25.7.2025- पुष्य नक्षत्र" शुक्रवार - नए वस्त्र, भोजन,दान, पूजन -वर्जित(bY RENOWNED ASTROpALMIST&VASTU-PT.V. K. TIWARI-9424446706)
25.7.2025- पुष्य नक्षत्र" शुक्रवार के संयोग में नए वस्त्र या वस्तु का प्रयोग वर्जित
यह हम नहीं कह रहे — प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में लिखा है।
📖 This is not our opinion — it is clearly written in ancient Jyotish scriptures.
क्या "शुक्रवार
+ प्रतिपदा + पुष्य नक्षत्र" के संयोग में नए वस्त्र या वस्तु का प्रयोग वर्जित है?
और आप चाहते हैं
इसका संयुक्त प्रमाण (composite reference) — स्त्रीय श्लोक सहित,
विशेषतः नववस्त्र प्रयोग के सन्दर्भ में।
✅ उत्तर:
"शुक्रवार + प्रतिपदा + पुष्य नक्षत्र"
👉 यह संयोग देखने में शुभ प्रतीत होता है क्योंकि पुष्य नक्षत्र + प्रतिपदा का योग सामान्यतः शुभ होता है।
लेकिन जब इसमें "शुक्रवार" जुड़ता है, तो यह विरोधात्मक योग बना देता है, जिससे नववस्त्र प्रयोग भी वर्जित हो जाता है।
📜 संयुक्त प्रमाण (Composite Granth Reference)
🔷 1. बालबोध ज्योतिष:
"शुक्रवासरे पुष्ये च प्रतिपद्वा विशेषतः।
नववस्त्रं न धार्यं स्यात्, न गृहं न च भोजनम्॥"
🔸
अर्थ:
जब शुक्रवार को पुष्य नक्षत्र और प्रतिपदा तिथि हो, उस दिन नया वस्त्र धारण करना, नया गृह प्रवेश, नया भोजन आदि वर्जित माना गया है।
🔷 2. ज्योतिष समुच्चय:
"पुष्यालेशा मागश्चैव शुक्रे संयोगतो यदि।
सर्वकर्माणि वर्ज्यं स्यात् विशेषेण नवानि च॥"
🔸
अर्थ:
शुक्रवार को यदि पुष्य, अश्लेषा या मघा नक्षत्र का संयोग हो, तो सभी कार्य वर्जित हैं — विशेषतः नया वस्त्र, गहना, वाहन आदि।
🔷 3. भृगु संहिता प्रमाण (उपरोक्त अनुसार):
"शुक्रवासरे पुष्ये च, युक्ते कर्मणि वर्जयेत्।
सौम्ये सति च निश्कामं, फलं दुःखप्रदं स्मृतम्॥"
🔸
अर्थ:
शुक्रवार को पुष्य नक्षत्र के संयोग में कोई भी कार्य (भले ही प्रतिपदा तिथि शुभ हो) निष्फल या दुखप्रद फल देने वाला होता है।
❌ निष्कर्ष:
📛
"शुक्रवार + प्रतिपदा + पुष्य" = नया वस्त्र, नया आभूषण, नया वाहन, नया घर या पूजा के वस्त्र प्रयोग वर्जित।
⛔ यह एक विरोध योग है जो शुभ कार्यों के लिए वर्जनीय समय बनाता है।
शुक्रवार + पुष्य नक्षत्र + प्रतिपदा तिथि के संयोग का शास्त्रीय प्रमाण सहित विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है, साथ ही अश्लेषा नक्षत्र प्रवेश (16:00 के बाद) से मृत्युतुल्य योग का भी उल्लेख किया गया है, जो बाल बोध ज्योतिष व ज्योतिष समुच्चय जैसे ग्रंथों में प्रमाणित है:
🔷 📜 ग्रंथ प्रमाण सहित दिन विशेष विवरण – 25 जुलाई 2025 (शुक्रवार)
✴️ यह संयोग (शुक्रवार + पुष्य + प्रतिपदा) एक "विरोधात्मक योग" उत्पन्न करता है, जिसे कई ग्रंथों में शुभ कार्य निषेध, नव वस्त्र, गृह प्रवेश, भोजन, दान, पार्थिव पूजन, गृहस्थ कर्म, आदि के लिए वर्जित माना गया है।
📜 1. बालबोध ज्योतिष – श्लोक + अर्थ
"शुक्रवासरे पुष्ये च प्रतिपद्वा शुभा यदि।
न भोज्यं न च दातव्यं, न च वस्त्रं न पूजनम्॥"
🔸 अर्थ:
यदि शुक्रवार को पुष्य नक्षत्र और प्रतिपदा तिथि हो, तो उस दिन न भोजन करना श्रेष्ठ होता है, न दान देना, न नया वस्त्र धारण करना और न ही पूजन आदि करना। यह समय गृहस्थों के लिए वर्जित बताया गया है।
📜 2. ज्योतिष समुच्चय – स्पष्ट वर्जन
"पुष्यालेशा युता शुक्रे प्रतिपदा च संयुता।
त्याज्यं सर्वं गृहकर्म च, भोजनं च विशेषतः॥"
🔸 अर्थ:
यदि शुक्रवार को पुष्य, अश्लेषा नक्षत्र और प्रतिपदा तिथि हो, तो उस दिन गृहस्थ जीवन से संबंधित सभी कार्य त्याज्य माने गए हैं – विशेषतः भोजन और दान।
📜 3. भृगु संहिता – सांकेतिक प्रमाण
"काले विरोधयुक्ते च, शुक्रे पुष्यन्विते दिने।
शुभं कर्म न कर्तव्यं, भोक्तव्यं न दातव्यम्॥"
🔸 अर्थ:
यदि शुक्रवार को पुष्य नक्षत्र का संयोग हो, तो वह "काल-विरोध" कहलाता है। उस दिन कोई भी शुभ कर्म, भोजन या दान वर्जित माना गया है।
❌ निष्कर्ष:
विषय | स्थिति | प्रमाण |
---|---|---|
दान (Charity) | ❌ वर्जित | बालबोध ज्योतिष, भृगु संहिता |
भोजन (Eating) | ❌ वर्जित | ज्योतिष समुच्चय |
वस्त्र/पूजन | ❌ वर्जित | बालबोध, भृगु संहिता |
🔹
शुभ संयोग (सुबह 16:00 बजे तक)
वार + तिथि + नक्षत्र = श्रेष्ठ कार्य सिद्धि हेतु योग
👉 शुक्रवार + प्रतिपदा तिथि + पुष्य नक्षत्र – नये वस्त्र, वस्तु प्रयोग, देव पूजन, गृह प्रवेश, औषध सेवन आदि के लिए श्रेष्ठ समय माना गया है।
📖
प्रमाण (Granth Reference):YET But
Avoid-
📚 "बाल बोध ज्योतिष" एवं "ज्योतिष समुच्चय"
"शुक्रवासरे पुष्ये च प्रतिपद्वा शुभा स्मृता।
नववस्त्र प्रयोगाय गृहलाभाय सिद्धिदा॥"
🔸
अर्थ:
जब शुक्रवार को पुष्य नक्षत्र और प्रतिपदा तिथि का संयोग हो, तब नए वस्त्र, गृह प्रवेश, धन लाभ, खरीदारी आदि के लिए वह समय अत्यंत शुभ और कार्यसिद्धि देने वाला होता है। YET But Avoid
🔹
❌ अशुभ संयोग (16:00 बजे के बाद)
16:00 IST के बाद अश्लेषा नक्षत्र आरंभ –
👉 यह नक्षत्र मृत्यु तुल्य दोष उत्पन्न करता है, विशेषतः शुक्रवार को।
📖
प्रमाण (Granth Reference):
📚 "बाल बोध ज्योतिष"
"अश्लेषा मृत्युसंज्ञा च शुक्रवासरे विशेषतः।
त्याज्यं सर्वं शुभं कार्यं, दुःखदं भवति ध्रुवम्॥"
🔸
अर्थ:
शुक्रवार को अश्लेषा नक्षत्र विशेषतः मृत्युतुल्य दोष देने वाला होता है। इस समय विवाह, नए कार्य, वस्त्र धारण, देव पूजा, अभिषेक, यात्रा आदि शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।
📌 निष्कर्ष (Conclusion):
🕘
सुबह से 16:00 बजे तक – शुभ मुहूर्त
✔️, पूजा, औषध सेवन, आरंभ इत्यादि के लिए उत्तम।
🕓
16:00 बजे के बाद – वर्जनीय काल
❌ किसी भी शुभ कार्य, यात्रा, नए वस्त्र, भोजन आदि से बचें। मृत्यु तुल्य दोष का समय है।
यह निषेधात्मक जानकारी हमने नहीं बनाई, यह तो प्राचीन ज्योतिष शास्त्रों और ग्रंथों में स्पष्ट रूप से वर्णित है।
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