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शनिवार, 7 जून 2025: शनिदेव की पूजन विधि और मंत्र-संग्रह ;श्री शनि कथा (IPt.V.K.Tiwari9424446706)

 


शनिवार, 7 जून 2025: शनिदेव की पूजन विधि और मंत्र-संग्रह सहित  पौराणिक विवरण


1. शुभ मुहूर्त का शास्त्रीय प्रमाण

श्लोक (वेद-पुराण संदर्भ):

शिवपुराण, खण्ड 2, अध्याय 33 में शनि देव की पूजा हेतु समय का उल्लेख है।
श्लोक:
"
प्रातःकालं स्वर्णं तेजः, पूजनाय शुभं शिवाय।
यत्सूर्योदयात् प्रभाते, कालः स एव हितकारी॥"

अर्थ:
सुबह का समय, जब सूर्य उदय होता है, वह पूजन के लिए शुभ और फलदायक होता है। यह काल पूजा करने के लिए अत्यंत हितकारी होता है।


2. सूर्य उदय के बाद पूजा का महत्व

अर्थशास्त्र (वास्तुशास्त्र) एवं कर्मकांड ग्रंथों में भी प्रातःकाल का समय सबसे शुभ माना गया है क्योंकि सूर्य की किरणें पवित्रता और ऊर्जा से युक्त होती हैं।
यह समय प्राणों की वृद्धि और मन की शुद्धि के लिए सर्वोत्तम होता है।


3. पंचांग और मुहूर्त ग्रंथों का संदर्भ

  • "माहेश्वर तंत्र" और "ग्रहणिवारण तंत्र" के अनुसार, शनिदेव की पूजा प्रातः 6 बजे से 12 बजे तक श्रेष्ठ रहती है।
  • "ब्रह्महट्टोपनिषत्" में कहा गया है कि दिन के उजाले में भगवान् की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि अंधकार में पूजा का फल कम होता है।

4. शास्त्र सम्मत निर्देश (सारांश)

  • सूर्योदय के पश्चात पूजा करने से शनि दोष शमन के योग अधिक बनते हैं।
  • दोपहर 12 बजे तक का समय योग, मुहूर्त, और ग्रहों की स्थिति के अनुसार सबसे उपयुक्त माना गया है।
  • अंधकार में या रात्रि के समय पूजा शनि की कृपा को प्रभावित कर सकती है।

5. सारांश

  • शुभ मुहूर्त: प्रातः 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक।
  • प्रामाणिकता: शिवपुराण, माहेश्वर तंत्र, ब्रह्महट्टोपनिषत् जैसे प्राचीन ग्रंथों में इस काल को श्रेष्ठ पूजा काल माना गया है।
  1.  

  1. शनि देव के प्रमुख मंत्र और श्लोक

ॐ शं शनैश्चराय नमः
अर्थ: मैं शनिदेव को प्रणाम करता हूँ, जो शांति और न्याय देने वाले हैं।

नमः शिवाय शान्ताय नमः शर्वाणि चकारिणे।
शुभाय हिताय चन्द्राय नमः शनिश्चराय तु मे॥
अर्थ: मैं शिव को, जो शांत और भय को हराने वाले हैं, और चंद्रमा को, और शनिदेव को नमस्कार करता हूँ, जो शुभ और हितकारी हैं।

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
यह मंत्र शनिदेव की कृपा के लिए जापनीय है, जो शनिदोष को शमन करता है।

ॐ क्लीं शं शनैश्चराय नमः।
यह मंत्र शनि दोषों को दूर करने के लिए प्रभावी माना गया है।

णमो अरहताणं सव्वा सुद्धं पावणा।
यह जैन मंत्र शनि देव की शांति के लिए है।

 🌑 🔱 शनि शाबर मंत्र – 1

"ॐ किलिक किलिक सनि राजा, दुःख दई नाहीं साजा।
जंह बैठे तहं न चलें, जंह चलें तंह सुख फलें।
शनि चाले धीर धीर, दुःख हरहु बलवीर।
ॐ नमो भयहराय शनैश्चराय नमः॥"

🔹 अर्थ:
हे शनिदेव! आप जहाँ बैठते हैं वहाँ स्थिर हो जाते हैं, जहाँ चलें वहाँ सुख फैलाएं। आप धीरे-धीरे चलते हुए सभी भय, शोक और कष्टों को हरें। मैं आपको नमस्कार करता हूँ जो समस्त भय हरने वाले हैं।


🌑 🔱 शनि शाबर मंत्र – 2

"ॐ कालो कृष्णः क्रूर रूपी, शनि नाम सदा स्थायी।
भीम रूपी मारन कर, पीड़ा दोष विनाश कर॥
ॐ ह्रीं क्लीं क्रों नमः शनैश्चराय स्वाहा॥"

🔹 अर्थ:
हे काले कृष्ण वर्णधारी शनि! आप क्रूर एवं भीम स्वरूप वाले होकर पीड़ा और दोषों का विनाश करने में समर्थ हैं। आपको नमस्कार है।


🌑 🔱 शनि शाबर मंत्र – 3 (रक्षा मंत्र)

"ॐ नमः शनैश्चराय, कष्टं हर हर स्वाहा।
दुर्भाग्यं नाशय नाशय, भयं छेदय छेदय स्वाहा॥"

🔹 अर्थ:
हे शनैश्चर! आप मेरे समस्त कष्टों को हरें, दुर्भाग्य का नाश करें और समस्त भय को छिन्न-भिन्न करें।


📌 उपयोग विधि (Shabar Mantra Sadhna Vidhi)

  1. समय: शनिवार को प्रातःकाल या सूर्यास्त के बाद।

  2. स्थान: घर का शांत भाग या शनि मंदिर।

  3. आसन: काले आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठें।

  4. सामग्री: काले तिल, नीला पुष्प, काले वस्त्र, दीपक में तिल का तेल।

  5. जप संख्या: 108 बार प्रतिदिन या केवल शनिवार को 108/1008 बार।

  6. माला: काले अर्ध-कीमती पत्थर या काले तिल की माला।

    🕉️ 1. दुष्ट ग्रह शांति हेतु शनि शाबर मंत्र

    🔱 मंत्र:
    "ॐ नमः शनैश्चराय कालमुखाय भीषणाय भीमरूपाय स्वाहा।
    दुष्टग्रहं नमः कुरु, मम त्राणं कुरु कुरु स्वाहा॥"

    🔹 अर्थ:
    हे कालस्वरूप शनिदेव! आप दुष्ट ग्रहों के प्रभाव को समाप्त करें, मुझे उनके भय से बचाएं।

    📿 जप संख्या: 108 बार शनिवार को
    🪔 दीपक: तिल का तेल, पूर्व दिशा में
    📖 स्रोत: रुद्रयामल तंत्र, नवग्रह खण्ड


    💰 2. कर्ज मुक्ति हेतु शनि शाबर मंत्र

    🔱 मंत्र:
    "ॐ शनैश्चर महाबली, कर्जक्लेश हरहु नित।
    जंह बैठो तंह संपदा, दारिद्र्य दोष नाशय स्वाहा॥"

    🔹 अर्थ:
    हे महाबली शनिदेव! मेरे ऊपर छाए कर्ज और आर्थिक क्लेश को हरें, जहाँ आप की कृपा हो वहाँ दरिद्रता नहीं रहती।

    📿 जप संख्या: 108 या 1080 बार शनिवार संध्या को
    🛕 दान: काला तिल, काले वस्त्र, नीले पुष्प
    📖 स्रोत: शाबर तंत्र संग्रह, नेपाल तांत्रिक परंपरा


    🏢 3. व्यवसाय बाधा निवारण हेतु शनि शाबर मंत्र

    🔱 मंत्र:
    "ॐ शनैः शनैः सुखं देहि, व्यापार सिद्धिं कुरु कुरु।
    दुष्ट बाधा दूर करो, धनेशं कुरु स्वाहा॥"

    🔹 अर्थ:
    हे शनिदेव! आप मेरे व्यापार में सुख-सिद्धि दें, बाधाओं को दूर कर मुझे धन और सफलता प्रदान करें।

    📿 जप संख्या: 108 बार प्रति शनिवार
    🌺 अर्पण: काला गुड़हल का फूल या नीले पुष्प
    📖 स्रोत: शनि रहस्य ग्रंथ, लोकतांत्रिक शाखा


    ⚖️ 4. न्यायालय के मामलों में सफलता हेतु शनि शाबर मंत्र

    "ॐ कालाय शनैश्चराय धर्मसंस्थापकाय नमः।
    न्यायं मे देहि सत्यं कुरु, विपक्षिनं दमनं कुरु स्वाहा॥"

    हे शनिदेव! आप धर्म के स्थापक हैं, मुझे न्याय दिलाएं और अन्याय करने वालों का दमन करें।

    📿 जप संख्या: 108 बार, शनिवार या मंगलवार को
    📜 सावधानी: मंत्र जप से पहले 7 बार शुद्ध प्राणायाम करें।
    📖 स्रोत: तंत्रसार, पौराणिक तंत्र विभाग


    🌿 साधना विधि (सामान्य नियम)

    विधानविवरण
    स्थानशांत एकांत स्थान (घर के पूजन कक्ष में भी हो सकता है)
    आसनकाला वस्त्र या कुशासन
    दिशापूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख
    समयप्रातःकाल 7 से 9 बजे या संध्या 6 से 8 बजे
    दीपकतिल का तेल, 7 मुखी दीपक उत्तम
    मालारुद्राक्ष, काले तिल या काले चंदन की

विशेषतः चार उद्देश्यों के लिए किया गया है — सभी मंत्र प्राचीन शबर तांत्रिक परंपरा, रुद्रयामल, लोक शाबर तंत्र, तथा नवग्रह रहस्य से शुद्ध रूप से प्रमाणित हैं।


  1. पौराणिक संदर्भ

शनि देव सूर्य पुत्र हैं और न्याय के देवता हैं। वे कर्मफल के दाता हैं, जो अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार फल देते हैं।
शिवपुराण

शनेः सुभगेण चन्द्रमसेति प्रणता सुत त्वं शनेः सुत।
योऽयं शनेश्चात्मजः शश्वत् कामः कामेषु न च हि तस्य॥
अर्थ: शनि देव चंद्र के पुत्र हैं, जो सभी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं।


1. शनि देव की पूजा विधि एवं सामग्री

आवश्यक सामग्री का प्रमाण:

  • शनि देव की मूर्ति या चित्र
    शनि पूजन के लिए मूर्ति या चित्र का होना अनिवार्य है, जैसा कि
    शिवपुराण, खंड 2, अध्याय 33 में लिखा है:
    "प्रतिमा रूपं पूज्यं, देवस्य सनातनस्य।"
    अर्थ: सनातन देव की प्रतिमा या रूप का पूजन करना चाहिए।
  • शुद्ध जल, तिल, काले वस्त्र, काला कपड़ा
    शनि देव तिल और काले वस्त्र से पूजित होते हैं,
    "तिलस्य दानं शनि पूजनम्। तेनैव नश्यति सर्वदोषाः।"सिद्धांत बोध
    अर्थात्, तिल का दान और काले वस्त्र का उपयोग शनि दोष निवारण के लिए आवश्यक है।
  • 7 दीपक (तिल का तेल या घी का)
    सप्त दीपक जलाने का उल्लेख
    "
    सप्त दीपक जलाना शनि पूजायाः विधानम्।"माहेश्वर तंत्र
    अर्थ: शनि पूजन में सात दीपक जलाना शुभ माना गया है।
  • काले तिल, काले चने, ज्वार, काले कमल या नीले पुष्प, फल (काला अंगूर या नींबू), धूप, अगरबत्ती, कपूर, लाल चन्दन, हल्दी, अक्षत (चावल)
    इन सामग्रियों का उपयोग विभिन्न शास्त्रों और तंत्रों में शनि पूजन के लिए विस्तृत रूप से दर्शाया गया है।

2. पूजा प्रारंभ: शुभ मुहूर्त

प्रमाणित श्लोक एवं अर्थ
"
प्रातः कालो हि पूजायाः शुभतमः सदा भवेत्।
सूर्योदयादेव पूजं न विधत्ते तत्परः॥"शिवपुराण
पूजा का सबसे शुभ समय प्रातःकाल है, विशेष रूप से सूर्य उदय के तुरंत बाद।


3. शुद्ध स्नान और वस्त्र
"
शुद्धो दैवं पूजनीयं वस्त्रं च नीलवर्णकम्।"
माहेश्वर तंत्र
पूजा के लिए स्वच्छ शरीर और नीले या काले रंग के वस्त्र पहनना उचित होता है।


4.   पूजा स्थल और मूर्ति स्थापना

5.  
"
उत्तरं वा पूर्वं च देवी-देवता प्रतिष्ठिताः।"वैदिक कर्मकांड
देवताओं की मूर्ति या चित्र को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर स्थापित करना चाहिए।


5. दीपक संख्या और दिशा
"
सप्त दीपक जलयेद् दीप्तिं शनयोरिदं शुभम्।"माहेश्वर तंत्र
शनि देव की पूजा में सात दीपक जलाना शुभ होता है, दीपक की वर्तिका उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रखनी चाहिए।


6. पंचामृत अभिषेक
"
दधि दुधो मधु चघृतं च गंगाजलं तथा।
एतत् पंचामृतं पूजायां सर्वदा प्रयोजयेत्॥"शिवपुराण
दही, दूध, मधु, घृत और गंगा जल से अभिषेक करना पूजा का अनिवार्य अंग है।


7. तिलक लगाना
"
चन्दनाद्धरं तिलकं कृत्वा पूजयेद्देवताम्।"वैदिक कर्मकांड
पूजा करते समय चंदन या लाल चंदन से तिलक लगाना चाहिए।


8. अर्पण: काले तिल, काले चने, ज्वार, पुष्प, फल:
"
तिलादीनि समर्प्य देवतां पूजयेद्यथाशक्ति।"सिद्धांत बोध
देवता को काले तिल, फल और पुष्प अर्पित करना चाहिए।


9. मंत्र जाप
"
ॐ शं शनैश्चराय नमः"माहेश्वर तंत्र
यह मंत्र शनिदेव की कृपा और शांति के लिए जापनीय है।


10. दान


"
तिलं दद्यात् शनये भक्त्या सर्वदोषनाशनम्।"सिद्धांत बोध
तिलदान से शनिदोष नष्ट होते हैं।


शनिदेव पूजा के लिए निम्नलिखित प्रमुख बिंदु शास्त्रों से प्रमाणित हैं:

  • मूर्ति/चित्र पूजन (शिवपुराण)
  • तिल और काले वस्त्र का उपयोग (सिद्धांत बोध)
  • 📜 1. सात दीपक जलाना स्रोत: माहेश्वर तंत्र
  • "सप्तदीपैः समायुक्तं शनैश्चरं तुष्टिकरं स्मृतम्।
  • दीपैर्घृतकृतैः स्तुत्वा पीडां शमयते शनिः॥"
  • माहेश्वर तंत्र, अध्याय 12
  • जो भक्त सात दीपों से शनिदेव की आराधना करता है और घृत या तिल के तेल से उन्हें प्रज्वलित करता है, उस पर शनिदेव प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार के पीड़ाओं को दूर करते हैं।
  • 📜 2. पंचामृत से अभिषेक स्रोत: शिवपुराण
  • "दधि क्षीरं मधु सर्पिः स्वच्छं गंगाजलं शुभम्।
  • एतत् पंचामृतं प्रोक्तं देवाभिषेक साधनम्॥"
  • शिवपुराण, रुद्रसंहिता, अध्याय 23
  • दही, दूध, मधु, घी, और गंगा जल से निर्मित पंचामृत देवताओं के अभिषेक का श्रेष्ठ साधन है। शनि पूजन में इससे स्नान कराना अत्यंत शुभ फलदायी होता है।
  • 📜 3. पूजा का समय सूर्य उदय के बाद प्रातःकाल स्रोत: शिवपुराण
  • "प्रातःकाले सदा पूज्या देवता न निशायां तु।
  • सूर्योदयादारभ्य तु कालो हि परमं शुभम्॥"
  • शिवपुराण, विद्धेश्वरसंहिता, अध्याय 8
  • देवताओं की पूजा रात्रि में नहीं करनी चाहिए; सूर्योदय के बाद का समय अति उत्तम और शुभ माना गया है। शनि पूजन के लिए प्रातःकाल सर्वश्रेष्ठ समय है।
  • 📜 4. दान में तिल का महत्व स्रोत: सिद्धांत बोध
  • "तिलं दत्तं शनैः प्राप्तं सर्वदोषं विनाशयेत्।
  • कृष्णतिलस्य दानं च शान्तिदं सुखवर्धनम्॥"
  • सिद्धांत बोध, अध्याय 14
  • शनिवार को श्रद्धापूर्वक काले तिल का दान करने से सभी दोष शांत हो जाते हैं। यह दान शांति और सुख बढ़ाने वाला होता है।
  • 🪔 5. दीपक की संख्या, दिशा व विधि तंत्र शास्त्र पर आधारित
  •  
  •     दीपक की संख्या: 7 (प्रमाण ऊपर दिया गया माहेश्वर तंत्र)
  •     दीपक की दिशा:
  •     "पूर्वे वा उत्तरस्यां वा दीपकं स्थापयेद्द्विजः।" वास्तुरहस्य
  •     अर्थ: दीपक को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।
  •     तेल का प्रकार: तिल का तेल या घृत
  •     "तिलतेलेन दीपः स्यात् शनि पूजायां विशिष्टतः।" शनि तंत्र
  • 🎁 6. दान एवं आहुति
  •     दान:
  •     काले तिल, काले चने, ज्वार, काले वस्त्र
  •     "तिलचणकयवं वस्त्रं दद्यात् शनये समर्पयेत्।" नवग्रहकल्प
  •     अर्थ: शनि देव को तिल, चना, जौ और वस्त्र अर्पण करना चाहिए।
  •     प्रसाद: काला चना, काले फल (जैसे जामुन, काला अंगूर), नींबू
  •     दीपक: तिल के तेल से प्रज्वलित
  • ⚠️ 7. पूजा के बाद सावधानियाँ तंत्र शास्त्र पर आधारित
  • "निशासंयुक्तं न कुर्यात् शनिपूजां विशेषतः।
  • धैर्येण पूजयेत्तस्मिन् सप्तवारं शनौ प्रिये॥"
  • शनि तंत्र, अध्याय 5
  • शनि पूजा अंधकार में नहीं करनी चाहिए। पूजन में धैर्य और श्रद्धा अत्यंत आवश्यक है। यदि सात शनिवार निरंतर पूजा की जाए तो विशेष फल की प्राप्ति होती है।
  • 🌟 8. शनि पूजा का फल पुराण प्रमाण
  • "शमयेत् सर्वदुःखानि शनिपूजाफलं महत्।
  • आयुरारोग्यमैश्वर्यं लभते सततं नरः॥"
  • ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खंड
  • शनि की पूजा से रोग, दुर्भाग्य, और कष्ट दूर होते हैं। आयु, आरोग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

  • *****************************************************

🕉️ श्री शनि कथा – पुराणिक विवरण सहित

🔶 1. जन्म की कथा (छाया और सूर्य की संतान)

  • पौराणों के अनुसार, सूर्यदेव की दूसरी पत्नि छाया (चाया) से जन्मे थे शनि।

  • छाया की भगवान शिव की तपस्या ने गर्भ में बैठे शनि को गहन काला रंग प्रदान किया, क्योंकि छाया की तपस्या पवित्र और दृढ़ थी 

  • जन्म के बाद सूर्यदेव ने शनि को स्वीकार नहीं किया और उनका दंड स्वरूप सूर्य को कुष्ठ रोग हो गया 


🔶 2. पुष्पांजलि और प्रसन्नि

  • शनि देव को समान रूप से पुष्पांजलि, काले पुष्प, तिल, तेल, और धूप से प्रसन्न किया जाता है।

  • वैदिक परंपरा में कहा गया है:
    "तिलादीनि समर्प्य देवतां पूजयेद्यथाशक्ति"


🔶 3. राजा विक्रमादित्य तथा शनि देव की कथा

  • एकांगी राजा विक्रमादित्य ने नौ ग्रहों को सभा में बुलाया। सभी ग्रहों को उनके स्थानानुसार बैठाया गया और सबसे छोटा शनि को पीछे बिठाया।

  • शनि देव इससे क्रोधित हुए और राजा को दुखों में डाल दिया। महाराज ने 7 शनिवार तक निर्जल व्रत रखा, अतः शनि प्रसन्न होकर उन्हें क्षमा करे 

  • शनि ने उत्सर्ग में बताया — "जो कोई मेरी कथा सुने, मेरा ध्यान करे, और ावलियों (अरठ) में आटा दान करे, उन पर मेरे प्रकोप से रक्षा होगी" 


🔶 4. शनि जयंती कथा

  • ज्येष्ठ शुक्ल अमावस्या को मनाई जाती है शनि जयंती. इस दिन छाया के गर्भ से जन्मा शनि देव का स्मरण किया जाता है।

  • कथा के अनुसार, सूर्यदेव ने शनि को पुत्र स्त्री होने के कारण अस्वीकार किया और शनि की दृष्टि से सूर्य पर कुष्ठास्त्र वार हुआ।


🌸 4. पुष्पांजलि विधि व शास्त्रीय श्लोक

🔸 श्लोक:
"कृष्णपुष्पं समर्प्यैव शनये श्रद्धयान्वितः।
पीडाः शान्तिं प्रयान्ति च, सर्वदोषविनाशनम्॥"

शनि तंत्र, अध्याय 3

🔹 अर्थ:
जो श्रद्धापूर्वक काले पुष्प (कृष्ण कमल, कृष्ण गुड़हल) से शनिदेव को पुष्पांजलि देता है, उसके समस्त दोष शांत होते हैं।

🔸 पुष्पांजलि विधि:

  • शनिदेव के समक्ष 7 या 11 पुष्प रखें।

  • प्रत्येक पुष्प अर्पण करते समय निम्न मंत्र जपें:

👉 मंत्र:
“ॐ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥”


🎁 5. पुष्प, फल व तिल के दान का प्रमाण

🔸 श्लोक:
"तिलं च कृष्णं सम्पूज्य शनये भक्तिभावतः।
दत्त्वा वस्त्रं च नैवेद्यं शान्तिं लभते नरः॥"

नवग्रह कल्प, शनि खण्ड, श्लोक 19

🔹 अर्थ:
काले तिल से पूजन, काले वस्त्र व नैवेद्य (जैसे काले चने, काले अंगूर) का दान करने से शनिदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।


🔯 6. शनि पूजन का पुण्य फल – स्कन्द पुराण

🔸 श्लोक:
"शनिपूजा विना लोके दुःखमूलं निवार्यते।
यस्तु सaptवारं कुर्यात् तस्य नश्यन्ति दोषकाः॥"

स्कन्द पुराण, रेवाखण्ड

🔹 अर्थ:
जो व्यक्ति सात शनिवार तक विधिपूर्वक शनिदेव की पूजा करता है, उसके सभी दोष शांत हो जाते हैं और उसे स्थायी सुख प्राप्त होता है।

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·         शनिवार -  शनि ग्रह

·         Day remedy

·         Some remedies: that provides positive energy and
·         confidence in facilitating success.

·         Before work and before leaving home –

·         worship the Moon - Chandramse Namah. , Salutations to the ancestors.

·         -Take bath by mixing black sesame seeds in bath water.

·         -Offer water to the Shami tree.

·         -By offering Arghya to Peepal tree with milk mixed with sugar candy one attains Lakshmi.

·         - Near the root of the Peepal tree, there should be a sesame oil lamp with variable wicks, four wicks in four directions.

·         -Lamp stigmas should be red, orange or multi-coloured (not white).

·         Direction of lamp light: North is best, East is best.

·         mantra --

·         Om Pippalad, Kaushik Rishaye Namah. Vishnave Namah, Hanumate Namah.

·         Sarva vanchaam puraya puraya cha sarva siddhim dehi mein naam.

·         -Donation-

·         Use urad, sesame seeds, black clothes, blue flowers, lure.

·         Donation – Can be given to an elder, junior or servant.

·         3- Eat before leaving home –

·         -Any substance from sesame, rice, urad or ginger should be used.

·         Jain religious mantra-

·         Namo lo savvasahunam.

·         --------------------------------------------------------- Evil destroyers and success measures-

·         -For happiness, fortune increase –

·         Take a bath with black til mila in bath water ||

·         -Place a lamp of sesame oil near the root of the poplar tree

·         The lamp bulb should be red, orange or of various colors (not white).

·         The direction of the lamp light is north best, east direction is best

·         Mantra -

·         Pippalad ,Gadhi,Kaushika Rishiye Namah | Mantra Japa |

·         Ome Vishnu,Ome Hanuman||

·         Fulfill all my desires and grant me all perfection, OmeK

·         Offer water on the Shami tree

·         Offering arghya with candy mixed milk in the poplar tree brings Lakshmi.

·         Offering a four-faced lamp in the evening under the poplar.

·         Donations for Obstacle Relief-

·         Urad ,Sesame,Black,Cloth,,Blue Flower,Lobhan,Kare |

·         charity -

·         Black cow,old,servant,can give||

·         3- What to eat before leaving home for day fault objection resolution–

·         (What to take Before Departure from Home forRedresses of Day Blame Objection -)

·         Any or all of sesame seeds, rice, urad, ginger should be used

·         Those whose Saturn is not right should not use Urad

·         Saturn's faults for peace- for success -today's mantra-

·         Jain Dharma Mantra-

·         1Navagraha Mantra –

·         "Om Asiya Usaaya Namah"

·         Om Aim Om Namah Om Hrim Om Namah Om Klim Om Namah

·         Sumati: Sambhav Swami, Brihaspati in the best ||

·          

·         The good method is said to be in Venus,

·         and the good vow in Saturn

·         Nemi should be the lord of Rahu: Ketu: Srimalli on the sides ||

·         Birth and Lagna and Rashi, if afflicted by the astronauts |

·         Then one should worship the wise-astronauts with those Jinas ||

·         Sun Mon Mars, Mercury Thurs Venus Sat.

·         Rahu Ketu me ravagre ya, Jin puja legislator:.

·         I offer my obeisances to the Jinas, for they are the fires, for the satisfaction of the planets

·         1-Memory -)

·         Om Aim Om Namah Om Aim Om Namah

·         Saturn from blue flowers –

·         . . . . 3-Om Hrim Arham Shani Om Hrim Namo Savvasahunam Shani Graha Arishta Nivaraka-Sri Padmaprabha Jinendraya Namah Make me all peaceful Make me Svaha.

·         OM HRIM NAMAH SAVVASAHUNAM

·         4-Om Namo Arhate Bhavate Srimate Muni Suvratnath Tirthankaraya Varuna Yaksha-Bahurupini Yakshi Sahitaya Om Aam Kraun Hrim Hyah Shani Mahagraha! Make me (...................) evil planet disease suffering relief all peace I am Phat Svaha.

·         Rahu planet-surya today and about 24 minutes ago

·         . . . . OM OM HRIM NAMAH SAVVASAHUNAM

·         )Hrim Arham Rahu Graha Arishta Nivaraka-Sri Padmaprabha Jinedraya Namah Make me all peaceful.

·         Om Hrim. ऊँ Namo Arhate Bhavate Srimate Neminatha Tirthankaraya Sarvanhayaksha-Kushmandi Yakshi Sahitaya ऊँ Aam Kraun Hrim Hyah Rahu Mahagraha! Make me (...................) evil planet disease suffering relief all peace I am Phat Svaha. (18000 Japyanam Savvasahunam

·         2 -In the name of Sri Suvrata Jinendra, the sun is possible, be pleased

·         And peace, protect me, O beautiful one.

·         3Om Hrim Namo Loe Savva Sahunam.

·         4Peace Mantra -Om Hrim Shrim Arham

·         5Om Sri Munisuvrata Swamine Namah Make peace to my planet Saturn.

·         5My Peace: Peace: “Om Hrim Neminatha Prabho Namasthubhya My Peace: Peace:

·         1Navagraha Mantra -"Om Asiya Usaaya Namah"

·         From blue flowers -

·         2 -In the name of Sri Suvrata Jinendra, the sun is possible, be pleased

·         And peace, protect me, O beautiful one.

·         3Om Hrim Namo Loe Savva Sahunam.

·         4Peace Mantra -Om Hrim Shrim Arham

·         5Om Sri Munisuvrata Swamine Namah Make peace to my planet Saturn.

·         Surya Putraya विद्महे ,Mrityu Rupaya धीमहि ,

·         Tanno Sauri prachodayat.

·         Aapo Jyoti Rasa Amritam |

·         Paro Rajase Savadom |

·         Saturn – Brahmanda Purana-03bars

·         May Shani, the beloved and happy soul of Shiva, remove my pain.

·         Saturn-

·         OM Sham no Devi Abhishtaya May the waters be our drink.

·         May the sources of peace flow to us. (Judg. 36:12)

·         Shabar Mantra –

·         llOm Guruji Thawar War.Thawar Asan Tharharo. Do the knowledge of the five elements of the five elements of the Sadho do the thought

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