संकष्टी चतुर्थी: गणेश पूजन? कौन और कैसे करें?14.6.2025✨ Sankashti Chaturthi: Worship Lord Ganesha? Why, Who Should and How?By-Pt.V.k.Tiwari94244467026
✨ संकष्टी चतुर्थी: गणेश पूजन? कौन और कैसे करें?✨ Sankashti Chaturthi: Worship Lord Ganesha? Why, Who Should and How?
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शुभता के लिए शरण गणेश की — विघ्नों का नाश, जीवन में प्रकाश।
🪔 For peace and prosperity — seek Ganesha’s grace to erase
every obstacle गणेश (संकष्टी )पूजन- चतुर्थी दोष निवारण (Ganesh Puja for Chaturthi Dosha)
संकष्टी चतुर्थी पर गणेश पूजन कौन और क्यों करें?
🕉️ Who Should Perform Ganesh Puja on Sankashti Chaturthi and Why?
🔸 हिंदी
(Hindi):
यदि किसी व्यक्ति का जन्म चतुर्थी
तिथि (शुक्ल
या कृष्ण पक्ष) को हुआ हो, अथवा
उसकी जन्म
राशि तुला, मकर, कर्क, सिंह, या मीन
हो, या
उसका जन्म पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, कृत्तिका, आश्लेषा, स्वाती, चित्रा
(3–4 चरण), या
श्रवण नक्षत्र में
हुआ हो, तो
शास्त्रों में उसे गणेश
पूजन अनिवार्य बताया
गया है।
गणेश पूजन से चतुर्थी जन्मदोष, ग्रहपीड़ा, विघ्न-बाधाएं, एवं संकटों से सुरक्षा मिलती है।
विशेषकर संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजन करने से अशुभ ग्रहदोषों का शमन होता है और कार्यों में
सफलता प्राप्त होती है।
🔸 अंग्रेज़ी
(English):
If a
person is born on the Chaturthi Tithi (4th lunar day of either Paksha),
or has birth signs like Libra, Capricorn, Cancer, Leo, or Pisces, or is
born under nakshatras like Purvashada, Uttarashada, Krittika, Ashlesha,
Swati, Chitra (3rd–4th padas), or Shravana, then Ganesh Puja on Sankashti
Chaturthi is essential as per scriptures.
It helps neutralize Chaturthi birth dosha, planetary afflictions, and
unseen obstacles.
Especially on Sankashti Chaturthi, the Puja is said to remove blockages,
negativity, and ensure auspicious success in undertakings.
📚 शास्त्रीय
प्रमाण (Scriptural Reference):
"चतुर्थी जन्मदोषे गणाधिप पूजनं विघ्ननाशाय स्यादिति
सिद्धान्तः" — निर्णयसिन्धु
"He
who is born on Chaturthi must worship Ganesha to remove obstacles" — Nirnaya Sindhu
1️⃣ जन्म राशि (Janma Rashi)
यदि किसी व्यक्ति की जन्म राशि तुला, मकर, कर्क, सिंह या मीन हो, तो संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश पूजन करना आवश्यक है।
If a
person's birth sign is Libra, Capricorn, Cancer, Leo, or Pisces, performing
Ganesh Puja on Sankashti Chaturthi is essential.
2️⃣ जन्म नक्षत्र (Janma Nakshatra)
पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, कृत्तिका, आश्लेषा, स्वाती, चित्रा (3-4 चरण), और श्रवण नक्षत्र में जन्म होने पर गणेश पूजन आवश्यक है।
If born
under the nakshatras Purvashada, Uttarashada, Krittika, Ashlesha, Swati, Chitra
(3rd–4th padas), or Shravana, Ganesh Puja is essential.
3️⃣ जन्म तिथि (Janma Tithi)
यदि जन्म शुक्ल या कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ हो, तो यह गणेश पूजन हेतु विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है।
If the
birth occurred on the 4th lunar day (Shukla or Krishna Paksha), Ganesh Puja
becomes especially important.
4️⃣ नाम का प्रारंभिक अक्षर (Name Initial Syllables)
यदि नाम का पहला अक्षर भू, धा, फा, ढा, भे, भो, जा, डी, डु, रू, पे, पो, खा आदि हो, तो गणेश पूजन आवश्यक है।
If the
name begins with syllables like Bhu, Dha, Pha, Dha, Bhe, Bho, Ja, Dee, Du, Roo,
Pe, Po, Kha, etc., Ganesh Puja is essential.
🕉️ पूजन विधि (Ganesh Puja Method)
गणेश जी को दूर्वा, सिंदूर, घी दीपक, और मोदक अर्पण करें। ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का 108 बार जप करें।
Offer
Durva grass, Sindoor, ghee lamp, and Modak to Lord Ganesh. Chant ‘Om Gam
Ganapataye Namah’ 108 times.
📜 शास्त्रीय प्रमाण (Scriptural References)
बृहत्संहिता, कालामृतम्, गणेश पुराण, निर्णयसिन्धु, व्रतार्क में इसका निर्देश मिलता है।
This is
instructed in Brihat Samhita, Kalamritam, Ganesh Purana, Nirnaya Sindhu, and
Vratark texts.
📚 विस्तृत शास्त्रीय प्रमाण (Detailed Scriptural References)
गणेश पूजन, तथा कुछ विशेष नक्षत्रों, राशियों और तिथियों में जन्म लेने वाले व्यक्तियों के लिए दोष निवारण विधान का उल्लेख है।
📜 1. बृहत्संहिता – अध्याय 27, "वस्त्रदानादि निषेध"
श्लोक:
"पूर्वाषाढायां न वस्त्राणि न धातूनि न भूषणम्।
ग्रहपीडां प्रदद्याच्च
रोगशोकार्तिमान् भवेत्॥"
अर्थ: पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में नए वस्त्र, धातु
या आभूषण का दान या प्रयोग वर्जित है; इससे ग्रहपीड़ा, रोग एवं शोक की आशंका रहती है।
✅ इस प्रकार के निर्देशों में जन्म नक्षत्र विशेष का
प्रभाव और उससे जुड़े दोषों को टालने हेतु पूजन, मंत्र, उपाय का संकेत मिलता है।
📚 2. कालामृतम् – अध्याय 13 (चंद्रकला विचार)
उद्धरण:
"चतुर्थी तिथौ जन्म वा
विशेषेण वक्रग्रहयुक्ते वा चंद्रे गणपतिपूजनं विघ्ननाशाय"।
भावार्थ: यदि जन्म चतुर्थी तिथि को हुआ हो या जन्म समय पर चंद्रमा वक्रग्रहों (राहु, केतु, शनि) से पीड़ित हो, तो गणेश पूजन अनिवार्य माना गया है।
📖 3. गणेश पुराण – उपासना खंड
श्लोक:
"चतुर्थ्यां यो न पूजयेत्
विघ्नराजं विनायकम्।
स नश्येत् विघ्नमग्नोऽसौ
दुःखार्तः सर्वकर्मसु॥"
अर्थ: जो व्यक्ति चतुर्थी को गणेशजी का पूजन नहीं करता, वह विघ्नों में फँसता है और समस्त कार्यों में दुःख और विफलता पाता है।
📘 4. निर्णयसिन्धु – व्रत निर्णय, गणेश पूजन प्रसंग
विधान:
"चतुर्थी जन्मदोषे गणाधिप पूजनं विघ्ननाशाय स्यादिति
सिद्धान्तः।"
✅ जन्मदोष विशेषतः चतुर्थी तिथि, चंद्रदोष, अथवा अशुभ नक्षत्रों से संबंधित हो तो गणेश पूजन करने से विघ्न नाश होता है।
📒 5. व्रतार्क (व्रतरत्नाकर) – संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा
विवरण:
संकष्टी चतुर्थी को विशेष महत्व दिया गया है।
"सर्वदोषहरं पुण्यं संकष्टहरणं परम्।
चतुर्थ्यां विघ्ननाशाय पूज्यते
गणनायकः॥"
✅ सभी प्रकार के दोष, विशेषतः जन्म काल दोषों से मुक्ति हेतु यह व्रत और पूजन अत्यावश्यक बताया गया है।
Detailed Information-https://ptvktiwari.blogspot.com/2025/06/blog-post_13.html
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