26.6-3.8.2025 -गुप्त नवरात्रि (आषाढ़ मास में), शाकंभरी / शताक्षी देवी पूजन आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शैव , दक्षिण ,माध्व , (हनुमान रूप), वैष्णव ,
26.6-3.8.2025 -गुप्त नवरात्रि (आषाढ़ मास में), शाकंभरी / शताक्षी देवी पूजन आषाढ़ या पौष गुप्त नवरात्रि में विशेष रूप से की जाती है।
🔴 शाकंभरी / शताक्षी देवी पूजन — गुप्त नवरात्रि विधान (Bilingual Scriptural Procedure)
🪔 1. 🔰 देवी स्वरूप (Form of the Goddess)
🔸 संस्कृत श्लोक (शाकंभरी स्तोत्र, देवी भागवत पुराण):
"शताक्षी
शाकंभरी च दुर्गा देवी च सर्वदा।
आपदा हर मे
नित्यं, सौभाग्यं
देहि मे शिवे॥"
🔹 भावार्थ (Meaning):
हे शताक्षी!
हे शाकंभरी! हे दुर्गा! आप सदा रक्षक हैं, आपदा हरती हैं, सौभाग्य प्रदान करती हैं।
📿 2. 📖 गुप्त नवरात्रि में शाकंभरी देवी पूजन विधि (Shakambhari Devi Puja Vidhi)
🕉 काल / Timing:
🔹 आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी (26 जून – 3 जुलाई 2025)
🔹 अष्टमी तिथि (3 जुलाई 2025) को विशेष शाकंभरी पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है।
🌾 प्रत्येक दिन का मंत्र (9 Days)
(प्रत्येक मंत्र का शुद्ध उच्चारण, देवनागरी + Roman script में, अर्थ सहित)
🌺 दिन 1 (Day 1): आवाहन व मूल बीजमंत्र
🔸 मूल बीजमंत्र:
🔸 मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शाकम्भर्यै नमः॥
Om Aim Hrīm Klīm Shākambharyai Namaḥ॥
भावार्थ: मैं ज्ञान, शक्ति और संवर्द्धन की अधिष्ठात्री देवी शाकम्भरी को प्रणाम करता हूँ।
🌺 दिन 2: फलप्रदायिनी रूप
🔸 मंत्र:
ॐ शाकम्भर्यै वरप्रदायै नमः॥
Om Shākambharyai Varapradāyai Namaḥ॥
भावार्थ: जो देवी सभी वांछित फलों की दात्री हैं, उन्हें नमस्कार है।
🌺 दिन 3: जलप्रदायिनी रूप
🔸 मंत्र:
ॐ अमृतरूपिण्यै शाकम्भर्यै नमः॥
Om Amṛtarūpiṇyai Shākambharyai Namaḥ॥
भावार्थ: जो अमृतस्वरूपा हैं और जीवों की रक्षक हैं, उन्हें प्रणाम है।
🌺 दिन 4: शाकारूपिणी (सब्ज़ी-फल दात्री)
🔸 मंत्र:
ॐ हरितपुष्पफलदायिन्यै नमः॥
Om Haritapuṣpaphaladāyinyai Namaḥ॥
भावार्थ: जो देवी हरित अन्न, फल और पुष्पों से जगत का पालन करती हैं।
🌺 दिन 5: अन्नप्रदायिनी
🔸 मंत्र:
ॐ अन्नपूर्णेश्वर्यै शाकम्भर्यै नमः॥
Om Annapūrṇeśvaryai Shākambharyai Namaḥ॥
भावार्थ: जो अन्न से पोषण करती हैं, अन्नरूपा हैं — उन्हें नमस्कार।
🌺 दिन 6: वनदुर्गा स्वरूप
🔸 मंत्र:
ॐ वनवासिनी दुर्गायै शाकम्भर्यै नमः॥
Om Vanavāsinī Durgāyai Shākambharyai Namaḥ॥
भावार्थ: जो वनों में निवास करती हैं और रक्षा करती हैं, उन्हें प्रणाम है।
🌺 दिन 7: महाशाकम्भरी रूप
🔸 मंत्र:
ॐ महाशाकम्भर्यै त्रैलोक्यपालिन्यै नमः॥
Om Mahāśākambharyai Trailokyapālīnyai Namaḥ॥
भावार्थ: जो तीनों लोकों की पालनकर्ता हैं, महान शाकम्भरी देवी को नमस्कार।
🌺 दिन 8: वीर्या-शक्ति रूप
🔸 मंत्र:
ॐ बलदायिन्यै शाकम्भर्यै नमः॥
Om Baladāyinyai Shākambharyai Namaḥ॥
भावार्थ: जो शक्ति, तेज और शौर्य प्रदान करती हैं।
🌺 दिन 9: सिद्धिदात्री रूप
🔸 मंत्र:
ॐ सिद्धिदात्र्यै शाकम्भर्यै नमः॥
Om Siddhidātryai Shākambharyai Namaḥ॥
भावार्थ: जो साधकों को सिद्धियाँ और चमत्कारी फल देती हैं।
📿 पूजन विधि (संक्षिप्त)
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स्थान शुद्धि और कलश स्थापना
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कलश में जल भरकर आम्रपल्लव व नारियल रखें।
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उसके समक्ष शाकम्भरी देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
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-
द्रव्य समर्पण:
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पुष्प, फल, सब्ज़ियाँ, अनाज — विशेषकर 9 प्रकार की हरित सब्जियाँ अर्पित करें।
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नैवेद्य में फल और जौ का लड्डू / सत्तू समर्पण श्रेष्ठ है।
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नैवेद्य मंत्र (हर दिन):
ॐ नैवेद्यं गृहाणेदं शाकम्भर्यै नमो नमः॥
Om Naivedyaṃ Gṛhāṇedaṃ Shākambharyai Namo Namaḥ॥ -
दक्षिणा मंत्र:ॐ दक्षिणां गृहाणेदं ह्रीं ऐं क्लीं नमो नमः॥
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आरती:जय देवी शाकम्भरी माता, अन्नपूर्णा करुणा साता... (पूर्ण आरती यदि चाहिए तो कृपया कहें।)
📖 शास्त्रीय प्रमाण:
-
देवी भागवत महापुराण स्कंध 11, अध्याय 5-7
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शाकम्भरी तन्त्र, कल्पद्रुम तन्त्र
-
मार्कण्डेय पुराण - अन्नपूर्णा खण्ड
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तन्त्रसार व चतुर्भुज संहिता — शाकम्भरी उपासना विधान
🌺 विशेष पूजन/अनुष्ठान हेतु
आप "शताक्षी देवी" या "शाकंभरी देवी" का स्मरण करके वस्त्र-आभूषण धारण करें, जिससे सुरक्षा और सौंदर्य का स्थायित्व प्राप्त होता है।
📜 "शताक्ष्याः कवचं यस्तु धारयेद्भूषणादिकम्।
सर्वरोगविनाशाय सौभाग्यवर्धनाय च॥"
🪔 पूजन सामग्री (Puja Samagri)
वस्तु |
अर्थ/प्रयोग |
नीले फूल, तुलसी, शाक-सब्जियाँ |
देवी का प्रिय, देवी ने दुष्काल में शाक से संसार की रक्षा की थी |
नीला वस्त्र |
शनि संबंध, देवी का शांत रूप |
नीले या काले धागे का त्रिकोण यंत्र |
तांत्रिक सुरक्षा |
🌿 १. शाकंभरी यंत्र (Shakambhari Yantra)
🧿 यंत्र स्वरूप:
- आकार: त्रिकोण यंत्र (उर्ध्वमुखी त्रिकोण)
- रंग: नीला या श्यामवर्णी
- केंद्र में बीज मंत्र: "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शाकंभर्यै नमः"
- चारों कोनों में अंकित: अन्न, पुष्प, जल, मूल
🔸 स्थापना विधि:
- अष्टमी रात्रि या नवमी प्रातः
- शुद्ध नीले वस्त्र पर
- पूर्वमुखी होकर जप करें
- तिल के तेल का दीपक जलाएं
📜 २. शाकंभरी देवी आरती (Aarti of Shakambhari Devi)
🔹 तांत्रिक परंपरा में प्रचलित, देवनागरी व Roman Script में:
🔆 आरती:
आरती शाकंभरी मात की, शाकों से जग
पालन की।
अन्न जल की
वर्षा करतीं, दुष्टों का संहारन की॥
नीलवर्णी भवानी मात, शत नेत्रों
से रक्षण की।
रक्तबीज
बिनाशिनि अम्बा, असुर वंश संहारन की॥
शाक-अन्न की देवी माता, शरणागत को
तारन की।
**संकट हर, कृपा बरसावे, भक्तों की
उद्धारन की॥
Roman Script:
Aarti
Shakambhari Maat ki, shaakon se jag paalan ki.
Ann jal ki varsha karti, dushton ka samhaaran ki.
Neelvarni Bhavani Maat, shat-netron se rakshan ki.
Raktabeej vinaashini Amba, asur vansh sanhaaran ki.
📚 ३. दुर्गा सप्तशती में शाकंभरी / शताक्षी / शुंभमर्दिनी स्वरूप
🔹 (i) शताक्षी वर्णन — मार्कण्डेय पुराण, सप्तशती अध्याय ११
"ततो जगाम
सकलां निन्ये सा शताक्षिका।
सा च
शीतांशुनीकाशा शाकंभरी बभूव ह॥"
🔸 भावार्थ:
श्री दुर्गा
ने जब दुष्काल और भूख के समय शत नेत्रों से जल बहाया, तब वे शताक्षी तथा शाकों
की वर्षा करके शाकंभरी बन गईं।
🔹 (ii) शुंभासुर मर्दिनी / अष्टभुजा चण्डिका
"धूम्रलोचनमक्ष्णाभ्यां
पतयिष्याम्यहं क्षणात्।
चण्डिकेति
स्मृता लोके चण्डिका चण्डविग्रहा॥"
अष्टभुजा चण्डिका या महिषासुरमर्दिनी, शुंभ, निशुंभ, चण्ड, मुण्ड, रक्तबीज आदि
दैत्यों का वध करती हैं।
यह शक्तियों का
सामूहिक रूप है – दुर्गा, लक्ष्मी, काली, ब्राह्मी, वैष्णवी, इन्द्राणी, कौमारी, महेश्वरी।
🪷 ४. सरस्वती पूजन का महत्व (Gyaan Shakti for Lakshmi Stability)
✨ क्यों आवश्यक है?
- लक्ष्मी की स्थिरता तभी संभव है जब ज्ञान, विवेक और नीति (सरस्वती) भी साथ हों।
- केवल भोग से लक्ष्मी चंचला हो जाती है, गुणयुक्त व्यवहार और ज्ञान से वह स्थिर होती है।
📜 शास्त्र प्रमाण:
"यत्र
नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता।
यत्र
त्वेतास्तु न पूज्यंते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः॥"
— मनुस्मृति 3.56
"सरस्वती
नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
विद्यारंभं
करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा॥"
💰 ५. लक्ष्मी की स्थिरता हेतु — तांत्रिक/वैदिक उपाय
उपाय |
विवरण |
📿 श्रीयंत्र स्थापना |
स्थायित्व हेतु प्रत्येक शुक्रवार को कमल पर घी दीपक |
🌾 धान्य लक्ष्मी पूजन |
आषाढ़ अष्टमी को शाक, अनाज चढ़ाकर लक्ष्मी का ध्यान करें |
🧘♀️ मंत्र: |
|
"ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः लक्ष्म्यै नमः" |
यह पंचाक्षरी लक्ष्मी मंत्र है – स्थायी लक्ष्मी हेतु सिद्ध है |
📘 ब्राह्मण भोजन / कन्या पूजन |
विशेषकर गुप्त नवरात्रि में लक्ष्मी की स्थिरता का मूल उपाय |
26.6.-3.7.2025-Day wise Durga puja smaran
शैव, दक्षिण भारतीय, माध्व (हनुमान रूप), तथा वैष्णव —
के अनुसार नवरात्रि के 9 दिन की देवी और मंत्रों का चार्ट-
"Navratri Mantra Chart"26june-3july 2025
🔊 गुप्त नवरात्रि - नवदिनों की पूजा विभिन्न सम्प्रदाय के अनुसार मंत्र चार्ट
🔹 दिन |
शैव सम्प्रदाय |
दक्षिण भारतीय परम्परा |
माध्व सम्प्रदाय (हनुमान रूप) |
वैष्णव सम्प्रदाय |
1️⃣ |
ब्रह्मचारिणी – 'ॐ ह्रीं ब्रह्मचारिण्यै नमः' |
वन दुर्गा – 'ॐ ह्रीं वंदुर्गायै नमः' |
अश्रु हनुमान – 'ॐ रामदूताय नमः' |
सहृदेवी –
'ॐ श्रीं सहृदेव्यै नमः' |
2️⃣ |
कुष्मांडा – 'ॐ क्लीं कूष्माण्डायै नमः' |
तुलजापुर भवानी – 'ॐ ह्रीं भवानीयै नमः' |
उत्तरा हनुमान – 'ॐ रामप्रियाय नमः' |
लक्ष्मी –
'ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः' |
3️⃣ |
रत्नमाला – 'ॐ श्रीं रत्नमालायै नमः' |
येलम्मा – 'ॐ क्लीं येलम्मायै नमः' |
बुद्धि हनुमान – 'ॐ बुद्धिवर्धनाय नमः' |
श्रीशैलम देवी –
'ॐ श्रीशैलेश्वर्यै नमः' |
4️⃣ |
कालकामिनी – 'ॐ कालकामिन्यै नमः' |
चामुंडेश्वरी – 'ॐ चामुण्डेश्वर्यै नमः' |
आत्मदेव – 'ॐ आत्मरूपाय नमः' |
चंडी –
'ॐ चण्डिकायै नमः' |
5️⃣ |
मातंगी – 'ॐ ह्रीं मातङ्ग्यै नमः' |
रत्नगिरी महालक्ष्मी – 'ॐ श्रीं रत्न गिरि लक्ष्म्यै नमः' |
कीर्ति हनुमान – 'ॐ कीर्तिनाथाय नमः' |
विष्णुप्रिया –
'ॐ विष्णुप्रियाय नमः' |
6️⃣ |
कालरात्रि – 'ॐ क्रीं कालरात्र्यै नमः' |
कपालेश्वरी – 'ॐ हुं कपालेश्वर्यै नमः' |
धैर्य हनुमान – 'ॐ धैर्यसागराय नमः' |
महामाया –
'ॐ महामायायै नमः' |
7️⃣ |
मेघेश्वरी – 'ॐ ऐं मेघेश्वर्यै नमः' |
कनक दुर्गा – 'ॐ कनकदुर्गायै नमः' |
आरोग्य हनुमान – 'ॐ आरोग्यदाय नमः' |
हरिप्रिया –
'ॐ हरिप्रियायै नमः' |
8️⃣ |
महाशक्ति – 'ॐ ह्रीं महाशक्त्यै नमः' |
रज्जराजेश्वरी – 'ॐ श्रीं रज्जराजेश्वर्यै नमः' |
स्मृति हनुमान – 'ॐ स्मृतिवर्धनाय नमः' |
पद्मा –
'ॐ पद्मायै नमः' |
9️⃣ |
सिद्धिदात्री – 'ॐ श्रीं सिद्धिदात्र्यै नमः' |
मीनाक्षी – 'ॐ मिनाक्ष्यै नमः' |
साधक हनुमान – 'ॐ सिद्धिहेतवे नमः' |
श्रीदेवी –
'ॐ श्रीदेव्यै नमः' |
✅
🔹 दिन |
शैव सम्प्रदाय |
दक्षिण भारतीय परम्परा |
माध्व सम्प्रदाय (हनुमान रूप) |
वैष्णव सम्प्रदाय |
1️⃣ |
ब्रह्मचारिणी – "ॐ ह्रीं ब्रह्मचारिण्यै नमः" |
वन दुर्गा – "ॐ ह्रीं वंदुर्गायै नमः" |
अश्रु हनुमान – "ॐ रामदूताय नमः" |
सहृदेवी – "ॐ श्रीं सहृदेव्यै नमः" |
2️⃣ |
कुष्मांडा – "ॐ क्लीं कूष्माण्डायै नमः" |
तुलजापुर भवानी – "ॐ ह्रीं भवानीयै नमः" |
उत्तरा हनुमान – "ॐ रामप्रियाय नमः" |
लक्ष्मी – "ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" |
3️⃣ |
रत्नमाला – "ॐ श्रीं रत्नमालायै नमः" |
येलम्मा – "ॐ क्लीं येलम्मायै नमः" |
बुद्धि हनुमान – "ॐ बुद्धिवर्धनाय नमः" |
श्रीशैलम देवी – "ॐ श्रीशैलेश्वर्यै नमः" |
4️⃣ |
कालकामिनी – "ॐ कालकामिन्यै नमः" |
चामुंडेश्वरी – "ॐ चामुण्डेश्वर्यै नमः" |
आत्मदेव – "ॐ आत्मरूपाय नमः" |
चंडी – "ॐ चण्डिकायै नमः" |
5️⃣ |
मातंगी – "ॐ ह्रीं मातङ्ग्यै नमः" |
रत्नगिरी महालक्ष्मी – "ॐ श्रीं रत्नगिरिलक्ष्म्यै नमः" |
कीर्ति हनुमान – "ॐ कीर्तिनाथाय नमः" |
विष्णुप्रिया – "ॐ विष्णुप्रियाय नमः" |
6️⃣ |
कालरात्रि – "ॐ क्रीं कालरात्र्यै नमः" |
कपालेश्वरी – "ॐ हुं कपालेश्वर्यै नमः" |
धैर्य हनुमान – "ॐ धैर्यसागराय नमः" |
महामाया – "ॐ महामायायै नमः" |
7️⃣ |
मेघेश्वरी – "ॐ ऐं मेघेश्वर्यै नमः" |
कनक दुर्गा – "ॐ कनकदुर्गायै नमः" |
आरोग्य हनुमान – "ॐ आरोग्यदाय नमः" |
हरिप्रिया – "ॐ हरिप्रियायै नमः" |
8️⃣ |
महाशक्ति – "ॐ ह्रीं महाशक्त्यै नमः" |
रज्जराजेश्वरी – "ॐ श्रीं रज्जराजेश्वर्यै नमः" |
स्मृति हनुमान – "ॐ स्मृतिवर्धनाय नमः" |
पद्मा – "ॐ पद्मायै नमः" |
9️⃣ |
सिद्धिदात्री – "ॐ श्रीं सिद्धिदात्र्यै नमः" |
मीनाक्षी – "ॐ मिनाक्ष्यै नमः" |
साधक हनुमान – "ॐ सिद्धिहेतवे नमः" |
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