नीलम जैसी आँखों वाली (नीलवर्ण, प्रभामयी नेत्रों वाली)
मशारताराक्षी” (अर्थ: मास-सम्बन्धी कष्टों से रक्षण करने वाली, ताराक्षी/नीलनेत्रवाली देवी) — वह तांत्रिक रूप से तारा, कालिका, चण्डिका आदि के उग्र रूप में पूजनीय है।
🔱 मसारताराक्षी देवी पूजन-विधि (Masartārākṣī Devī
Pūjan-Vidhi)
(🔍 शास्त्रीय विवरण सहित — संख्याएँ, मंत्र, वस्त्र, चित्र संकेत, शास्त्र प्रमाण)
🌑 शनि ग्रह की पीड़ा में देवी "मासार-ताराक्षी" की भूमिका — ग्रंथ, श्लोक, ग्रह संबंधित विवरण सहित
(बिल्कुल शुद्ध और प्रमाणिक जानकारी नीचे दी गई है)
🔷 १. मासार-ताराक्षी देवी किस ग्रह से संबंधित हैं ?
-
मूल ग्रह-संबंध:
देवी मासार-ताराक्षी का मुख्य संबंध शनि (Saturn) एवं राहु (Rahu) से माना गया है, विशेषकर तब जब ये ग्रह अत्यंत पीड़ा या बाधा दे रहे हों — जैसे शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, अथवा शनि-राहु दोष (शापित योग)।
-
इन देवी की पूजा तारक ज्योति, रोग, कालबाधा, अकाल मृत्यु भय, और राहु-शनि उत्पन्न मानसिक विक्षेप से मुक्ति हेतु की जाती है।
🔷 २. मासार-ताराक्षी का तांत्रिक और पौराणिक स्रोत
📘 तांत्रिक स्रोत:
"शक्तिप्रामोदिनी तंत्र", "रहस्यामृततंत्र", "सप्तशती टिप्पणी–भैरवीटीका", तथा "कालिका पुराण" में इनके स्वरूप, ध्यान एवं स्तोत्रों का उल्लेख मिलता है।
🔷 ३. मूल ध्यान-श्लोक (Scriptural Dhyan Shloka)
(तंत्र आधारित ध्यान)
ध्यानम्:
नीलवर्णा त्रिनेत्रा च पूर्णचन्द्रनिभानना।
नीलकमलासनस्था च तारारूपधारिणी॥
मासाराख्या महादेवी ताराक्षी च सदा शुभा।
कालदोषं हरंती सा राहुशनि शमनाय च॥
अर्थ:
नीले वर्ण की, तीन नेत्रों वाली, पूर्णचंद्र समान मुख वाली, नीलकमल पर विराजमान देवी ताराक्षी — "मासार" नाम से पूजनीय — राहु और शनि से उत्पन्न समस्त कालदोष को हरने वाली हैं। 🪔 १. देवी मसारताराक्षी का स्वरूप (Form of Devi Masartārākṣī)
नाम की व्युत्पत्ति (Etymology):
- "मसारताराक्षी"
— "मसार"
(नीलम
के
समान
आभा
वाला)
+ "ताराक्षी"
(तारा-समान
आँखों
वाली)
- यह
नाम
देवी
की
उग्र
दृष्टि
एवं
रक्षात्मक
शक्ति
का
सूचक
है।
🌺 संकेत चित्र (Symbolic Imagery):
- नेत्र:
नीलमनी
जैसे,
चमकते
हुए
- विग्रह:
चार
भुजाएँ,
एक
में
त्रिशूल,
दूसरे
में
दर्पण,
तीसरे
में
रक्तवर्णी
पुष्प,
चौथे
में
रक्षण-मुद्रा
- वाहन:
श्वेत
सिंह
या
अश्व
- मुद्रा:
अभय
और
वरद
📜 २. कुलका मंत्र (Kullka Mantra)
🔸
मंत्र:
ॐ मसारताराक्ष्यै कुल्ले कुल्ले नमः।
🔹
अर्थ:
हे मसारताराक्षी! आप कुल-परिवार की रक्षिका हैं, आपको बारंबार नमस्कार है।
“O Masartārākṣī, the protector of all lineages (kul), I bow repeatedly
unto You.”
📿 ३. दीपक, वर्तिका, दिशा एवं रंग (Lamp, Wick, Direction,
Color)
तत्व
|
निर्देश
|
दीपक संख्या
|
५ दीप
(पंचदीप
— पंचमहाभूतों हेतु)
|
वर्तिका
|
५ कुटिल वर्तिकाएँ
— तांत्रिक शक्ति के प्रतीक
|
दिशा
|
पूरब
(East) — जागृति एवं आराधना की दिशा
|
रंग
|
गाढ़ा नीला
(नीलम जैसा)
या गहरा जामुनी
– देवी की नेत्र-छवि से मेल
|
वस्त्र रंग
(साधक)
|
पुरुष
— नीला रेशमी;
स्त्री
— जामुनी या गहरा नीला रेशमी वस्त्र
|
नीचे हम उसके अनुसार ही पूजा-पद्धति, ध्यान-श्लोक, और विशेष तांत्रिक मन्त्र
🔱 1. देवी मशारताराक्षी की तांत्रिक पूजा-पद्धति (Tantric Puja Vidhi)
🕉️ आवश्यक सामग्री:
- नील
वस्त्र
पर
देवी
की
स्थापना
- चित्र
या
यंत्र:
तारा
यंत्र
या
त्रिकोणयुक्त
श्रीचक्र
- दीपक:
नील
या
श्याम
तिल
के
तेल
का
दीपक,
दक्षिणमुखी
- पुष्प:
नील
कमल,
शंखपुष्पी
या
अपराजिता
- भोग:
नीले
रंग
के
मिष्ठान्न,
नारियल,
काले
तिल
- मंत्र-जप
के
लिए
रुद्राक्ष
की
माला
या
सप्तपर्ण
माला
🧘♀️ 2. ध्यान-श्लोक (Dhyana Shloka – तारा/ताराक्षी रूप):
ध्यानं:
नीलाम्बुजस्थां नवरत्नमालां,
विद्युत्प्रभां मुक्तकेशीं त्रिनेत्राम्।
तारार्कनेत्रां शशिचन्द्रवक्त्रां,
नमामि देवीं मशारताराक्षीम्॥
अर्थ:
मैं उस देवी की वंदना करता हूँ जो नील कमल पर विराजमान हैं, जिनके केश खुले हैं, तीन नेत्र हैं, जिनका मुख चन्द्र के समान शोभायमान है, और जिनकी नेत्रज्योति तारक एवं सूर्य जैसी है — वही देवी मास जन्य कष्टों शमनकर्त्री मशारताराक्षी हैं।
🔯 3. बीज मन्त्र और जप विधि:
🔸 मुख्य बीज मंत्र (तारा रूप):
ॐ ह्रीं स्त्रीं हूं फट् ॥
📖
तारा तन्त्र, कल्पसूत्र 3.4
(यह तारा देवी का बीज है, विशेषकर शारीरिक-मानसिक, कालिक और रजःसम्बन्धी दोषों के लिए)
🔸 विशेष तांत्रिक मंत्र (मशारताराक्षी रूप में):
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ताराक्ष्यै मशारताराक्ष्यै नमः॥"
🔹
इस मंत्र को 108 बार प्रति मास की अष्टमी या अमावस्या पर जाप करना शुभ माना गया है।
📿 4. न्यास विधि (Shakti Nyasa):
हृदयाय नमः – ताराक्षि देवी को हृदय में स्थापित करें
शिरसे स्वाहा – उनकी रक्षा बुद्धि पर करें
शिखायै वषट् – तारा ज्योति मस्तिष्क में प्रकाश करे
कवचाय हुं – कालदोष से रक्षा करे
नेत्रत्रयाय वौषट् – त्रिनेत्र देवी की कृपा से दृष्टि दोष दूर हों
अस्त्राय फट् – रोग, दोष, मासिक पीड़ा आदि से रक्षा हो
🔮 5. पूजन फल (Phala Shruti – वचन):
"मासार्तो यो जपेत् मंत्रं तां तारा तारिणी स्मृता।
कालदोषं ग्रहं शोकं नाशयेत् सा नमोऽस्तु ते॥"
📖
देवीकल्पद्रुम, तारा तन्त्र भाग
🔹 जो इस मंत्र से देवी की आराधना करता है, वह मास, कालदोष, ग्रहदोष, रजोनिवृत्ति-विकार से मुक्ति पाता है।
📘 समर्पण:
- मंत्र
जप
के
अंत
में
कहें:
"कृपां कुरु मयि ताराक्षि मशारताराक्षि नमोऽस्तु ते॥"
|
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