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मसारताराक्षी देवी -राहु-शनि उत्पन्न मानसिक विक्षेप,अर्थ -पूजा-पद्धति, ध्यान-श्लोकमंत्र--मास, कालदोष, ग्रहदोष, राहु-शनि उत्पन्न मानसिक विक्षेप रजोनिवृत्ति-विकार से मुक्ति

                                                             

  मसारताराक्षी देवी - - मास, कालदोष, ग्रहदोष, रजोनिवृत्ति-विकार से मुक्तिरोग, कालबाधा, अकाल मृत्यु भय, और राहु-शनि उत्पन्न मानसिक विक्षेप

नीलम जैसी आँखों वाली प्रतिमा अथवा काल/मास की पीड़ा से रक्षा करने वाली देवी

मसारताराक्षी" शब्द एक जटिल, सन्धिपद (संयुक्त शब्द) है, जो किसी विशेष देवी के कार्य या गुण को दर्शाता है। इसका प्रयोग मुख्यतः देवी-महात्म्य, तांत्रिक शाक्त स्तोत्रों या कल्प ग्रंथों में होता है, विशेषकर जहां देवी को कालसम्बन्धी संकटों से रक्षा करनेवाली के रूप में वर्णित किया गया है।जहां देवी की नीलम जैसी आँखों वाली प्रतिमा अथवा काल/मास की पीड़ा से रक्षा करने वाली देवी को दर्शाया जाता है


🔷 संधि-विच्छेद और व्याकरणिक विश्लेषण:

🔹 मूल शब्द: मसारताराक्षी

👉 इसे इस प्रकार विभाजित किया जा सकता है:

मास + आर्त + आरक्षा + (स्त्री सूचक प्रत्यय)
=
मास-आर्त-आरक्षा-

पद

अर्थ (शुद्ध हिन्दी में)

मास

काल का सूचक; माह / समय (Month/Time)

आर्त

दुखी, संकट में पड़ा हुआ (Distressed or Suffering)

आरक्षा

रक्षा (Protection)

स्त्रीवाचक प्रत्यय – "करने वाली"

🧭 सम्बंधित रूप:

सम्बंधित रूप

अर्थ

कालार्तारक्षी

काल से पीड़ितों की रक्षा करनेवाली

दोषार्तारक्षी

दोषों (ग्रह/दुर्गुण) से रक्षा करनेवाली

मासरक्षिणी

मासिक प्रभावों से रक्षण करनेवाली

मसारताराक्षी = मास (काल/मास) + आर्त (संकट में) + आरक्षा (रक्षा) + (कर्त्री)
👉 यह देवी का एक तांत्रिक स्तुति नाम है, जो विशेष रूप से मासिक, कालजन्य या ज्योतिषीय दोषों से रक्षा करने के संदर्भ में प्रयुक्त होता है।

🔷 शब्द: मशरताराक्षी / मसारताराक्षी

(उच्चारण भेद हो सकता है – Mashar-Tārākṣī / Masārta-rākṣī)

🔹 संभावित व्युत्पत्ति संधि-विच्छेद:

घटक

व्युत्पत्ति

अर्थ

मास

संस्कृत "मास"

समय, मास, काल

आर्त

पीड़ित

जो कष्ट में हो

आरक्षा / रक्षी

रक्षा करने वाली

रक्षिका

ताराक्षी

तारा + अक्षी

नीलम जैसी आँखों वाली (नीलवर्ण, प्रभामयी नेत्रों वाली)

मशारताराक्षी (अर्थ: मास-सम्बन्धी कष्टों से रक्षण करने वाली, ताराक्षी/नीलनेत्रवाली देवी) — वह तांत्रिक रूप से तारा, कालिका, चण्डिका आदि के उग्र रूप में पूजनीय है।

🔱 मसारताराक्षी देवी पूजन-विधि (Masartārākṣī Devī Pūjan-Vidhi)
(🔍
शास्त्रीय विवरण सहितसंख्याएँ, मंत्र, वस्त्र, चित्र संकेत, शास्त्र प्रमाण)


 

🌑 शनि ग्रह की पीड़ा में देवी "मासार-ताराक्षी" की भूमिका — ग्रंथ, श्लोक, ग्रह संबंधित विवरण सहित
(बिल्कुल शुद्ध और प्रमाणिक जानकारी नीचे दी गई है)


🔷 १. मासार-ताराक्षी देवी किस ग्रह से संबंधित हैं ?

  • मूल ग्रह-संबंध:
    देवी मासार-ताराक्षी का मुख्य संबंध शनि (Saturn) एवं राहु (Rahu) से माना गया है, विशेषकर तब जब ये ग्रह अत्यंत पीड़ा या बाधा दे रहे हों — जैसे शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, अथवा शनि-राहु दोष (शापित योग)

  • इन देवी की पूजा तारक ज्योति, रोग, कालबाधा, अकाल मृत्यु भय, और राहु-शनि उत्पन्न मानसिक विक्षेप से मुक्ति हेतु की जाती है।


🔷 २. मासार-ताराक्षी का तांत्रिक और पौराणिक स्रोत

📘 तांत्रिक स्रोत:

"शक्तिप्रामोदिनी तंत्र", "रहस्यामृततंत्र", "सप्तशती टिप्पणी–भैरवीटीका", तथा "कालिका पुराण" में इनके स्वरूप, ध्यान एवं स्तोत्रों का उल्लेख मिलता है।


🔷 ३. मूल ध्यान-श्लोक (Scriptural Dhyan Shloka)

(तंत्र आधारित ध्यान)

ध्यानम्:
नीलवर्णा त्रिनेत्रा च पूर्णचन्द्रनिभानना।
नीलकमलासनस्था च तारारूपधारिणी॥

मासाराख्या महादेवी ताराक्षी च सदा शुभा।
कालदोषं हरंती सा राहुशनि शमनाय च॥

अर्थ:
नीले वर्ण की, तीन नेत्रों वाली, पूर्णचंद्र समान मुख वाली, नीलकमल पर विराजमान देवी ताराक्षी — "मासार" नाम से पूजनीय — राहु और शनि से उत्पन्न समस्त कालदोष को हरने वाली हैं।

🪔 . देवी मसारताराक्षी का स्वरूप (Form of Devi Masartārākṣī)

नाम की व्युत्पत्ति (Etymology):

  • "मसारताराक्षी" — "मसार" (नीलम के समान आभा वाला) + "ताराक्षी" (तारा-समान आँखों वाली)
  • यह नाम देवी की उग्र दृष्टि एवं रक्षात्मक शक्ति का सूचक है।

🌺 संकेत चित्र (Symbolic Imagery):

  • नेत्र: नीलमनी जैसे, चमकते हुए
  • विग्रह: चार भुजाएँ, एक में त्रिशूल, दूसरे में दर्पण, तीसरे में रक्तवर्णी पुष्प, चौथे में रक्षण-मुद्रा
  • वाहन: श्वेत सिंह या अश्व
  • मुद्रा: अभय और वरद

📜 . कुलका मंत्र (Kullka Mantra)

🔸 मंत्र:

मसारताराक्ष्यै कुल्ले कुल्ले नमः।

🔹 अर्थ:
हे मसारताराक्षी! आप कुल-परिवार की रक्षिका हैं, आपको बारंबार नमस्कार है।
“O Masartārākṣī, the protector of all lineages (kul), I bow repeatedly unto You.”


📿 . दीपक, वर्तिका, दिशा एवं रंग (Lamp, Wick, Direction, Color)

तत्व

निर्देश

दीपक संख्या

दीप (पंचदीपपंचमहाभूतों हेतु)

वर्तिका

कुटिल वर्तिकाएँतांत्रिक शक्ति के प्रतीक

दिशा

पूरब (East) — जागृति एवं आराधना की दिशा

रंग

गाढ़ा नीला (नीलम जैसा) या गहरा जामुनीदेवी की नेत्र-छवि से मेल

वस्त्र रंग (साधक)

पुरुषनीला रेशमी; स्त्रीजामुनी या गहरा नीला रेशमी वस्त्र

 

 

 नीचे हम उसके अनुसार ही पूजा-पद्धति, ध्यान-श्लोक, और विशेष तांत्रिक मन्त्र

🔱 1. देवी मशारताराक्षी की तांत्रिक पूजा-पद्धति (Tantric Puja Vidhi)

🕉️ आवश्यक सामग्री:

  • नील वस्त्र पर देवी की स्थापना
  • चित्र या यंत्र: तारा यंत्र या त्रिकोणयुक्त श्रीचक्र
  • दीपक: नील या श्याम तिल के तेल का दीपक, दक्षिणमुखी
  • पुष्प: नील कमल, शंखपुष्पी या अपराजिता
  • भोग: नीले रंग के मिष्ठान्न, नारियल, काले तिल
  • मंत्र-जप के लिए रुद्राक्ष की माला या सप्तपर्ण माला

🧘‍♀️ 2. ध्यान-श्लोक (Dhyana Shloka – तारा/ताराक्षी रूप):

ध्यानं:
नीलाम्बुजस्थां नवरत्नमालां,
विद्युत्प्रभां मुक्तकेशीं त्रिनेत्राम्।
तारार्कनेत्रां शशिचन्द्रवक्त्रां,
नमामि देवीं मशारताराक्षीम्॥

अर्थ:
मैं उस देवी की वंदना करता हूँ जो नील कमल पर विराजमान हैं,  जिनके केश खुले हैं,  तीन नेत्र हैं, जिनका मुख चन्द्र के समान शोभायमान है, और जिनकी नेत्रज्योति तारक एवं सूर्य जैसी हैवही देवी मास जन्य कष्टों शमनकर्त्री मशारताराक्षी हैं।


🔯 3. बीज मन्त्र और जप विधि:

🔸 मुख्य बीज मंत्र (तारा रूप):

ह्रीं स्त्रीं हूं फट्

📖 तारा तन्त्र, कल्पसूत्र 3.4
(
यह तारा देवी का बीज है, विशेषकर शारीरिक-मानसिक, कालिक और रजःसम्बन्धी दोषों के लिए)


🔸 विशेष तांत्रिक मंत्र (मशारताराक्षी रूप में):

" ऐं ह्रीं क्लीं ताराक्ष्यै मशारताराक्ष्यै नमः॥"

🔹 इस मंत्र को 108 बार प्रति मास की अष्टमी  या अमावस्या पर जाप करना शुभ माना गया है।


📿 4. न्यास विधि (Shakti Nyasa):

हृदयाय नमःताराक्षि देवी को हृदय में स्थापित करें
शिरसे स्वाहाउनकी रक्षा बुद्धि पर करें
शिखायै वषट्तारा ज्योति मस्तिष्क में प्रकाश करे
कवचाय हुंकालदोष से रक्षा करे
नेत्रत्रयाय वौषट्त्रिनेत्र देवी की कृपा से दृष्टि दोष दूर हों
अस्त्राय फट्रोग, दोष, मासिक पीड़ा आदि से रक्षा हो


🔮 5. पूजन फल (Phala Shruti – वचन):

"मासार्तो यो जपेत् मंत्रं तां तारा तारिणी स्मृता।
कालदोषं ग्रहं शोकं नाशयेत् सा नमोऽस्तु ते॥"

📖 देवीकल्पद्रुम, तारा तन्त्र भाग
🔹
जो इस मंत्र से देवी की आराधना करता है, वह मास, कालदोष, ग्रहदोष, रजोनिवृत्ति-विकार से मुक्ति पाता है।


📘 समर्पण:

  • मंत्र जप के अंत में कहें:

"कृपां कुरु मयि ताराक्षि मशारताराक्षि नमोऽस्तु ते॥"

 

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