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⃣ सोमवार को शिव पूजन से कौन से ग्रह शांत होते हैं?श्रावण मास – प्रथम सोमवार विशेष पूजन एवं शास्त्रीय विधान

                         

सोमवार को शिव पूजन से कौन से ग्रह शांत होते हैं?
(By Pt.V.K.Tiwari,Dr R Dixit & Dr S Tiwasri(Astro-Palmist& Vastu)9424446706

श्रावण मासप्रथम सोमवार विशेष पूजन एवं शास्त्रीय विधान (सहित श्लोक प्रमाण, दिशा, दीपक, व्रत नियम) 🗓️ दिनांक: 14 जुलाई 2025
वार: सोमवार
तिथि: चतुर्थी (शुक्ल पक्ष)
नक्षत्र: शतभिषा (Aquarius – कुंभ राशि)
चंद्रराशि: कुंभ
विशेष संयोग: श्रीगणेश चतुर्थी + सोमवार + शतभिषा नक्षत्र + कुंभ चंद्र = अत्यंत शुभ योग

🔱 मुख्य शीर्षक (Main Headings in Hindi + English):

1️ श्रावण पूर्व चतुर्थी सोमवार का महत्त्व
Importance of Chaturthi falling on a Monday before Shravan

2️ चतुर्थी तिथि में गणेश पूजन के लाभ
Benefits of Ganesh Puja on Chaturthi Tithi

3️ सोमवार को शिव पूजन से कौन से ग्रह शांत होते हैं?
Which planets are pacified by Shiva worship on Monday?

4️ गणेश पूजन से किस ग्रह की शांति और दोष निवारण होता है?
Which planets & doshas are resolved through Ganesh Puja?

5️ शतभिषा नक्षत्र + कुंभ राशि में चंद्रमा का प्रभाव
Effect of Moon in Shatabhisha Nakshatra & Aquarius Rashi

6️ चातुर्मास और श्रावण माह में वर्जित कार्य और भोज्य पदार्थ
Prohibited activities and foods during Chaturmas and Shravan month

7️ महामृत्युंजय मंत्रश्लोक सहित अर्थ
Mahamrityunjaya Mantra – Full with Meaning

8️ शिव व्रत कथा (पूर्ण) – शास्त्रीय प्रमाण सहित
Complete Shiva Vrat Katha with scriptural source

9️ शिव हवन विधि, मंत्र एवं ग्रह दोष शांति
Conclusion – Why is this day

10 स्त्रीधर्म, नक्षत्र विधि और श्रावण मास के सोमवार में स्नान

निष्कर्षयह दिन क्यों अत्यंत प्रभावशाली है?

🕉️ श्रावण मास और प्रथम सोमवार का महत्त्व:

🌿 श्रावण मास को "देवाधिदेव महादेव" का सर्वाधिक प्रिय मास कहा गया है।
विशेषतः सोमवार (चंद्रवार) को भगवान शिव को जल अर्पण, व्रत, दीपदान तथा मंत्र जप विशेष फलप्रद माने गए हैं।


📜 महत्त्व का शास्त्रीय प्रमाण (शिव महापुराण से):

शिवमहापुराण, विद्येश्वरसंहिताअध्याय 10:
श्रावणस्य तु मासेऽस्मिन्यः सोमव्रतमाचरेत्।
भक्त्या शंकरदेवस्य याति परमं पदम्॥

अर्थ: जो भक्त श्रावण मास में सोमवार को व्रत करता है, वह शिव के परम पद को प्राप्त करता है।


🪔 श्रावण सोमव्रत कब से प्रारंभ करें:

  • श्रावण मास के प्रथम सोमवार से व्रत का शुभारंभ करें।
  • व्रत की संख्या: 4 या 5 सोमवार (क्षेत्रीय पंचांग अनुसार)
  • कुछ स्थानों पर 16 सोमवार व्रत (सोलह सोमवार) भी यहीं से प्रारंभ करते हैं।

🙏 पूजन विधि:

🔹 तत्व

🔸 विधान / दिशा / रंग / संख्या

पूजन देवता

शिव (शिवलिंग), माता पार्वती, गणेश, नंदी

पूजन सामग्री

जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, सफेद पुष्प

व्रत नियम

उपवास / फलाहार, ब्रह्मचर्य, मौन या जप

दीपक की संख्या

5 दीपक (पंचदीप), या 1 विशेष दीर्घवर्ती दीप

दीपक प्रकार

तिल का तेल = पापक्षय हेतु, घृत = पुण्य वृद्धि हेतु

दीपक की दिशा

पूर्व या ईशान कोण में दीपक जलाएँ

वर्तिका (बाती) रंग

सफेद (रुई की), यदि विशेष फल चाहिए तो केसर मिश्रित पीली भी चले

दीपक द्रव्य की स्थिति

पूजक के बाएँ हाथ में तिल का तेल, दाएँ हाथ में घृत

मंत्र दिशा

जप के समय मुख पूर्व की ओर रखें

जप संख्या

शिव पंचाक्षरी: " नमः शिवाय" – 11, 21, 108 या 1008 बार

आरती समय

प्रदोष बेला (संध्या से 45 मिनट पूर्व 45 मिनट बाद तक)

पूजन का श्रेष्ठ समय

प्रातःकाल (ब्राह्ममुहूर्त – 4:00 से 6:00) तथा संध्या काल

श्रावण मास, प्रथम सोमवार व्रत, शास्त्रीय प्रमाण, शिव व्रत कथा, मंत्र (सहित पूर्ण श्लोक + अर्थ), चातुर्मास में निषिद्ध कार्य भोजन, तथा निष्कर्ष के साथ:


📜 (1) श्रावण मास का शास्त्रीय महत्त्वश्लोक सहित प्रमाण

🪔 शिवमहापुराणविद्येश्वर संहिता, अध्याय 10, श्लोक 21-22:

श्लोक:
श्रावणस्य तु मासेऽस्मिन्यः सोमव्रतमाचरेत्।
भक्त्या शंकरदेवस्य याति परमं पदम्॥

अर्थ:
जो भक्त श्रावण मास में सोमवार को भगवान शंकर का व्रत करता है, वह शिव के परमधाम को प्राप्त करता है।


📗 स्कंद पुराणनागर खंड:

श्रावणो मासो मम प्रियतमो मासानां।
तत्र सोमवारे जलार्पणं विशेषतः फलप्रदं भवति।

अर्थ:
श्रावण मास सभी महीनों में मुझे (शिव को) अति प्रिय है। इस मास में सोमवार को जलार्पण करना विशेष फलदायक होता है।


📖 (2) सम्पूर्ण शिव व्रत कथा — (श्रावण सोमवार व्रत कथा)

📚 स्रोत: शिव पुराणकोटिरुद्र संहिता

एक नगर में "सुसिला" नामक कन्या थी, जिसने श्रावण मास में सोमवार का व्रत आरंभ किया। वह नित्य शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, पुष्प आदि से पूजन करती और " नमः शिवाय" का जाप करती।

उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन देकर वरदान दिया
हे कन्ये! तूने मेरे सोमव्रत का पालन किया है, तू सौभाग्यशाली होगी, तुझे उत्तम पति, संतान और दीर्घ आयु का वरदान देता हूँ।

कुछ समय पश्चात उसका विवाह श्रेष्ठ ब्राह्मण सत्यवान से हुआ और वह सदा सुखी रही

शास्त्रीय पुष्टि:

मम सोमव्रतेनैव स्त्रियः पतिमवाप्नुयुः।
धनं पुत्रं सौभाग्यं तच्च व्रतेन साध्यते॥

अर्थ:
जो स्त्रियाँ श्रावण सोमवार का व्रत करती हैं, उन्हें उत्तम पति, धन, संतान और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।


🔱 (3) महामृत्युंजय मंत्रपूर्ण श्लोक + अर्थ

मंत्र:
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

अर्थ:
हम उस त्रिनेत्रधारी शिव की उपासना करते हैं, जो सुगंधित है, जो पोषणकर्ता है। जैसे पकता हुआ फल बेल से अलग हो जाता है, वैसे ही हम मृत्यु से मुक्त होंपरंतु अमरत्व (मोक्ष) से नहीं।

इस मंत्र का जप श्रावण सोमवर में 108 या 1008 बार करना विशेष फलदायक होता है।


🌿 (4) श्रावण मास + चातुर्मास में निषिद्ध कार्य विशिष्ट बातें:

🕉️ श्रावण माह का विशिष्ट स्थान:

  • देवताओं के शयन (निद्रारंभ) का मासचातुर्मास का प्रारंभ
  • सावन के चार सोमवार = चार पवित्र देवस्वरूप सप्ताह।
  • शिव कानीलकंठस्वरूप विशेष रूप से स्मरणीय होता हैसमुद्र मंथन के विषपान की स्मृति।

चातुर्मास में निषिद्ध कार्य (विशेषतः श्रावण में):

🚫 निषिद्ध कार्य

🧭 कारण

विवाह / शुभ संस्कार

देव निद्रा काल

बाल कटवाना / दाढ़ी बनवाना

अशुद्धि बढ़ती है

जमीन की खुदाई / वृक्ष काटना

पृथ्वीदेवी विश्रांति में होती हैं

तीखा, खट्टा, तेलीय भोजन

पित्त दोष प्रबल होता है

सहवास / ब्रह्मचर्य त्याग

आध्यात्मिक ऊर्जा ह्रास

 🔶 1. चतुर्थी तिथि का महत्व (गणेश पूजन हेतु)

"चतुर्थ्यां गणनाथं पूजयित्वा विधिपूर्वकम्।
सर्वविघ्न विनाशाय सुखं सम्पद्यते ध्रुवम्॥"
व्रतराज ग्रंथ

📌 अर्थ: चतुर्थी तिथि को विधिपूर्वक गणेश पूजन करने से विघ्नों का नाश होता है और सफलता प्राप्त होती है।

14 जुलाई 2025 को चतुर्थी सोमवार को पड़ने से यह लाभकारी चतुर्थी” (Labh Chaturthi) मानी जाएगी।


🪔 2. सोमवार का महत्वशिव पूजन हेतु

  • सोमवार को शिव पूजन करने से चंद्र दोष, मन की अशांति, पित्त एवं मानसिक रोग, तथा शनि द्वारा उत्पन्न पीड़ा शांत होती है।
  • विशेषतः श्रावण से पूर्व सोमवार यदि चतुर्थी से युक्त होतो गणपति + शिव की संयुक्त कृपा मिलती है।

"सोमवारे शिवं भक्त्या योऽर्चयेत् सदा नरः।
याति शङ्करं धाम नैव सन्देहः क्वचित्॥"
शिवपुराण


🌌 3. शतभिषा नक्षत्र में सोमवारज्योतिषीय महत्व

  • शतभिषा नक्षत्र का स्वामी राहु होता है।
  • जब सोमवार को चंद्रमा शतभिषा में होयह मानसिक शांति, गूढ़ विद्याओं में सफलता, राहु के दोषों की शांति, और शिव तथा गणेश की विशेष कृपा देने वाला योग बनता है।

यह दिन राहु शांति + चंद्र शांति हेतु उत्कृष्ट है।


🧠 4. गणेश पूजन से किस ग्रह की शांति होती है?

🔱 गणेश पूजन

🪐 ग्रह शांति

दोष शमन

गणेश (विघ्नहर्ता)

बुध (Mercury)

बुध दोष, वाणी दोष, व्यापार में रुकावट

गणेश + चतुर्थी पूजन

केतु (संबद्ध ग्रह)

पितृ दोष, वंश बाधा, अप्रत्याशित रुकावट

चतुर्थी + शतभिषा (राहु नक्षत्र)

राहु + बुध

राहु-बुध युति दोष, भ्रांति, कंप्यूटर/तकनीकी रुकावट

संक्षिप्त सारांश (Concise Summary):

  • 14 जुलाई 2025 को चतुर्थी सोमवार का शुभ योग है, जिसमें गणेश व्रत + शिव पूजन अत्यंत शुभ फल देता है।
  • शतभिषा नक्षत्र + कुंभ चंद्रमा = राहु, बुध, केतु, चंद्र, शनि दोषों की शांति का अवसर।
  • गणेश पूजन से बुद्धि दोष, पितृ दोष वाणी संबंधी रुकावटें शांत होती हैं।
  • शिव पूजन से चंद्र और शनि दोष विशेष रूप से शमन होते हैं।
  • महामृत्युंजय मंत्र का जाप इस दिन विशेष रूप से फलदायी है।
  • चातुर्मास के दौरान संयमित आहार और जीवनचर्या अनिवार्य हैविवाह, बाल कटवाना, लहसुन-प्याज आदि वर्जित।
  • श्रावण मास की शुरुआत से पूर्व का यह दिन ग्रह दोष शांति, सिद्धि, और मानसिक स्थिरता का विशेष योग प्रदान करता है।

·         🔱 शिव हवन विधि, मंत्र एवं ग्रह दोष शांति तालिका (राशि अनुसार)

·         📊 शिव पूजन एवं हवन विधि चार्ट

🔢 चरण

🔱 विधि

🕉️ मंत्र

📖 शास्त्रीय प्रमाण

1️

संकल्प

ॐ नमः शिवाय संकल्पं करोमि...

गृह्यसूत्र

2️

गणेश पूजन

ॐ गं गणपतये नमः

गृह्यसूत्र

3️

कलश पूजन

ॐ अप्सु अंतरमृतम्...

मनुस्मृति

4️

पंचोपचार पूजन

गंध, पुष्प, दीप, नैवेद्य, जल

शिव पुराण

5️

अभिषेक

ॐ नमः शिवाय

यजुर्वेद

6️

हवन प्रारंभ

अग्नि प्रज्वलन + आहुति

तंत्रसार

7️

मंत्र जाप

त्र्यम्बकं / नमः शिवाय / हौं जूं सः...

उपर्युक्त

8️

न्यूनतम आहुति

11 / 21 / 108

कल्पद्रुम तंत्र

9️

पूर्णाहुति

ॐ नमो भगवते रुद्राय...

शिव महापुराण

🔟

आरती / क्षमा

ॐ जय शिव ओंकारा...

लोक शास्त्र

·         🕉️ प्रमुख शिव हवन मंत्र (श्लोक सहित)

·         1️ ॐ नमः शिवाय स्वाहा
2️
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
   उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् स्वाहा॥
3️
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः स्वाहा

 

🔱 शिव पूजा अपवाद नियम सारणी (शास्त्रीय प्रमाण सहित) – टेक्स्ट रूप में, जो आपको यह समझने में सहायता करेगी कि किन तिथियों, नक्षत्रों या विशेष स्थितियों में शिव पूजा वर्जित, सीमित या विशेष विधियों से करनी चाहिए।


🔱 शिव पूजा अपवाद नियम सारणी

📅 स्थिति⚠️ अपवाद / निषेध📖 शास्त्रीय प्रमाण🕉️ उपाय / सुझाव
अमावस्या + सोमवारबिना तिल या विधि के पूजन वर्जितनिरण्यसिन्धुकाले तिल व गंगाजल से शिवाभिषेक करें, महामृत्युंजय जप करें
ग्रहण (सूर्य / चंद्र)सूतक काल में पूजन निषिद्धमनुस्मृति, धर्मसिन्धुग्रहण के बाद स्नान करें, फिर शिव पूजन करें
रजस्वला स्त्री (मासिक काल)स्पर्श व पूजन वर्जितमनुस्मृति, गृह्यसूत्रकेवल मानसिक जप – “ॐ नमः शिवाय” करें
पितृपक्ष (श्राद्धपक्ष)शिव पूजन सीमित – तर्पण को प्राथमिकतागृह्यसूत्रपितरों के नाम पर तर्पण करके शिव पूजन करें
कृष्ण पक्ष चतुर्दशी (शिवरात्रि छोड़कर)तामसिक प्रभाव सम्भवतंत्रसारकेवल मंत्रजप करें – “ॐ त्र्यम्बकं...”
अत्यंत दोषयुक्त योग (गुरु-शुक्र अस्त, कालसर्प, गण्डान्त)विशेष साधना के बिना पूजन वर्जितरुद्रयामल तंत्र, कल्याणकारिणी तंत्रपहले दिग्बंध, ऋष्यादिन्यास करें, फिर पूजन करें
मूल, मघा, शतभिषा आदि नक्षत्र + स्त्री स्नान पश्चात पूजनसौभाग्य बाधकभद्रबाहु संहिता, मुहूर्त चिंतामणिसूर्योदय पूर्व स्नान करें, गंगाजल से शिवलिंग का स्नान करें

·         🔯 राशि / ग्रह दोष अनुसार शिव हवन तालिका

🌐 राशि

🪐 दोषी ग्रह

🔥 समिधा

🕯️ हवन मंत्र

मेष

मंगल

शमी

ॐ हौं जूं सः...

वृषभ

शुक्र

बिल्व

ॐ नमः शिवाय

मिथुन

बुध

पलाश

ॐ नमः शिवाय

कर्क

चंद्र

पलाश + बेलपत्र

ॐ नमः शिवाय

सिंह

सूर्य

खैर

ॐ नमः शिवाय

कन्या

बुध

नीम / पलाश

ॐ नमः शिवाय

तुला

शुक्र

शमी / आम

ॐ नमः शिवाय

वृश्चिक

मंगल

शमी

ॐ हौं जूं सः...

धनु

गुरु

पीपल

ॐ त्र्यम्बकं...

मकर

शनि

शमी / पलाश

ॐ त्र्यम्बकं...

कुंभ

राहु

कुश, दुर्वा

ॐ हौं जूं सः...

मीन

केतु

अर्जुन

ॐ हौं जूं सः...

प्रश्न - अत्यंत सूक्ष्म, शास्त्रीय स्त्रीधर्म, नक्षत्र और  स्नान और पूजन नियमन से संबंधित है।
विशेषकर यह चिंताकि "शतभिषा नक्षत्र में स्नान करने से विधवा योग बनता है"कुछ क्षेत्रीय परंपराओं में वर्णित है, परंतु इसका समाधान भी ग्रंथों में स्पष्ट किया गया है।


🔱 शतभिषा नक्षत्र + सोमवार + स्त्री वर्ग का स्नानशास्त्रीय निर्देश:

📕 1. दोष क्यों माना जाता है?

📜 बृहत्संहिता / मुहूर्त चिंतामणि / व्रतराज ग्रंथों में यह उल्लेख है कि:

"शतभिषायां स्त्रियोऽभिषेकं कुर्युः...
यदि कुर्युस्तदा विधवाभाग्यं प्राप्नुवन्ति॥"
मुहूर्त चिंतामणि

📌 अर्थ:
शतभिषा नक्षत्र में स्त्रियों द्वारा स्नान (विशेषतः नित्य स्नान) को अकाल-विधवा योग का कारक माना गया है, यदि वह सूर्योदय के पश्चात किया जाए।


⚠️ 2. कब यह दोष लगता है?

स्थिति

दोष

शतभिषा नक्षत्र + सूर्योदय के बाद स्नान

वर्जित

शतभिषा नक्षत्र + रविवार/सोमवार

अत्यधिक वर्जित

शतभिषा + सोमवार + श्रावण मास

विशेष दोषकारी योग (पति दीर्घायु में बाधा)

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28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...