⃣ सोमवार को शिव पूजन से कौन से ग्रह शांत होते हैं?श्रावण मास – प्रथम सोमवार विशेष पूजन एवं शास्त्रीय विधान
️⃣ सोमवार को शिव पूजन से कौन से ग्रह शांत होते हैं?
(By
Pt.V.K.Tiwari,Dr R Dixit & Dr S Tiwasri(Astro-Palmist& Vastu)9424446706
श्रावण मास – प्रथम सोमवार विशेष पूजन एवं शास्त्रीय विधान (सहित श्लोक प्रमाण, दिशा, दीपक, व्रत नियम) 🗓️ दिनांक: 14 जुलाई 2025
वार: सोमवार
तिथि: चतुर्थी (शुक्ल पक्ष)
नक्षत्र: शतभिषा (Aquarius – कुंभ राशि)
चंद्रराशि: कुंभ
विशेष संयोग: श्रीगणेश चतुर्थी + सोमवार + शतभिषा नक्षत्र + कुंभ चंद्र = अत्यंत शुभ योग
🔱 मुख्य शीर्षक (Main Headings in Hindi + English):
1️⃣ श्रावण पूर्व चतुर्थी सोमवार का महत्त्व
Importance of Chaturthi falling on a Monday before Shravan
2️⃣ चतुर्थी तिथि में गणेश पूजन के लाभ
Benefits of Ganesh Puja on Chaturthi Tithi
3️⃣ सोमवार को शिव पूजन से कौन से ग्रह शांत होते हैं?
Which planets are pacified by Shiva worship on Monday?
4️⃣ गणेश पूजन से किस ग्रह की शांति और दोष निवारण होता है?
Which planets & doshas are resolved through Ganesh Puja?
5️⃣ शतभिषा नक्षत्र + कुंभ राशि में चंद्रमा का प्रभाव
Effect of Moon in Shatabhisha Nakshatra & Aquarius Rashi
6️⃣ चातुर्मास और श्रावण माह में वर्जित कार्य और भोज्य पदार्थ
Prohibited activities and foods during Chaturmas and Shravan month
7️⃣ महामृत्युंजय मंत्र – श्लोक सहित अर्थ
Mahamrityunjaya Mantra – Full with Meaning
8️⃣ शिव व्रत कथा (पूर्ण) – शास्त्रीय प्रमाण सहित
Complete Shiva Vrat Katha with scriptural source
9️⃣ शिव हवन विधि, मंत्र एवं ग्रह दोष शांति
Conclusion – Why is this day
10 स्त्रीधर्म, नक्षत्र विधि और श्रावण मास के सोमवार में स्नान
निष्कर्ष – यह दिन क्यों अत्यंत प्रभावशाली है?
🕉️ श्रावण मास और प्रथम सोमवार का महत्त्व:
🌿
श्रावण मास को "देवाधिदेव महादेव" का सर्वाधिक प्रिय मास कहा गया है।
विशेषतः सोमवार (चंद्रवार) को भगवान शिव को जल अर्पण, व्रत, दीपदान तथा मंत्र जप विशेष फलप्रद माने गए हैं।
📜 महत्त्व का शास्त्रीय प्रमाण (शिव महापुराण से):
शिवमहापुराण, विद्येश्वरसंहिता – अध्याय 10:
“श्रावणस्य तु मासेऽस्मिन्यः सोमव्रतमाचरेत्।
भक्त्या शंकरदेवस्य स याति परमं पदम्॥”
अर्थ: जो भक्त श्रावण मास में सोमवार को व्रत करता है, वह शिव के परम पद को प्राप्त करता है।
🪔 श्रावण सोमव्रत कब से प्रारंभ करें:
- श्रावण मास के प्रथम सोमवार से व्रत का शुभारंभ करें।
- व्रत की संख्या: 4 या 5 सोमवार (क्षेत्रीय पंचांग अनुसार)।
- कुछ स्थानों पर 16 सोमवार व्रत (सोलह सोमवार) भी यहीं से प्रारंभ करते हैं।
🙏 पूजन विधि:
🔹 तत्व |
🔸 विधान / दिशा / रंग / संख्या |
पूजन देवता |
शिव (शिवलिंग), माता पार्वती, गणेश, नंदी |
पूजन सामग्री |
जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, सफेद पुष्प |
व्रत नियम |
उपवास / फलाहार, ब्रह्मचर्य, मौन या जप |
दीपक की संख्या |
5 दीपक (पंचदीप), या 1 विशेष दीर्घवर्ती दीप |
दीपक प्रकार |
तिल का तेल = पापक्षय हेतु, घृत = पुण्य वृद्धि हेतु |
दीपक की दिशा |
पूर्व या ईशान कोण में दीपक जलाएँ |
वर्तिका (बाती) रंग |
सफेद (रुई की), यदि विशेष फल चाहिए तो केसर मिश्रित पीली भी चले |
दीपक द्रव्य की स्थिति |
पूजक के बाएँ हाथ में तिल का तेल, दाएँ हाथ में घृत |
मंत्र दिशा |
जप के समय मुख पूर्व की ओर रखें |
जप संख्या |
शिव पंचाक्षरी: "ॐ नमः शिवाय" – 11, 21, 108 या 1008 बार |
आरती समय |
प्रदोष बेला (संध्या से 45 मिनट पूर्व व 45 मिनट बाद तक) |
पूजन का श्रेष्ठ समय |
प्रातःकाल (ब्राह्ममुहूर्त – 4:00 से 6:00) तथा संध्या काल |
श्रावण मास, प्रथम सोमवार व्रत, शास्त्रीय प्रमाण, शिव व्रत कथा, मंत्र (सहित पूर्ण श्लोक + अर्थ), चातुर्मास में निषिद्ध कार्य व भोजन, तथा निष्कर्ष के साथ:
📜 (1) श्रावण मास का शास्त्रीय महत्त्व — श्लोक सहित प्रमाण
🪔 शिवमहापुराण — विद्येश्वर संहिता, अध्याय 10, श्लोक 21-22:
श्लोक:
“श्रावणस्य तु मासेऽस्मिन्यः सोमव्रतमाचरेत्।
भक्त्या शंकरदेवस्य स याति परमं पदम्॥”
अर्थ:
जो भक्त श्रावण मास में सोमवार को भगवान शंकर का व्रत करता है, वह शिव के परमधाम को प्राप्त करता है।
📗 स्कंद पुराण — नागर खंड:
“श्रावणो मासो मम प्रियतमो मासानां।
तत्र सोमवारे जलार्पणं विशेषतः फलप्रदं भवति।”
अर्थ:
श्रावण मास सभी महीनों में मुझे (शिव को) अति प्रिय है। इस मास में सोमवार को जलार्पण करना विशेष फलदायक होता है।
📖 (2) सम्पूर्ण शिव व्रत कथा — (श्रावण सोमवार व्रत कथा)
📚 स्रोत: शिव पुराण – कोटिरुद्र संहिता
एक नगर में "सुसिला" नामक कन्या थी, जिसने श्रावण मास में सोमवार का व्रत आरंभ किया। वह नित्य शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, पुष्प आदि से पूजन करती और "ॐ नमः शिवाय" का जाप करती।
उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन देकर वरदान दिया —
“हे कन्ये! तूने मेरे सोमव्रत का पालन किया है, तू सौभाग्यशाली होगी, तुझे उत्तम पति, संतान और दीर्घ आयु का वरदान देता हूँ।”
कुछ समय पश्चात उसका विवाह श्रेष्ठ ब्राह्मण सत्यवान से हुआ और वह सदा सुखी रही।
शास्त्रीय पुष्टि:
“मम सोमव्रतेनैव स्त्रियः पतिमवाप्नुयुः।
धनं पुत्रं च सौभाग्यं तच्च व्रतेन साध्यते॥”
अर्थ:
जो स्त्रियाँ श्रावण सोमवार का व्रत करती हैं, उन्हें उत्तम पति, धन, संतान और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
🔱 (3) महामृत्युंजय मंत्र – पूर्ण श्लोक + अर्थ
मंत्र:
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”
अर्थ:
हम उस त्रिनेत्रधारी शिव की उपासना करते हैं, जो सुगंधित है, जो पोषणकर्ता है। जैसे पकता हुआ फल बेल से अलग हो जाता है, वैसे ही हम मृत्यु से मुक्त हों — परंतु अमरत्व (मोक्ष) से नहीं।
✅ इस मंत्र का जप श्रावण सोमवर में 108 या 1008 बार करना विशेष फलदायक होता है।
🌿 (4) श्रावण मास + चातुर्मास में निषिद्ध कार्य व विशिष्ट बातें:
🕉️ श्रावण माह का विशिष्ट स्थान:
- देवताओं के शयन (निद्रारंभ) का मास → चातुर्मास का प्रारंभ।
- सावन के चार सोमवार = चार पवित्र देवस्वरूप सप्ताह।
- शिव का “नीलकंठ” स्वरूप विशेष रूप से स्मरणीय होता है — समुद्र मंथन के विषपान की स्मृति।
❌ चातुर्मास में निषिद्ध कार्य (विशेषतः श्रावण में):
🚫 निषिद्ध कार्य |
🧭 कारण |
विवाह / शुभ संस्कार |
देव निद्रा काल |
बाल कटवाना / दाढ़ी बनवाना |
अशुद्धि बढ़ती है |
जमीन की खुदाई / वृक्ष काटना |
पृथ्वीदेवी विश्रांति में होती हैं |
तीखा, खट्टा, तेलीय भोजन |
पित्त दोष प्रबल होता है |
सहवास / ब्रह्मचर्य त्याग |
आध्यात्मिक ऊर्जा ह्रास |
🔶 1. चतुर्थी तिथि का महत्व (गणेश पूजन हेतु)
"चतुर्थ्यां गणनाथं च पूजयित्वा विधिपूर्वकम्।
सर्वविघ्न विनाशाय सुखं सम्पद्यते ध्रुवम्॥"
— व्रतराज ग्रंथ
📌 अर्थ: चतुर्थी तिथि को विधिपूर्वक गणेश पूजन करने से विघ्नों का नाश होता है और सफलता प्राप्त होती है।
✅ 14 जुलाई 2025 को चतुर्थी सोमवार को पड़ने से यह “लाभकारी चतुर्थी” (Labh Chaturthi) मानी जाएगी।
🪔 2. सोमवार का महत्व — शिव पूजन हेतु
- सोमवार को शिव पूजन करने से चंद्र दोष, मन की अशांति, पित्त एवं मानसिक रोग, तथा शनि द्वारा उत्पन्न पीड़ा शांत होती है।
- विशेषतः श्रावण से पूर्व सोमवार यदि चतुर्थी से युक्त हो — तो गणपति + शिव की संयुक्त कृपा मिलती है।
"सोमवारे शिवं भक्त्या योऽर्चयेत् सदा नरः।
स याति शङ्करं धाम नैव सन्देहः क्वचित्॥"
— शिवपुराण
🌌 3. शतभिषा नक्षत्र में सोमवार — ज्योतिषीय महत्व
- शतभिषा नक्षत्र का स्वामी राहु होता है।
- जब सोमवार को चंद्रमा शतभिषा में हो — यह मानसिक शांति, गूढ़ विद्याओं में सफलता, राहु के दोषों की शांति, और शिव तथा गणेश की विशेष कृपा देने वाला योग बनता है।
✅ यह दिन “राहु शांति + चंद्र शांति” हेतु उत्कृष्ट है।
🧠 4. गणेश पूजन से किस ग्रह की शांति होती है?
🔱 गणेश पूजन |
🪐 ग्रह शांति |
❌ दोष शमन |
गणेश (विघ्नहर्ता) |
बुध (Mercury) |
बुध दोष, वाणी दोष, व्यापार में रुकावट |
गणेश + चतुर्थी पूजन |
केतु (संबद्ध ग्रह) |
पितृ दोष, वंश बाधा, अप्रत्याशित रुकावट |
चतुर्थी + शतभिषा (राहु नक्षत्र) |
राहु + बुध |
राहु-बुध युति दोष, भ्रांति, कंप्यूटर/तकनीकी रुकावट |
संक्षिप्त सारांश (Concise Summary):
- 14 जुलाई 2025 को चतुर्थी सोमवार का शुभ योग है, जिसमें गणेश व्रत + शिव पूजन अत्यंत शुभ फल देता है।
- शतभिषा नक्षत्र + कुंभ चंद्रमा = राहु, बुध, केतु, चंद्र, शनि दोषों की शांति का अवसर।
- गणेश पूजन से बुद्धि दोष, पितृ दोष व वाणी संबंधी रुकावटें शांत होती हैं।
- शिव पूजन से चंद्र और शनि दोष विशेष रूप से शमन होते हैं।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप इस दिन विशेष रूप से फलदायी है।
- चातुर्मास के दौरान संयमित आहार और जीवनचर्या अनिवार्य है — विवाह, बाल कटवाना, लहसुन-प्याज आदि वर्जित।
- श्रावण मास की शुरुआत से पूर्व का यह दिन ग्रह दोष शांति, सिद्धि, और मानसिक स्थिरता का विशेष योग प्रदान करता है।
· 🔱 शिव हवन विधि, मंत्र एवं ग्रह दोष शांति तालिका (राशि अनुसार)
· 📊 शिव पूजन एवं हवन विधि चार्ट
🔢 चरण |
🔱 विधि |
🕉️ मंत्र |
📖 शास्त्रीय प्रमाण |
1️⃣ |
संकल्प |
ॐ नमः शिवाय संकल्पं करोमि... |
गृह्यसूत्र |
2️⃣ |
गणेश पूजन |
ॐ गं गणपतये नमः |
गृह्यसूत्र |
3️⃣ |
कलश पूजन |
ॐ अप्सु अंतरमृतम्... |
मनुस्मृति |
4️⃣ |
पंचोपचार पूजन |
गंध, पुष्प, दीप, नैवेद्य, जल |
शिव पुराण |
5️⃣ |
अभिषेक |
ॐ नमः शिवाय |
यजुर्वेद |
6️⃣ |
हवन प्रारंभ |
अग्नि प्रज्वलन + आहुति |
तंत्रसार |
7️⃣ |
मंत्र जाप |
त्र्यम्बकं / नमः शिवाय / हौं जूं सः... |
उपर्युक्त |
8️⃣ |
न्यूनतम आहुति |
11 / 21 / 108 |
कल्पद्रुम तंत्र |
9️⃣ |
पूर्णाहुति |
ॐ नमो भगवते रुद्राय... |
शिव महापुराण |
🔟 |
आरती / क्षमा |
ॐ जय शिव ओंकारा... |
लोक शास्त्र |
· 🕉️ प्रमुख शिव हवन मंत्र (श्लोक सहित)
·
1️⃣ ॐ नमः शिवाय स्वाहा
2️⃣ ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्
स्वाहा॥
3️⃣ ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः स्वाहा
🔱 शिव पूजा अपवाद नियम सारणी (शास्त्रीय प्रमाण सहित) – टेक्स्ट रूप में, जो आपको यह समझने में सहायता करेगी कि किन तिथियों, नक्षत्रों या विशेष स्थितियों में शिव पूजा वर्जित, सीमित या विशेष विधियों से करनी चाहिए।
🔱 शिव पूजा अपवाद नियम सारणी
📅 स्थिति | ⚠️ अपवाद / निषेध | 📖 शास्त्रीय प्रमाण | 🕉️ उपाय / सुझाव |
---|---|---|---|
अमावस्या + सोमवार | बिना तिल या विधि के पूजन वर्जित | निरण्यसिन्धु | काले तिल व गंगाजल से शिवाभिषेक करें, महामृत्युंजय जप करें |
ग्रहण (सूर्य / चंद्र) | सूतक काल में पूजन निषिद्ध | मनुस्मृति, धर्मसिन्धु | ग्रहण के बाद स्नान करें, फिर शिव पूजन करें |
रजस्वला स्त्री (मासिक काल) | स्पर्श व पूजन वर्जित | मनुस्मृति, गृह्यसूत्र | केवल मानसिक जप – “ॐ नमः शिवाय” करें |
पितृपक्ष (श्राद्धपक्ष) | शिव पूजन सीमित – तर्पण को प्राथमिकता | गृह्यसूत्र | पितरों के नाम पर तर्पण करके शिव पूजन करें |
कृष्ण पक्ष चतुर्दशी (शिवरात्रि छोड़कर) | तामसिक प्रभाव सम्भव | तंत्रसार | केवल मंत्रजप करें – “ॐ त्र्यम्बकं...” |
अत्यंत दोषयुक्त योग (गुरु-शुक्र अस्त, कालसर्प, गण्डान्त) | विशेष साधना के बिना पूजन वर्जित | रुद्रयामल तंत्र, कल्याणकारिणी तंत्र | पहले दिग्बंध, ऋष्यादिन्यास करें, फिर पूजन करें |
मूल, मघा, शतभिषा आदि नक्षत्र + स्त्री स्नान पश्चात पूजन | सौभाग्य बाधक | भद्रबाहु संहिता, मुहूर्त चिंतामणि | सूर्योदय पूर्व स्नान करें, गंगाजल से शिवलिंग का स्नान करें |
· 🔯 राशि / ग्रह दोष अनुसार शिव हवन तालिका
🌐 राशि |
🪐 दोषी ग्रह |
🔥 समिधा |
🕯️ हवन मंत्र |
मेष |
मंगल |
शमी |
ॐ हौं जूं सः... |
वृषभ |
शुक्र |
बिल्व |
ॐ नमः शिवाय |
मिथुन |
बुध |
पलाश |
ॐ नमः शिवाय |
कर्क |
चंद्र |
पलाश + बेलपत्र |
ॐ नमः शिवाय |
सिंह |
सूर्य |
खैर |
ॐ नमः शिवाय |
कन्या |
बुध |
नीम / पलाश |
ॐ नमः शिवाय |
तुला |
शुक्र |
शमी / आम |
ॐ नमः शिवाय |
वृश्चिक |
मंगल |
शमी |
ॐ हौं जूं सः... |
धनु |
गुरु |
पीपल |
ॐ त्र्यम्बकं... |
मकर |
शनि |
शमी / पलाश |
ॐ त्र्यम्बकं... |
कुंभ |
राहु |
कुश, दुर्वा |
ॐ हौं जूं सः... |
मीन |
केतु |
अर्जुन |
ॐ हौं जूं सः... |
प्रश्न
- अत्यंत सूक्ष्म, शास्त्रीय
स्त्रीधर्म,
नक्षत्र
और स्नान और पूजन नियमन
से संबंधित है।
विशेषकर यह चिंता — कि
"शतभिषा
नक्षत्र
में
स्नान
करने
से
विधवा
योग
बनता
है"
— कुछ क्षेत्रीय परंपराओं में वर्णित है, परंतु इसका समाधान भी ग्रंथों में
स्पष्ट किया गया है।
🔱 शतभिषा नक्षत्र + सोमवार + स्त्री वर्ग का स्नान — शास्त्रीय निर्देश:
📕 1. दोष क्यों माना जाता है?
📜 बृहत्संहिता / मुहूर्त चिंतामणि / व्रतराज ग्रंथों में यह उल्लेख है कि:
"शतभिषायां
स्त्रियोऽभिषेकं
न
कुर्युः...
यदि
कुर्युस्तदा
विधवाभाग्यं
प्राप्नुवन्ति॥"
— मुहूर्त
चिंतामणि
📌 अर्थ:
शतभिषा नक्षत्र में स्त्रियों
द्वारा
स्नान
(विशेषतः
नित्य
स्नान)
को “अकाल-विधवा
योग”
का कारक माना गया है, यदि
वह
सूर्योदय
के
पश्चात
किया
जाए।
⚠️ 2. कब यह दोष लगता है?
स्थिति |
दोष |
शतभिषा नक्षत्र + सूर्योदय के बाद स्नान |
❌ वर्जित |
शतभिषा नक्षत्र + रविवार/सोमवार |
❌ अत्यधिक वर्जित |
शतभिषा + सोमवार + श्रावण मास |
❌ विशेष दोषकारी योग (पति दीर्घायु में बाधा) |
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