लोक (आधिकारिक
शास्त्रों में):
"नये वस्त्र आभूषण आदि का प्रयोग शुभ कार्यों के लिए हो, परंतु उनका प्रयोग बिना सही मुहूर्त या समय के अशुभ फल दे सकता है।"
अर्थ:
नया वस्त्र, आभूषण या
चूड़ी पहनना एक शुभ कार्य हो सकता है, लेकिन यह व्यक्ति की व्यक्तिगत कुंडली और
तिथि-मुहूर्त पर निर्भर करता है। अगर यह अशुभ समय (जैसे शनिवार, आश्लेषा
नक्षत्र, और चतुर्थी
तिथि) के साथ हो, तो इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
2. श्लोक
(भद्रबाहु संहिता, ज्योतिष शास्त्र):
"शनिवारे, आश्लेषा नक्षत्र में, तिथि चतुर्थी के दौरान
नए वस्त्र और आभूषणों का प्रयोग परहेज से करना चाहिए।"
अर्थ:
शनिवार को
चंद्रमा की उपस्थिति आश्लेषा नक्षत्र में होने पर,
और
साथ ही चतुर्थी तिथि के दौरान नया शृंगार (वस्त्र,
चूड़ी,
आभूषण)
न पहनना अधिक उचित होता है, क्योंकि यह समय नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- श्लोक
(ज्योतिष सार):
"तिथि चतुर्थी, शनिवार और आश्लेषा नक्षत्र के संयोग में नये वस्त्रों का प्रयोग आत्मिक अशांति और भौतिक समस्याओं को जन्म दे सकता है।"
अर्थ:
चतुर्थी
तिथि और शनिवार का संयोजन विशेष रूप से उन लोगों के लिए अशुभ हो सकता है जो नए
वस्त्र या आभूषण पहनने का विचार कर रहे हैं। इन तिथियों और नक्षत्रों में शांति और
समृद्धि की कामना करते हुए परहेज करना अच्छा रहता है।
संक्षेप में:
- शनिवार
+ आश्लेषा नक्षत्र + चतुर्थी तिथि:
इस समय नया वस्त्र, आभूषण, चूड़ी, श्रृंगार आदि का प्रयोग निषिद्ध या अशुभ माना जाता है। विशेष रूप से महिलाओं के लिए यह अवज्ञा से बचने की सलाह दी जाती है। पुरुषों के लिए भी नवीनीकरण में सावधानी रखने की आवश्यकता है। - प्रामाणिक शास्त्रों के अनुसार यह समय शुभ कार्यों में रुकावट डाल सकता है, इसलिए नए वस्त्रों का प्रयोग इस समय पर टालने की सलाह दी जाती है।
· 1. ब्रज्जताक (Brajatak) मुहूर्त:
· ब्र ज्योतिष शास्त्र में मुहूर्तों के निर्धारण के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें प्रत्येक तिथि, नक्षत्र और ग्रहों की स्थिति के आधार पर शुभ-अशुभ समय का उल्लेख है। ब्रज्जताक में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि शनिवार, आश्लेषा नक्षत्र, और चतुर्थी तिथि में किसी भी प्रकार के नए वस्त्र, आभूषण, या शृंगार का प्रयोग अशुभ हो सकता है। यह समय वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार और व्यक्तिगत शृंगार के लिए अनुकूल नहीं माना जाता।
·
श्लोक (ब्रज्जताक मुहूर्त):
"शनिवारे
चतुर्थी तिथे, आश्लेषा
नक्षत्रे न वस्त्राणि न च श्रृंगारम्।"
अर्थ:
शनिवार, चतुर्थी
तिथि और आश्लेषा नक्षत्र के समय नए वस्त्र पहनने और आभूषणों का उपयोग नहीं करना
चाहिए क्योंकि यह समय शारीरिक और मानसिक अशांति का कारण बन सकता है।
· 2. चिंतामणि ग्रंथ:
· चिंतामणि ग्रंथ एक प्रसिद्ध ज्योतिष शास्त्र है, जिसमें विभिन्न ग्रहों की स्थिति, तिथि, और नक्षत्रों के प्रभावों का विश्लेषण किया गया है। इसमें विशेष रूप से नए वस्त्र और आभूषण के प्रयोग पर भी चर्चा की गई है।
·
चिंतामणि ग्रंथ में श्लोक:
"नव वस्त्र
आभूषणं यदा तिथे चतुर्थ्यां, शनिवारे चाश्लेषा नक्षत्रे न शृंगारो
माङ्गल्यं।"
अर्थ:
चिंतामणि
ग्रंथ के अनुसार, चतुर्थी
तिथि, शनिवार, और आश्लेषा
नक्षत्र के संयोग
में नए वस्त्र, आभूषण, या चूड़ी
पहनना अशुभ और नकरात्मक प्रभाव डालता है। इस समय के दौरान शृंगार करना शुभ नहीं
होता क्योंकि यह शुभ कार्यों में विघ्न डाल सकता है।
· 3. अन्य ज्योतिष ग्रंथ (ज्योतिष सार, भाग्यदर्शन):
· ज्योतिष सार और भाग्यदर्शन जैसे ग्रंथों में भी इस समय (शनिवार + चतुर्थी + आश्लेषा) का प्रयोग विशेष रूप से निषेधित किया गया है। इन ग्रंथों में सावधानी और उपवासी व्रतों के पालन का निर्देश दिया गया है।
·
श्लोक (ज्योतिष सार):
"आश्लेषा
नक्षत्रे चतुर्थ्यां शनिवारे न वस्त्राणि वस्त्रदायिनीं।"
अर्थ:
ज्योतिष सार
के अनुसार, इस समय नया वस्त्र पहनने से
विशेष रूप से बचना चाहिए, क्योंकि यह समय सामाजिक और
मानसिक अशांति का कारण बन सकता है।
· 4. सारांश:
· इन सभी ग्रंथों (ब्रज्जताक, चिंतामणि, ज्योतिष सार, भाग्यदर्शन) से यह स्पष्ट है कि शनिवार, आश्लेषा नक्षत्र, और चतुर्थी तिथि के दौरान नया वस्त्र, आभूषण, या चूड़ी पहनना अशुभ माना जाता है। इस समय को परहेज और साधना का समय माना जाता है, और इसे ध्यान और साधना की दिशा में प्रयोग करना चाहिए।
·
सावधानी:
इस दिन और
समय में किसी भी प्रकार के शृंगार और नए वस्त्रों का प्रयोग न करने से आपके जीवन
में स्थिरता और शांति बनी रहती है।
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