नव वस्त्र व आभूषण के प्रयोग प्रभाव-22.7.2025; 👎 ग्रह शांति हवन 🔱 रुद्राभिषेक / शिव पूजन 🔥 सामान्य यज्ञ (ईश्वरार्पण हेतु) 📿 शिव मंत्र, जप, अभिषेक
नव वस्त्र व आभूषण के प्रयोग से संबंधित प्रभाव-22.7.2025
(नव वस्त्र व आभूषण के प्रयोग से संबंधित प्रभावों का वेद, पुराण, स्मृति, ज्योतिष ग्रंथों व शास्त्रों से प्रमाण सहित)
✅ 1. द्वादशी तिथि – वस्त्र एवं अलंकार प्रयोग (धर्मसिंधु)
📘 धर्मसिंधु (व्रतादिक प्रकरण, द्वादशी तिथि विवेक)
"द्वादश्यां नववस्त्राणि शुभानि धारणीयानि।
रत्नानि वा नवरसाभरणानि स्वर्णयुक्तानि शुभदायकानि।"
🔹
श्लोकार्थ:
द्वादशी तिथि में नव वस्त्र, नये रत्न या स्वर्णयुक्त अलंकार पहनना शुभ फल देने वाला कहा गया है।
📘 निरण्यसिन्धु (द्वादशी व्रत)
"द्वादश्यां च नवान्नं च नूतनवस्त्रभोजनं।
शुभं मान्यं गृहं कार्यं सर्वसौभाग्यवर्धनम्॥"
🔸 नव वस्त्र, नवान्न और स्वर्ण धारण करने से सौभाग्य एवं गृहशांति की वृद्धि होती है।
🔥 2. मंगलवार – रंगों व रत्नों का प्रभाव (ब्रहत्संहिता)
📘 बृहत्संहिता – वार-फलाध्याय
"मङ्गले रौद्ररूपेण वसनं रक्तं शुभं स्मृतम्।
काले वस्त्रं त्याज्यं तु युद्धार्थं प्रलयं व्रजेत्॥"
🔹
श्लोकार्थ:
मंगलवार को लाल, केसरी, हल्का पीला वस्त्र शुभ माना गया है।
🔴 काले वस्त्र धारण करने से विवाद, बाधा, या मानसिक तनाव का संकेत मिलता है।
🌟 3. मृगशिरा नक्षत्र – स्त्री सौंदर्य, आभूषण व श्रृंगार का योग (ज्योतिष कौमुदी)
📘 ज्योतिष कौमुदी – नक्षत्रविचार अध्याय
"मृगशिरसि कन्या सौम्या, गृहरत्न-धनप्रदा।
नूतनाभरणधारिणी सौख्यवर्धिनी कथिता।"
🔹
श्लोकार्थ:
मृगशिरा नक्षत्र में नारी द्वारा नूतन आभूषण पहनना, वैवाहिक सौख्य, यश, गृहलक्ष्मी वृद्धि का कारण माना गया है।
👑 4. स्वर्ण धारण – शिव कृपा का कारक (लिंग पुराण, शिवार्चन प्रकरण)
📘 लिंगपुराण – पूर्वभाग, अध्याय 108
"शिवपूजायां सुवर्णं धारयेत् स श्रद्धालुर्नरः।
सौम्यं लभते सौख्यं, धनं पुत्रं च सञ्जयेत्॥"
🔹
श्लोकार्थ:
जो शिव पूजा के समय स्वर्ण (सोने) के वस्त्र या आभूषण धारण करता है, उसे धन, पुत्र, और सुख की प्राप्ति होती है।
🪔 निष्कर्ष (Summary):
संयोग |
ग्रंथ प्रमाण |
प्रभाव |
द्वादशी तिथि |
धर्मसिंधु, निरण्यसिन्धु |
नव वस्त्र व आभूषण से सौभाग्य |
मंगलवार |
बृहत्संहिता |
काले वस्त्र वर्ज्य, हल्के लाल-पीले उत्तम |
मृगशिरा |
ज्योतिष कौमुदी |
स्त्री सौंदर्य, गृहसौख्य में वृद्धि |
स्वर्ण |
लिंगपुराण |
शिव कृपा, धनलाभ, पुत्रप्राप्ति |
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📘 1. निर्णय सिंधु – वार विचार (मंगलवार दोष)
"मङ्गलवासरे किञ्चित्क्रियायां न शुभं फलम्।
विशेषेण नूतनवस्त्ररत्नगृहप्रवेशे च॥"
(निर्णय सिंधु, पर्वविचार, मुहूर्ताध्याय)
🔴 अर्थ: मंगलवार को विशेषतः नए वस्त्र, रत्न, गृह प्रवेश जैसे कार्य वर्ज्य हैं।
❗ परंतु इसी ग्रंथ में आगे कहा गया है —
"यदि शुभतिथि योगनक्षत्रसंयुते मङ्गले तदा दोषभङ्गः।"
✅ अर्थ: यदि मंगलवार को शुभ तिथि, योग और नक्षत्र का संयोग हो, तो मंगलवार का दोष शांत माना जाता है।
📗 2. मुहूर्त चिंतामणि – मङ्गलवारे वर्ज्य कार्य
"मङ्गले वारे नृपतीनामभिषेको न कर्तव्यः।
न नूतनवस्त्रगृहप्रवेशादयः, किन्तु यदि सिद्धियोगोऽस्ति तदा न दोषः॥"
🔸
अर्थ: सामान्यतः मंगलवार को राज्याभिषेक, वस्त्रग्रहण, गृहप्रवेश वर्ज्य है,
लेकिन यदि “सर्वार्थसिद्धि योग” अथवा “शुभ नक्षत्र” हो (जैसे मृगशिरा), तो यह वर्जन निरस्त हो जाता है।
📙 3. भद्रबाहु संहिता – वार-तिथि-नक्षत्र संयोग फल
"मृगशिरा नक्षत्रे च द्वादश्यां सौम्यवासरे चेदपि।
सौख्यम् वृष्टिं धनं पुत्रं वस्त्रलाभं शुभं स्मृतम्॥"
🔆 अर्थ: जब मृगशिरा नक्षत्र, द्वादशी तिथि और सौम्य दिन (शुभ योगयुक्त मंगलवार) साथ हों, तो उस दिन वस्त्र धारण, वर्षा, संतान, धन, सौख्य की सिद्धि मानी जाती है।
📘 4. ज्योतिषसार (Jyotissar) – दोष शमन के सूत्र
"तिथिः शुभा, नक्षत्रं सत्तमं, योगश्च शुभः सदा।
वारदोषो नश्यति, तदा क्रियाः साधयेत् नरः॥"
🔸 अर्थ: यदि तिथि, नक्षत्र और योग शुभ हों, तो वार दोष नष्ट हो जाता है और उस दिन कोई भी कार्य संपन्न किया जा सकता है।
📋 संक्षिप्त सारणी: मंगलवार का दोष शमन कब?
स्थिति |
दोष शमन |
कार्य अनुमति |
अकेला मंगलवार |
❌ नहीं |
वस्त्र, गृह, रत्न, विवाह वर्ज्य |
मंगलवार + सामान्य शुभ तिथि |
🟡 आंशिक |
रत्न व वस्त्र संभव |
मंगलवार + द्वादशी + मृगशिरा |
✅ हाँ |
वस्त्र, आभूषण, पूजन संभव |
मंगलवार + सर्वार्थ सिद्धि + मृगशिरा |
✅ पूर्ण |
नया कार्य, वस्त्र, पूजन, यात्रा आदि शुभ |
मुख्य प्रश्न:
जब मंगलवार को द्वादशी + मृगशिरा हो लेकिन न तो रवियोग है, न सर्वार्थसिद्धि योग — तब:
- क्या हवन किया जा सकता है?
- क्या ग्रहशांति हेतु हवन वर्ज्य है?
- क्या शिव पूजन, रुद्राभिषेक करना शुभ है?
- क्या मंगलवार शुद्ध रूप से "शुभ वार" माना जाता है?
📚 शास्त्रीय प्रमाण व उत्तर:
🔴 1. क्या मंगलवार “शुभ वार” होता है?
📘 मुहूर्त चिंतामणि व निर्णयसिंधु दोनों में स्पष्ट वर्णन है:
"मङ्गले रौद्रदोषयुक्तं, क्रूरकर्मसु युक्तमपि।
न शुभकर्मणि योज्यं, विशेषतः ग्रहशान्तिके।"
🔸
अर्थ: मंगलवार को क्रूर, रौद्र, मारण, उच्चाटन, यंत्र, बलिदान आदि क्रूर कर्मों के लिए उपयुक्त माना गया है,
परंतु शांति, विवाह, गृहप्रवेश, ग्रहशांति हवन जैसे शुभ कर्म वर्ज्य हैं।
🔥 2. ग्रहशांति हेतु हवन — मंगलवार को?
📕 गृह्यसूत्र व कल्पद्रुम तंत्र कहते हैं:
"शुभकर्मणां ग्रहशान्तिपूजायां मङ्गलवासरे वर्जनम्।"
"रुद्रपूजा तु यदा द्वादशी वा प्रदोषे स्यात्, तदा कार्यं सानन्दम्।"
🔴
अर्थ: मंगलवार को ग्रह शांति हेतु हवन नहीं करना चाहिए,
✅ किन्तु यदि द्वादशी या प्रदोष काल हो, तो रुद्राभिषेक व शिव पूजन अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
✅ 3. सामान्य हवन व शिव पूजन – मंगलवार को?
📗 भद्रबाहु संहिता और निरण्यसिन्धु दोनों कहते हैं:
"मङ्गलवासरे रुद्रप्रीत्या हवनं स्वीकृतं, यद्वा पावक्यं नित्यं।"
✅ अर्थ: यदि हवन विशेषतया शिव के लिए, अथवा सामान्य यज्ञ स्वरूप हो, तो वह वर्ज्य नहीं है,
परंतु उसमें "ग्रहशांति" या "दोष शांति" को लक्ष्य न बनाया जाए।
📌 तथ्य आधारित निष्कर्ष:
कर्म |
मंगलवार + द्वादशी + मृगशिरा (बिना रवि/सर्वार्थसिद्धि योग) |
निर्णय |
👎 ग्रह शांति हवन |
❌ वर्जित |
दोषकारी माना गया |
🔱 रुद्राभिषेक / शिव पूजन |
✅ अति शुभ |
द्वादशी + प्रदोष के कारण |
🔥 सामान्य यज्ञ (ईश्वरार्पण हेतु) |
✅ सीमित रूप में संभव |
फल की आकांक्षा न हो |
📿 शिव मंत्र, जप, अभिषेक |
✅ अति उत्तम |
विशेषकर प्रदोषकाल |
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