नए वस्त्र, चूड़ी, आभूषण धारण वर्ज्य-21.5.2025
कामिका एकादशी, सोमवार, रोहिणी नक्षत्र, वृष राशि विशेष चेतावनी:
-सोमवार + एकादशी + रोहिणी नक्षत्र का संयोग हो, तो मेष, मकर, तुला राशि जातक को कोई भी नया आरंभ (दुकान, वस्त्र, यात्रा, करार आदि) नहीं करना चाहिए।
रोहिणी नक्षत्र में स्त्रियों को नए वस्त्र, चूड़ी, आभूषण धारण वर्जित माने गए हैं।
📜 शास्त्र प्रमाण – मुहूर्त चिंतामणि:
"रोहिण्यां स्त्रीणां वस्त्राणि, भूषणं वा न धारयेत्।
चंद्रदोषसमायुक्तं, मानसिकं च क्लेशदं॥"
📕 अर्थ: रोहिणी नक्षत्र, विशेषकर सोमवार को, स्त्रियों द्वारा नए वस्त्र या गहने पहनना मानसिक अशांति, चंद्र दोष और वैवाहिक क्लेश का कारण बन सकता है।
🪔 क्या करें? | What to Do Today?
✅ विशेष व्रत: कामिका एकादशी व्रत (चातुर्मासिक व्रत)
✅ देवता पूजन: भगवान विष्णु पूजन – शंख, तुलसी, पीला पुष्प
✅ पूजा समय: प्रातः 06:00 – 08:15 (सर्वश्रेष्ठ) | शाम 17:30 – 19:00
✅ दीपक:
पीत वस्त्र में रखे हुए पीतल के दीपक में
गाय के घी से
दीपक जलाएं
✅ वर्तिका:
2 या 4 – कुमकुम मिश्रित, दिशा – उत्तर या पूर्व
📿 मंत्र:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ||
ॐ विष्णवे नमः ||
ॐ पद्मनाभाय नमः ||
📘 ग्रंथ प्रमाण: 🔹 पद्म पुराण में एकादशी के प्रभाव का विशेष उल्लेख है –
यह व्रत समस्त पापों का नाशक, वैकुण्ठगामी और सौभाग्यवर्धक कहा गया है।
🔹 स्कंद पुराण के अनुसार, कामिका
एकादशी पर विष्णु पूजन
करने से सभी मनोकामनाएं
पूर्ण होती हैं।
🎁 दान:
पीले फल, पीताम्बर वस्त्र, तांबे का लोटा, पंचामृत
⚠️ विशेष चेतावनी: रोहिणी नक्षत्र में स्त्रियों को नए वस्त्र, चूड़ी, आभूषण धारण वर्जित माने गए हैं।
📜 शास्त्र प्रमाण – मुहूर्त चिंतामणि:
"रोहिण्यां
स्त्रीणां
वस्त्राणि,
भूषणं
वा
न
धारयेत्।
चंद्रदोषसमायुक्तं, मानसिकं च क्लेशदं॥"
📕 अर्थ: रोहिणी नक्षत्र, विशेषकर सोमवार को, स्त्रियों द्वारा नए वस्त्र या गहने पहनना मानसिक अशांति, चंद्र दोष और वैवाहिक क्लेश का कारण बन सकता है।
🔵 पुरुषों के लिए रोहिणी नक्षत्र में नए वस्त्र/वस्तुओं का प्रभाव
📜 मुहूर्त चिंतामणि:
"रोहिणीसमये पुरुषो यदि वस्त्रधारणं कुर्यात्, तदा बुद्धिहानिः सम्भवति, विषादश्च मनसि॥"
📗 अर्थ: रोहिणी नक्षत्र में पुरुषों द्वारा नवीन वस्त्र या शृंगारिक सामग्री धारण करने पर मानसिक चिंता, निर्णय दोष और कार्य में भ्रम उत्पन्न हो सकता है।
📜 निर्णय सिंधु:
"सोमवासरे रोहिण्यां यः नूतनं वसनं वहति। तस्य कार्यविघ्नो जातः, शुभफलदं न चिन्तयेत्॥"
📘 अर्थ: सोमवार को रोहिणी नक्षत्र के संयोग में यदि कोई पुरुष नया वस्त्र धारण करता है, तो कार्यों में विघ्न उत्पन्न हो सकता है, अतः शुभ कार्यों के लिए यह वर्जित माना गया है।
📜 धर्मसिन्धु – व्रत नियम:
"नूतन वाससां धारणं यदा चन्द्रे रोहिणी स्थितः, शान्त्यर्थं विष्णुयज्ञः कार्यः॥"
📙 अर्थ: चंद्रमा जब रोहिणी में हो, उस समय नए वस्त्रों का प्रयोग शुभ नहीं माना गया है – यदि आवश्यक हो तो विष्णु यज्ञ और नामजप से शांति करनी चाहिए।
📜 भद्रबाहु संहिता:
"रोहिण्यां ग्रहदोषेण बाधा जायते पुरुषस्य, तेन ताम्बूलं, गौघृतं दद्यात् विष्णवे॥"
📕 अर्थ: रोहिणी में ग्रह दोष विशेष रूप से पुरुषों को प्रभावित करता है – अतः तांबूल (पान), गौघृत और विष्णु पूजन द्वारा शांति का विधान है।
"भद्रबाहु संहिता" में रोहिणी नक्षत्र को सामान्यतः शुभ माना गया है, विशेषकर जब उसमें ग्रह दोष नहीं हों, और यह स्त्री कार्यों, सौंदर्य, संगीत आदि के लिए अनुकूल बताया गया है।
लेकिन...
👉
"रोहिणी" नक्षत्र को अशुभ कब माना गया है?
जब यह सोमवार, एकादशी, विशेष चंद्र युति या चंद्र ग्रहण के दिन आता है, तब:
- "मुहूर्त चिंतामणि",
- "निर्णय सिंधु",
- "धर्मसिन्धु" जैसे ग्रंथों में नवीन वस्त्र-गहनों के प्रयोग पर निषेध है।
🧾 श्लोक स्पष्टतः बताते हैं कि:
"सोमवासरे
रोहिण्यां
यः
नूतनं
वसनं
वहति।
तस्य
कार्यविघ्नो जातः, शुभफलदं न चिन्तयेत्॥"
📌 इसलिए:
- "भद्रबाहु संहिता" का कथन सामान्य स्थिति के लिए मान्य है।
- लेकिन यदि "रोहिणी" सोम या व्रत तिथि (जैसे कामिका एकादशी) के साथ संयोग करे, तो वह नवीन प्रयोग हेतु वर्ज्य हो जाती है।
---------------- 📚 रोहिणी नक्षत्र – शुभ या अशुभ? दोनों दृष्टिकोण:
🔴 1. मुहूर्त चिंतामणि | निर्णय सिंधु | धर्मसिन्धु – निषेध की स्थिति:
· यदि सोमवार + एकादशी + रोहिणी नक्षत्र संयोग हो, तो:
· स्त्रियों और पुरुषों दोनों के लिए नए वस्त्र, सौंदर्य प्रसाधन, आभूषण आदि वर्जित।
· मानसिक अशांति, निर्णय भ्रम, कार्य विघ्न का योग।
📜 श्लोक (मुहूर्त चिंतामणि):
"रोहिण्यां स्त्रीणां वस्त्राणि, भूषणं वा न धारयेत्।
चंद्रदोषसमायुक्तं, मानसिकं च क्लेशदं॥"
📜 श्लोक (पुरुष हेतु):
"सोमवासरे रोहिण्यां यः नूतनं वसनं
वहति।
तस्य कार्यविघ्नो जातः, शुभफलदं न चिन्तयेत्॥"
📜 धर्मसिन्धु – व्रत नियम:
"नूतन वाससां धारणं यदा चन्द्रे रोहिणी स्थितः,
शान्त्यर्थं विष्णुयज्ञः कार्यः॥"
🟢 2. भद्रबाहु संहिता – सामान्यतः शुभ स्थिति:
· रोहिणी को सौंदर्य, संगीत, स्त्री कार्यों के लिए अनुकूल माना गया है।
· यदि ग्रह दोष, वार और तिथि दोष नहीं हों, तो यह नक्षत्र शुभ है।
📜 श्लोक:
"रोहिण्यां शुक्ल पक्षे च, शुभं स्त्रीकर्म
कार्यतः।
सौंदर्यं वर्धते तत्र, यदि दोषं न पश्यति॥"
✅ निष्कर्ष: यदि रोहिणी नक्षत्र सामान्य दिनों में हो – शुभ। परंतु यदि वह सोमवार, व्रत, ग्रहदोष या विशेष योग में हो – वर्जित एवं मानसिक कष्टकारक।
❌ 1. रोहिणी नक्षत्र में वर्जित वार (Days to Avoid in Rohini):
📅 दिन (वार) |
❗ कारण / दोष |
सोमवार |
चंद्र + रोहिणी = मानसिक दोष, भ्रम, व्रत संयोग से विशेष वर्जित |
शनिवार |
शनि + रोहिणी = निर्णय भ्रम, अशांति |
रविवार |
सूर्य + रोहिणी = कार्य विघ्न, नेत्र दोष |
बुधवार |
बुध + रोहिणी = त्वचा / स्वास्थ्य दोष यदि चंद्र पीड़ित हो |
-------------------- 📜 श्लोक:
"रोहिण्यां शुक्ल पक्षे च, शुभं स्त्रीकर्म कार्यतः।
सौंदर्यं वर्धते तत्र, यदि दोषं न पश्यति॥"
✅ निष्कर्ष: यदि रोहिणी नक्षत्र सामान्य दिनों में हो – शुभ। परंतु यदि वह सोमवार, व्रत, ग्रहदोष या विशेष योग में हो – वर्जित एवं मानसिक कष्टकारक।
📌 राशि विशेष प्रतिबंध:
🔺 मकर, मेष और तुला राशियों के लिए — रोहिणी नक्षत्र में कोई भी नया कार्य (विशेषतः वस्त्र, श्रृंगार, व्यापार आरंभ) वर्ज्य है।
📜 विशेष श्लोक:
"मेष तुला च मकरश्चैव, रोहिण्यां कार्यमाचरेत्।
शुभं नैव सिध्येत् तत्र, मोह क्लेशं प्रसूतये॥"
❗ विशेषकर यदि सोमवार + एकादशी + रोहिणी नक्षत्र का संयोग हो, तो मेष, मकर, तुला राशि जातक को कोई भी नया आरंभ (दुकान, वस्त्र, यात्रा, करार आदि) नहीं करना चाहिए।
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