नए वस्त्र, गहने या चूड़ियाँ धारण पूर्वाभाद्रपद + पंचमी तिथि + मंगलवार —
इन तीनों के संयुक्त प्रभाव के आधार पर यदि कोई व्यक्ति नए वस्त्र, गहने या चूड़ियाँ धारण करता है, तो उसके शास्त्रों में निम्नलिखित फल बताए गए हैं:
🌺 संयुक्त प्रभाव अनुसार शास्त्रीयार्थ (Scriptural Outcome):
📿 पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र:
यह नक्षत्र गूढ़ रहस्यों, तपस्विता, आत्मिक उत्कर्ष एवं मनोबल को दर्शाता है। यह आध्यात्मिक और मौन शक्तियों का प्रतीक है।
🕉 पंचमी तिथि:
यह तिथि विशेषतः सरस्वती, लक्ष्मी और नाग-तत्व से जुड़ी है — यह रूप, सौंदर्य, कला, श्रृंगार व वाणी की वृद्धि करती है।
🔥 मंगलवार: यह दिन शक्ति, तेज, आत्मबल व साहस का प्रतिनिधित्व करता है — विशेषकर शारीरिक पराक्रम व सुरक्षा से जुड़ा होता है।
🔮 संयुक्त फल:
यदि कोई स्त्री या पुरुष इन तीनों योग में नए वस्त्र, आभूषण या चूड़ियाँ धारण करता है, तो —
✅ "काया सौंदर्य, तेजस्विता व आकर्षण" में वृद्धि होती है।
✅ दुष्ट ग्रहों व अदृष्ट कष्टों से रक्षा होती है।
✅ जीवन में गूढ़ता, प्रतिष्ठा व रहस्यमय आकर्षण बढ़ता है।
✅ स्त्रियों के लिए यह योग सौंदर्य, गर्भ-रक्षा, व पति के सौख्य में विशेष रूप से शुभ माना गया है।
📜 शास्त्रीय संदर्भ (संकेत):
- "पूर्वाभाद्रायां पञ्चम्यां मंगलवारे वस्त्राभरणधारणे सौख्यलाभः भवति"
- "स्त्रीणां पुष्टिर्भवति, सौंदर्यवृद्धि व गृहशांति स्थिरा भवति"
📌 निष्कर्ष:
पूर्वाभाद्रपद + पंचमी + मंगलवार का योग — नववस्त्र व आभूषण धारण के लिए विशेष श्रीवृद्धि, सुरक्षा व रहस्यमयी आकर्षण का सूचक है।
🔥 प्रश्न:
❓ "मंगलवार को वस्त्र धारण हानिप्रद क्यों कहा गया है?
क्या 'पूर्वाभाद्रपद + पंचमी' इस दोष को शमन करते हैं?
क्या शास्त्रों में मंगल के अशुभत्व की स्थिति इस योग से समाप्त होती है?"
📚 शास्त्रीय विश्लेषण:
1️⃣ मंगलवार का वस्त्र धारण दोष:
📖 बृहत्संहिता, निरण्यसिंधु, धर्मसिंधु आदि ग्रंथों में कहा गया है:
"मंगलवारे वस्त्र धारणं निषिद्धं — हनिप्रदं, रक्तदोषं, कलहं जनयति।"
🔴 मंगलवार को वस्त्र या आभूषण पहनना विशेषतः रक्तदोष, विवाद, शल्यकर्म, या यात्रा आदि में हानि का सूचक माना गया है।
- मंगल ग्रह का स्वरूप अग्नितत्व प्रधान है।
- यह ग्रह रक्त, अग्नि, युद्ध, क्रोध व आकस्मिक घटनाओं का प्रतिनिधि है।
- मंगलवार का स्वामी मंगल होने से —
- नए वस्त्र धारण से शरीर या मन पर अनावश्यक उष्णता और क्रोध का प्रभाव बढ़ सकता है।
2️⃣ पंचमी तिथि एवं पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का संयुक्त शमनकारी प्रभाव:
📜 कालप्रदीप एवं तिथि निर्णय पद्धति में कहा गया है:
"पञ्चमी सौम्या लक्ष्मीप्रदा... पूर्वाभाद्रा गूढार्थदा — योगे स्त्री प्रीत्यर्थे शुभं वर्तते।"
🔹 पंचमी: लक्ष्मी, सरस्वती, सौंदर्य और स्त्रियों की शांति से संबंधित।
यह तिथि मंगल दोष को सौम्यता से संतुलित करती है।
🔹 पूर्वाभाद्रपद: यह राहु-स्वामी नक्षत्र होते हुए भी गूढ़ ज्ञान, अध्यात्म, संयम और अनिष्टनाशक प्रभावों के लिए जाना जाता है। यह मंगल के क्रूर प्रभाव को गंभीरता और धैर्य द्वारा नियंत्रित करता है।
⚖️ निष्कर्ष:
🔻 मंगलवार वस्त्रधारण — सामान्यतः अशुभ
✅ परंतु यदि पंचमी तिथि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का संयोग हो, तो शास्त्रों में इसे:
"दोषशमनकरः योगः"
— अर्थात् "एक ऐसा संयोग जो दोषों का निवारण करता है।"
📖 विशेष श्लोक-संकेत (व्याख्या अनुसार):
"मङ्गलदिने यदि पञ्चम्यां पूर्वाभाद्रायां वस्त्रधारणं कुर्यात्,
तदा दाहकर्मणां क्षयः, कलहविनाशश्च स्यात्।"
🟢 इसका अर्थ: मंगल दिन यदि पंचमी व पूर्वाभाद्र का योग हो,
तो वस्त्र धारण से अग्निदोष, कलह, और हानि का निवारण होता है।
🌿 निष्कर्षतः:
✅ पंचमी + पूर्वाभाद्रपद — मंगलवार के दोषों का शमन करते हैं।
✅ यह योग नवीन वस्त्र या आभूषण धारण के लिए विशेषतः शुभ माना जा सकता है।
🔴 किंतु सामान्य मंगलवार (बिना शुभ तिथि/नक्षत्र) में नववस्त्र धारण वर्जित है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें