📜 गुरुवार, हस्त नक्षत्र, दशमी तिथि पर नए वस्त्र/वस्तु प्रयोग एवं गंगा दशहरा का महत्व 📜
(शास्त्रीय प्रमाण सहित, संक्षिप्त वर्णन)
🪔 🌊 गंगा दशहरा विशेष विवरण – स्कन्द,
पद्म, ब्रह्मवैवर्त आदि पुराणों पर आधारित 🌊
🔱 कथा, इतिहास, शास्त्रीय
महत्त्व, मंत्र, पूजन विधि सहित
📖 १. गंगा दशहरा क्या है?
गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाता है। इस दिन माँ गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। "दशहरा" शब्द का अर्थ है – दस प्रकार के पापों का हरण (नाश)। इस दिन माँ गंगा के दर्शन, स्नान, दान, जप आदि से शारीरिक, वाणी और मन के दस प्रकार के पापों का क्षय होता है।
📜 २. गंगा अवतरण की कथा – शास्त्रीय प्रमाण सहित:
🔷 प्रमुख स्रोत:
- स्कन्द पुराण (ऋषिपुत्रों संवाद, गंगा महात्म्य अध्याय)
- पद्म पुराण (सृष्टिखण्ड, अध्याय ३२)
- ब्रह्मवैवर्त पुराण (कृष्णजन्म खण्ड)
- वाल्मीकि रामायण (बालकाण्ड)
✨ संक्षिप्त कथा:
राजा सगर ने एक अश्वमेध यज्ञ किया, परंतु इन्द्र ने उसका घोड़ा कपिल मुनि के आश्रम में बाँध दिया। राजा सगर के ६०,००० पुत्र उसे खोजते हुए वहाँ पहुँचे और मुनि पर घोड़ा चुराने का आरोप लगाया। क्रोधित होकर कपिल मुनि ने उन्हें भस्म कर दिया। उनकी मुक्ति के लिए उनकी संतति अंशुमान, दिलीप और फिर राजा भगीरथ ने कठिन तप किया।
भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने गंगा को पृथ्वी पर भेजने की अनुमति दी, पर गंगा के वेग को संभालने के लिए महादेव जी ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर पृथ्वी पर उतारा।
📖 श्लोक (स्कन्द पुराण):
"गङ्गा जगन्माता पुनीहि मेऽखिलं, त्रैलोक्यपावनगतिः
सदा नमाम्यहम्।"
अर्थ: माँ गंगा सम्पूर्ण जगत की माता हैं,
जो तीनों लोकों को पवित्र करती हैं। मैं उनका वंदन करता हूँ।
📖 वाल्मीकि रामायण (बालकाण्ड ४४.२६):
"गङ्गां त्रैलोक्यतिलकां धरण्यां धरणीधरः।"
अर्थ: जो गंगा तीनों लोकों की शोभा हैं,
उन्हें धरती पर लाने का कार्य धरती के भार को उठाने वाले शिव ने किया।
📿 ३. पूजन विधि (संक्षिप्त)
🛕 स्नान व पूजन विधि:
1. प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करें।
– गंगा उपलब्ध न हो तो गंगाजल युक्त जल से स्नान करें।
2. “ॐ नमो भगवत्यै गङ्गायै त्रैलोक्यपावनायै स्वाहा।” मंत्र से स्नान करें।
3. मां गंगा की प्रतिमा या चित्र का पूजन करें।
4. पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें।
5. गंगा अष्टक अथवा गंगा स्तोत्र का पाठ करें।
📖 गंगा स्तोत्र मंत्र (स्कन्द पुराण):
"देवि सुरेश्वरी भागीरथि त्रिभुवनतारिणि तरलतरंगे।
शङ्करमौलिविहारिणि विमल चरणे मम मतिरास्तां तव पदकमले॥”
🎁 दान-विधान:
- दस प्रकार के दान का विधान है: अन्न, वस्त्र, जल, पंखा, चप्पल, छाता, तिल, गुड़, शक्कर, घी।
- ब्राह्मणों को भोजन व दक्षिणा दें।
🧘 ४. गंगा स्नान एवं पूजन से लाभ:
📜 शास्त्रीय श्लोक (स्कन्द पुराण)
"दश पापप्रकाराणां हरणात दशहरा स्मृता।
गङ्गास्नाने कृते तत्र मुच्यते सर्वकिल्बिषैः॥"
अर्थ: दस प्रकार के पापों के हरण के कारण इसे दशहरा
कहते हैं। गंगा स्नान से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
📜 ब्रह्मवैवर्त पुराण:
"गङ्गा जलं यः पिबति प्रयत्नात्, स याति
विष्णोः परमं पदं ध्रुवम्।"
अर्थ: जो श्रद्धा से गंगाजल ग्रहण करता है,
वह निश्चित रूप से विष्णुलोक को प्राप्त करता है।
🔱 ५. विशेष मंत्र:
📿 गंगा आवाहन मंत्र:
“ॐ ह्रीं गंगे ह्रीं स्वाहा”
या
“ॐ नमः शिवाय नारायण्यै दशहरायै गङ्गायै नमः।”
📿 गंगा अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ भी पुण्यदायक होता है।
गंगा दशहरा का दिन, विशेषतः यदि हस्त नक्षत्र व गुरुवार को पड़े, तो यह दिन अत्यंत पाप-नाशक, पुण्यदायक और आत्मिक शुद्धि हेतु श्रेष्ठतम होता है।
१. गुरुवार-दशमी-हस्त नक्षत्र में नए वस्त्र/वस्तु प्रयोग — शास्त्रीय प्रमाण:
🔹 गुरुवार – बृहस्पति का दिन है,
जो ज्ञान, धर्म, धन एवं
गुरु-कृपा से संबंधित है।
🔹 हस्त नक्षत्र – शुभ कर्म, आरंभ, वस्त्र, भूषण, हस्तकला, सेवा कार्य के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
🔹 दशमी तिथि – विजय प्राप्ति, नूतन आरंभ, नूतन व्यापार एवं उपयोग हेतु अति
कल्याणकारी तिथि मानी गई है।
📖 शास्त्रीय प्रमाण:
➡️ “दशमी विजयायै शक्रेण स्वीकृता तिथि।”
– (निर्णयसिन्धु)
अर्थ: दशमी तिथि को इन्द्रदेव ने विजय हेतु
स्वीकार किया, यह शुभता का प्रतीक है।
➡️ “हस्ते कर्म च वैश्रवणे, वस्त्रालंकारसाधनम्।”
– (ज्योतिषार्णव)
अर्थ: हस्त नक्षत्र में वस्त्र एवं अलंकार आदि
का प्रयोग श्रेष्ठ फलदायक होता है।
📌 निष्कर्ष: यदि गुरुवार को हस्त नक्षत्र और दशमी तिथि संयोग हो, तो यह दिन नये वस्त्र, आभूषण, औजार, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं आदि के प्रयोग या क्रय हेतु अत्यंत शुभ होता है। विशेषकर धर्म, व्यापार, सेवा और विद्या से जुड़े लोगों हेतु।
🌊 २. गंगा दशहरा (गंगा अवतरण का पर्व) — कार्य, पूजा, संक्षिप्त विधि और मंत्र
📅 तिथि: ज्येष्ठ शुक्ल दशमी
🔯 नक्षत्र: अधिकतर हस्त या मृगशिरा में
आता है
📖 स्रोत: स्कन्द पुराण, पद्म पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण
🔆 महत्व एवं कार्य:
गंगा दशहरा को भगवती गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। इस दिन गंगाजल स्पर्श या स्नान से दस प्रकार के पापों का नाश होता है – तीन कायिक, चार वाचिक, तीन मानसिक।
📖 “दशहरे दिवसे स्नानं, दश पाप
विनाशनम्।”
– (स्कन्द पुराण)
अर्थ: गंगा दशहरा पर स्नान करने से दस पापों
का क्षय होता है।
🙏 संक्षिप्त पूजा विधि:
1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. गंगा जल मिश्रित जल से स्नान करें (यदि गंगा समीप न हो, तो पात्र में गंगाजल डालकर स्नान करें)।
3. गंगा माँ का ध्यान करके यह मंत्र बोलें:
📿 गंगा पूजन मंत्र:
“ॐ नमो भगवत्यै गङ्गायै त्रैलोक्यपावनायै स्वाहा।”
या
“ॐ ह्रीं गंगे ह्रीं नमः”
4. पुष्प, अक्षत, धूप, दीप से पूजा करें।
5. गंगा स्तोत्र या गंगा आरती का पाठ करें।
6. दस प्रकार के दानों का विधान है — जैसे जल, अन्न, वस्त्र, पंखा, जूते, umbrella, आदि।
📘 लाभ:
- रोगनाश, दरिद्रता निवारण, पितृशांति, वंशवृद्धि
- मानसिक शांति, पुण्य संचय
- नए कार्यों के लिए शुभ आरंभ और दुर्भाग्य निवारण
👉 विशेष:
यदि गुरुवार, दशमी तिथि और हस्त नक्षत्र का
संयोग गंगा दशहरा से हो, तो यह त्रिगुणित शुभफल देता है। इस
दिन किया गया कोई भी नूतन आरंभ अथवा क्रय दीर्घकालिक सफलता का वाहक होता है।
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