18-19july2025 –नए वस्त्र, चूड़ी, आभूषण या नई वस्तुएं प्रयोग/धारण स्त्री/ पुरुषों के लिएकरें, तो उसका भविष्य फल क्या होगा?V.K.Tiwari-Astro-palmist-Vastu-9424446706;
🌸 शुभ प्रयोग
हेतु प्रश्न:
2025 को - नए वस्त्र, चूड़ी, आभूषण या नई
वस्तुएं प्रयोग/धारण करें, तो उसका
भविष्यफल क्या होगा?भविष्य
में सौभाग्य,
सफलता और मानसिक संतुलन
कैसे देगा – कौन-सा मंत्र, दिशा, दीपक-वर्तिका, रंग और देव/देवी की पूजा करनी चाहिए
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18july
नए वस्त्र, चूड़ी, आभूषण या नई वस्तुएं प्रयोग/धारअश्विनी नक्षत्र + कृष्ण पक्ष की अष्टमी + शुक्रवार परिणाम
- श्लोक (आधिकारिक शास्त्रों में):
"नये वस्त्र आभूषण आदि का प्रयोग शुभ कार्यों के लिए हो, परंतु उनका प्रयोग बिना सही मुहूर्त या समय के अशुभ फल दे सकता है।"
अर्थ:
नया वस्त्र, आभूषण या चूड़ी पहनना एक शुभ कार्य हो सकता है, लेकिन यह व्यक्ति की व्यक्तिगत कुंडली और तिथि-मुहूर्त पर निर्भर करता है। अगर यह अशुभ समय (जैसे शनिवार, आश्लेषा नक्षत्र, और चतुर्थी तिथि) के साथ हो, तो इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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"अश्विनी नक्षत्र + कृष्ण पक्ष की अष्टमी + शुक्रवार" – इस संयोग में स्त्रीवर्ग द्वारा नए वस्त्र, आभूषण, चूड़ी आदि पहनने अथवा खरीदने के संदर्भ में शास्त्रीय दृष्टिकोण, ग्रंथ प्रमाण, श्लोक, अर्थ और फल नीचे दिए गए हैं:
(रूप, सौभाग्य, संतोष, और स्त्रीत्व-तेज में विशेष वृद्धि होती है।
यह योग तंत्र, संहिता व धर्मशास्त्रों में अत्यंत शुभ बताया गया है।)
1️⃣ मुहूर्त चिंतामणि – (नक्षत्रविचार अध्याय)
श्लोक:
“अश्विन्यां शुक्रवासरे, नारीणां वस्त्रधारणम्।
सौंदर्यं सौम्यभावं च, पुत्रसौभाग्यदं स्मृतम्॥”
📌 अर्थ:
यदि अश्विनी नक्षत्र शुक्रवार को हो
→ स्त्रियों द्वारा उस दिन नया वस्त्र धारण करना
→ सौंदर्य, कोमलता, मानसिक संतुलन और संतान सौभाग्य बढ़ाता है।
3️⃣ भद्रबाहु संहिता – नक्षत्र फल विषय
श्लोक:
“शुक्रे च अश्विन्यां च शुभद्रव्यसेवनात्।
नारीणां सुखवृद्धिः, संतति सौंदर्यलाभः॥”
📌 भावार्थ:
अश्विनी नक्षत्र + शुक्रवार के दिन
→ सुंदर वस्त्र, चूड़ी, गहना आदि धारण करने पर
→ स्त्रियों को मानसिक शांति, वैवाहिक सौख्य और संतान की उन्नति प्राप्त होती है।
📘 4. महाभारत – अनुशासन पर्व (स्त्रीधर्म)
“शुक्रे वसने नवानि यदा धारयते स्त्री।
पूज्यते सदा लक्ष्म्या, सौंदर्यं यथाऽम्बुजं शुभम्॥”
शुक्रवार को यदि स्त्री नए वस्त्र धारण करे,
→ लक्ष्मी उसकी पूजा करती हैं,
→ वह कमल की भाँति मनोहर, शांत, व आकर्षक बनती है।
🧿 क्या करना श्रेष्ठ माना गया है?
कार्य विधि
नव वस्त्र पहनना प्रातः 9 से दोपहर 1 बजे तक (चंद्रबल समय)
गहना / चूड़ी पहनना दाहिने हाथ में पहले
आभूषण खरीदना चांदी/सोने में तुलसी या कमल पूजन कर ही उपयोग करें
वस्त्र दान देना सफेद, गुलाबी या क्रीम वस्त्र किसी स्त्री को दान देना महान पुण्यदायी
🔱 मंत्र और पूजन विधि (स्त्री सौभाग्य वृद्धि हेतु):
मंत्र:
“ॐ श्रीं ह्रीं सौंदर्यार्घ्यं नमः” – 108 बार जप
या
“ॐ लक्ष्म्यै कमलवासिन्यै नमः” – शुक्रवार को शंख जल से पूजन के साथ
पूजन सामग्री:
श्वेत पुष्प, कमल गट्टा, मिश्री, चंदन, गुलाब जल, सफेद मिष्ठान्न
❗️ क्या न करें भले ही योग शुभ हो:
सावधानी कारण
दोपहर 2:30 के बाद न पहनें नक्षत्र संधि या अशुभ परिवर्तन हो सकता है
भारी नीला, काला, भूरा वस्त्र न धारण करें शुक्र-दोष उत्पन्न कर सकता है
क्रोधित या विवाद के समय वस्त्र न धारण करें उस वस्त्र से नकारात्मक स्मृति जुड़ सकती है
🪔 निष्कर्ष (Conclusion):
"अश्विनी नक्षत्र + अष्टमी तिथि + शुक्रवार" – यह स्त्री वर्ग हेतु एक चमत्कारिक संयोग है।
इस दिन नवीन वस्त्र, चूड़ी, आभूषण धारण करने से न केवल सौंदर्य और सौभाग्य में वृद्धि होती है, बल्कि गर्भस्थ संतान, वैवाहिक जीवन, आत्मबल और मन की प्रसन्नता भी स्थायी होती है।
🌼 📈 विशेष सकारात्मक फल (स्त्रियों हेतु):
क्षेत्र |
प्रभाव |
सौंदर्य व आकर्षण |
चेहरे की आभा, तेज और रूप सौंदर्य में वृद्धि |
गर्भवती स्त्रियाँ |
गर्भस्थ शिशु में चंद्र-गुण, बुद्धि व तेज बढ़ता है |
नवविवाहिता |
वैवाहिक सुख, सौभाग्य, पति का प्रेम |
कन्याएँ |
शुभ विवाह योग, प्रेम संबंधों में शांति, शुक्र ग्रह का अनुकूल प्रभाव |
चूड़ी / गहना पहनना |
स्त्रीत्व ऊर्जा (Feminine aura) और मनोबल को शक्तिशाली बनाता है |
🌼 📈 विशेष सकारात्मक फल (स्त्रियों हेतु):
क्षेत्र |
प्रभाव |
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सौंदर्य व आकर्षण |
चेहरे की आभा, तेज और रूप सौंदर्य में वृद्धि |
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गर्भवती स्त्रियाँ |
गर्भस्थ शिशु में चंद्र-गुण, बुद्धि व तेज बढ़ता है |
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नवविवाहिता |
वैवाहिक सुख, सौभाग्य, पति का प्रेम |
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कन्याएँ |
शुभ विवाह योग, प्रेम संबंधों में शांति, शुक्र ग्रह का अनुकूल प्रभाव |
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चूड़ी / गहना पहनना |
स्त्रीत्व ऊर्जा (Feminine aura) और मनोबल को शक्तिशाली बनाता है
📜 ग्रंथ प्रमाण अनुसार पुरुषों पर प्रभाव:✅ 1. मुहूर्त चिंतामणि (अध्याय – पुरुष प्रयोग)
🔍 अर्थ: ✅ 2. भविष्य पुराण (श्रावण माहात्म्य, अध्याय 45)
🔍 अर्थ: ✅ 3. निर्णयसिंधु (श्रावण विधि खंड)
🔍 अर्थ: 🔍 विशेष उपयोग पुरुषों के लिए इस योग में:
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19July2025
Part B-19.7.2025
- Satday भरणी + navmi
नए वस्त्र, आभूषण, चूड़ी पहनने के परिणाम
—
"शनिवार + भरणी नक्षत्र + नवमी तिथि" में
नए वस्त्र, आभूषण या चूड़ी पहनने (धारण करने) के परिणाम क्या होते हैं – यह एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण और शास्त्रसिद्ध विषय है। नीचे प्रमाण, श्लोक, अर्थ सहित संक्षेप में विवरण प्रस्तुत है:
🔱 संयोग
-
📅 दिन: शनिवार (शनैश्चर का दिन – न्याय, बाधा, स्थिरता, कार्मिक फल)
-
🌌 नक्षत्र: भरणी (यमगति, शुक्रप्रभाव, तामसिक शक्ति, मोह व क्लेश)
-
📆 तिथि: नवमी (मंगला तिथि – उग्र, तेजस्विनी, विवादजनक यदि शनिवासर हो)
👉 यह संयोग तीव्र, भारी, तामसिक व मानसिक भारवर्धक माना गया है।
📚 प्रमुख ग्रंथ प्रमाण:
🕉️ 1. मुहूर्त चिंतामणि – नक्षत्र दोष अध्याय
श्लोक:
“शनौ च भरणी नक्षत्रे, नारीणां वस्त्रसेवनम्।
शोकदं क्लेशदं चैव, गर्भदोषं च योजयेत्॥”
📌 अर्थ:
शनिवार को यदि भरणी नक्षत्र हो,
→ स्त्री द्वारा यदि उस दिन नया वस्त्र, चूड़ी, गहना आदि धारण किया जाए,
→ तो वह शोक, मानसिक क्लेश, गर्भ-संतान संबंधी बाधा दे सकता है।
🕉️ 2. निर्णयसिंधु – स्त्रीधारण विधि खंड
श्लोक:
“शन्यां भरण्यां नवम्यां च, शुभवस्त्रं न धारणम्।
विवादो रोगदोषश्च, वैधव्यं चापि सूचयेत्॥”
📌 अर्थ:
शनिवार + भरणी + नवमी का संयोग
→ नए वस्त्र या आभूषण पहनने से रोग, विवाद, तथा स्त्रियों में पति के साथ वैचारिक दूरी या वैधव्य दोष की संभावना हो सकती है।
🕉️ 3. कालमाधव – शुभाशुभ नक्षत्र निर्णय
श्लोक:
“भरण्यां शनिदिने च, स्त्रैणवस्त्रालंकारसेवनम्।
यमगते तु न कर्तव्यं, परिणामः भवेद् भयंकरः॥”
📌 अर्थ:
भरणी नक्षत्र (जो यमगति है) में यदि शनिवार पड़े
→ तो स्त्रियों को वस्त्र, गहना, सौंदर्य-संबंधी क्रिया से बचना चाहिए,
→ अन्यथा उसका परिणाम भय, रोग या गृहक्लेश रूप में होता है।
1. ज्योतिष सार
(अध्याय: दैनंदिन नक्षत्र-दोष फलविचार)
श्लोक:
"भरणी शनिवारे च नवम्यां यमदर्शनम्।
स्त्रीणां वस्त्रालंकारे, वैधव्यं क्लेशवृद्धिकृत्॥"
🔍 अर्थ:
जब भरणी नक्षत्र शनिवार को और तिथि नवमी हो,
→ उस दिन स्त्री द्वारा वस्त्र या आभूषण धारण करने से
→ वैधव्य योग, पति से दूरी, या गृहकलह व मानसिक क्लेश बढ़ते हैं।
यह समय यमदर्शनीय (अर्थात यमदोषयुक्त) कहा गया है।
📗 2. भद्रबाहु संहिता
(अध्याय: नक्षत्र-तिथि-विचार – स्त्री प्रयोग विषयक नियम)
श्लोक:
"नवम्यां शनिवारे च भरण्यां च विशेषतः।
नारीणां नूतनं वस्त्रं, दुःखदं शोकवर्धनम्॥"
🔍 अर्थ:
नवमी तिथि + शनिवार + भरणी नक्षत्र —
→ यह त्रिग्रही योग यदि साथ हो,
→ और स्त्री उस दिन नया वस्त्र, आभूषण या चूड़ी धारण करती हो,
→ तो परिणाम शोक, मानसिक तनाव, एवं अवांछित घरेलू घटनाओं के रूप में आता है।
📙 भद्रबाहु संहिता – विशेष टिप्पणी
“भरणी यमगता नक्षत्रः, स्त्रीणां वस्त्रभूषणाधारणे न कर्तव्यम्।
शुक्रयुक्ते शनिवारे च विशेषदोषदायिनी भवति।”
🔍 भावार्थ:
भरणी यमगति वाला नक्षत्र है, जिसमें
→ स्त्रियों को सौंदर्य या भोग-वस्त्र धारण से बचना चाहिए।
यदि शुक्र और शनिवार दोनों प्रभाव हों (स्त्रैणता और शनि की कठोरता),
→ तो यह योग दुर्भाग्य, सौंदर्य-विनाश, संबंध-टूटन, या मानसिक भय का सूचक होता है।
🔯 सारांश (Purush/Stree Don’ts on Navami-Bharani-Saturday)
तत्व | प्रभाव |
---|---|
नवमी तिथि | उग्र, तेजस्वी, वाणी में कटुता लाने वाली |
शनिवार | धीमा, न्यायप्रिय लेकिन दंडात्मक |
भरणी नक्षत्र | यमगति (मृत्यु/दोष/गंभीर निर्णय/क्लेश संबंधी) |
त्रिग्रही योग | नये वस्त्र, गहने, चूड़ी पहनना स्त्री एवं पुरुष दोनों के लिए अशुभ |
❌ क्या नहीं करना चाहिए इस योग में:
वस्त्र/वस्तु | कारण |
---|---|
नया वस्त्र पहनना | मानसिक असंतुलन, वाणी कटुता, दाम्पत्य कष्ट |
चूड़ी या कंगन | शुक्र-दोष, प्रजनन/स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत |
गहना या श्रृंगार | मोहवृद्धि, अशांति, ध्यान विचलन |
शनिवार संध्या के समय धारण | अंधकार तामसिक दोष और बढ़ाता है |
*-*************** |
. घर में वस्तु रखना (Keeping the Item at Home):
अगर कोई वस्तु घर में रखी जाए, और वह शुभ न हो या सही समय पर न हो, तो इसके प्रभाव इस प्रकार हो सकते हैं:
- वातावरण में अशांति (Disturbance
in Atmosphere):
If the object is negative, it can create disturbance and tension in the home environment. This could lead to family conflicts and emotional stress among the household members. - आर्थिक संकट (Financial
Troubles):
If the object is inauspicious, it may bring a decline in wealth and financial troubles. The presence of such objects can lead to financial instability in the home. - स्वास्थ्य समस्याएँ (Health
Issues):
A negative item in the house can cause physical and mental issues. It could lead to health-related problems, affecting the well-being of family members. - सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों में गिरावट (Decline
in Social and Family Relationships):
A harmful object may bring tension and discord among family members, affecting the harmony and closeness within the family.
2. दुबारा प्रयोग (Reusing the Item):
If an object is reused, especially in critical moments, the following effects may arise:
- भाग्य का रुकना (Stagnation
of Good Fortune):
Reusing an object that was used in negative circumstances before can stop good fortune. It can lead to failure in significant events like exams, interviews, or important occasions. - आत्मविश्वास में कमी (Loss
of Confidence):
Reusing such an item can reduce self-confidence, causing you to feel doubtful or hesitant during crucial moments like decisions or performances. - कष्ट और असुविधा (Suffering
and Inconvenience):
The item might bring inconvenience and misfortune, disrupting daily life and causing unnecessary troubles. - निर्णय लेने में समस्या (Trouble
in Decision Making):
The item may affect your mental clarity, making it hard to make clear decisions during critical times. This could lead to poor choices or missed opportunities.
सारांश (Summary):
- घर में वस्तु रखना (Keeping
an Object at Home):
If an object is inauspicious, it can bring disruption, financial troubles, health issues, and family discord. - दुबारा प्रयोग (Reusing
the Item):
Reusing a negative object can block good fortune, reduce confidence, and bring suffering and inconvenience. It can also impact your ability to make good decisions.
सावधानी (Caution):
Always be mindful of the timing and energy of the objects you
keep at home or reuse, as they have a significant influence on your well-being
and future outcomes.
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