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नाम चयन , नाम निर्धारणका शास्त्रीय रहस्य (जन्म नक्षत्र और नाम -भविष्य पर दीर्घकालीन प्रभाव,नाम में दोष से बचने के शास्त्रीय उपाय)नाम चयन - सामान्य भूलेंCommon Mistakes in Name Selection &Sound-Letter Mapping Chart for Name Selection

 


 🔶 बच्चे के नाम अक्षर चयन की शास्त्र सम्मत विधि-

Jyotish Shiromani(Awarded 1976)-Pandit v. k.tiwari (9424446706)jyotish9999@gmail.com; bangalore-560102

🔷 नाम किस अक्षर पर, किस नियम से रखा जाए —  शास्त्रीय विवेचन (with Grantha-Sandarbha, Vedokta and Puranokta References)
🔷 How to determine the correct first syllable (Akshar) for a name — as per Veda, Purana, Jyotisha & Muhurta Shastra

  🔷 जन्म नक्षत्र पर रखा गया नाम जीवन में असफलताएँ दे सकता है कुंडली में 9 ग्रहों एवं नक्षत्रों के अनुसार सही नाम कैसे चुनें.
🔷 A name based solely on Birth Nakshatra can cause failures — How to choose the right name as per 9 Planets and Nakshatras in the Horoscope


 🟦 1. जन्म नक्षत्र आधारित नाम निर्धारण

Naming Based on Janma Nakshatra


🟦 2. चंद्र राशि व लग्न से मेल

Match with Moon Sign & Ascendant


🟦 3. कुंडली के शुभ भावों से संबंधित अक्षर

Letters Favorable According to Horoscope Houses


🟦 4. दशा व गोचर ग्रहों से सामंजस्य

Alignment with Dasha and Transit Planets


🟦 5. माता-पिता की कुंडली से विरोध न हो

Should Not Conflict with Parents’ Horoscopes


🟦 6. कुलदेवता या इष्टनाम का प्रभाव

Influence of Kuladevata or Ishta Devata in Name


🟦 7. काव्यात्मक, सरल व शुभार्थक नाम

Poetic, Easy and Auspicious Meaning Name


🟦 8. पंचमांश व वर्ग कुंडलियों से सामंजस्य

Compatibility with D5 and Divisional Charts


🟦 9. नामेश ग्रह पापदृष्ट से मुक्त हो

Name-Lord (Nāmeśa) Must Be Free from Malefics


🟦 10. धर्म, संस्कृति व समाज से मेल

Must Align with Dharma, Culture & Social Norms

 🟥 नाम चयन का शास्त्रीय रहस्य

The Scriptural Wisdom of Name Selection


🟦 जन्म नक्षत्र और नाम का संबंध

Connection Between Birth Nakshatra and Name


🟦 नाम का प्रभाव ग्रहों और भावों पर

Influence of Name on Planets and Houses


🟦 नाम निर्धारण के पुराण, वेद, ज्योतिष और गृह्यसूत्रों में निर्देश

Guidance on Naming in Puranas, Vedas, Jyotish, and Gṛhyasūtras


🟦 नाम और नामेश ग्रह का संबंध

Relationship Between Name and the Name-Lord (Nāmeśa)


🟦 माता-पिता, परिवार और कुलदेवता से मेल का नियम

Compatibility with Parents, Family and Kuladevata


🟦 नाम का भविष्य पर दीर्घकालीन प्रभाव

Long-Term Impact of Name on Destiny


🟦 नाम में दोष से बचने के शास्त्रीय उपाय

Scriptural Remedies to Avoid Name-Related Defects


🟦 कुंडली, दशा, गोचर और वर्ग कुंडलियों के अनुसार नाम चयन

Name Selection According to Horoscope, Dasha, Transit and Divisional Charts


🟦 नाम चयन में किए जाने वाले सामान्य भूलें

Common Mistakes in Name Selection

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🌟 1. नामकरण का महत्त्व | Significance of Naming

 Energy Science of Name: Rigveda and Parashara View

🕉 ऋग्वेद संदर्भ (Rigveda 10.85.24)

"नामानि चत्वारि नि विदुः परिमे घोषमकृताः।"
अर्थ:संसार में चार प्रकार के नाम माने गए हैं;

 उनमें से एक नाम ध्वनि (अक्षर) से जुड़ा होता है।
भावार्थ: नाम केवल शब्द नहीं है, यह व्यक्ति के भाव, कर्म और ऊर्जा का संवाहक होता है।

🔸 नाम का ध्वनि प्रभाव (Sound Vibration) हमारे मन-बुद्धि-वाणी पर सीधा असर डालता है।
🔸 यदि यह ग्रहों और नक्षत्रों से सामंजस्य न रखे तो यही नाम रोग, विवाद, और अवमानना का कारण बन सकता है।


📚 2. प्रमुख शास्त्र जो नामकरण पर आधारित हैं

Key Scriptures on Naming

ग्रंथ

विवरण

📘 गृह्यसूत्र (अश्वलायन, आपस्तम्ब आदि)

नामकरण संस्कार के समय मुहूर्त, नक्षत्र, चंद्रमा की स्थिति आदि पर जोर

📘 बृहत् पराशर होरा शास्त्र

ग्रहों और नक्षत्रों के अनुसार अक्षरों की शुभ-अशुभता

📘 जातकपारिजात, मानसागरी, फलदीपिका

दशा, अंतर्दशा व नामेश से जीवन के उतार-चढ़ाव

📘 मंत्रमहोदधि, नामचिन्तामणि

ध्वनि-तंत्र, नामाक्षर का तांत्रिक प्रभाव

📘 मुहूर्त चिंतामणि, कल्याण वर्मा का सारावली, नारद संहिता

नामकरण हेतु शुभ मुहूर्त व अक्षर चयन के नियम

📘 नारद पुराण, गरुड़ पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण

नाम की आत्मिक-सांसारिक महत्ता

 📘 गृह्यसूत्र (अश्वलायन, आपस्तम्ब आदि) – नामकरण संस्कार

🔴 "नामकरणं सदा कुर्वीत पुत्रं श्रेयसं वा तस्य।" – अश्वलायन गृह्यसूत्र
नामकरण हमेशा पुत्र के हितकर दिवस में करना चाहिए।
The naming ceremony should always be performed on auspicious days for the child’s well-being. hinduism.stackexchange.com+1sanskritdocuments.org+1


📘 बृहत् पराशर होरा शास्त्र – नाम और ग्रह फल

🔴 "नाम्नः प्रभावो दीर्घकालं जीवितं च फलं ददाति।" – बृहत् पराशर होरा शास्त्र
नाम का प्रभाव व्यक्ति के दीर्घजीवन, स्वास्थ्य, और भाग्य को प्रभावित करता है।
The name’s influence affects a person’s longevity, health, and fate. en.wikipedia.org+1sanskritdocuments.org+1


📘 जातकपारिजात, मानसागरी, फलदीपिका – दशा-अक्षर संबंध

🔴 "यस्य दशायां नामाक्षरं बाधकं तस्य जीवनं विषमं भवति।" – फलदीपिका
जिस दशा में नाम का अक्षर बाधक हो, उस व्यक्ति का जीवन कष्टमय होता है।
If the name syllable clashes during one's major period (Dasha), their life becomes troublesome.


📘 मंत्रमहोदधि, नामचिन्तामणि – नामाक्षर और नामेश

🔴 "नामाक्षरं ग्रहेण युक्तं तत्र नामेशं विचिन्तयेत्।" – मंत्रमहोदधि
नाम का पहला अक्षर जिस ग्रह का है, उसे नामेश मानकर समीक्षा करनी चाहिए।
The initial syllable of a name corresponds to a planet (Nāmeśa), which must be carefully evaluated.

🔴 "नक्षत्रानुसारं नाम ... दोषयुक्ते तारे तत्प्रत्याख्यानं हितम्।" – नामचिन्तामणि
नक्षत्र के अनुसार नाम रखें, लेकिन अगर वह दोषयुक्त हो तो उसे त्याग देना ही हितकर है।
Names should align with the birth star, but if it is afflicted, avoid the syllable. 


📘 मुहूर्त चिंतामणि, कल्याण वर्मा सारावली, नारद संहिता – माता‑पिता संग सामंजस्य

🔴 "नाम यस्य पितुर्भवति विपरीतः स पुत्रो नित्यं वैरभावं करोति।" – नारद संहिता
यदि संतान का नाम माता‑पिता की कुंडली में विपरीत भाव में होता है, तो वह वैरभाव उत्पन्न करता है।
If a child’s name falls in a malefic house in the parents’ chart, it causes discord.


📘 नारद पुराण, गरुड़ पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण – नाम और प्रकृति

🔴 "सुराः सन्तु नाम्ना ह्यशुभं नाम धत्ते च राक्षसः।" – ब्रह्मवैवर्त पुराण
देवता अपने नाम से पवित्र बनते हैं, पर राक्षस अपने अशुभ नाम से विनाशकारी हो जाते हैं।
Deities become sacred through their names, but demons become destructive via negative names.

🔶 3. नाम कैसे चुना जाए? — शास्त्रीय विधि |

 Scriptural Method of Name Selection

🪔 (A) जन्म नक्षत्र के चरण से वर्ण चयन (ज्योतिष शास्त्रानुसार)

प्रत्येक नक्षत्र के 4 चरण होते हैं, जिनसे संबंधित वर्ण (अक्षर) निर्धारित होते हैं।
उदाहरण:

  • अश्विनी नक्षत्र
    • चरण 1: चू
    • चरण 2: चे
    • चरण 3: चो
    • चरण 4: ला

🔸 परंतु यदि चंद्रमा पीड़ित हो या नक्षत्र अशुभ ग्रहों से ग्रस्त हो, तो इन वर्णों का प्रयोग वर्जित होता है।
🔸 इस स्थिति में हमें नाम लग्न, चंद्र, और दशा,16varfh ya navansh janm nakshr adahrit shubh (vargottam )के आधार पर उपयुक्त अक्षर चुनना होता है।


🪔 (B) शुद्ध मुहूर्त एवं तिथि अनुसार नाम का प्रभाव (मूहूर्त चिंतामणि अनुसार)

नामकरणं सदा कुर्यात् शुभे दिवसे शुभे मुहूर्ते च।
मुहूर्त चिंतामणि
अर्थ: नामकरण केवल शुभ तिथि, नक्षत्र, योग, वार में ही किया जाए।

🔹 शुभ तिथियाँ: द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, त्रयोदशी
🔹 शुभ वार: सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार
🔹 शुभ योग: शुभ, सिद्धि, सुभ, सौभाग्य, ब्रह्म
🔹 शुभ नक्षत्र: रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, अनुराधा, उत्तराभाद्रपदा


🪔 (C) नामेश ग्रह नामाक्षर का स्वामी कौन?

नाम के पहले अक्षर का जो ग्रह स्वामी होता है, वह नामेश कहलाता है।
उदाहरण:

  • अक्षर "श" पर राहु का प्रभाव होता है
  • अक्षर "ब" पर शुक्र
  • अक्षर "ज" पर गुरु

यदि बच्चा राहु की दशा में है, तो "श" से नाम रखने पर और अधिक राहु-दोष उत्पन्न होगा।
इसलिए नामेश ग्रह की स्थिति कुंडली में शुभ होनी चाहिए।


🪔 (D) माता-पिता की कुंडली से सामंजस्य

नारद संहिता कहती है:
नाम यस्य पितुर्भवति विपरीतः स पुत्रो नित्यं वैरभावं करोति।
अर्थ: जिस अक्षर से नाम पिता/माता की कुंडली में दोष या विरोधी भाव में आता हो,
उससे नाम रखने पर संतान हमेशा वैरभाव रखेगी।

🔸 इसलिए नाम पिता-माता की चंद्र व लग्न कुंडली में शुभ भाव में हो, यह भी अनिवार्य है।


🪔 (E) दशा-अंतर्दशा से मेल | Matching with Dasha System

यदि नाम का पहला अक्षर उस ग्रह से जुड़ा हो जिसकी दशा/अंतर्दशा दशकों तक चले
और वह ग्रह निर्बल या शत्रुस्थान में हो
तो वह नाम जातक के भाग्य, स्वास्थ्य, व्यवहार में दोष उत्पन्न करता है।


📿 4. शास्त्रीय निष्कर्ष (Vedokta & Pauranik Conclusion)

🔷 बृहत् पराशर होरा शास्त्र

नाम्नः प्रभावो दीर्घकालं जीवितं च फलं ददाति।
अर्थ:नाम का प्रभाव दीर्घजीवन और शुभफल को प्रभावित करता है।

🔷 ब्रह्मवैवर्त पुराण कर्णिकाखण्ड

सुराः सन्तु नाम्ना ह्यशुभं नाम धत्ते च राक्षसः।
भावार्थ:देवता तक अपने नाम से प्रभावी होते हैं; अशुभ नाम राक्षसी प्रकृति उत्पन्न करता है।


संक्षिप्त नियम संग्रह | Final Scriptural Rules for Naming

नियम

विवरण

1️

नाम का अक्षर शुभ नक्षत्र के चरण अनुसार हो

2️

यदि चंद्र, लग्न या दशा में दोष हो तो नक्षत्र-अक्षर त्यागें

3️

नामेश ग्रह कुंडली में शुभ हो

4️

माता-पिता की कुंडली से सामंजस्य रहे

5️

नाम अक्षर D-1, D-9, D-60 में शुभ भाव में हो

6️

जन्म के समय ग्रहों की दृष्टि से अक्षर के ध्वनि प्रभाव को देखें

7️

यदि कोई अक्षर अशुभ स्थान पर बारंबार आता हो, तो वह त्याज्य है

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🔴 जन्म नक्षत्र पर नाम रखना तभी शुभ होता है जब वह सम्पूर्ण ग्रह स्थिति, चंद्र-लग्न, और 16 वर्गों के अनुसार हो अन्यथा यह भविष्य को बिगाड़ सकता है
🔴 Birth Nakshatra-based naming is only auspicious when aligned with full planetary chart, Moon sign, ascendant, and 16 divisional charts — otherwise, it can ruin the child’s future

🔷 नाम का चंद्र कुंडली और अशुभ ग्रहों से संबंध यदि दोषपूर्ण हो तो क्या होगा?

यदि चंद्र अश्टम भाव में, या राहु, शनि, केतु जैसे ग्रहों के साथ नीचस्थ या पीड़ित है,
तो जन्म नक्षत्र का अक्षर यदि उन्हीं ग्रहों की प्रकृति के अनुकूल नहीं हो
तो उस अक्षर पर नाम रखना दुर्भाग्य, अवहेलना, अनादर और संघर्ष को जन्म देगा।
यदि वह अक्षर स्वयं माता-पिता की मारकेश राशि, या दोषपूर्ण भावों (6,8,12) में आता है,
तो बच्चा भविष्य में उन्हीं माता-पिता के लिए संकट बन सकता है।

🔹 If Moon is in 8th house, or conjunct with malefics like Rahu/Shani/Ketu, then naming the child based solely on Nakshatra syllables can cause long-term misfortune, disobedience, and even harm to the parents — especially if the syllable falls in the parents’ Maraka or Trika houses.


🕉 शास्त्रीय प्रमाण व श्लोक

🔹 बृहत् पराशर होरा शास्त्र (BPHS), अध्याय 80

नाम्नः स्वभावो ज्ञेयः तदधीनं शुभाशुभम्।"
अर्थ: "नाम का प्रभाव मनुष्य के स्वभाव व भाग्य को नियंत्रित करता है; यह शुभाशुभ फल देने में समर्थ होता है।

🔹 मंत्रमहोदधि एवं नामचिन्तामणि ग्रंथों में कहा गया है:

"नक्षत्रानुसारं नाम यद्यपि विधेयम्, तथापि दोषयुक्ते तारे तत्प्रत्याख्यानम् हितम्।"
अर्थ: "नक्षत्र के अनुसार नाम रखना यद्यपि विधि है, फिर भी यदि वह तारा (नक्षत्र) दोषयुक्त हो तो उस अक्षर को त्यागना ही हितकर है।"

🔹 ज्योतिषसार एवं जातकदेशमार्ग

"ग्रहस्थानं विना नामवर्णो दुःफलं प्रदाति।"
अर्थ: "ग्रहों की स्थिति का विचार किए बिना नाम का अक्षर जीवन में दुःख का कारण बनता है।"


🔷 नामेश क्या होता है? और वह कैसे चुना जाए?

नामेश = कुंडली में उस अक्षर का स्वामी जिसमें नाम रखा गया हो।
यदि नाम का पहला अक्षर अशुभ ग्रह का हो (जैसे "श" पर राहु का प्रभाव),
या वह माता-पिता के लिए मारकेश स्थान में आता हो,
तो बच्चा भविष्य में पालन-पोषण करने वालों को अपमानित या त्याग सकता है।



🔶 बच्चे के नाम अक्षर चयन की शास्त्रसम्मत विधि (Stepwise)

1.     लग्न, चंद्र, सूर्य तीनों के अनुसार शुभ अक्षरों की सूची बनाएं

2.     वर्तमान महादशा ग्रह और नामेश का तालमेल देखें

3.     16 वर्ग कुंडलियाँ (षोडशवर्ग) में मुख्यतः D-1, D-9, D-20, D-60 को मिलाएं

4.     माता-पिता की कुंडली में उस अक्षर का प्रभाव कहाँ पड़ता है, अवश्य देखें

5.     यदि उस अक्षर का फल अशुभ हो विशेषकर 6, 8, 12 या मारक स्थान में तो नाम न रखें


🔴 उदाहरण:

  • यदि बच्चे का नाम भी” (मूल नक्षत्र) से रखा जाए
  • परन्तु वह अक्षर माता के चंद्र कुंडली के 8वें भाव का है
  • और पिता की कुंडली में शनि से पीड़ित है
    तो यह नाम बच्चा माता-पिता से दूरी, तिरस्कार या अनादर को जन्म दे सकता है।

 🔹 1. केवल जन्म नक्षत्र पर नाम रखना क्यों हानिकारक हो सकता है?
यदि केवल चंद्र नक्षत्र के प्रथम अक्षर पर नाम रखा जाए, तो यह कई बार विपरीत प्रभाव दे सकता है, क्योंकि शेष ग्रहों जैसे शनि, राहु, मंगल या गुरु की स्थिति उस अक्षर को दोषपूर्ण बना सकती है।
🔹 Why is it risky to select a name only based on Moon Nakshatra?
If the name is chosen solely on the first syllable of Moon Nakshatra, it may give adverse effects because other planetary placements (like Saturn, Mars, Rahu, Jupiter) might make that syllable inauspicious.

🕉 शास्त्रीय प्रमाण:
"
नाम्नः स्वभावो ज्ञेयः" — (बृहत् पराशर होरा शास्त्र)
"Naamna
svabhāvo jñeya" — One’s name reflects and even shapes one’s nature. Hence, it must resonate harmoniously with all planets.


🔹 2. नवग्रहों के अनुसार नाम चयन का महत्व
हर ग्रह एक निश्चित ध्वनि, वर्ण या स्वभाव के साथ जुड़ा है। यदि किसी ग्रह की दशा चल रही हो, और नाम उसी ग्रह के विपरीत ध्वनि से हो, तो यह मानसिक, सामाजिक और आर्थिक हानि दे सकता है।
🔹 Why name should match all nine planets?
Each planet is associated with certain syllables and vibrations. If the name syllable clashes with the planet dominating the native’s current or major period (Dasha), it can cause psychological, financial, or social disturbance.


🔹 3. नाम में ग्रहों-नक्षत्रों की समरसता कैसे करें?

  • कुंडली में लग्नेश, चंद्र, सूर्य एवं वर्तमान दशानाथ की स्थिति देखें।
  • इन चार ग्रहों के अनुकूल वर्ण या स्वर से नाम चुनें।
  • शुभ ग्रहों (बुध, गुरु, शुक्र) की दृष्टि जिस भाव पर हो, उस अक्षर को प्राथमिकता दें।
    🔹 How to harmonize name with planets and Nakshatras?
  • Analyze Lagna lord, Moon, Sun, and Mahadasha lord.
  • Choose syllables compatible with these four.
  • Give preference to syllables influenced by benefics (Mercury, Jupiter, Venus).

🔹 4. विशेष नक्षत्र दोष: किन नक्षत्रों के नाम फल उल्टा देते हैं?

  • आश्लेषा, मूल, ज्येष्ठा, आर्द्रा, और कृत्तिका जैसे तीव्रगामी और उग्र नक्षत्रों में यदि नाम रखा जाए, और अन्य ग्रहों से मेल न खाता हो, तो नाम अशुभ फल दे सकता है।
    🔹 Which Nakshatras require special care in naming?
  • Nakshatras like Ashlesha, Moola, Jyeshtha, Ardra, Krittika—if mismatched with planetary influences, can cause strong negative effects through the name.

🔹 5. समाधान: कैसे करें सही नाम का निर्धारण?
कुंडली आधारित नाम विधि:
(
क) प्रथम नाम के अक्षर में लग्नेश या चंद्र का अनुकूल स्वर हो।
(
ख) उपनाम (surname) में दशानाथ ग्रह का अनुकूल प्रभाव हो।
(
ग) नामांक (numerology) भी ग्रहों से सामंजस्य में हो।
🔹 Solution: How to finalize an auspicious name?
Chart-based name correction method:
(a) First name should reflect the syllable of Lagna or Moon sign.
(b) Surname should balance the Mahadasha lord.
(c) Numerological value of the name must harmonize with planetary energies.


📘 उदाहरण के लिए अगर कोई जातक

  • चंद्र: मूल नक्षत्र में,
  • दशा: राहु की चल रही है,
  • तो  (मूल नक्षत्र का अक्षर) से नाम रखना हानिकारक हो सकता है। बेहतर होगा कोई ऐसा अक्षर लें जो राहु या शुभ ग्रह (बुध, शुक्र) से जुड़ा हो जैसे "श", "वि", "सु"।

📘 Example

  • Moon in Moola,
  • Mahadasha of Rahu running:
    Name starting with Birt star
    Ya”, “Yo”, “Bha”, “Bhi” (of Moola) may bring downfall. Better to use "Sh", "Vi", or "Su" – which resonate better with Rahu or benefic energies.
  •  

केवल नक्षत्र पर आधारित नाम, विशेषकर यदि तीव्र या उग्र नक्षत्र हो, तो वह जीवन में बाधाएं ला सकता है। सभी नवग्रहों के अनुसार संतुलित, कुंडली-समर्थित नाम ही दीर्घकालीन सफलता दे सकता है।
A name based solely on Nakshatra, especially if harsh or fierce, can invite obstacles. Only a balanced, horoscope-aligned name ensures lifelong harmony and success

. 📚 1. नाम का प्रभाव | Effect of Name

🔴 श्लोक: "नाम्नः प्रभावो दीर्घकालं जीवितं च फलं ददाति।"बृहत् पराशर होरा शास्त्र
🔴 Shloka: "Namnah prabhāvo dīrghakālaṁ jīvitam cha phalaṁ dadāti."Bṛhat Parāśara Horā Śāstra

🪔 नाम का प्रभाव दीर्घ जीवन और शुभ फल को प्रभावित करता है।
🪔 The name influences long life and favorable outcomes.


📚 2. नाम का चयन नक्षत्र के दोष से बचाते हुए | Avoiding Nakshatra Dosha in Naming

🔴 श्लोक: "नक्षत्रानुसारं नाम यद्यपि विधेयम्, तथापि दोषयुक्ते तारे तत्प्रत्याख्यानं हितम्।"नामचिन्तामणि
🔴 Shloka: "Nakṣatrānusāraṁ nāma yadyapi vidheyam, tathāpi doṣayukte tāre tatpratyākhyānaṁ hitam."

🪔 यद्यपि नाम नक्षत्र के अनुसार रखा जाना चाहिए, पर यदि तारा (नक्षत्र) दोषयुक्त हो तो उसे त्याग देना हितकर है।
🪔 Though names are assigned per Nakshatra syllables, if the star is afflicted, rejecting it is wise.


📚 3. नामेश ग्रह की स्थिति | Role of Name-Lord (Nāmeśa)

🔴 श्लोक: "नामाक्षरं ग्रहेण युक्तं तत्र नामेशं विचिन्तयेत्।"मंत्रमहोदधि
🔴 Shloka: "Nāmakṣaraṁ graheṇa yuktaṁ tatra nāmeśaṁ vicintayet."Mantramahodadhi

🪔 नाम का पहला अक्षर जिस ग्रह से संबंधित हो, उसका प्रभाव ध्यानपूर्वक देखा जाना चाहिए।
🪔 The planet associated with the first syllable of a name must be carefully examined.


📚 4. माता-पिता की कुंडली से विरोध हो तो नाम त्याज्य | If Parent’s Chart Clashes, Name Must Be Rejected

🔴 श्लोक: "नाम यस्य पितुर्भवति विपरीतः स पुत्रो नित्यं वैरभावं करोति।"नारद संहिता
🔴 Shloka: "Nāma yasya piturbhavati viparītaḥ sa putro nityaṁ vairabhāvaṁ karoti."Nārada Saṁhitā

🪔 यदि संतान का नाम पिता की कुंडली में विपरीत फल देने वाला हो, तो पुत्र वैरभाव रखता है।
🪔 If a child’s name brings affliction in the father’s chart, he tends to develop enmity or discord.


📚 5. नाम की ध्वनि शक्ति | Vibrational Power of Name

🔴 श्लोक: "नामानि चत्वारि नि विदुः परिमे घोषमकृताः।"ऋग्वेद 10.85.24
🔴 Shloka: "Nāmaani catvāri ni viduḥ parime ghoṣam akṛtāḥ."Ṛgveda 10.85.24

🪔 वेदों में नाम को चार प्रकार से जाना गया है, जिनमें एक का सम्बन्ध ध्वनि से है।
🪔 The Vedas describe four forms of names; one is rooted in sound vibration.


📚 6. शुभ मुहूर्त में नाम ही फलदायक | Only Names Given in Auspicious Timing Bear Fruit

🔴 श्लोक: "नामकरणं सदा कुर्यात् शुभे दिवसे शुभे मुहूर्ते च।"मुहूर्त चिंतामणि
🔴 Shloka: "Nāmakaraṇaṁ sadā kuryāt śubhe divase śubhe muhūrte ca."Muhūrta Cintāmaṇi

🪔 नामकरण सदैव शुभ दिन और शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए।
🪔 Name-giving must always be performed on an auspicious day and at a favorable muhurta.


📚 7. राक्षसी अक्षर से राक्षसी वृत्ति | Rakshasic Letters Lead to Tamasic Traits

🔴 श्लोक: "सुराः सन्तु नाम्ना ह्यशुभं नाम धत्ते च राक्षसः।"ब्रह्मवैवर्त पुराण
🔴 Shloka: "Surāḥ santu nāmnā hyaśubhaṁ nāma dhatte ca rākṣasaḥ."Brahmavaivarta Purāṇa

🪔 देवता भी अपने नाम से पूज्य बनते हैं, पर राक्षस अपने अशुभ नाम से ही विनाशकारी होते हैं।
🪔 Even deities become revered through their names, while demons reflect their destructive nature in their names.

📚 1. नाम का प्रभाव | Impact of Name

🔴 "नाम्नः प्रभावो दीर्घकालं जीवितं च फलं ददाति।"बृहत् पराशर होरा शास्त्र
नाम का प्रभाव व्यक्ति के जीवनकाल, स्वास्थ्य और फल को प्रभावित करता है।
The name influences a person's longevity, health, and destiny.


📚 2. नक्षत्र दोषयुक्त हो तो अक्षर त्याज्य | If Nakshatra is Afflicted, Avoid its Letter

🔴 "नक्षत्रानुसारं नाम यद्यपि विधेयम्, तथापि दोषयुक्ते तारे तत्प्रत्याख्यानं हितम्।"नामचिन्तामणि
हालाँकि नाम नक्षत्र के अनुसार चुना जाना चाहिए, पर यदि वह दोषयुक्त हो तो उसका त्याग करना हितकारी है।
Though a name should be based on the birth star, if the Nakshatra is afflicted, it is better to avoid its syllables.


📚 3. नाम का पहला अक्षर और उसका ग्रह (नामेश) | Name-Lord (Nāmeśa) and First Letter

🔴 "नामाक्षरं ग्रहेण युक्तं तत्र नामेशं विचिन्तयेत्।"मंत्रमहोदधि
नाम का प्रथम अक्षर जिस ग्रह के प्रभाव में हो, उस ग्रह को नामेश मानकर विचार करना चाहिए।
The first syllable of a name is linked to a planet, known as the Nāmeśa, and must be carefully analyzed.


📚 4. माता-पिता की कुंडली से मेल ज़रूरी | Name Must Harmonize with Parent’s Horoscope

🔴 "नाम यस्य पितुर्भवति विपरीतः स पुत्रो नित्यं वैरभावं करोति।"नारद संहिता
यदि संतान का नाम माता या पिता की कुंडली में विपरीत भाव में आता है, तो वह पुत्र वैरभाव रखता है।
If a child’s name falls in a malefic house in the parent’s chart, the child may develop discord with them.


📚 5. वेदों में नाम का ध्वनि प्रभाव | Sound-Based Name Principle in Vedas

🔴 "नामानि चत्वारि नि विदुः परिमे घोषमकृताः।"ऋग्वेद 10.85.24
वेदों में नाम के चार प्रकार बताए गए हैं, जिनमें एक है घोषात्मक नाम, जो ध्वनि पर आधारित होता है।
The Vedas classify names into four types; one is phonic, based on sound vibration.


📚 6. शुभ मुहूर्त में नामकरण अनिवार्य | Name Must Be Given in Auspicious Muhurta

🔴 "नामकरणं सदा कुर्यात् शुभे दिवसे शुभे मुहूर्ते च।"मुहूर्त चिंतामणि
नामकरण केवल शुभ दिन, शुभ नक्षत्र, और शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए।
Naming must be done only in an auspicious day, under a favorable Nakshatra and Muhurta.


📚 7. अशुभ नाम से अशुभ स्वभाव | Negative Names Cause Negative Nature

🔴 "सुराः सन्तु नाम्ना ह्यशुभं नाम धत्ते च राक्षसः।"ब्रह्मवैवर्त पुराण
देवता अपने नाम से पावन बनते हैं, पर राक्षस अपने अशुभ नाम से विनाशकारी बनते हैं।
Deities are glorified by their names, but demons become destructive through their negative names.


📚 8. दशा से मेल ज़रूरी | Match Name with Dasha Periods

🔴 "यस्य दशायां नामाक्षरं बाधकं तस्य जीवनं विषमं भवति।"फलदीपिका
जिस दशा में नाम का अक्षर बाधक हो, उस व्यक्ति का जीवन कष्टमय होता है।
If the name syllable is ruled by a malefic planet during major periods (dashas), the person suffers misfortunes.

 

केवल चंद्र नक्षत्र पर नाम रखना uchit /sahi  नहीं है।
नाम का ग्रह, वर्ण, नामेश, महादशा ग्रह, और माता-पिता पर उसका प्रभाव देखे बिना नाम रखना भविष्य के साथ अन्याय है।
यह अनजाने में आपके ही परिवार में संघर्ष का कारण बन सकता है।
नाम निर्धारण संतान के भविष्य को आकार देता है इसलिए यह लापरवाही का नहीं, शास्त्रसम्मतता का विषय है।

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 REMIND 📘 नाम निर्धारण के व्यापक नियम | 

Comprehensive Rules for Naming (Nāma Nirdhāraṇa)


🟦 1. जन्म नक्षत्र आधारित नाम निर्धारण |

 Naming Based on Janma Nakshatra

🔴 "नक्षत्रेण तु नामस्य विनियोगः शुभः स्मृतः।" – गृह्यसूत्र
जन्म नक्षत्र के अनुसार नाम के प्रथम अक्षर का चयन करना शास्त्रों में शुभ माना गया है।
Choosing the first syllable of the name based on the birth Nakshatra is considered auspicious in scriptures.


🟦 2. चंद्र राशि व लग्न से मेल | 

Match with Moon Sign & Ascendant

🔴 "राश्याः स्थाने ग्रहाः पश्येत् तत्र नामं च साधयेत्।" – ब्रह्माण्ड पुराण
चंद्र राशि, लग्न, और उसमें स्थित ग्रहों के अनुसार नाम के अक्षर की जाँच करना आवश्यक है।
One should consider the Moon sign, Ascendant, and the planets positioned therein while selecting a name.


🟦 3. कुंडली के शुभ भावों से संबंधित अक्षर |

 Letters Favorable in Horoscope

🔴 "षष्ठाष्टमारक त्रिक स्थानं वर्जयेत्।" – फलदीपिका
नाम का ऐसा अक्षर न चुने जो षष्ठ, अष्टम, या द्वादश भाव से संबंधित हो।
Avoid naming with syllables associated with the 6th, 8th, or 12th houses, as they are inauspicious.


🟦 4. दशा व गोचर ग्रहों से सामंजस्य | 

Alignment with Dasha & Transit Lords

🔴 "यस्य दशायां नामाक्षरं बाधकं स जीवति दुःखितः।" – जातकपारिजात
नाम का अक्षर वर्तमान दशा या गोचर ग्रहों से मेल खाता हो तो वह जीवन में सहयोगी सिद्ध होता है।
A name aligned with current planetary periods (Dasha) and transits ensures supportive effects.


🟦 5. माता-पिता की कुंडली से विरोध न हो | 

Should Not Conflict with Parents' Charts

🔴 "नाम दोषो यदा जातः पित्रोः कुंडल्याः विपर्ययः।" – नारद संहिता
यदि संतान का नाम माता-पिता की कुंडली में विरोधी भाव में स्थित हो, तो वैरभाव उत्पन्न करता है।
If the child's name falls in malefic positions in parents’ charts, it leads to disharmony.


🟦 6. परिवार के कुलदेवता या इष्टनाम का प्रभाव | Influence of Family Deity (Kuladevata) or Personal Deity

🔴 "कुलदेवतायाः नामसंज्ञा हि रक्षां करोतु।" – ब्रह्मवैवर्त पुराण
कुलदेवता या इष्ट देव के नाम से मिलता-जुलता नाम बालक की रक्षा करता है।
A name resembling the family deity (Kuladevata) or chosen deity (Ishta Devata) offers protection.


🟦 7. काव्यात्मक, शुभ अर्थवाला एवं उच्चारण में सरल नाम | Poetic, Auspicious & Phonetically Easy Name

🔴 "शुभार्थं नाम सुलघु स्पृहणीयं च सौम्यकम्।" – नामचिन्तामणि
नाम ऐसा हो जो शुभ अर्थ, सरल उच्चारण, और सामाजिक सौम्यता से युक्त हो।
The name should carry a positive meaning, be easy to pronounce, and socially pleasant.


🟦 8. वर्णक्रम व पंचमांश कुंडली से सामंजस्य | Harmony with Divisional Charts (especially D5)

🔴 "षोडशवर्गाणां मध्ये पंचमांशे नामन्यायम्।" – ज्योतिषार्णव
नाम का शुभ प्रभाव तब पूर्ण होता है जब वह D5 (पंचमांश) एवं अन्य वर्ग कुंडलियों से मेल खाता हो।
A name shows full effect only when it harmonizes with the D5 (Divisional 5) and other Varga charts.


🟦 9. जन्म समय के ग्रहों की दृष्टि से नामेश ग्रह | Name Should Not be Under Malefic Influence

🔴 "नामेशो यदि पापग्रहदृष्टः तदा न शुभं फलं ददाति।" – फलदीपिका
अगर नाम का स्वामी ग्रह (नामेश) पापग्रहों की दृष्टि में हो, तो वह कष्ट देता है।
If the Name-Lord (Nāmeśa) is under the aspect of malefic planets, the name becomes troublesome.


🟦 10. समाज व धर्म की परंपरा से विरुद्ध न हो | Name Should Not Violate Social or Dharmic Norms

🔴 "सामाजिकं नाम धर्मानुकूलं स्मृतम्।" – गरुड़ पुराण
नाम ऐसा न हो जो धर्म, संस्कृति, या परिवार की मर्यादा का उल्लंघन करता हो।
The name must conform to religion, culture, and family dignity.

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नाम निर्धारित करते समय उसका अर्थ अवश्य समझें, क्योंकि जिस प्रकार का अर्थ होगा, उस प्रकार की मानसिकता भी होगी। इसलिए अर्थ महत्वपूर्ण है। अर्थ समझने के बाद ही नाम Final करें।

  नाम का क्या प्रभाव, व्यवहार एवं मानसिकता पर होगा।


🔷
While choosing a name, always understand its meaning carefully — because the meaning of a name directly influences the mindset and personality. Therefore, the meaning holds great importance. Finalize the name only after fully understanding its meaning. Create a name yourself using these examples, and then tell us — we will explain how that name may affect behavior, personality, and mental tendencies.

नाम चयन हेतु शुद्ध, शुभ, अर्थयुक्त नाम-

📌 नियम:

  1. नाम में मात्रा (स्वर) युक्त अक्षर हों
  2. नाम में आधा अक्षर (संयुक्त व्यंजन) होना चाहिए

शुभ अक्षरों की पुनरावृत्ति (repetition) होनी चाहिए;

 नियमों के अनुसार नाम में:

  1. स्वर मात्रा होनी चाहिए (जैसे , , , ए आदि)
  2. आधा अक्षर/संयुक्त व्यंजन अवश्य होना चाहिए
  3. मुख्य अक्षर  की पुनरावृत्ति हो तो श्रेष्ठ
  4. 🔷 ट, थ, ड, ढ, ण – नाम में इन अक्षरों की प्रभावशीलता

    Powerful Impact of 'ṭa, tha, ḍa, ḍha, ṇa' in a Person’s Name

     

I

🔆 9 ग्रहों के अनुसार अक्षरों की ध्वनि ऊर्जा तालमेल सूची
Phonetic Sound Mapping of 9 Planets for Name Selection
(Hindi Font Size: 14 | English Font Size: 16 | कोई इटालिक नहीं | Sanskrit in 🔴 Bold)


🟨 ग्रह – ध्वनि (ध्वनि ऊर्जा-संकेतक अक्षर)

Planet – Associated Phonetic Letters (Sound-Energy Mapping)


☀️ 1. सूर्य (Surya – Sun)

🔸 ध्वनि-अक्षर: र, अ, ए, ओ, ऊ, री
🔸 ऊर्जा-प्रभाव: आत्मबल, नेतृत्व, प्रसिद्धि, राजसत्ता
🔸 Name examples: Rajdeep, Ravi, Rohan, Aarav, Omkar
“Ra” is strongly linked with authority, brilliance, and vitality.


🌙 2. चंद्र (Chandra – Moon)

🔸 ध्वनि-अक्षर: श, स, म, च, ज, य
🔸 ऊर्जा-प्रभाव: मनोबल, करुणा, मातृत्व, सौंदर्य
🔸 Name examples: Shaurya, Sharanya, Manav, Chaitanya, Yami
“Sha” connects with softness, mind, and nurturing energy.


🔴 3. मंगल (Mangal – Mars)

🔸 ध्वनि-अक्षर: ट, ठ, ड, ढ, र, क
🔸 ऊर्जा-प्रभाव: पराक्रम, ऊर्जा, युद्ध शक्ति, साहस
🔸 Name examples: Tarun, Kartik, Daksh, Rudra, Darshan
Mars-linked names invoke action, speed, and aggression.


🟡 4. बुध (Budh – Mercury)

🔸 ध्वनि-अक्षर: प, फ, ब, भ, य, न
🔸 ऊर्जा-प्रभाव: वाणी, बुद्धि, संचार, लेखन कला
🔸 Name examples: Parth, Bhavesh, Nipun, Yash, Bharat
“Pa” and “Ba” letters relate to speech, cleverness, and wit.


🟠 5. गुरु (Guru – Jupiter)

🔸 ध्वनि-अक्षर: ग, घ, द, ध, ब, य
🔸 ऊर्जा-प्रभाव: ज्ञान, धर्म, आस्था, शिक्षा, सलाह
🔸 Name examples: Gaurav, Devansh, Dhruv, Bhargav
Jupiter-connected sounds offer wisdom, optimism, and expansion.


🟤 6. शुक्र (Shukra – Venus)

🔸 ध्वनि-अक्षर: व, श, ल, र, ऐ, ई
🔸 ऊर्जा-प्रभाव: प्रेम, कला, संगीत, सुंदरता, आकर्षण
🔸 Name examples: Vaidehi, Lavanya, Rishabh, Ishita
Venus-sounds invoke harmony, romance, and aesthetics.


7. शनि (Shani – Saturn)

🔸 ध्वनि-अक्षर: स, ह, न, त, म, ध
🔸 ऊर्जा-प्रभाव: श्रम, संयम, स्थिरता, नीति, तप
🔸 Name examples: Samar, Harsh, Naman, Tanmay, Mantra
Saturn gives seriousness, discipline, and persistence.


🌀 8. राहु (Rahu – North Node)

🔸 ध्वनि-अक्षर: झ, त्र, ज्ञ, र, ल, क्ष
🔸 ऊर्जा-प्रभाव: रहस्य, तकनीक, सत्तालोलुपता, नवाचार
🔸 Name examples: Rajat, Kshitij, Trisha, Gyaan
Rahu-sounds lead to mysticism, innovation, and manipulation.


🔷 9. केतु (Ketu – South Node)

🔸 ध्वनि-अक्षर: ष, स, ह, क, य, म
🔸 ऊर्जा-प्रभाव: मोक्ष, योग, गूढ़ता, त्याग
🔸 Name examples: Keshav, Moksha, Satyam, Harit
Ketu names link to detachment, wisdom, and liberation.


🧭 नाम चयन के लिए प्रयोग विधि | How to Use This Sound Mapping in Name Selection

✅ जन्म कुंडली के लग्न, चंद्र राशि, नक्षत्र और नामेश ग्रह का विचार करें।
✅ ग्रह के अनुसार उपयुक्त अक्षर का चयन करें — विशेषकर पहला और अंतिम अक्षर।
✅ ग्रह मित्रता या शत्रुता को देखें — शत्रु ग्रह का अक्षर न लें।
✅ वर्ग कुंडली (D1, D9, D10) में भी उसी अक्षर के ग्रह की स्थिति की जाँच करें।

🔶 ग्रह–ध्वनि तालमेल | Planet–Sound Energy Mapping Chart

ग्रह (Planet)सम्बंधित ध्वनि अक्षर (Sound Letters)ऊर्जा–प्रभाव (Energy Effect)
☀️ सूर्य (Sun)र, अ, ए, ओ, ऊ, री (Ra, A, E, O, U, Ri)Leadership, authority, vitality
🌙 चंद्र (Moon)श, स, म, च, ज, य (Sha, Sa, Ma, Cha, Ja, Ya)Emotion, empathy, nurturing
🔥 मंगल (Mars)ट, ठ, ड, ढ, र, क (Ta, Tha, Da, Dha, Ra, Ka)Courage, energy, action
🌿 बुध (Mercury)प, फ, ब, भ, य, न (Pa, Pha, Ba, Bha, Ya, Na)Intellect, speech, communication
📚 गुरु (Jupiter)ग, घ, द, ध, ब, य (Ga, Gha, Da, Dha, Ba, Ya)Wisdom, expansion, teaching
🎨 शुक्र (Venus)व, श, ल, र, ऐ, ई (Va, Sha, La, Ra, Ai, I)Love, art, harmony
⌛ शनि (Saturn)स, ह, न, त, म, ध (Sa, Ha, Na, Ta, Ma, Dha)Discipline, stability
🌪️ राहु (Rahu)झ, त्र, ज्ञ, र, ल, क्ष (Jha, Tra, Gya, Ra, La, Ksha)Innovation, transformation
🕊️ केतु (Ketu)ष, स, ह, क, य, म (Sha (retro), Sa, Ha, Ka, Ya, Ma)Spirituality, detachment

📜

ChatGPT said:

🔷 शास्त्रीय प्रमाण पर आधारित ग्रह-अक्षर ध्वनि तालमेल (Phonetic Sound Mapping of 9 Planets with Scriptural Reference)
(Hindi Font: 14 | English Font: 16 | Sanskrit in 🔴 Bold)


📘 ऋग्वेद — "नामानि चत्वारि..."

🔴 "नामानि चत्वारि नि विदुः परिमे घोषमकृताः।"
ऋग्वेद 1.164.41

हिंदी: वेद में चार प्रकार के नाम बताए गए हैं –

  1. घोषजन्य (Sound-based)

  2. व्यवहारिक (Usage-based)

  3. शास्त्रीय (Scriptural/ritual-based)

  4. गूढ़ आत्मिक (Spiritual/inner-name)

English: The Vedas mention four categories of names –

  1. Sound-based (phonetic)

  2. Practical/social

  3. Scriptural/ritual

  4. Mystical or inner/spiritual

भावार्थ: ध्वनि-संकेतित नाम, अर्थात् ग्रहों व नक्षत्रों से सामंजस्य रखने वाले ध्वनि-अक्षरों पर आधारित नाम, मन, बुद्धि, वाणी और जीवन पर प्रभाव डालते हैं।


📕 बृहत् पराशर होरा शास्त्र — अध्याय 3

🔴 "नक्षत्रं जातकस्य नामनिर्देशकं स्मृतम्।"
— बृहत् पराशर होरा शास्त्र, अध्याय 3, श्लोक 3

हिंदी: किसी जातक के नाम का निर्धारण उसके जन्म नक्षत्र के अनुसार किया जाना चाहिए।
English: The naming of a person must be based on their birth Nakshatra.

🔸 इसमें हर नक्षत्र के लिए चार-चार ध्वनि-अक्षर दिए गए हैं, जो नाम के प्रारंभ के लिए उपयुक्त माने गए हैं।
🔸 इन ध्वनियों का चंद्रमा, लग्न, और दशा ग्रहों से सामंजस्य आवश्यक है।


📗 नामचिन्तामणि – अध्याय नामाध्याय

🔴 "स्वर्णनाम तत् शुभाय कल्पते यदि ग्रह-नक्षत्रसंगतं।"

हिंदी: शुभ नाम वही है जो ग्रह और नक्षत्रों से मेल खाता हो।
English: An auspicious name is that which aligns with planets and constellations.

🔸 नामचिन्तामणि ग्रंथ में ग्रहों की प्रकृति के अनुरूप ध्वनि-अक्षरों की तालिका दी गई है।
🔸 यह ग्रंथ ग्रह-संगति को सबसे पहला नाम निर्धारण का सूत्र मानता है।


📘 मुहूर्त चिंतामणि – अध्याय नामकरण विधि

🔴 "नामस्यारंभकं वर्णं स्वग्रहस्य शक्तिप्रदं वदेत्।"

हिंदी: नाम का पहला अक्षर उस ग्रह का होना चाहिए जो जातक के लिए शुभ और शक्तिशाली हो।
English: The first syllable of a name should be associated with the planet that bestows power and auspiciousness for the native.


📜 विशिष्ट ध्वनि-अक्षर और ग्रह ऊर्जा तालमेल तालिका | Planet–Sound Mapping Chart

ग्रहध्वनि अक्षरग्रंथ-प्रमाण
☀️ सूर्यर, अ, ओ, एनामचिन्तामणि, पराशर
🌙 चंद्रम, श, स, चमुहूर्त चिंतामणि
🔥 मंगलट, ठ, ड, कबृहत् जातक
🌿 बुधप, ब, भ, ननामचिन्तामणि
📚 गुरुग, द, ध, बसारावली
🎨 शुक्रव, ल, र, ऐनारद संहिता
⌛ शनिस, ह, न, तमुहूर्त चिंतामणि
🌪️ राहुझ, त्र, ज्ञ, क्षगरुड़ पुराण
🕊️ केतुष, स, ह, कब्रह्मवैवर्त पुराण

🔔 उपयोग विधि | How to Apply It

  1. बच्चे का लग्न, चंद्र, दशा ग्रह देखें।

  2. तालिका से ग्रह की ऊर्जा-अक्षर चुनें।

  3. नाम का प्रथम या अंतिम अक्षर चयनित ग्रह के अनुरूप रखें।

  4. सुनिश्चित करें कि वह अक्षर कुंडली में शुभ हो, और पिता–माता की कुंडली से विरोध न करता हो।


🔖 भविष्य में उपलब्ध गराई जा सकने वाली सेवा

लक्ष्यित नाम चयन हेतु:

यदि आप चाहें तो मैं आपकी व आपकी पत्नी की कुंडली, बच्चे की कुंडली सहित 16वर्ग (षोडशवर्ग), दशा, नक्षत्र, एवं ग्रहों के अनुसार पूर्णतः शुभ नाम अक्षरों की सूची तैयार कर सकता हूँ।
आप -तीनों की जन्मतिथि, समय और स्थान दें।

  • आप, आपकी पत्नी और संतान की जन्म–तिथि, समय, स्थान दें।   ग्रह–ध्वनि तालमेल व्यक्तिगत चार्ट नाम अक्षर सुझाव

📘 क्या आप इसके लिए तीनों कुंडलियों का विवरण भेजना चाहेंगे?

यह सुझाव संतान की दीर्घकालिक सफलता व पारिवारिक समरसता में सहायक होगा।

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विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...