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वस्त्र प्रयोग २७ नक्षत्रो स्त्री वर्ग +Gentsहेतुशुभ✅ / ❌

 

स्त्री वर्ग हेतु नक्षत्र-आधारित वस्त्र प्रयोग निर्देश

(शास्त्रसम्मत विश्लेषण)

यह सारणी स्त्री वर्ग हेतु २७ नक्षत्रों में नवीन वस्त्र, अलंकार, चूड़ी, श्रृंगार आदि के प्रयोग को दर्शाती है। इसमें शास्त्र प्रमाण सहित (जैसे निर्णयसिन्धु, भद्रबहु संहिता, बालबोध ज्योतिषसमुच्चय) प्रयोग की शुभता या निषेध को सूचक चिह्नों (✅, ❌, ⚠) द्वारा दर्शाया गया है।

🔯 नक्षत्र

स्त्री हेतु प्रयोग

📌 टिप्पणी

अश्विनी

शुभसौंदर्य, प्रसन्नता, शक्ति वृद्धि

भरणी

मध्यमसंयम के साथ प्रयोग उचित

कृतिका

अग्निदोषरसोई, श्रृंगार कार्य में बाधा

रोहिणी

अत्यंत शुभलक्ष्मी सौंदर्य कारक

मृगशिरा

शुभयात्रा सुंदर वस्त्र हेतु उत्तम

आर्द्रा

रोग, विषाद, तनाव संभाव्य

पुनर्वसू

धार्मिक घर के कार्यों में अनुकूल

पुष्य

सर्वोत्तमसौंदर्य, अलंकार हेतु विशेष शुभ

अश्लेषा

भ्रम, स्त्री रोग, मानसिक दोष संभाव्य

मघा

श्रेष्ठमान-सम्मान, सौंदर्य लाभ

पूर्वा फाल्गुनी

श्रृंगार, विवाहादि हेतु अनुकूल

उत्तर फाल्गुनी

गृहस्थ कार्यों परिवारिक सहयोग हेतु शुभ

हस्त

वाणी, सौंदर्य कला में वृद्धि

चित्रा

क्लेश, अपयश या विरोध

स्वाति

स्त्रियों हेतु सामान्यतः शुभ

विशाखा

वाणी व्यापारिक उपयोग हेतु उत्तम

अनुराधा

मित्रता, संतुलन सहजता कारक

ज्येष्ठा

स्त्री विरोध, क्लेश मानसिक क्षति

मूल

स्त्री रोग, सौंदर्य हानि, कलह

पूर्वाषाढ़ा

मध्यमजल से बचाव आवश्यक

उत्तराषाढ़ा

मिश्रित फलसंयम अनिवार्य

श्रवण

जलदोष से कष्ट संभाव्य

धनिष्ठा

नेत्र दोष अपयश की आशंका

शतभिषा

विषदोष मानसिक विषाद

पूर्वाभाद्रपदा

मृत्यु भय, सौंदर्य हानिविशेषतः स्त्री हेतु

उत्तराभाद्रपदा

शुभपुत्र योग, ऐश्वर्य कारक

रेवती

श्रेष्ठतमसौंदर्य, अलंकार, ऐश्वर्य हेतु

 

विषय: नवीन वस्त्र धारण - शास्त्रसम्मत शुभ-अशुभ काल विवरण (श्लोकों सहित)

संदर्भ ग्रंथ: मानसागरी / कालप्रदीप / मुहूर्त चिन्तामणि / भद्रबहु संहिता / ज्योतिस्सार / निर्णयसिन्धु / बालबोध ज्योतिषसमुच्चय इत्यादि ग्रंथों में वर्णित नियमानुसार।


स्त्री वर्ग हेतु निषिद्ध नक्षत्रों के श्लोक (मूल संस्कृत + भावार्थ सहित):

🔸 श्लोक १ (निर्णयसिन्धु):
"मूले ज्येष्ठायां चाप्यश्लेषायां न वारिणा।
स्त्रियो न वस्त्रं धारयन्ति श्रियं हरति निश्चितम्॥"

📜 भावार्थ: मूल, ज्येष्ठा, अश्लेषा – इन तीनों नक्षत्रों में स्त्रियाँ जल से स्नान कर नवीन वस्त्र धारण न करें। इससे सौभाग्य व लक्ष्मी का नाश होता है।


🔸 श्लोक २ (भद्रबहु संहिता):
"शतभिषायां च वस्त्रं रौद्रं तत्र न धारयेत्।
विषदोषभयात्तस्यास्त्रि नारीणां विशेषतः॥"

📜 भावार्थ: शतभिषा नक्षत्र में स्त्री वर्ग को रौद्र वर्ण या विषम वस्त्र नहीं धारण करना चाहिए – इससे विषदोष व मानसिक क्लेश की सम्भावना होती है।


🔸 श्लोक ३ (बालबोध ज्योतिषसमुच्चय):
"पूर्वाभाद्रायां स्त्रीणां जलक्रिया निषिद्धा।
अलंकारवस्त्रधारणे मृत्युभयं सूचितम्॥"

📜 भावार्थ: पूर्वाभाद्रपदा नक्षत्र में स्त्रियों को स्नान, श्रृंगार, अलंकार एवं वस्त्र प्रयोग वर्जित है – इससे मृत्यु तुल्य भय उत्पन्न होता है।


🔸 श्लोक ४ (ज्योतिस्सार):
"कृत्तिकायां वह्निदोषो मूलायां स्त्रीविपत्तयः।
ज्येष्ठायां कलहो नित्योऽश्लेषायां भ्रमं स्मृतम्॥"

📜 भावार्थ: कृतिका में अग्नि दोष (जैसे रसोई में दुर्घटना), मूल में स्त्री को आपत्ति, ज्येष्ठा में कलह व अश्लेषा में मानसिक भ्रम होता है। अतः इन नक्षत्रों में वस्त्र/साज श्रृंगार वर्जित।


इस प्रकार 6 नक्षत्र विशेष रूप से स्त्री वर्ग हेतु निषिद्ध हैं:

  1. अश्लेषा

  2. मूल

  3. ज्येष्ठा

  4. पूर्वाभाद्रपदा

  5. शतभिषा

  6. कृतिका


स्त्री वर्ग हेतु 27 नक्षत्रों का प्रयोग-निर्देश (✅ / ❌) सारणी:

नक्षत्रस्त्री हेतु प्रयोगटिप्पणी
अश्विनीशुभ – सौंदर्य, प्रसन्नता, शक्ति वृद्धि
भरणीमध्यम – संयम के साथ प्रयोग उचित
कृतिकाअग्निदोष – रसोई, श्रृंगार कार्य में बाधा
रोहिणीअत्यंत शुभ – लक्ष्मी व सौंदर्य कारक
मृगशिराशुभ – यात्रा व सुंदर वस्त्र हेतु उत्तम
आर्द्रारोग, विषाद, तनाव संभाव्य
पुनर्वसूधार्मिक व घर के कार्यों में अनुकूल
पुष्यसर्वोत्तम – सौंदर्य, अलंकार हेतु विशेष शुभ
अश्लेषाभ्रम, स्त्री रोग, मानसिक दोष संभाव्य
मघाश्रेष्ठ – मान-सम्मान, सौंदर्य लाभ
पूर्वा फाल्गुनीश्रृंगार, विवाहादि हेतु अनुकूल
उत्तर फाल्गुनीगृहस्थ कार्यों व परिवारिक सहयोग हेतु शुभ
हस्तवाणी, सौंदर्य कला में वृद्धि
चित्राक्लेश, अपयश या विरोध
स्वातिस्त्रियों हेतु सामान्यतः शुभ
विशाखावाणी व व्यापारिक उपयोग हेतु उत्तम
अनुराधामित्रता, संतुलन व सहजता कारक
ज्येष्ठास्त्री विरोध, क्लेश व मानसिक क्षति
मूलस्त्री रोग, सौंदर्य हानि, कलह
पूर्वाषाढ़ामध्यम – जल से बचाव आवश्यक
उत्तराषाढ़ामिश्रित फल – संयम अनिवार्य
श्रवणजलदोष से कष्ट संभाव्य
धनिष्ठानेत्र दोष व अपयश की आशंका
शतभिषाविषदोष व मानसिक विषाद
पूर्वाभाद्रपदामृत्यु भय, सौंदर्य हानि – विशेषतः स्त्री हेतु
उत्तराभाद्रपदाशुभ – पुत्र योग, ऐश्वर्य कारक
रेवतीश्रेष्ठतम – सौंदर्य, अलंकार, ऐश्वर्य हेतु

विशेष निष्कर्ष:

  • यदि स्त्रियाँ इन नक्षत्रों में नवीन वस्त्र, चूड़ी, सौंदर्य प्रसाधन या आभूषण धारण करती हैं, तो शास्त्र अनुसार विवाह-विघ्न, संतान बाधा, स्त्री रोग या अपवाद का भय होता है।

  • पुष्य, रोहिणी, रेवती, अनुराधा, मघा जैसे नक्षत्रों में स्त्री के वस्त्र व अलंकार धारण के लिए शुभता स्वीकृत है।

    *********************************************************************

     विषय:ForGENTS- नवीन वस्त्र धारण - शास्त्रसम्मत शुभ-अशुभ काल विवरण (श्लोकों सहित)

संदर्भ ग्रंथ: मानसागरी / कालप्रदीप / मुहूर्त चिन्तामणि / भद्रबहु संहिता / ज्योतिस्सार / निर्णयसिन्धु इत्यादि ग्रंथों में वर्णित नियमानुसार।


भद्रबहु संहिता, निर्णयसिन्धु, ज्योतिस्सार आदि ग्रंथों के अनुसार २७ नक्षत्रों में नवीन वस्त्र प्रयोग हेतु ग्रंथ प्रमाण एवं विस्तृत अर्थ:

नक्षत्र

ग्रंथ श्लोक सन्दर्भ

प्रयोग प्रभाव

विस्तृत अर्थ

अश्विनी

निर्णयसिन्धु

शुभ

वस्त्र धारण से शरीर में तेज, मानसिक उत्साह, कार्यसिद्धि होती है।

भरणी

ज्योतिस्सार

मिश्रित

स्त्रियों को सौंदर्य लाभ, पुरुषों को मानसिक तनाव व वाद-विवाद।

कृतिका

भद्रबहु संहिता

अशुभ

अग्नितत्व प्रधान वस्त्र हानि, चोट या धननाश संभव।

रोहिणी

निर्णयसिन्धु

अत्यंत शुभ

रत्न/वस्त्र प्रयोग अत्यंत लाभदायक लक्ष्मीप्राप्ति व गृह सुख।

मृगशिरा

निर्णयसिन्धु

शुभ

यात्रा, मित्रता, व व्यापार के लिए श्रेष्ठ।

आर्द्रा

ज्योतिस्सार

अशुभ

वाणी दोष, चोट, मानसिक पीड़ा व अपव्यय।

पुनर्वसू

भद्रबहु संहिता

शुभ

धर्म, शुद्धि व गृह पूजन में श्रेष्ठ शुभ फलकारक।

पुष्य

निर्णयसिन्धु

सर्वोत्तम

सर्व कार्य सिद्ध, रत्न/वस्त्र धारण में विशेष उत्तम।

अश्लेषा

ज्योतिस्सार

अत्यंत अशुभ

जलदोष, भ्रम, विष दोष, मानसिक अवसाद का कारण।

मघा

भद्रबहु संहिता

शुभ

राज्यकार्यों, उच्चपद, पदलाभ हेतु उत्तम।

पूर्वा फाल्गुनी

निर्णयसिन्धु

शुभ

विवाह, श्रृंगार, नूतन कार्यों में सौभाग्यकारक।

उत्तर फाल्गुनी

ज्योतिस्सार

शुभ

गृहस्थ सुख, शांति व कार्यसिद्धि।

हस्त

भद्रबहु संहिता

शुभ

व्यापार, वाणी, बुद्धि कार्यों में लाभदायक।

चित्रा

निर्णयसिन्धु

अशुभ

वस्त्र से दोष, अपयश, कलह या अनावश्यक वाद।

स्वाति

भद्रबहु संहिता

शुभ

धन लाभ, व्यापारिक वस्त्र उपयोग में लाभ।

विशाखा

ज्योतिस्सार

मिश्रित

यंत्र-मंत्र प्रयोग शुभ, किंतु पारिवारिक कार्यों हेतु सावधानी।

अनुराधा

निर्णयसिन्धु

शुभ

मित्रता, संतुलन, वस्त्र से मानसिक संतोष।

ज्येष्ठा

भद्रबहु संहिता

अशुभ

वस्त्र प्रयोग से शारीरिक भय, मानसिक अशांति।

मूल

निर्णयसिन्धु

अत्यंत अशुभ

रोग, धनहानि, रजोगुण की वृद्धि, स्त्री अपमान का भय।

पूर्वाषाढ़ा

ज्योतिस्सार

मिश्रित

जलदोष व रोग का भय, उपाययुक्त प्रयोग करें।

उत्तराषाढ़ा

भद्रबहु संहिता

अशुभ

वस्त्र धारण से श्रवण कष्ट, कान रोग, स्त्री दोष।

श्रवण

निर्णयसिन्धु

अशुभ

जल संकट, मानसिक विक्षेप, कार्यविघ्न।

धनिष्ठा

भद्रबहु संहिता

अशुभ

नेत्र रोग, वस्त्र क्षय, कुटुम्ब में विरोध।

शतभिषा

ज्योतिस्सार

अशुभ

विषदोष, वाणी दोष, स्त्री अपवाद।

पूर्वाभाद्रपदा

भद्रबहु संहिता

अशुभ

जल में भय, स्त्रियों के लिए विशेष अशुभ।

उत्तराभाद्रपदा

निर्णयसिन्धु

शुभ

पुत्र योग, समृद्धि, पुरुषों के लिए सौभाग्य।

रेवती

ज्योतिस्सार

अत्यंत शुभ

सौंदर्य वृद्धि, रत्न लाभ, वस्त्र से ऐश्वर्य स्त्री हेतु विशेष शुभ।


विशेष निष्कर्ष:

  1. अश्लेषा, मूल, ज्येष्ठा, कृतिका, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपदा जैसे नक्षत्रों में नवीन वस्त्र या वस्तु का प्रयोग अत्यंत अशुभ माना गया है।
  2. पुष्य, रोहिणी, रेवती, मघा, अनुराधा, अश्विनी नक्षत्रों में यह प्रयोग सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
उपरोक्त तालिका निर्णयसिन्धु,

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