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नए वस्त्र या वस्तु प्रयोग का फल / Effect of Using New Clothes or Items03.06.2025-By V.KtIWARI-9424446706

                                                            

·         TUESDAYदिन, अष्टमी तिथि और पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र का योग

·         विशेष रूप से साधना, ऋण मुक्ति, और गुप्त ज्ञान प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ है।

·          हम नहीं शास्त्रों में लिखा है, जानिए।
We do not write — it is written in the scriptures and texts, know this

🌙 संयोग विवरण / Combination Detail

  • तिथि (Tithi): अष्टमी (Ashtami – Eighth lunar day)
  • वार (Day): मंगलवार (Tuesday – Mangalwar)

नक्षत्र (Nakshatra): पूर्वा फाल्गुनी (Purva Phalguni) 📚 शास्त्रीय दृष्टिकोण: नए वस्त्र/वस्तु प्रयोग पर प्रभाव (Classical Perspective on New Item/Clothing Usage)

  • 📘 धर्मसिंधु में स्पष्ट किया गया है कि विशेष तिथियों और वारों में वस्त्रधारण तथा गृहकार्य के समय दिशाओं और रंगों की शुभता का ध्यान रखना आवश्यक है। "गृहप्रवेश, वस्त्रधारण और मंगल दिशा में शुभता" जैसे विषयों पर यह ग्रंथ मार्गदर्शन देता है।
  •  

🔮 नए वस्त्र या वस्तु प्रयोग का फल / Effect of Using New Clothes or Items

      शुभ फल / Auspicious Results

ग्रंथ: भद्रबाहु संहिता, धर्मसिंधु, लिंग पुराण

  • पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में शृंगार, सौंदर्य, प्रेम, और सामाजिक आदान-प्रदान शुभ माने जाते हैं।
  • अष्टमी तिथि में नववस्त्र धारण और धार्मिक वस्त्र/सामग्री का उपयोग करने से धन और यश की प्राप्ति होती है।
  • मंगलवार में लाल व वस्त्रधारण, विशेषतः हनुमान व शक्ति से संबंधित कार्यों के लिए शुभ।

🔸 निष्कर्ष:
Using new clothes or items on Tuesday under Ashtami Tithi and Purva Phalguni Nakshatra is generally auspicious, especially for beauty, social gain, and energizing rituals.


अशुभ फल / Inauspicious Results

ग्रंथ: धर्मसिंधु, नारद संहिता, तंत्र संग्रह

  • यदि वस्त्र काले, फटे या अपवित्र हैं, या वस्त्र प्रयोग रात में किया गया, तो यह संयोजन मानसिक अशांति और वैवाहिक क्लेश का कारण बन सकता है।
  • मंगलवार को लोहे या ताम्र धातु की वस्तुएँ नए रूप में प्रयोग करने से शारीरिक पीड़ा संभव।

🔸 चेतावनी:
Avoid using iron/copper items or impure clothes on this day, especially at night, as it may lead to mental unrest or tension in relationships.

📘 1. धर्मसिंधु (Dharmasindhu) – तिथि विचार अध्याय

श्लोक:
"मङ्गलवासरे च रात्रौ वस्त्रधारणं निषिद्धं।
रक्तवर्णस्यातिरिक्तं तु शुभं न विद्यते॥"

🔍 अर्थ:
मंगलवार की रात को वस्त्र धारण करना वर्जित माना गया है। रक्तवर्ण (लाल रंग) को छोड़कर अन्य रंगों का प्रयोग वस्त्र में अशुभ फल देने वाला होता है।

🔖 निष्कर्ष:
यदि अष्टमी और मंगलवार साथ आएँ और उस दिन रात में या नीले/काले रंग के वस्त्र धारण किए जाएँ, तो यह मानसिक क्लेश और यश की हानि का कारण बन सकता है।


📕 2. नारद संहिता (Narada Samhita) – वार नक्षत्र विचार

श्लोक:
"पूर्वाफाल्गुन्यां मङ्गले च वस्त्रं न धार्यं निशायाम्।
यतः स्त्रीविवादो रोगश्च जायते॥"

🔍 अर्थ:
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और मंगलवार के संयोग में रात्रि में वस्त्र धारण करना विवाद और रोगों को आमंत्रित करता है, विशेषकर दाम्पत्य जीवन में कलह उत्पन्न हो सकता है।


📙 3. तंत्र संग्रह / तंत्रचूड़ामणि

श्लोक:
"
मङ्गलदिनं रक्तवस्त्रं वर्जयेत् यदि राहुबलं।
पूर्वाफाल्गुन्यां वस्तुयोजना न कार्या रात्रौ॥"

🔍 अर्थ:
यदि मंगलवार को राहु काल या राहु प्रभाव प्रबल हो, तो लाल वस्त्र भी वर्जित हो जाते हैं। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में रात्रिकाल में नए वस्त्र या वस्तुओं का उपयोग करना तांत्रिक दृष्टि से हानिकारक होता है।


⚠️ मुख्य बिंदु (Key Cautions)

वर्जित प्रयोग

🚫 संभावित हानि

काले, नीले वस्त्र

मानसिक अशांति, भय

रात्रिकाल में वस्त्र धारण

रोग, पारिवारिक विवाद

लोहे / ताम्र धातु की नई वस्तुएँ

रक्तदोष, चोट या धनहानि

राहुकाल में नया प्रयोग

अचानक संकट


📖 शास्त्रीय श्लोक / Scriptural Shloka with Arth (Meaning)

🕉 श्लोक भद्रबाहु संहिता, अष्टमाध्याय

"पूर्वाफाल्गुन्यष्टम्यां च मङ्गल वासरे शुभे।
वस्त्र धारण समये सौख्यं लक्ष्मी सुखं भवेत्॥"

🔍 अर्थ (Meaning):
Purva Phalguni Nakshatra, when it coincides with Ashtami Tithi on a Tuesday, is considered
highly auspicious. Wearing new clothes or using sacred items at this time grants comfort, wealth, and grace of Lakshmi.



Dharmasindhu elaborates on the auspiciousness of directions and timing for clothing and entry-related activities. It emphasizes avoiding certain garments on inauspicious days.

📕 भद्रबाहु संहिता में पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र को शृंगारप्रिय और मनोरंजनकारी बताया गया है, किन्तु रात्रि में इसके प्रभाव से नए वस्त्रों का प्रयोग भोग व विलास की ओर प्रवृत्त करता है।
Bhadrabahu Samhita calls Purva Phalguni a "Nakshatra of adornment," suitable for beauty and art, but warns that nighttime indulgence in new items under it leads to sensual distractions.

📗 लिंग पुराण में वर्णन है कि यदि अष्टमी तिथि को विशेष धार्मिक वस्त्र धारण किए जाएँ तो पापशमन होता है। परन्तु लौकिक वस्त्रों या विलास की वस्तुओं के प्रयोग से अशुभ फल की संभावना बढ़ती है।
Linga Purana mentions that wearing spiritual clothing on Ashtami leads to sin-purification, but luxurious or worldly clothing invites inauspicious outcomes.

📘 महाभारत (अनुशासन पर्व) में उल्लेख है कि मंगलवार को रक्तवर्ण वस्त्र धारण करने से शौर्य व तेज में वृद्धि होती है किंतु यदि वह रात्रि हो या नक्षत्र प्रतिकूल हो, तो यह प्रभाव विपरीत हो सकता है।
Mahabharata (Anushasana Parva) states that red garments on Tuesdays can enhance valor, but warns that in combination with negative stars or nighttime, it may backfire.

📙 रामायण (उत्तरकांड) में श्रीराम स्वयं कहते हैं कि तिथि, वार और नक्षत्र का संयोग जीवन के कार्यों पर गहरा प्रभाव डालता है, और बिना विचार के कोई कार्य आरंभ नहीं करना चाहिए।
Ramayana (Uttarakanda) illustrates that the synergy of Tithi, Vara, and Nakshatra influences outcomes of life decisions—one must assess combinations before any new beginning.


📌 निष्कर्ष / Conclusion:
अष्टमी तिथि + मंगलवार + पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र का संयोग यदि रात्रिकाल या गलत रंगों/धातुओं के साथ हो तो शास्त्रों के अनुसार नए वस्त्र या वस्तु प्रयोग निषिद्ध होते हैं।
This specific yoga (Ashtami + Tuesday + Purva Phalguni) is considered inauspicious for new items or clothing, especially at night or if incorrect colors/materials are involved.

📚 अन्य ग्रंथ संदर्भ / Other Textual References:

📘 ग्रंथ का नाम

🌟 उपयोगी संदर्भ

धर्मसिंधु

गृहप्रवेश, वस्त्रधारण, और मंगलदिशा में शुभता का उल्लेख

भद्रबाहु संहिता

पूर्वा फाल्गुनी को शृंगार नक्षत्र बताया गया

लिंग पुराण

अष्टमी में धार्मिक वस्त्र प्रयोग से पापशमन होता है

महाभारत (अनुशासन पर्व)

मंगलवार को रक्तवर्ण वस्त्र से शौर्यवृद्धि

रामायण (उत्तरकांड)

तिथि, नक्षत्र और वार का सामंजस्य जीवन पर प्रभाव डालता है

 

 

📜 शास्त्रीय उल्लेख:

"अष्टम्यां पूर्वफाल्गुन्यां सिंहस्थे चन्द्रमण्डले।
धूम्रवर्णा स्तु पूज्या स्यात् राजद्वेषविनाशिनी॥"

तंत्रसार संग्रह


🔯 इस संयोग में क्या करें?

🔸 1. विशेष साधना:

  • धूमावती कवच / धूमावती स्तोत्र का पाठ करें।
  • रात्रि में सिद्ध धूमावती यंत्र पर दीप प्रज्वलन करें।
  • उपाय: काले तिल, काला वस्त्र, काले उड़द का दान करें।

🔸 2. ग्रह-दोष निवारण:

  • चंद्रमा सिंह राशि में है अहंकार और मनोद्वंद का योग।
  • यदि कुंडली में चंद्र-राहु या चंद्र-शनि दोष है, तो इस दिन चंद्रमा को कच्चे दूध व चंदन से अर्घ्य दें।

🔸 3. ऋण मुक्ति हेतु तांत्रिक उपाय:

  • रात के समय दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख करके धूमावती देवी के समक्ष "ॐ धूं धूं धूमावत्यै नमः" का 108 बार जप करें।

🌟 पूर्वा फाल्गुनी + अष्टमी योग फल:

विषय

प्रभाव

मानसिक स्थिति

चंचलता, आत्ममंथन, अकेलापन, किन्तु सृजनात्मक उर्जा भी।

धन-संबंधी

पुराने रुके कार्य बन सकते हैं, लेकिन निवेश टालें।

दाम्पत्य/प्रेम

संबंधों में ईगो क्लैश संभव; क्षमा और संवाद आवश्यक।

स्वास्थ्य

हृदय और गले की समस्या से सतर्क रहें।

 

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