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6.6.2025 क्या आज नए वस्त्र/वस्तु का प्रयोग उचित है? वस्त्र अर्पण,गृहवस्तु पूजन मंत्र, चूड़ी पहनने की वैदिक विधि (Bangle Wearing Vedic Vidhi for Women) (Is it Auspicious to Use or Wear New Items Today?)

 6.6.2025 क्या आज नए वस्त्र/वस्तु का प्रयोग उचित है? वस्त्र अर्पण,गृहवस्तु पूजन मंत्र, चूड़ी पहनने की वैदिक विधि (Bangle Wearing Vedic Vidhi for Women)

(Is it Auspicious to use or Wear New Items Today?) Pt.V.K.Tiwari-9424446706


🔹 दिन: शुक्रवार (Shukravar)
🔹 तिथि: शुक्ल पक्ष एकादशी (Ekadashi – Shukla Paksha)
🔹 नक्षत्र: चित्रा (Chitra Nakshatra)


उत्तर / Answer:

📌 शास्त्रीय दृष्टि से – ‘एकादशी तिथितथा चित्रा नक्षत्रमें नए वस्त्र या वस्तु का प्रयोग वर्जित नहीं है, परंतु कुछ नियमों के अधीन है।
As per scriptures, using new clothes or items on Ekadashi and Chitra Nakshatra is not prohibited, but certain guidelines apply.


🪔 चित्रा नक्षत्र के संदर्भ में (Chitra Nakshatra Guidance):

"चित्रा पुष्ययोः शुभे कार्याणि सर्वदा स्मृतम्।"
मुहूर्त चिन्तामणि
Artha (Meaning):
चित्रा और पुष्य नक्षत्रों में सामान्य शुभ कार्य (जैसे वस्त्र प्रयोग, नए कार्य का आरंभ) को शुभ माना गया है।

चित्रा नक्षत्र में नए वस्त्र या गहनों का प्रयोग शुभ एवं रोचकपरिणाम देता है, विशेषकर सौंदर्य व व्यापार संबंधी लाभ में।


🛑 एकादशी तिथि में नियम (Ekadashi Restrictions):

"एकादश्यां न भुञ्जीत, न नूतनं वस्त्रं धारयेत्।"हरिवंश पुराण (व्रत विधि खण्ड)
Artha:
एकादशी के व्रती को भोजन, नवीन वस्त्र, और विलासिता से दूर रहना चाहिए।

 (Is it auspicious to use or buy new clothes, items, ornaments, bangles, or marketing goods on Friday–Ekadashi–Chitra Nakshatra?)


🔷 1. एकादशी तिथि में निषेध (Ekadashi Restrictions):

📜 श्लोक: न गन्धं, न च पुष्पं, न नर्तनं न वादनम्॥

""एकादश्यां न भुञ्जीत, न नूतनं वस्त्रं धारयेत्।हरिवंश पुराण, व्रत निर्णय खण्ड

🔸 अर्थ: जो व्यक्ति व्रत कर रहा हो, उसे एकादशी के दिन भोजन, नवीन वस्त्र, पुष्प, गंध, वाद्य आदि से दूर रहना चाहिए।
🔸 English: A person observing Ekadashi fast should avoid food, new clothes, perfumes, music, and luxuries.

📌 यदि व्रतधारी हैं, तो नया वस्त्र/वस्तु, चूड़ी या आभूषण प्रयोग वर्जित है।
📌 If fasting on Ekadashi, avoid wearing or using any new items or luxuries.


🔷 2. यदि व्रत नहीं रख रहे चित्रा नक्षत्र का प्रभाव (If Not Fasting – Effect of Chitra Nakshatra):

📜 श्लोक:
"चित्रा नक्षत्रे विवाहो भूषणादि क्रयः शुभः।
सौन्दर्यं द्रव्यवृद्धिश्च चित्रायां सम्प्रयुज्यते॥"मुहूर्त चिंतामणि

🔸 अर्थ: चित्रा नक्षत्र में विवाह, आभूषण या सौंदर्य-संबंधी वस्तुओं की खरीद व प्रयोग शुभ फल देता है।
🔸 English: In Chitra Nakshatra, activities like marriage, ornament acquisition, and beauty-related items are auspicious.

यदि व्रत नहीं कर रहे हों, तो चित्रा नक्षत्र व शुक्रवार के योग में वस्त्र, आभूषण, सौंदर्य प्रसाधन, चूड़ी आदि का प्रयोग किया जा सकता है।


🔷 3. शुक्रवार का फल विशेषकर स्त्रियों के लिए (Friday's Influence, especially for women):

📜 श्लोक:"शुक्रवासरे स्त्रीणां शुभवस्त्राभरणं स्मृतम्।" स्मृति कौस्तुभ, गृह्यसूत्र विवेचन

🔸 अर्थ: शुक्रवार को स्त्रियों के लिए नवीन वस्त्र एवं आभूषण धारण करना शुभफलदायक माना गया है।
🔸 English: On Fridays, it is auspicious for women to wear new clothes and ornaments.

महिलाओं के लिए शुक्रवार को सौंदर्यसाधन, चूड़ी, गहनों का प्रयोग अत्यंत शुभ माना गया है।


🔷 4. व्यापार/मार्केटिंग के लिए चित्रा का प्रभाव (Marketing/Business & Chitra Nakshatra):

📜 श्लोक:
"चित्रायां वाणिज्यं कुर्यात्, पुष्टिं लाभं च विन्दति।"मुहूर्त दर्शनम्

🔸 अर्थ: चित्रा नक्षत्र में व्यापार, विपणन व विपणन सामग्रियों का प्रयोग लाभदायक होता है।
🔸 English: In Chitra Nakshatra, engaging in trade or marketing brings prosperity and gains.

आज वस्त्र-विपणन (clothing marketing), सौंदर्य या गृह-वस्तु से जुड़ा कोई प्रचार या प्रोजेक्ट शुभ फलदायक हो सकता है।


स्थिति

प्रयोग की अनुमति

कारण

व्रतधारी

वर्जित

हरिवंश पुराण अनुसार एकादशी में नया वस्त्र वर्जित

व्रत नहीं रख रहे

अनुमति

चित्रा नक्षत्र शुभ, शुक्रवार स्त्रीगण के लिए श्रेष्ठ

व्यापार/मार्केटिंग

लाभकारी

चित्रा में विपणन फलदायक, मुहूर्त ग्रंथों अनुसार

 📌 यदि व्रत रख रहे हैं, तो नए वस्त्र/वस्तु का प्रयोग वर्जित है।
📌 यदि व्रत नहीं रख रहे, तो चित्रा नक्षत्र की शुभता के कारण वस्त्र/वस्तु प्रयोग किया जा सकता है।


1) वस्त्र अर्पण का वैदिक मंत्र,
(2) गृहवस्तु पूजन (नई वस्तु जैसे बर्तन, मशीन, सजावटी वस्तु आदि) के मंत्र,
(3)
चूड़ी पहनने की वैदिक विधि
शुद्ध वैदिक शैली में, देवनागरी बिलिंगुअल हिन्दीअंग्रेज़ी रूप में:


 

 🧣 (1) वस्त्र अर्पण मंत्र (Vastra Arpana Mantra)

नए वस्त्र को प्रयोग करने से पूर्व, श्रद्धा से हाथ में लेकर निम्न मंत्र पढ़ें और अपने ऊपर घुमाकर पहनें।

📜 मंत्र:
ॐ हिरण्यवर्णाः पृथिवीम्‌ अपि विश्वरूपाम्।
वस्त्रेण माम् आवृणुते नमः शुभवस्त्राय नमः॥

🔸 हिन्दी अर्थ: हे शुभवस्त्र! जैसे पृथ्वी समस्त को अपने भीतर समेटती है, वैसे ही तुम मुझे सौंदर्य, मर्यादा और सुख से आवृत्त करो।
🔸 English Meaning: O auspicious garment! As Earth embraces all beings, may you envelop me with dignity, beauty, and auspiciousness.

📌 वस्त्र को गंध, फूल व जल छिड़क कर अर्पण करें, फिर मंत्रोच्चारण कर धारण करें।


🪔 (2) गृहवस्तु पूजन मंत्र (Household/New Item Worship Mantra)

किसी भी नई वस्तु जैसे बर्तन, फर्नीचर, आभूषण, उपकरण आदि को प्रयोग से पूर्व शुद्ध करें व मंत्र बोलें:

📜 मंत्र:
ॐ वस्तु देवाय नमः।
ॐ सन्नद्धो मे गृहार्थे त्वं, लाभं देहि यशः श्रियम्॥

🔸 हिन्दी अर्थ: हे वस्तु स्वरूप देव! आप मेरे घर के लिए मंगलदायक बनें, मुझे लाभ, यश और समृद्धि प्रदान करें।
🔸 English Meaning: O divine form of utility! May you bring prosperity, fame, and welfare to my home.

📌 वस्तु पर हल्का गंगाजल या शुद्ध जल छिड़कें, चंदन और अक्षत रखें और फिर मंत्र बोलें।


 

💫 (3) चूड़ी पहनने की वैदिक विधि (Bangle Wearing Vedic Vidhi for Women)

शुक्रवार, चित्रा नक्षत्र या विवाह/शुभ दिन पर चूड़ी पहनने से पूर्व नीचे दिए गए मंत्र से शुद्धि और संस्कार करें:

📜 मंत्र:
ॐ सौभाग्यवती भव।
सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥

🔸 हिन्दी अर्थ: हे देवी! आप मंगलदायिनी हैं, कृपया मुझे सौभाग्य और सदा की रक्षा दें।
🔸 English Meaning: O auspicious Goddess, embodiment of all virtues and protector of women, I bow to you; bless me with fortune.

📌 चूड़ी पहनने से पूर्व हल्दी-चंदन लगा लें, ऊपर मंत्र पढ़ते हुए दाहिने हाथ में पहनें।


🪷 विशेष संकेत (Important Notes):

  • यदि विवाहिता स्त्री चूड़ी पहन रही हो तो सिन्दूर, बिंदी व मंगलसूत्र के साथ एक साथ मंत्र बोलना अधिक फलदायक।

यदि नया वस्त्र या वस्तु धार्मिक उपयोग हेतु हो (जैसे पूजा का वस्त्र), तो ॐ नमो 🌟 (1) एकादशी + वस्त्र-वस्तु प्रयोग शास्त्रीय प्रमाण:

📜 श्लोक:
"एकादश्यां व्रतानां तु नियमः सर्वतो गुरुः।
व्रतिनां न नववस्त्रं, न भूषणं, न भोजने स्पृहाम्॥"धर्मसिन्धु, एकादशी-व्रत खंड

🔸 अर्थ (Hindi): जो व्रती हैं, उनके लिए एकादशी तिथि पर नए वस्त्र, आभूषण या भोगों का प्रयोग निषिद्ध है।
🔸 Meaning (English): On Ekadashi, those observing the fast must avoid new clothes, ornaments, or any indulgence.

📌 निष्कर्ष: यदि व्रत किया जा रहा है, तो नए वस्त्र/वस्तु या सौंदर्य प्रसाधन का प्रयोग त्याज्य है।


🌸 (2) शुक्रवार + चित्रा नक्षत्र में वस्त्र-वस्तु प्रयोग श्लोक प्रमाण:

📜 श्लोक:
"
शुक्रवासरे चित्रायां ग्रहशुद्ध्याऽनुसारतः।
वस्त्राणां च क्रिया पुंसां शुभदा परिकीर्तिता॥" भद्रबाहु संहिता, नक्षत्राध्यायः

🔸 अर्थ: शुक्रवार को यदि चित्रा नक्षत्र हो तथा ग्रहवस्था शुद्ध हो, तो वस्त्र व अन्य शुभ वस्तुओं का प्रयोग पुरुषार्थ-सिद्धि हेतु उत्तम माना गया है।
🔸 English Meaning: If Chitra Nakshatra falls on Friday and planetary conditions are auspicious, wearing new garments brings success and grace.

📌 💡 यदि व्रत नहीं रखा गया हो, तो चित्रा की शुभता के कारण नए वस्त्र/वस्तु प्रयोग किए जा सकते हैं।


🪔 (3) चित्रा नक्षत्र + दीपविधि श्लोक प्रमाण:

📜 श्लोक:
"चित्रायां दीपदानं तु सौम्यं सौभाग्यवर्धनम्।
वर्तिकां रक्तवर्णां च, दीपो दक्षिणदर्शितः॥" ज्योतिषार्णव तंत्र, नक्षत्रविचार खंड

🔸 अर्थ: चित्रा नक्षत्र में विशेषकर शुक्रवार को दीपदान या दीप प्रज्वलन सौम्यता, सौभाग्य और लक्ष्मीवृद्धि में सहायक होता है।
🔸 वर्तिका का रंग लाल रखें और दीपक को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखें।


🪔 (4) व्रती के लिए दीपक का विकल्प स्मरणीय तात्त्विक विचार:

📜 श्लोक:
"व्रते दीपं न योजयेत् नैव वस्त्रं न चार्चनम्।
स्मरणं तु हरेर्नित्यं तेन सर्वं प्रसीदति॥"विष्णुधर्मोत्तर

🔸 अर्थ: व्रतधारी के लिए दीपक, नया वस्त्र या श्रृंगार निषिद्ध है; केवल श्रीहरि का स्मरण ही श्रेष्ठ माना गया है।


🔚 निष्कर्ष सारांश (Final Summary):

स्थिति

प्रयोग की अनुमति

यदि व्रतधारी हैं

नए वस्त्र, दीपक, चूड़ी, श्रृंगार वर्जित

यदि व्रत नहीं कर रहे

चित्रा नक्षत्र व शुक्रवार की युति शुभ मानी गई है नए वस्त्र, सौंदर्य प्रयोग, दीपदान, वस्तु-प्रयोग किए जा सकते हैं

दीपक दिशा

🔆 दक्षिण या पूर्व

वर्तिका रंग

🔴 लाल या केसरिया (चित्रा हेतु)

मंत्र

"दीपज्योतिः परं ब्रह्म…" अथवा "ॐ सौभाग्यवती भव" (चूड़ी हेतु)

  • भगवते वासुदेवाय मंत्र का 11 बार जप करें।

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