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उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र , शुक्रवार, एवं चतुर्दशी तिथि-आज के उपाय 11.04.2025 🔹 Today's Remedies – Friday, Uttara Phalguni Nakshatra & Chaturdashi Tithi

Aशुक्रवार के शुभ एवं आवश्यक मंत्र (Friday Mantras)

१. वैदिक मंत्र (Vedic Mantras) - यजुर्वेद, ऋग्वेद

📖 ऋग्वेद (Rigveda 1.6.3)
📿 "ॐ शुक्राय नमः।"
"Om Shukraya Namah."
🔹 यह मंत्र शुक्र ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए जप किया जाता है।

📖 यजुर्वेद (Yajurveda 19.75)
📿 "ॐ ह्रीं श्रीं शुक्राय नमः।"
"Om Hreem Shreem Shukraya Namah."
🔹 इस मंत्र का जप शुक्रवार को सौंदर्य, ऐश्वर्य एवं दाम्पत्य सुख हेतु किया जाता है।


२. पौराणिक मंत्र (Puranic Mantras) - विष्णु पुराण, स्कंद पुराण

📖 विष्णु पुराण (Vishnu Purana 2.14.23)
📿 "ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।"
"Om Draam Dreem Draum Sah Shukraya Namah."
🔹 यह शुक्र ग्रह से संबंधित दोषों को शांत करने हेतु प्रभावी मंत्र है।

📖 स्कंद पुराण (Skanda Purana, Kashi Khanda 15.23)
📿 "ॐ शुं शुक्राय नमः।"
"Om Shum Shukraya Namah."
🔹 यह मंत्र शुक्रवार के दिन विशेष रूप से धन, वैवाहिक सुख, और समृद्धि प्राप्त करने के लिए उपयोगी है।


३. शाबर मंत्र (Shaabar Mantra) - तंत्र शास्त्र

📿 "ॐ ह्रीं क्लीं शुक्राय द्रष्टं नमः।"
🔹 यह मंत्र शाबर तंत्र में शुक्र दोष निवारण एवं आकर्षण शक्ति बढ़ाने हेतु बताया गया है।


४. जैन मंत्र (Jain Mantras) - जैन आगम, तत्त्वार्थ सूत्र

📖 दशवैकालिक सूत्र (Dashvaikalika Sutra 6.5)
📿 "णमो लोए सव्वसाहूणं।"
"Namo Loe Savva Sahunam."
🔹 यह मंत्र शुक्रवार को आत्मिक उन्नति एवं शांति के लिए जपने योग्य है।


🔹 शुक्रवार के भोजन संबंधी शास्त्रीय निर्देश (Food Guidelines for Friday)

📖 धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, गरुड़ पुराण

शुभ भोजन (Auspicious Food)

दूध, दही, मक्खन, मिश्री(धर्मसिंधु अनुसार यह शुक्र ग्रह को प्रसन्न करता है)
चावल, तिल, शकरकंद, मिठाईयां(गरुड़ पुराण अनुसार शुक्र ग्रह की कृपा हेतु उत्तम)
तुलसी मिश्रित जल पीना(स्कंद पुराण अनुसार पवित्रता के लिए)

वर्जित भोजन (Forbidden Food)

मसूर दाल, बैंगन, खट्टे एवं नमकीन पदार्थ(निर्णयसिंधु अनुसार शुक्र ग्रह को कुपित करते हैं)
मांस, लहसुन, प्याज, मदिरा(गरुड़ पुराण अनुसार पाप कारक एवं अशुभ)


🔹 शुक्रवार के दान संबंधी नियम (Donation on Friday)

📖 स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, जैन आगम

शुभ दान (Auspicious Donations)
सफेद वस्त्र, चांदी, शक्कर, तिल(स्कंद पुराण अनुसार शुक्र ग्रह के दोष निवारण हेतु)
गाय को आहार, जल कलश, सुगंधित तेल(गरुड़ पुराण अनुसार पुण्यदायी दान)
सुहाग सामग्री (चूड़ी, कुमकुम, साड़ी)(जैन आगम अनुसार वैवाहिक सुख के लिए)

वर्जित दान (Forbidden Donations)
नमक, लोहे की वस्तुएं, फटे वस्त्र(निर्णयसिंधु अनुसार नकारात्मक प्रभावकारी)

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र: मंत्र, उपाय एवं शास्त्रीय प्रमाण (संक्षिप्त सारांश)


1️⃣ पूजन का उचित समय (Best Time for Worship) 📜

प्रातःकाल (4:00 AM - 6:00 AM) – सर्वश्रेष्ठ, आध्यात्मिक उन्नति हेतु।
संध्या काल (6:00 PM - 8:00 PM) – विशेष फलदायी।
🚫 मध्याह्न (12:00 PM - 2:00 PM) – पूजा निषेध।
📖 शास्त्रीय प्रमाण: स्कंद पुराण, नारद संहिता।


2️⃣ पितृ तर्पण का महत्व (Importance of Pitru Tarpan) 📜

पितृ तर्पण, तिल-जल अर्पण करें।
गाय, ब्राह्मण और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
सूर्य को अर्घ्य दें।
📖 शास्त्रीय प्रमाण: गरुड़ पुराण।

🔹 पितृ तर्पण मंत्र:
ॐ त्र्यंबकम् यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।


 

B-3️⃣ उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र मंत्र (Uttara Phalguni Nakshatra Mantras) 📜

वैदिक मंत्र:
ॐ अर्यमणे नमः।

पौराणिक मंत्र:
ॐ ह्रीं आर्यमणाय स्वाहा।

जैन मंत्र:
ॐ नमो अर्यमणाय, जयति जयति श्री चंद्रप्रभु जिनेंद्राय स्वाहा।

📖 शास्त्रीय प्रमाण: ऋग्वेद, नारद संहिता।


4️⃣ दीपक की दिशा एवं वर्तिका (Direction & Wick Type) 📜

दीपक की दिशा: पश्चिम (सौभाग्य, समृद्धि) 📖 अग्नि पुराण, नारद संहिता
🚫 दक्षिण दिशा वर्जित
वर्तिका: सूती, कुशा, घी में डूबी हुई 📖 कश्यप संहिता

🔹 दीप प्रज्वलन मंत्र:
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु में पापं संध्यादीप नमोऽस्तुते।।


5️⃣ पूजा करने वाले के वस्त्र (Clothing for Worship) 📜

पीले वस्त्र: आध्यात्मिक उन्नति।
सफेद वस्त्र: पितृ तर्पण हेतु।
लाल वस्त्र: ऐश्वर्य वृद्धि।
🚫 काले वस्त्र वर्जित
📖 शास्त्रीय प्रमाण: स्कंद पुराण।


6️⃣ अर्पण सामग्री (Offerings) 📜

गुड़, तिल, शहद, फल, घी, गेहूं।
सूर्य को जल में लाल पुष्प, गुड़, तिल डालकर अर्घ्य दें।
🚫 खट्टे एवं कड़वे पदार्थ अर्पित न करें।
📖 शास्त्रीय प्रमाण: गरुड़ पुराण।


7️⃣ दान का महत्व (Importance of Charity) 📜

स्वर्ण, गौ, वस्त्र, अन्न, जल दान शुभ।
तिल, गुड़, घी का दान पितृ कृपा हेतु।
📖 शास्त्रीय प्रमाण: मत्स्य पुराण, नारद पुराण, अग्नि पुराण।

🔹 दान मंत्र:
ॐ दत्त्वा च परमं पुण्यं लभते मोक्षसिद्धये।
सर्वदानेषु वै श्रेष्ठं विद्या दानं तथैव च।।


📌 निष्कर्ष (Conclusion) 📌

प्रातः व संध्या काल में पूजा करें।
पश्चिम दिशा में दीपक जलाएं, पीले/सफेद वस्त्र पहनें।
पितृ तर्पण करें, तिल-गुड़-जल अर्पण करें।
स्वर्ण, गौ, वस्त्र, अन्न, जल का दान करें।
🚫 मध्याह्न में पूजा व दक्षिण दिशा में दीपक जलाना वर्जित।

(यह सारांश शास्त्रों के प्रमाणों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है।

Cचतुर्दशी तिथि में भोजन, दान एवं मंत्र (संक्षिप्त सारांश) 📜


1️⃣ चतुर्दशी तिथि में भोजन (Food Guidelines) 📖

📜 धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, मनुस्मृति में चतुर्दशी तिथि के भोजन संबंधी नियम वर्णित हैं।

शुभ भोजन (Auspicious Food) – धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु
फलाहार: फल, दूध, दही, शहद (धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु)।
तुलसी युक्त जल: स्कंद पुराण अनुसार पवित्रता एवं रोग मुक्ति के लिए।
कंद-मूल: (शकरकंद, सूरन) गरुड़ पुराण अनुसार शुभ।
पंचगव्य का सेवन: (दूध, दही, घी, शहद, गौ मूत्र) मनुस्मृति अनुसार आत्मशुद्धि हेतु।

वर्जित भोजन (Forbidden Food) – धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, गरुड़ पुराण
तामसिक भोजन: माँस, लहसुन, प्याज, मद्य (गरुड़ पुराण अनुसार मानसिक-आध्यात्मिक हानि)।
अधिक तला-भुना भोजन: निर्णयसिंधु अनुसार स्वास्थ्य पर प्रभाव।
नमक रहित भोजन: स्कंद पुराण अनुसार चतुर्दशी तिथि में पूर्ण व्रत न करने पर भी नमक रहित भोजन वर्जित।

📖 धर्मसिंधु एवं निर्णयसिंधु अनुसार चतुर्दशी तिथि में शिव पूजन करने वालों को उपवास रखना चाहिए।


2️⃣ चतुर्दशी तिथि में दान (Donations) 📖

📜 स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, पद्म पुराण, जैन आगम में चतुर्दशी तिथि पर विशेष दान का महत्व।

शुभ दान (Auspicious Donations) – स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, जैन आगम
जल कलश दान: (पद्म पुराण अनुसार पितृ एवं देव कृपा)।
तिल एवं काले वस्त्र: (स्कंद पुराण अनुसार ग्रह दोष निवारण हेतु)।
धूप, दीप, तेल: (गरुड़ पुराण अनुसार शिव कृपा हेतु)।
गौ-दान, अनाज दान: (जैन आगम अनुसार सर्वोत्तम)।

📜 स्कंद पुराण अनुसार चतुर्दशी तिथि में दान से महापापों का भी नाश संभव।

वर्जित दान (Forbidden Donations) – धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु
❌ नमक या खट्टे पदार्थ।
❌ अशुद्ध वस्त्र, जूते।
❌ किसी को धन उधार देना।


3️⃣ चतुर्दशी तिथि के विशेष मंत्र (Chaturdashi Tithi Mantras) 📖

📜 यजुर्वेद, ऋग्वेद, शिव पुराण, विष्णु पुराण, अघोर मंत्र संग्रह, जैन आगम में चतुर्दशी तिथि के लिए मंत्र बताए गए हैं।

🔹 1. वैदिक मंत्र (Vedic Mantras) – यजुर्वेद, ऋग्वेद
📿 ॐ नमः शिवाय।
📿 ॐ ह्रीं क्लीं नमः चतुर्दश्यां नमः।

🔹 2. पौराणिक मंत्र (Puranic Mantras) – शिव पुराण, विष्णु पुराण
📿 ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

🔹 3. शाबर मंत्र (Shaabar Mantra) – अघोर मंत्र संग्रह
📿 ॐ नमः उग्ररूपाय चतुर्दशी शुभं कुरु।

🔹 4. जैन मंत्र (Jain Mantras) – जैन आगम, तत्त्वार्थ सूत्र
📿 णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं...

📜 धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, जैन आगम अनुसार चतुर्दशी तिथि में भोजन, दान और मंत्रों का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। 🚩📿

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उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र मंत्र एवं उपाय

🌿 उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का परिचय (Uttara Phalguni Nakshatra Introduction) 🌿

 देवता आर्यमान (Aryaman) है। यह नक्षत्र सफलता, समृद्धि, मित्रता और दान-पुण्य का प्रतीक माना जाता है।


🔱 उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र मंत्र (Uttara Phalguni Nakshatra Mantras) 🔱

📖 वैदिक मंत्र (Vedic Mantra)

🔹 ॐ अर्यमणे नमः।
Om Aryamane Namah.
(
इस मंत्र के जप से आर्यमान देव की कृपा प्राप्त होती है और समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।)
(Chanting this invokes Aryaman's blessings for social respect and prosperity.)

🔹 ॐ भद्रं कर्णेभिः श्रुणुयाम देवाः।
Om Bhadram Karnebhih Shrnuyama Devaah.
(
यह मंत्र शुभता, सुरक्षा और दीर्घायु प्रदान करता है।)
(This mantra grants auspiciousness, protection, and longevity.)

📖 पौराणिक मंत्र (Puranic Mantra)

🔹 ॐ ह्रीं आर्यमणाय स्वाहा।
Om Hreem Aryamanaya Swaha.
(
यह मंत्र आर्यमान देव को प्रसन्न करने और सुख-समृद्धि हेतु जपा जाता है।)
(This mantra pleases Aryaman and brings prosperity.)

🔹 ॐ नमः सूर्याय आर्यमणाय नमः।
Om Namah Suryaya Aryamanaya Namah.
(
सूर्य एवं आर्यमान दोनों की कृपा प्राप्त करने के लिए।)
(For blessings of both Surya and Aryaman.)

📖 शाबर मंत्र (Shabar Mantra)

🔹 आर्यमान देव की कृपा हो, संकट कटे, सुख सजे। हुम फट स्वाहा।
(
यह शाबर मंत्र सभी बाधाओं को दूर करने के लिए जपा जाता है।)
(This Shabar mantra removes obstacles and grants happiness.)

📖 जैन धर्म मंत्र (Jain Dharma Mantra)

🔹 ॐ नमो अर्यमणाय, जयति जयति श्री चंद्रप्रभु जिनेंद्राय स्वाहा।
(
यह मंत्र चंद्रप्रभु भगवान और आर्यमान देव की कृपा प्राप्त करने के लिए है।)


🙏 उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में दान (Charity & Offerings) 🙏

🔹 दान करने योग्य वस्तुएँ (Things to Donate):

  • गुड़ और गेहूँ (Jaggery & Wheat)आरोग्य और सूर्यदेव की कृपा के लिए।
  • सफेद कपड़ा और चावल (White Clothes & Rice)समृद्धि हेतु।
  • तांबे के बर्तन (Copper Vessels)सूर्य दोष निवारण के लिए।
  • गाय को चारा खिलाना (Feeding Cows)शुभ फल प्राप्त करने के लिए।

🔹 दान करने का शुभ समय (Best Time for Donation):

  • सूर्योदय (Sunrise) के समय दान करना सर्वश्रेष्ठ होता है।
  • रविवार और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में दान करना अधिक शुभकारी है।

🍲 उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में उपयुक्त एवं वर्जित भोजन (Food Recommendations) 🍲

🔹 उचित भोजन (Suitable Food):
तिल (Sesame)
गुड़ (Jaggery)
घी (Ghee)
गेहूं से बनी वस्तुएँ (Wheat-based food)
लाल मसूर दाल (Red Lentils)

🔹 वर्जित भोजन (Avoidable Food):
शराब एवं मांसाहार (Alcohol & Non-veg food)
ज्यादा नमक या मसालेदार भोजन (Excessively salty/spicy food)


🪔 दीपक दिशा एवं रंग (Lamp Direction & Wick Color) 🪔

🔹 दीपक जलाने की दिशा (Direction for Lighting Lamp):

  • पूर्व दिशा (East Direction) में दीपक जलाना अत्यंत शुभकारी होगा।

🔹 वर्तिका (बत्ती) का रंग (Wick Color):

  • सफेद कपास (White Cotton)मानसिक शांति के लिए।
  • हल्दी मिश्रित बत्ती (Turmeric-infused Wick)समृद्धि हेतु।

🌞 उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में पूजा विधि एवं पूजन का सही समय (Worship Method & Best Time) 🌞

🔹 पूजा का सही समय (Best Time for Worship):

  • सूर्योदय से दोपहर तक (Sunrise to Noon) आर्यमान देव की पूजा के लिए उत्तम है।
  • उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के दौरान रविवार विशेष शुभ होता है।

🔹 पूजा विधि (Worship Method):

  1. सूर्य देव को जल अर्पित करें (Offer water to the Sun).
  2. आर्यमान देव का ध्यान करें और वैदिक मंत्रों का जप करें।
  3. गुड़ और गेहूं का दान करें।
  4. सफेद या पीले पुष्प अर्पित करें।
  5. आर्यमान देव के मंत्रों का 108 बार जप करें।

📜 निष्कर्ष (Conclusion) 📜

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में दान, सूर्य पूजा, और मंत्र जप अत्यंत शुभ होता है।
तांबे के बर्तन, गुड़, और गेहूं का दान करने से ग्रह दोष शांत होते हैं।
इस नक्षत्र में आर्यमान देव और सूर्य देव की पूजा विशेष लाभकारी मानी जाती है।
पूर्व दिशा में दीपक जलाने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

🙏 इन उपायों को करने से मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है।
By following these remedies, one can attain mental peace, financial prosperity, and success.
🚩

 


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श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...