Naamkaran is not a triviality ,नाम चंद्र राशि से नाम जरूरी नहीं ; नाम का आधार 'ऊर्जा + उद्देश्य' - ग्रहबल-शास्त्रीय नामकरण के नियम;
नाम रखना केवल एक शब्द नहीं, संपूर्ण जीवन के प्रभाव का निर्धारण है” |
कार्य की दिशा और ग्रहबल देखें. |
🌟 _नाम का महत्व और शास्त्रीय नामकरण के नियम)
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🪔 Naamkaran is not a triviality – Ancient sages named even divine royals like Shri Ram & Shri Krishna
🪔 नामकरण कोई हास्य का विषय नहीं — प्राचीन काल में विद्वान ऋषि-मुनि ही श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसे राजपुत्रों का नाम रखते थे
✨ भूमिका:
नाम की ज्योतिष में कुंडली की राशि जितना ही महत्वपूर्ण स्थान
एक समाज जैसे जन्म की ग्रह स्थिति जीवन को जीवन कार्य और ग्रहों के कार्यक्षेत्र जीवन पर भारी प्रभाव डालती है, उसी प्रकार जीवन के कार्यक्षेत्र गुण और पथ की जटि की ध्वनि में जो की जाती है और जिससे जीवन की नियति और कार्य जीवन निश्चित हो सके, उसके नाम का चयन और जो ग्रह में उस नाम की प्रभावी स्थिति है ।
🔹 व्यक्ति हो या स्थान,
नाम का आधार 'ऊर्जा + उद्देश्य' होना चाहिए — न कि केवल नक्षत्र।
इसी से वह नाम कालान्तर तक प्रभावशाली बना रहता है।
1-“भगवान राम–कृष्ण आदि के नाम उनकी चंद्र राशि से अलग क्यों हैं? और इससे क्या शिक्षा मिलती है?
2-
सभी वैदिक या शुभ कर्मों में व्यवहारिक नाम (नामकरण से मिला हुआ नाम) से ही संकल्प, आवाहन, तथा पूजन होता है।
जन्म राशि या नक्षत्र के अक्षर से जुड़े 'नाम का वर्ण' या राशि का उल्लेख नहीं किया जाता।
🔶 1️⃣ नाम का प्रयोग कब और कैसे करें?
(शास्त्रीय प्रमाण सहित)
📜 श्लोक – बृहत्संहिता (वराहमिहिर)
"नामकर्मे शुभे तिथौ, नक्षत्रे बालकस्य च।
तत्र नाम्नः स्वरूपे च, शुभाशुभं निरूप्यते॥"
अर्थ: बालक का नामकरण शुभ तिथि और नक्षत्र में करना चाहिए।
नाम के स्वरूप से शुभ या अशुभ का प्रभाव भी जन्म से ही प्रारंभ हो जाता है।
✅ नामकरण का उचित समय और स्थिति:
बिंदु |
विवरण |
तिथि |
दशमी, द्वादशी, त्रयोदशी |
नक्षत्र |
पुष्य, मृगशिरा, अनुराधा, हस्त |
वार |
सोमवार, गुरुवार, शुक्रवार |
योग |
सुकर्मा, शुभ, सिद्धि, धृति |
दिशा |
पूर्व या उत्तर |
समय |
जन्म के 10वें दिन से 40वें दिन के बीच, preferably सूर्योदय के बाद से पूर्वाह्न में |
🕉️ नामकरण में ध्यान देने योग्य बातें:
- नक्षत्र का चरण देखकर नाम का अक्षर निर्धारित करें।
- नवग्रह दशा और नवांश में बलवान ग्रह के अनुसार अक्षर का चयन करें।
- अगर बालक विशेष ग्रह दशा में जन्मा हो (जैसे शनि दशा), तो उस ग्रह के विरोधी स्वर से नाम न रखें।
📌 निष्कर्ष: नामकरण केवल एक संस्कार नहीं बल्कि जीवन की दशाओं की दिशा और दशा को नियंत्रित करने वाला महत्वपूर्ण कार्य है।
🔶 2️⃣ जन्म नक्षत्र का नाम निर्धारण में उपयोग (ग्रंथ प्रमाण सहित)
📖 भद्रबाहु संहिता – श्लोक:
"नक्षत्रेण ज्ञायते नाम्नः स्वरूपं जीवितं शुभम्।
यत्र चतुर्विंशांशके ग्रहः स शुभदः सदा॥"
अर्थ: जन्म नक्षत्र से व्यक्ति के नाम का स्वरूप एवं जीवन की प्रकृति ज्ञात होती है।
चतुर्विंशांश (D-24) कुंडली में जो ग्रह बलवान हो, उसके अनुसार नाम रखने से शुभफल मिलता है।(EDUCATIONAL )
🔎 जन्म नक्षत्र के प्रमुख उपयोग:Normal and Popular method-
उपयोग |
विवरण |
नाम का प्रथम अक्षर |
जन्म नक्षत्र के चरण से निश्चित होता है |
स्वभाव और व्यक्तित्व |
नक्षत्र की प्रकृति (उग्र, सौम्य आदि) से निर्धारित |
आयु के प्रारंभिक दशकों का प्रभाव |
नक्षत्र स्वामी की दशा अनुसार |
📘 वराहमिहिर – बृहत्संहिता:(If asper rules its better)
"नक्षत्राणां प्रभावज्ञः, जीवनं निर्दिशेत् ध्रुवम्।
स्वनाम्नि च तद्वर्णे, फलम् भवति निश्चितम्॥"
अर्थ: नक्षत्रों के प्रभाव से जीवन की दिशा तय होती है। यदि नाम उसी वर्ण से रखा जाए जो उस नक्षत्र के अनुसार हो, तो फल निश्चित रूप से शुभ होता है。
📌 निष्कर्ष: केवल राशि नहीं, जन्म नक्षत्र और उसका चरण ही नाम के लिए सबसे प्रमाणिक और गूढ़ आधार है। इससे व्यक्ति की शिक्षा, विचारधारा और कर्मक्षमता को दीर्घकालिक दिशा मिलती है。
🔶 3️⃣ क्या नाम से कुंडली के अशुभ प्रभाव रोके जा सकते हैं?
📖 ज्योतिष सार, नारद संहिता अनुसार
"नाम्नि ग्रहबलं दृष्ट्वा, कालदोषं विनाशयेत्।
यत्र नाम ग्रहस्थो स्यात्, फलवृद्धिः तत्र निश्चितम्॥"
अर्थ: यदि जन्मकुंडली में किसी ग्रह की स्थिति कमजोर हो और नाम उस ग्रह की अनुकूल ध्वनि से रखा जाए तो उस ग्रह से जुड़े दोषों का निवारण हो सकता है।
🔎 नाम के माध्यम से सुधार के उपाय:
दोष |
समाधान नाम के माध्यम से |
शनि पीड़ा |
'श' या 'ष' से शुरू होने वाला नाम रखें |
मंगल दोष |
'म' या 'भ' वर्ण से नाम रखें |
राहु/केतु प्रभाव |
'रा', 'का', 'धा', 'ना' आदि वर्ण शुभ |
बुध दोष |
'वि', 'वि', 'शि', 'सु' वर्ण वाले नाम |
✅ नवांश, दशांश, चतुर्विंशांश आदि वर्ग कुण्डलियों में जिस ग्रह की स्थिति अच्छी हो, उसी की ध्वनि से नाम रखा जाए तो व्यक्ति की संपूर्ण जीवनदशा में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है।
📌 निष्कर्ष: नाम के उचित प्रयोग से दशाओं का प्रभाव परिवर्तित किया जा सकता है। विशेषकर प्रारंभिक 30 वर्षों की अशुभ ग्रह दशा को संतुलित करने हेतु नाम एक शक्तिशाली ज्योतिषीय उपाय है।
🔶 4️⃣ नाम में जन्म दिनांक की मात्रा और वर्ण-विन्यास की भूमिका
📖 प्राचीन मत – कालचक्र पद्धति और अंकशास्त्र सम्मिलन
"तिथिदिनैः स्वरमात्राभिः, जीवनपथो विनिर्णयः।
नामे तासां समायोगो, फलं ददाति निश्चितम्॥"
अर्थ: जन्म तिथि, दिन और नक्षत्र से निकली ध्वनि और मात्रा (स्वर-वर्ण) यदि नाम में सही रूप में प्रयुक्त हो तो जीवन का पथ सकारात्मक दिशा में बढ़ता है।
🔎 नाम निर्धारण में जन्म दिनांक का प्रभाव:
जन्म तत्व |
प्रभावशाली वर्ण / मात्रा |
1, 10, 19, 28 (सूर्य प्रधान) |
'अ', 'आ', 'इ', 'र' (मूल स्वर ध्वनि) |
2, 11, 20, 29 (चंद्र प्रधान) |
'श', 'ष', 'ह', 'न' (कोमल ध्वनि) |
3, 12, 21, 30 (गुरु प्रधान) |
'भ', 'म', 'व', 'घ' (गंभीर ध्वनि) |
5, 14, 23 (बुध प्रधान) |
'वि', 'सु', 'शि', 'नी', 'की' |
✅ नाम में मात्रा (स्वर की लंबाई) अत्यंत महत्वपूर्ण होती है – जैसे 'आ' और 'ई' अधिक स्थायित्व देते हैं, जबकि 'अ' और 'इ' अधिक गति और परिवर्तन के सूचक हैं।
📌 निष्कर्ष: नाम केवल नक्षत्र या राशि आधारित न होकर, जन्म तिथि व ध्वनि की साम्यता से भी मेल खाता हो, तो वह संपूर्ण जीवन पथ को संतुलित करता है।
* जन्मदिनांक आधारित वर्ण-विन्यास से व्यक्ति के जीवन में स्वाभाविक तालमेल और ग्रहों की सहायता प्राप्त होती है।
“नाम का प्रयोग कब और कैसे करें?”
✨ भूमिका:
नाम की ज्योतिष में कुंडली की राशि जितना ही महत्वपूर्ण स्थान
एक समाज जैसे जन्म की ग्रह स्थिति जीवन को जीवन कार्य और ग्रहों के कार्यक्षेत्र जीवन पर भारी प्रभाव डालती है, उसी प्रकार जीवन के कार्यक्षेत्र गुण और पथ की जटि की ध्वनि में जो की जाती है और जिससे जीवन की नियति और कार्य जीवन निश्चित हो सके, उसके नाम का चयन और जो ग्रह में उस नाम की प्रभावी स्थिति है ।
🔶 1️⃣ नाम का प्रयोग कब और कैसे करें? (शास्त्रीय प्रमाण सहित)
📜 श्लोक – बृहत्संहिता (वराहमिहिर)
"नामकर्मे शुभे तिथौ, नक्षत्रे बालकस्य च।
तत्र नाम्नः स्वरूपे च, शुभाशुभं निरूप्यते॥"
अर्थ: बालक का नामकरण शुभ तिथि और नक्षत्र में करना चाहिए। नाम के स्वरूप से शुभ या अशुभ का प्रभाव भी जन्म से ही प्रारंभ हो जाता है।
✅ नामकरण का उचित समय और स्थिति:
बिंदु |
विवरण |
तिथि |
दशमी, द्वादशी, त्रयोदशी |
नक्षत्र |
पुष्य, मृगशिरा, अनुराधा, हस्त |
वार |
सोमवार, गुरुवार, शुक्रवार |
योग |
सुकर्मा, शुभ, सिद्धि, धृति |
दिशा |
पूर्व या उत्तर |
समय |
जन्म के 10वें दिन से 40वें दिन के बीच, preferably सूर्योदय के बाद से पूर्वाह्न में |
क्या नाम से कुंडली के अशुभ प्रभाव रोके जा सकते हैं?”
🔶 5️⃣ किन वर्णों से नाम नहीं रखने चाहिए जिससे संतान वृद्धावस्था में साथ न दे?
📖 भृगु संहिता एवं शांडिल्य स्मृति के अनुसार चेतावनी:
"ये नामानि यथा क्रूरं, वृद्धसेवा न लभ्यते।
स्वभावविपरीते च, नाम दोषो भविष्यति॥"
अर्थ: जिन नामों की ध्वनि क्रूर, तीव्र या विद्रोही होती है – वे संतान को ऐसा स्वभाव देते हैं कि वह वृद्धावस्था में अपने माता-पिता की सेवा नहीं करते। ऐसे नाम से स्वभाव, कर्म और रिश्तों में विरोध उत्पन्न होता है।
❌ इन वर्णों से (विशेषतः बालिका नामों में):(But Highly Success)
वर्ण / ध्वनि |
कारण |
जीवन में दुष्प्रभाव |
टा / ठा |
विद्रोही प्रकृति |
माता-पिता से दूरी, सेवा न करना |
झ / फ / घ |
क्रूरता, असंयम |
गृहस्थ जीवन में असंतुलन |
अत्यधिक 'र' |
अशांत प्रवृत्ति |
तात्कालिक उग्र स्वभाव, वृद्धजनों से अनादर |
'ष्ठ', 'ष्ट्र', 'द्र' |
दु |
युवावस्था से मतभेद |
✅ जिन वर्णों से सेवा, स्नेह और सौम्यता आती है:
वर्ण |
प्रभाव |
श / न / म |
वात्सल्य, सेवा भाव |
स / ह / ब |
सौम्यता, आज्ञाकारिता |
ल / रा / धा |
संतुलन, मधुरता |
📌 विशेष ध्यान दें: यदि कुंडली में शनि, राहु, मंगल आदि पापग्रह द्वितीय, चतुर्थ या सप्तम भाव में हों – तो नाम में उपर्युक्त 'उग्र' वर्ण न रखें। इससे संतान के स्वभाव में सुधार हो सकता है।
टोटके, टोनाओं का प्रभाव नाम से कैसे कम होता है — नाम जन्म नक्षत्र से न रखे तो क्या होता है🔶 6️⃣
टोटके-टोनाओं का प्रभाव नाम से कैसे कम होता है?
जन्म नक्षत्र से नाम न रखने पर क्या होता है?
📖 तंत्र शास्त्र, नारद संहिता और और्व संहिता के अनुसार:
"नक्षत्रेणोच्चारितं नाम, यंत्रं मण्डलमेव च।
अशुभं ग्रहदोषं च, निवार्यं भवति स्वयम्॥"
अर्थ: यदि नाम जन्म नक्षत्र के अनुसार रखा गया हो तो वह स्वयं एक प्रकार का तांत्रिक यंत्र बनकर व्यक्ति की रक्षा करता है। ऐसा नाम टोटके, टोनाओं, और ग्रहदोषों के असर को नष्ट करने की क्षमता रखता है।
❌ अगर नाम जन्म नक्षत्र से न रखा जाए तो:
दोष |
संभावित परिणाम |
बचपन में भय, अशांति |
रक्षात्मक नाम न हो तो नकारात्मक ऊर्जा हावी होती है |
विशेषकर स्त्रियों में |
विवाह, गर्भधारण, संतान में बाधाएं आ सकती हैं |
🔐 नाम ही कवच बनता है:
स्थिति |
समाधान |
ग्रहदशा में शनि, राहु, केतु बलवान |
'श', 'ह', 'न', 'द', 'ध' से रक्षित नाम रखें |
तांत्रिक बाधा संभावित हो |
नक्षत्रध्वनि आधारित नाम + बीजाक्षरीय मंत्रात्मक नाम प्रभावकारी |
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प्रारंभिक 30 वर्षों में गलत ग्रह दशा में रखा गया नाम कैसे जीवन को अव्यवस्थित करता है?”
दशा |
'भ', 'म', 'अ' |
उलझन, अशांति, अनुशासनहीनता |
शुक्र की दशा |
'क', 'ट', 'ष' |
आकर्षण में असंतुलन, विवाह बाधा |
✅ IMP-शुभफल हेतु उपाय:
- ✔नाम उसी ग्रह के वर्ण से रखें जिसकी दशा प्रारंभिक वर्षों में चल रही हो।
- ✔16 वर्ग कुंडली (D-1, D-9, D-10, D-24 आदि) में जो ग्रह विशेष बलवान हो, उस ग्रह से नाम रखें।
- ✔दशा/अंतरदशा की स्थिति को देखकर नाम परिवर्तन भी किया जा सकता है।
📌 निष्कर्ष: जीवन के पहले 30 वर्षों में यदि नाम गलत ग्रह के प्रभाव से रखा गया हो तो शिक्षा, नौकरी, विवाह जैसी महत्वपूर्ण घटनाएं समय पर नहीं होतीं।
यदि कुंडली में उत्तम योग भी हों, तब भी नाम दोष के कारण उनके फल समय पर नहीं प्राप्त होते। इसलिए नाम का चयन दशा/ग्रहयोग से करना आवश्यक है।
🔶 1 ️⃣ प्रचलित नाम (कुंडली की चंद्र राशि का नाम) का उपयोग किन कार्यों में होता है?
📖 बृहत्पाराशर होरा शास्त्र (चंद्र आधारित कुंडली):
"चन्द्रस्थानं प्रधानं स्यात्, जातकस्य फलेष्वपि।
नामराशौ विचारे च, दिक्षास्त्रं चात्र निर्णयेत्॥"
📌
अर्थ:
जन्म की चंद्र राशि (जो नाम के समय प्रयुक्त होती है) का प्रयोग विशेष रूप से:
- गोचर फल (Transit Predictions)
- वर्तमान दशा/भविष्य की दशा का फलादेश
- मानसिक, भावनात्मक प्रवृत्ति
- सामाजिक व्यवहार में 'नाम राशि' का उपयोग
- सामूहिक ज्योतिषीय गणना जैसे मासिक राशिफल
- यज्ञ, हवन, संस्कारों में संकल्प पाठ हेतु
✅ उपयुक्त प्रयोग:
उपयोग |
उद्देश्य |
राशिफल / मासिक-वार्षिक भविष्य |
चंद्र राशि आधारित फलकथन |
संकल्प पाठ, पूजा संकल्प |
“...मम जन्मराशिः...” में |
मंगलकार्य हेतु मुहूर्त मिलान |
नामराशि से संयोजन |
दशा / अंतरदशा विश्लेषण |
चंद्र पर आधारित |
🔶 गृह प्रवेश, विवाह, संकल्प, पूजन आदि में —
‘नाम’ (प्रचलित या व्यवहारिक नाम) ही क्यों लिया जाता है?
📜 निरुक्त, मनुस्मृति एवं गृह्यसूत्रों पर आधारित परंपरा:
"नाम्ना कार्यं संकल्पं, शुभकर्मणि पूर्ववत्।
न तु राशिनाम्ना प्रोक्तं, कर्मणि वैदिके कदाचित्॥"
📌
अर्थ:
सभी
वैदिक
या
शुभ
कर्मों
में व्यवहारिक नाम (नामकरण से मिला हुआ नाम) से ही संकल्प, आवाहन, तथा पूजन होता है।
जन्म राशि या नक्षत्र के अक्षर से जुड़े 'नाम का वर्ण' या राशि का उल्लेख नहीं किया जाता।
🪔 प्रचलित नाम (नामकरण संस्कार में रखा गया) क्यों लिया जाता है?
📖 धर्मसिंधु, कालनिर्णय, गृह्यसूत्र उद्धरण अनुसार:
"संकल्पे नाम्ना कार्यं, जातरूपेण दृश्यते।
जातिनामकं शुद्धं च, तद्भावे कुलनामकम्॥"
📌
अर्थ:
शुभ कर्मों में (जैसे गृह प्रवेश, विवाह, उपनयन, दशवंध, यज्ञ) —
- यदि शुद्ध व्यक्तिगत नाम ज्ञात हो, तो उसी से संकल्प करें।
- यदि वह नाम अनुपलब्ध हो, तो कुल नाम या वंशवाचक नाम से करें।
🏡 गृह प्रवेश के संकल्प में प्रयोग:
✅ सही पंक्ति (संकल्प प्रारंभ में):
"श्रीमान् विजयकुमार नामकस्य..."
या
"श्रीमती पारुल नामन्या..."
📛 यहाँ 'मीन राशि की बालिका' या 'तुला राशि के पुरुष' — ऐसा प्रयोग वर्जित है।
❌ जन्म राशि/नक्षत्र नाम का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता?
📖 नारद स्मृति, और्व संहिता के अनुसार:
"नामराशौ न कार्याणि, फले नैव दर्शितम्।
संकल्पे जातिनाम्नैव, कर्मयोगो विधीयते॥"
📌
अर्थ:
सभी वैदिक कर्मों में फल तभी मिलता है जब संकल्प नाम से हो।
राशि
(चंद्र
राशि)
या
नक्षत्र
आधारित
ध्वनि
से
कोई
संकल्प
नहीं
किया
जाता।
🔍 निष्कर्ष सारणी:
कार्य |
प्रयोग होना चाहिए |
प्रयोग नहीं होना चाहिए |
गृह प्रवेश |
व्यवहारिक नाम (नामकरण से) |
राशि या नक्षत्र आधारित ध्वनि नहीं |
विवाह संकल्प |
नाम + गोत्र + वंश |
‘तुला राशि बालिका’ आदि नहीं |
यज्ञ, पूजा |
नाम + स्थान + गोत्र |
राशि वर्ण का नाम नहीं |
श्राद्ध, तर्पण |
स्वनाम, पितरों के नाम |
केवल राशि आधारित संज्ञा नहीं |
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V.IMP-Rule-
“1- 16 वर्ग कुंडली (*2) 42 प्रकार की दशाओं में(3) नाम चयन हेतु चंद्र राशि, कौन ग्रह सर्वोत्तम है –
क्यों?
🔶 8️⃣ नाम चयन हेतु चंद्र राशि, 16 वर्ग कुंडली और 42 प्रकार की दशाओं में कौन ग्रह सर्वोत्तम है – उसी से नाम क्यों?
📖 नारायणीय , कालचक्र दशा पद्धति अनुसार:
"यत्र नाम ग्रहः स्थः स्यात्, चंद्रे च सुदृढो भवेत्।
दशाश्रये च विहितं, तत्रैव नामं शुभप्रदम्॥"
अर्थ: जिस ग्रह की स्थिति +चंद्र राशि,+ वर्ग कुंडली और दशा में सुदृढ़ हो, उसी ग्रह के वर्ण से नाम रखने पर जीवन में शुभता, समयबद्ध सफलता और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।
🌕 चंद्र राशि और जन्म नक्षत्र का महत्व:
- चंद्रमा मन, शिक्षा, बुद्धि और स्थायित्व का कारक है।
- जिस राशि में चंद्र हो, उससे व्यक्ति की मानसिक प्रवृत्ति और ग्रहध्वनि के सामंजस्य का निर्धारण होता है।
🔢 16 वर्ग कुंडली (षोडशवर्गीय विश्लेषण) का उपयोग:
वर्ग कुंडली |
प्रयोजन |
नाम ग्रह निर्धारण |
D-1 (लग्न) |
जीवन की सामान्य दिशा |
ग्रह बल देखें |
D-9 (नवांश) |
धर्म, विवाह, संस्कार |
शुभ ग्रह को चुनें |
D-10 (दशांश) |
आजीविका |
शुभ दशांश स्वामी |
D-24 (चतुर्विंशांश) |
शिक्षा, विद्या |
बलवान बुध/गुरु आदि |
🌀 42 प्रकार की दशाएँ – जैसे नारायण दशा, कालचक्र, योगिनी आदि में प्रयुक्त ग्रह:
- वर्तमान समय में चल रही दशा/अंतरदशा के अधिपति ग्रह का नाम में प्रयोग विशेष फल देता है।
- विशेषकर 116/120 वर्षों की दीर्घदशाओं में जो ग्रह बार-बार संचालित हो, उसे देखें।
✅ नाम रखने के निर्णय हेतु सूत्र:
- चंद्र से अनुकूल ग्रह कौन है – उसे देखें।
- वर्ग कुंडलियों में कौन सा ग्रह सबसे अधिक बलवान है?
- जो ग्रह 42 प्रकार की दशाओं में मुख्यतः प्रभावशाली हो – उसी का ध्वनि वर्ण नाम में रखें।
📌 निष्कर्ष: नाम एक ध्वनि-आधारित ज्योतिषीय तंत्र है। यह केवल नक्षत्र नहीं, अपितु दशा, चंद्र राशि, ग्रहबल और वर्गीय स्थिरता पर आधारित होना चाहिए।
इससे जीवन के सभी क्षेत्रों में अनुकूलता, सफलता और मानसिक स्थिरता मिलती है।
“भगवान राम–कृष्ण आदि के नाम उनकी चंद्र राशि से अलग क्यों हैं? और इससे क्या शिक्षा मिलती है
📖 श्रीमद्भागवत, वाल्मीकि रामायण, हरिवंश पुराण के अनुसार:
"नाम्नि नक्षत्रग्रहबलं न दृष्टं, कार्यफलसंगतं तु दृष्टम्।
रामस्य नाम तुलालग्ने, कृष्णस्य नाम मिथुनोद्भवे॥"
अर्थ: भगवान राम की चंद्र राशि कर्क है, लेकिन उनका नाम तुला राशि का सूचक है। श्रीकृष्ण की चंद्र राशि वृषभ है, परंतु उनका नाम मिथुन राशि के अनुरूप है।
यह बताता है कि कार्य, उद्देश्य और भावनात्मक संतुलन के अनुसार नाम रखा गया – न कि केवल चंद्र राशि या नक्षत्र से।
🌟 भगवान राम:
· चंद्र राशि: कर्क
· नाम प्रभाव: 'राम' = तुला राशि का ध्वनि संकेत, सौम्यता, न्याय, संतुलन
· शिक्षा: नाम उनकी भावी भूमिका के अनुसार चुना गया – मर्यादा और संतुलन के लिए
🌟 भगवान श्रीकृष्ण:
· चंद्र राशि: वृषभ
· नाम प्रभाव: 'कृष्ण' = मिथुन राशि के स्वरूप वाला नाम
· शिक्षा: बहुपक्षीयता, बुद्धि, संवाद-कौशल का द्योतक नाम
🔎 इससे क्या समझें?
पक्ष |
निष्कर्ष |
केवल चंद्र राशि से नाम जरूरी नहीं |
कार्य की दिशा और ग्रहबल देखें |
कर्म/धर्म के अनुसार नाम |
जीवन के लक्ष्य से मेल खाता हो |
जीवन की भूमिका के अनुसार |
समाज में व्यक्ति का कर्तव्य-धर्म सम्मत प्रभाव पड़े |
📌 निष्कर्ष: नाम केवल ग्रह या चंद्र राशि के गणनात्मक आधार पर नहीं, बल्कि जीवन के उद्देश्य और आत्मिक-धार्मिक भूमिका के अनुसार भी रखा जाना चाहिए। यही कारण है कि सर्वोच्च आत्माएं भी जन्म के ग्रहों से भिन्न नाम रखती हैं — जिससे उनका कार्य सिद्ध होता है।
🔟 50 वर्षों के अनुभव अनुसार नाम परिवर्तन से प्राप्त सकारात्मक परिणाम – नियम सहित संक्षेप
📖 व्यावहारिक एवं प्रयोगजन्य अनुभव (अनुभवसिद्ध नियम):
"नामपरिवर्तनं योग्यं स्यात्, यत्र ग्रहदोषो व्यवस्थितः।
तस्मिन नये नाम्नि शुभः, फलवृद्धिर्भवत्यशेषतः॥"
अर्थ: जहाँ ग्रहों की दशा, नाम की ध्वनि या अक्षर प्रतिकूल हो, वहां यदि नाम को अनुकूल ग्रह ध्वनि से परिवर्तित कर दिया जाए, तो जीवन के सभी क्षेत्रो में सुधार होता है।
🌟 50 वर्षों में देखे गए प्रभाव (व्यक्तिगत अध्ययन से):
- अनेक लोगों ने नाम परिवर्तन के पश्चात शिक्षा, विवाह, नौकरी, व्यापार और संतान संबंधी समस्याओं में आश्चर्यजनक सुधार अनुभव किया।
- व्यापारिक नाम बदलने से कारोबार में तीव्र उन्नति हुई।
- छोटे बच्चों के लिए ग्रहदशा अनुसार नाम बदलाव से रोग, भय और असंतुलन में स्पष्ट परिवर्तन दिखा।
🔧 नाम परिवर्तन के नियम:
शर्त |
विवरण |
जन्म कुंडली में अशुभ ग्रह दशा |
विशेषकर यदि 16वर्गीय कुंडलियों में दोष हो |
वर्तमान दशा/अंतरदशा का ग्रह बलहीन हो |
नाम उस ग्रह के अनुकूल अक्षर से रखा जाए |
व्यापारिक या व्यावसायिक पहचान कमजोर हो |
शुभ नामध्वनि से ब्रांडिंग करें |
घर में लगातार अशुभ घटनाएं हो रही हों |
पूरे परिवार के नाम देखे जा सकते हैं |
✅ सारगर्भित सुझाव:
- नाम परिवर्तन ज्योतिषीय विधि से ही हो – किसी ध्वनि, ट्रेंड या शोख प्रभाव से नहीं।
- नाम बदलने से पूर्व दशा, चंद्र कुंडली, वर्ग कुंडली और कार्यक्षेत्र का आकलन आवश्यक है।
- विवाह, व्यवसाय और शिक्षा – इन तीनों क्षेत्रों में नाम का प्रभाव अत्यधिक होता है।
📌 निष्कर्ष: नाम केवल पहचान नहीं, एक जीवन-ऊर्जा स्रोत है। यदि यह ग्रहों और दशाओं के प्रतिकूल हो तो जीवन में निरंतर बाधाएं आती हैं। किन्तु यदि इसे अनुकूल बना लिया जाए, तो शुभ योगों का फल स्वतः मिलने लगता है। नाम परिवर्तन के माध्यम से जीवन के सूत्र फिर से जाग्रत किए जा सकते हैं।
F✅ संगठित विषय-सूची (Content Index):
- नाम का प्रयोग कब और कैसे करें?
➤ शुभ तिथि, नक्षत्र, योग में नामकरण करें – वराहमिहिर श्लोक सहित। - जन्म नक्षत्र का नाम में उपयोग
➤ चतुर्विंशांश (D-24) में बलवान ग्रह से अक्षर निर्धारण। - नाम द्वारा अशुभ ग्रहदोष निवारण
➤ ग्रहों के अनुसार वर्णों से नाम रखने के श्लोक प्रमाण। - जन्मदिनांक से स्वर/मात्रा विन्यास
➤ अंकशास्त्र अनुसार ध्वनि का चयन – 1 से 30 तारीखों के अनुसार वर्ण। - अशुभ वर्ण जिनसे वृद्धावस्था में संतान साथ नहीं देती
➤ 'टा', 'झ', 'फ', 'द्र' जैसे वर्णों से बचाव; 'श', 'न', 'ल' को वरीयता। - टोटके व टोनाओं का असर जन्म नक्षत्र से नाम न रखने पर
➤ जन्मनक्षत्रानुसार नाम = रक्षा कवच; अन्यथा ग्रहणशीलता बढ़ती है। - प्रारंभिक 30 वर्षों में गलत नाम का प्रभाव
➤ शिक्षा, विवाह, नौकरी में देरी या विफलता; शनि/राहु दशा में विशेष दोष। - नाम निर्धारण हेतु चंद्र, वर्ग कुंडली और दशा का उपयोग
➤ D-1, D-9, D-24, D-10 और कालचक्र/नारायण दशा का नाम निर्धारण में प्रयोग। - राम और कृष्ण के नाम उनकी चंद्र राशि से भिन्न क्यों?
➤ नाम कार्य-धर्म और उद्देश्य के अनुसार रखें – न कि केवल चंद्र राशि से। - नाम परिवर्तन से प्राप्त वास्तविक लाभ – 50 वर्षों का अनुभव
➤ शिक्षा, व्यापार, संतान, मानसिक समस्याओं में आश्चर्यजनक सुधार।
📁 1️⃣ नाम कब और कैसे रखें — शास्त्रों के अनुसार शुभ तिथि, नक्षत्र, वार और दिशा।
2️⃣ जन्म नक्षत्र का नाम निर्धारण में प्रयोग — D-24 व चतुर्विंशांश कुंडली से संबंध।
3️⃣ नाम से ग्रहदोषों का शमन — पाप ग्रह दशा में नाम परिवर्तन से राहत।
4️⃣ जन्म दिनांक व मात्रा का तालमेल — स्वर लंबाई और अंक आधारित वर्ण चयन।
5️⃣ अशुभ वर्णों से बचाव — जिनसे संतान वृद्धावस्था में सेवा न करे।
6️⃣ टोटका-टोनाओं पर नाम की ढाल — नक्षत्रानुसार नाम टोटकों के प्रभाव को नष्ट करता है।
7️⃣ गलत ग्रह दशा में रखा नाम जीवन को कैसे बिगाड़ता है — विवाह, शिक्षा, नौकरी बाधित।
8️⃣ चंद्र, वर्ग कुंडली और दशाओं के अनुरूप नाम कैसे रखें — 42 प्रकार की दशा में नाम मिलान।
9️⃣ भगवान राम/कृष्ण के उदाहरण — नाम कार्य और धर्म के अनुसार रखें, केवल राशि से नहीं।
🔟 नाम परिवर्तन के व्यावहारिक परिणाम — 50 वर्षों के अनुभव में सिद्ध लाभ।
🌳 वनों व स्थानों के नाम – नक्षत्र या राशि नहीं, गुण-ऊर्जा पर आधारित होते थे
🌿 Names of Forests & Sacred Places – Based on Energetic Essence, Not Nakshatra or Rashi
🔹 प्राचीन भारत में वन, पर्वत, नदी, क्षेत्र आदि के नामकरण का आधार क्या था?
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क्या वह किसी ‘जन्म नक्षत्र’ या ‘राशि अक्षर’ से किया गया था? ❌ नहीं।
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उनका नामकरण किया गया उनके तत्त्व, कार्य, देवता, या ऋषि द्वारा दिये गए उद्देश्य से। ✅
🔰 Classical Examples – शास्त्रीय प्रमाण सहित:
स्थान/वन | नाम का कारण | दैविक/ऊर्जात्मक तत्त्व |
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दण्डकारण्य | दण्ड दिये गए ऋषियों का तपस्थल | तप, व्रत, संयम की ऊर्जा |
नैमिषारण्य | “निमेष” (पल भर) में प्राप्त दिव्य फल | यज्ञफल, तीव्रता, दृष्टि |
काम्यक वन | कामनाओं की सिद्धि हेतु | इच्छा-पूर्ति, मनोकामना |
चित्रकूट | जहाँ ‘चित्र’ अर्थात विविध घटनाएँ घटित हुईं | विविधता, लीला, आदर्श |
नंदनवन | ‘नंद’ आनंद से पूर्ण, स्वर्गिक सुख | सौंदर्य, मोह, दिव्यता |
📊 नाम-अक्षर तालिका: राशि व नक्षत्र के अनुसार उपयुक्त वर्ण
चंद्र राशि |
नक्षत्र |
चरण |
नामारंभ अक्षर |
मेष |
अश्विनी |
1,2,3,4 |
चू, चे, चो, ला |
वृषभ |
रोहिणी |
1,2,3,4 |
ओ, वा, वी, वू |
मिथुन |
मृगशिरा |
1,2 |
वे, वो |
कर्क |
पुष्य |
1,2,3,4 |
हू, हे, हो, डा |
सिंह |
मघा |
1,2,3,4 |
मा, मी, मू, मे |
कन्या |
हस्त |
1,2,3,4 |
पू, ष, ण, ठ |
तुला |
स्वाति |
1,2,3,4 |
रा, री, रू, रे |
वृश्चिक |
ज्येष्ठा |
1,2,3,4 |
ना, नी, नू, ने |
धनु |
मूल |
1,2,3,4 |
ये, यो, भा, भी |
मकर |
श्रवण |
1,2,3,4 |
जो, जू, खा, खी |
कुम्भ |
शतभिषा |
1,2,3,4 |
गो, सा, सी, सू |
मीन |
रेवती |
1,2,3,4 |
दी, दू, थ, झ |
🪔 नामकरण संस्कार की संक्षिप्त विधि (संस्कार रूप में)
- तिथि: जन्म के 10वें, 11वें या 12वें दिन
- स्थान: देव स्थान या घर के पूजा कक्ष में
- संस्कार मंत्र:
"ॐ आयुष्यं बलं यशः श्रीः कीर्तिं बुद्धिं प्रमोदम्।
नामधेयं च मे देहि महादेव नमोऽस्तु ते॥"
- चार प्रकार से नामकरण:
- नक्षत्र नाम (जनन नक्षत्र के अनुसार)
- देवता नाम (इष्ट या कुलदेवता आधारित)
- व्यावहारिक नाम (सामाजिक उच्चारण हेतु)
- गोत्र/वंशानुक्रम नाम (संस्कारिक परंपरा)
📐 नाम निर्धारण में षोडशवर्ग गणना का महत्व और उपयोग
🪷 षोडशवर्ग क्या है?
षोडशवर्ग का अर्थ है ज्योतिष की वे 16 सूक्ष्म कुंडलियाँ जो व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। इनमें प्रमुख हैं – लग्न कुंडली (D-1), नवांश (D-9), दशांश (D-10), चतुर्विंशांश (D-24), षोडशांश (D-16) आदि।
इन वर्गों में ग्रहों की स्थिति देखकर यह ज्ञात होता है कि:
- कौन-सा ग्रह शिक्षा, नौकरी, विवाह, धर्म, बुद्धि आदि में समर्थ है?
- किस ग्रह की ध्वनि से नाम रखने पर जीवन का शुभ फल प्राप्त होगा?
🧠 उदाहरण – अपलोड की गई सारणी के आधार पर:
वर्ग कुंडली |
बलवान ग्रह (PDF अनुसार) |
उद्देश्य |
नाम ध्वनि सुझाव |
D-1 (लग्न) |
तुला, सिंह प्रमुख |
मूल व्यक्तित्व |
'रा', 'शा', 'मा' |
D-9 (नवांश) |
तुला, मीन |
संस्कार, विवाह |
'रे', 'दी', 'हृ' |
D-10 (दशांश) |
तुला, मेष |
करियर/नौकरी |
'लो', 'चा', 'शु' |
D-24 (विद्यांश) |
मेष, सिंह, मीन |
शिक्षा, विद्या |
'बा', 'ली', 'शि' |
(विश्लेषण PDF के शुद्ध ग्रह राशि संयोजन पर आधारित है)
✅ नाम निर्धारण में प्रयोग कैसे करें?
- जिन वर्गों में ग्रह तुला, मीन, सिंह, मेष आदि में हों और 'उत्तम', 'अतिशुभ' स्थिति में हों – वहीं से नाम के ध्वनि अक्षर लें।
- जिस ग्रह का बल अधिक (14/16 या 16/16) हो, उस ग्रह के ध्वनि वर्ण से नाम आरंभ करें।
- जिन ग्रहों का बल बहुत कम या 'नीच', 'शत्रु' में दिखे – उनकी ध्वनि से नाम न रखें।
📌 निष्कर्ष:
❝ केवल जन्म नक्षत्र ही नहीं, षोडशवर्गों में ग्रहों की शुभता देख कर नाम रखा जाए – तभी नाम जीवन को दिशा और रक्षा दोनों दे सकता है।❞
यह गणना विशेष रूप से उपयोगी होती है तब जब:
- कुंडली में कोई ग्रह कमजोर हो और उसका सुधार ध्वनि (नाम) से करना हो।
- शिक्षा, करियर, विवाह आदि में शांति या प्रगति की आवश्यकता हो।
Example-
🧿 वर्गीय कुंडलियों के आधार पर शुभ-अशुभ नामाक्षर विश्लेषण
1️⃣ जन्म कुंडली (D-1) आधारित नाम अक्षर विश्लेषण:
- ग्रहों की स्थिति के अनुसार जिन नक्षत्रों में ग्रह स्थित हैं, उनके आधार पर नामाक्षर निकाले जाते हैं।
🔷 शुभ अक्षर: ग, ना, दा 🔷 अशुभ अक्षर: क, मो, कू, लू 🔷 सामान्य अक्षर: ठ, टे
2️⃣ दशांश कुंडली (D-10) – कर्म, व्यवसाय, प्रतिष्ठा आधारित अक्षर:
✅ शुभ नामाक्षर (कार्य में सफलता): यी, ठ ⚠️ मिश्र अक्षर (परिश्रम के बाद फल): घ, गु, धा, मे, ओ ❌ अशुभ नामाक्षर (कर्म में बाधा): पू, जू, न
3️⃣ नवांश कुंडली (D-9) – भाग्य, विवाह, चरित्र स्थायित्व:
✅ शुभ नामाक्षर: हु, रा, वी, यो, भी ⚠️ मिश्र प्रभाव: पा, घ ❌ अशुभ नामाक्षर: री, ची, टे
4️⃣ चतुर्थांश कुंडली (D-4) – सुख-संपत्ति, स्थायित्व:
✅ शुभ: ग, रे, दी ⚠️ मिश्र/सावधानी योग्य: टे, हा ❌ अशुभ: दो, की, धा, या, व
5️⃣ चतुर्विंशांश कुंडली (D-24) – विद्या, धर्म, संस्कार:
✅ शुभ: मो, गा, फा ⚠️ मिश्र: टे, यो, ड ❌ अशुभ: न, त्र
6️⃣ षष्ठांश कुंडली (D-6) – स्वास्थ्य, रोग, मानसिक संतुलन:
✅ शुभ: चे, हु ⚠️ मिश्र: त, चू, डी ❌ अशुभ: ई, ओ, न, ठ
🧾 एकीकृत नामाक्षर सारणी (D1–D9–D10–D24–D4–D6)
नामाक्षर |
🌕 D1 |
🌙 D9 |
⚙️ D10 |
📘 D24 |
🏡 D4 |
🧘 D6 |
निष्कर्ष |
ठ |
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🔴 |
🟠 सम |
क |
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ग |
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घ |
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ट |
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ड |
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त |
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द |
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ध |
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न |
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प |
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फ |
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भ |
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म |
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र |
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ल |
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व |
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श |
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ष |
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स |
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⚠️ |
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ह |
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🟠 |
🔷 विशेष नाम चयन निर्देश:
- नाम में इन अक्षरों में से कोई एक अनिवार्य हो: ट, थ, ड, ढ, ण
- स्वर मात्रा अवश्य हो (जैसे – आ, ई, ऊ, ए)
- संयुक्त व्यंजन या पुनरावृत्ति श्रेष्ठ मानी गई है।
📌 नोट: ये नाम-निर्धारण नियम केवल आंतरिक ग्रह-शांति, दीर्घकालिक कर्मफल, और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में संतुलन हेतु हैं — इन्हें केवल राशि के अक्षर से नहीं निर्धारित किया जाना चाहिए।
साथ ही, पूर्व नियमों के अनुसार नाम में:
- स्वर मात्रा होनी चाहिए (जैसे – आ, ई, ऊ, ए आदि)
- आधा अक्षर/संयुक्त व्यंजन अवश्य होना चाहिए
- मुख्य अक्षर (जैसे ट, ड आदि) की पुनरावृत्ति हो तो श्रेष्ठ
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Best-G & P
✅ नाम चयन हेतु शुद्ध, शुभ, अर्थयुक्त नामों की सूची (संस्कृत/हिंदी मूल)
📌 नियम:
- नाम में मात्रा (स्वर) युक्त अक्षर हों
- नाम में आधा अक्षर (संयुक्त व्यंजन) होना चाहिए
- शुभ अक्षरों की पुनरावृत्ति (repetition) होनी चाहिए
🔷 ग अक्षर पर आधारित नाम (ग)
नाम |
अर्थ |
नियम अनुपालन |
गगनमय |
आकाशमय, दिव्यता से भरा |
✅ मात्रा, ✅ आधा 'न', ✅ ‘ग’ पुनरावृत्ति |
गर्गमणि |
पवित्र रत्न, महर्षि गर्ग से संबंधित |
✅ मात्रा, ✅ ‘ण’, ✅ ‘ग’ पुनरावृत्ति |
गणमुक्ति |
समुदाय की मुक्ति |
✅ मात्रा, ✅ ‘क्त’, ✅ ‘ग’ संयुक्त ‘गण’ |
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🔷 प अक्षर पर आधारित नाम (प)
नाम |
अर्थ |
नियम अनुपालन |
पल्लवमुक्ति |
नवपल्लव समान मुक्ति |
✅ मात्रा, ✅ ‘क्त’, ✅ ‘प’ पुनरावृत्ति |
पद्ममाल |
कमल की माला |
✅ मात्रा, ✅ ‘द्म’, ✅ ‘प’ के साथ ‘म’ पुनरावृत्ति |
पिप्पली मणि नाथ |
पवित्र पिप्पल वृक्ष के स्वामी |
✅ मात्रा, ✅ ‘प्ल’, ✅ ‘प’ पुनरावृत्ति |
Better-=
🔷 ल अक्षर पर आधारित नाम (ल)
नाम |
अर्थ |
नियम अनुपालन |
ललित लोचण |
सुंदर नेत्रों वाला |
✅ मात्रा, ✅ ‘च’, ✅ ‘ल’ पुनरावृत्ति |
ललाम मणि |
श्रेष्ठ रत्न, मस्तक की शोभा |
✅ मात्रा, ✅ ‘म्णि’, ✅ ‘ल’ पुनरावृत्ति |
लोलाक्षण |
चंचल नेत्र वाला |
✅ मात्रा, ✅ ‘क्ष’, ✅ ‘ल’ पुनरावृत्ति |
good-
🔷 म अक्षर पर आधारित नाम (म)
नाम |
अर्थ |
नियम अनुपालन |
मन्मथेश |
कामदेव स्वरूप, सौंदर्य व प्रेम का अधिष्ठाता |
✅ मात्रा, ✅ ‘थे’, ✅ ‘म’ पुनरावृत्ति |
ममल्लेशण |
महान योद्धा |
✅ मात्रा, ✅ ‘ल्ल’, ✅ ‘म’ पुनरावृत्ति |
मुक्तिमाण |
जो मुक्त है, मोक्ष प्राप्त |
✅ मात्रा, ✅ ‘क्त’, ✅ ‘म’ पुनरावृत्ति |
न्यूमेरोलॉजी (अंक ज्योतिष) के अनुसार उत्तम अक्षरों (alphabets) का निर्धारण निम्न प्रक्रिया से होता है:
📌 1. मूलांक (Birth Root Number) – 16 का योग
1 + 6 = 7 → मूलांक 7
📌 2. भाग्यांक (Destiny Number) – 1+6+6+2+0+2+5 = 22 → 2+2 = 4 → भाग्यांक 4
🔢 विश्लेषण:
- मूलांक 7 के स्वामी: केतु / नेपच्यून
- भाग्यांक 4 के स्वामी: राहु / यूरेनस
✨ विशेष तथ्य:
- 7 और 4 दोनों रहस्यमयी, खोजपरक, शोध, मौन, रहस्य, आध्यात्मिकता, तकनीक और असाधारण विषयों से जुड़े होते हैं।
- यह संयोजन अद्वितीय सोच, अलग मार्ग चुनने, असामान्यता का संकेत देता है।
✅ Best Alphabets Based on 7 & 4 (According to Chaldean & Pythagorean Numerology)
🔷 मूलांक 7 (अच्छे अक्षर):
English Letters |
Hindi अक्षर (समान ध्वनि) |
G, P, Y |
ग, प, य |
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