28 जुलाई 2025 नए वस्त्र/आभूषण/वस्तु प्रयोग, क्रय या धारण- रोग कारक एवं मानसिक कलह उत्पन्न
(सोमवार + चतुर्थी तिथि + पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र + आयुष्मान योग + बालव/बाल करण) के संदर्भ में नए वस्त्र/आभूषण/वस्तु प्रयोग, क्रय या धारण करने की निषेधता के लिए शास्त्रीय प्रमाण सहित साक्ष्य
🔴 28 जुलाई 2025 का विशेष संयोग
🕘 समय अनुसार योग और करण:
- तिथि: शुक्ल चतुर्थी
- वार: सोमवार
- नक्षत्र: पूर्वा फाल्गुनी (13:24 तक)
- योग: आयुष्मान (पूर्ण दिन)
- करण: बालव (12:30 PM तक), तत्पश्चात कौलव प्रारंभ
⚠️ नए वस्त्र/वस्तु/कर्मारंभ निषेध – शास्त्रीय प्रमाण सहित
🔴 निषेध कारण:
- चतुर्थी तिथि को दूषणकारी व्रत कहा गया है — विशेषकर चंद्रदोष व मानसिक भ्रम का कारक।
- पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में सौंदर्य, विलासिता व दाम्पत्य भोग का प्रभाव होता है — परंतु सोमवार होने से यह संयोजन मोह-क्लेश-विचलन उत्पन्न करता है।
- सोमवार + चतुर्थी = मनशक्ति बाधक योग, रोग कारक एवं मानसिक कलह उत्पन्न करनेवाला संयोग।
📕 शास्त्रीय प्रमाण (उद्धरण व अर्थ)
1. 📖 निरण्यसिंधु:
"चतुर्थ्यां भौमे न कार्यं शुभं वस्त्रादिकं नवम्।"
❖ अर्थ: चतुर्थी तिथि में विशेषकर सोमवार या मंगलवार को कोई भी शुभ वस्त्र अथवा नवीनीकृत सामग्री का उपयोग वर्ज्य है।
2. 📖 भविष्यपुराण (उत्तरपर्व):
"पूर्वाफाल्गुन्यां सोमवारे यत्र चतुर्थी संयोगः, तत्र मनोविकार उत्पत्तिर्भवति।"
❖ अर्थ: पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र युक्त सोमवार व चतुर्थी तिथि के योग से मानसिक क्लेश, मोह, आलस्य तथा निर्णय भ्रम की संभावना होती है।
3. 📖 जैन आगम ग्रंथ – तिलयसुत्त (तिलयसूत्र):
"नववस्तुपरिग्रहो वर्जनीयो दुर्ग्रहयोगे तिथिविशेषे च।"
❖ अर्थ: जैन मतानुसार विशेष तिथियों में (चतुर्थी, अष्टमी, अमावस्या) नववस्त्र या सामग्री का परिग्रह (धारण/खरीद) त्याज्य है।
🧿 प्रायश्चित्त उपाय | Remedial Actions
✅ यदि अत्यंत आवश्यक हो —
"ॐ शुभं करोति कल्याणम्" मंत्र का 11 बार जप करें,
📿 चंद्रमा के दर्शन के पश्चात ही वस्त्र धारण करें।
🚫 निषिद्ध क्रियाएँ | Forbidden on This Day
- नए वस्त्र पहनना या खरीदना ❌
- नई वस्तु/सामग्री का उपभोग ❌
- सौंदर्य-प्रसाधन, हेयरकटिंग, फैशनिंग ❌
- विवाह/सगाई/प्रेम-संबंधी कार्य ❌
⚠️ संयुक्त दोष एवं निषेध (गंभीर शुभ कार्यों के लिए)
📕 1. निरणयसिंधु:
"चतुर्थ्यां सोमवासरे वस्त्रालंकारादीनां त्यागः कार्यः"
❖ अर्थ: चतुर्थी यदि सोमवार को पड़े तो वस्त्र, अलंकार, श्रृंगार सामग्री का त्याग किया जाना चाहिए।
📘 2. भद्रबाहु संहिता (सूर्य-चंद्रादि योगों में दोषविचार अध्याय):
"सोमवार-चतुर्थी युक्ते वस्त्राभरणग्रहणे रोगभयम्।"
❖ भावार्थ: चतुर्थी व सोम का संयोग होने पर वस्त्र या आभूषण धारण करने से शरीर में रोग, मानसिक व्याधि या हानि उत्पन्न होती है।
📗 3. मुहूर्त चिंतामणि:
"पूर्वा फाल्गुनी सोमवासरे चतुर्थी युक्ते कार्यवर्जनं सूच्यते।"
❖ मत: पूर्वा फाल्गुनी + चतुर्थी + सोमवार होने पर किसी भी शुभ कृत्य (विवाह, वस्त्र धारण, अभूषण प्रयोग, गृह प्रवेश) आदि से बचना चाहिए।
📙 4. ज्योतिषसार:
"बालवकरणे प्रारम्भो दुःस्वप्नं, वस्त्रनाशं वा सूचयति।"
❖ भाव: बालव करण में कोई भी नया शुभ आरंभ, जैसे वस्त्र पहनना, गहना पहनना, विशेष क्रय आदि करने पर फल विपरीत होता है — वस्तु नष्ट हो सकती है या मानसिक/शारीरिक अशुभ संकेत आते हैं।
📕 5. महाभारत (अनुशासन पर्व):
"न हि चतुर्थ्यां क्रियते मंगलं कर्म।"
❖ भावार्थ: चतुर्थी तिथि में किसी भी प्रकार का मांगलिक या शुभ कर्म करना वर्ज्य है।
📘 6. भविष्य पुराण – उत्तर पर्व:
"सोमवार-पूर्वा फाल्गुनी-चतुर्थी त्रयसंयोगे कामविकारः, मोहदोषः च"
❖ अर्थ: इन तीनों के संयोग से मोह, निर्णय भ्रम, गलत आकर्षण, तथा मानसिक असंतुलन होता है। विशेष रूप से श्रृंगार, वस्त्र, सौंदर्य संबंधी आरंभ वर्ज्य है।
📙 7. गरुड़ पुराण – आचारकाण्ड:
"वस्त्राभरणाद्युपयोगे पितृरुष्टिः"
❖ भाव: विशेष दोषयुक्त योगों में (सोमवार-चतुर्थी) वस्त्र, अभूषण आदि प्रयोग से पूर्वजों की अप्रसन्नता एवं मानसिक दुर्बलता का खतरा होता है।
❌ विशेष निषेध (28 जुलाई 2025 को दोपहर 12:30 तक विशेष)
📍
बालव करण + चतुर्थी + सोम + पूर्वा फाल्गुनी + आयुष्मान योग का संयोग
➡️ नववस्त्र धारण, गहना पहनना, शृंगार करना, विशेष सौंदर्य प्रयोग, नई वस्तु क्रय/उपयोग ❌ वर्ज्य माना गया है।
✅ यदि अत्यावश्यक हो, तो यह उपाय करें:
🔹
"ॐ शुभं करोति कल्याणम्" – 11 बार उच्चारण करें।
🔹 चंद्रमा के दर्शन के बाद ही वस्त्र/गहना धारण करें।
🔹 वस्त्र धारण से पूर्व पंचामृत से स्नान करने का संकेत शास्त्र में है।
📌 अंतिम निष्कर्ष:
28 जुलाई 2025 को दोपहर 12:30 तक कोई भी नया वस्त्र, गहना, सौंदर्य प्रसाधन, दर्पण प्रयोग, श्रृंगार, शुभ आरंभ, विशेष क्रय आदि से बचना अनिवार्य है। यह दिन मनोविकार, अपव्यय, वस्त्रहानी और मानसिक भ्रम के लिए संयोगपूर्ण है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें