🌑 शनिवार, स्वाति नक्षत्र, द्वादशी तिथि — नए वस्त्र/वस्तु प्रयोग और पूजन विवरण
(संयुक्त प्रभाव: शनि + स्वाति + द्वादशी)
📆 तिथि: 7 जून 2025 (शनिवार)
🔯 नक्षत्र: स्वाति – समाप्ति: 15:52 तक
📜 तिथि: द्वादशी – समाप्ति: 14:44 तक
🪔 वार: शनिवार
🛍️ नए वस्त्र/वस्तु प्रयोग
🔸 निषेध (निषिद्ध):
द्वादशी
तिथि + व्रत काल + स्वाति + शनिवार = नए वस्त्र, आभूषण, वाहन, भवन प्रवेश जैसे कार्यों के लिए अति अशुभ।
धार्मिक
प्रमाण:
"द्वादश्यां वस्त्रधारणं वर्ज्यम् विशेषतः शनौ।"
— धर्मसिन्धु, व्रतकाण्ड
👉 अर्थ: द्वादशी तिथि में विशेषतः शनिवार को वस्त्र
धारण, नया प्रयोग
वर्जित है।
🧵 वस्त्र एवं दीपक से जुड़ी विधि
🔹 स्त्रियों के लिए वस्त्र रंग
- ✖ सफेद, लाल, नीला रंग त्याज्य
- ✔ हल्का पीला या गुलाबी (यदि बहुत आवश्यक हो)
🔹 पुरुषों के लिए वस्त्र रंग
- ✖ काला, नीला, भूरा त्याज्य
- ✔ हल्का भगवा या क्रीम (आपात में ही)
🔹 दीपक दिशा एवं रंग
- दिशा: पूर्व दिशा (यदि शनि पूजन), अन्यथा अग्निकोण (दक्षिण-पूर्व)
- दीपक रंग: काले तिल से निर्मित तिल का तेल
- वर्तिका रंग: काली रुई अथवा जटायुक्त रुई की बत्ती
- वर्तिका दिशा: दीपक की बत्ती उत्तर या पूर्व की ओर करें
⏰ पूजन समय (पूजा मुहूर्त)
- शुभ काल: 07:10 – 09:12 (प्रातः)
- विशेष शनि पूजन काल: 16:50 – 18:20 (संध्याकालीन शनिदेव आराधना हेतु उपयुक्त)
📿 शनि + स्वाति + द्वादशी विशेष पूजा विधि
🔸 मंत्र:
"ॐ
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसंभूतं
तं नमामि शनैश्चरम्॥"
— ब्रह्माण्ड
पुराण, अध्याय 44
👉 अर्थ: मैं उस शनिदेव को नमन करता हूँ जो नील वर्ण, रविपुत्र, यम के अग्रज, छाया और
सूर्य से उत्पन्न हैं।
🔸 व्रत/पूजन विधि:
- काले तिल से तिलक करें
- पत्तों में तुलसी ना चढ़ाएँ (द्वादशी को वर्जित)
- काली उड़द, लोहा, तिल, और कंबल का दान करें
- स्वाति में वायु देव को अर्घ्य दें – स्वाति वायु प्रधान है
- पीपल वृक्ष का परिक्रमा (21 बार) करें — विशेष शनि लाभ
📚 संयुक्त दोष एवं प्रभाव (Saturday + Swati + Dwadashi)
तत्व |
प्रभाव |
उपाय |
शनि + द्वादशी |
मानसिक चिंता, वस्त्र प्रयोग निषेध |
शनिदेव की शांति हेतु दीपदान |
स्वाति + द्वादशी |
वाणी दोष, वाद-विवाद |
वायु देवता को अर्घ्य दें |
स्वाति + शनिवार |
कार्यों में रुकावट |
हनुमान चालीसा या शनि स्तोत्र |
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