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होली -पूजा समय, मंत्र ,समस्या ,टोने निवारण रहस्य



Om Ganpatye Name ,Em Hreem  Kleem Nmah Sarv Siddhim Dehi Me Namh:

 

V.K ‘Jyotish Shiromani”_Astro.Pa;most,Vaastu Anusthan-Since 1972

 

भाग्यम फलति  सर्वत्र न च विद्या ,न च पौरुषम समुद्र मथना लभे हरिर्लक्ष्मी ,हरौ  विषम

 

Success Know No Rest    Know Yours – Life Dos  &  Don’t’s

 

Jyotish9999@gmail.com 9424446706-Sun City ,Sharjapur outer ring Road ,Ibblur Bangalore -560102

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शुभ मुहूर्त मङ्गल कामना होली :

(विजेन्द्र मृदुला, अपूर्वा ,शिशिर, सर्वेष्ठा एवं समस्त तिवारी परिवार

* रामजेंद्र-पवित्रा ,श्रेष्ठा, सौमित्र दीक्षित परिवार)

शुभकामना संदेश

*अयं होली महोत्सवः भवत्कृते भवत्परिवारकृते च क्षेमस्थैर्य

आयुः आरोग्य ऐश्वर्य अभिवृद्घि कारकः  भवतु अपि च श्री सद्गुरु कृपा प्रसादेन

सकलदुःखनिवृत्तिः आध्यात्मिक प्रगतिः श्रीभगवत्प्राप्तिः च भवतु इति||
   
।। होलिल्याः हार्दिक शुभाशयाः ।।

( होली महोत्सव समस्त आत्मीय जनो के लिए सुख कल्याण स्थिरकारी हो |

आयु ,आरोग्य,एश्वर्य मे वृद्धि हो ,सद्गुरु की कृपा से समस्त दुखो कष्टों का निवारण हो कर ,आध्यात्मिक प्रगति एवं ईश्वर की प्राप्ति हो |


होली -पूजा विधि,टोटके टोने निवारण रहस्य 
 
होली का पर्व फागुन माह की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष संपन्न किया जाता है ।
इसके दिन पूर्व अर्थात अष्टमी तिथि से पूर्णिमा तक का समय होलाष्टक कहलाता है।
इस समय  आकाशीय ग्रह परिवर्तन भी होता है।
इसलिए किसी भी शुभ काम के लिए ,होली के पूर्व के दिन पूर्णतया वर्जितअशुभ या अपेक्षित परिणाम नहीं देने वाले होते हैं

*आठ दिवस पाप ग्रह प्रबल अशुभ रहते है।* 
 अष्टमी - चन्द्रमा,नवमी - सूर्य,दशमी - शनि,एकादशी - शुक्र,द्वादशी -गुरु, त्रयोदशी - बुध, चतुर्दशी -मगल, और पूर्णिमा - राहू उग्र प्रबल अशुभ प्रभाव वाले रहते हैं। 
इसलिये इस अवधि में शुभ कार्य करने वर्जित है
*अशुभत्व समग्र भारत मे नही*
फिर भी अशुभ माना गया-
विपाशे इरावती तीरे 
               शुतुद्रयाश्च त्रिपुष्करे।
विवाह आदि शुभे नेष्टं-
            होलिका प्राग्दिनाष्टकम्।
*होलाष्टक * शुभ या मंगल संस्कार कार्य(विवाह,मुड़न,
गृह प्रवेश, वाहन भवन )वर्जित।
होलाष्टक पूजा-अर्चना के लिए सर्वोत्तम है। 
मांगलिक कार्यों की वर्जना/ रोक  है।
09 मार्च होली दहन पूजा मन्त्र-
चतुर्दशी,प्रतिपदा एवं भद्रा को होली दहन शास्त्र विरुद्ध हैइसलिए ऊपर लिखित बातों को ध्यान में रखते हुए होली दहन का शुभ समय-
भारत के सभी प्रमुख नगरो के लिए-यथाभोपाल,ग्वालियर,जबलपुर,रायपुर,हेदरबाद,कानपुर,बेंगलोर आदि |
पूजा हेतु सामग्री
कच्चा सूतएक तांबे के लोटे में जलचावलसुगंधपुष्पसाबुत, 8पूरी/पूडीहल्दीलौंगतेजपत्रकपूरगेहुंबालेँनारियलबताशा या कोई मिठाई तथा रोलि/कुंकुम उपलब्ध होना चाहिए।
सामान्य पूजा विधि
-पूजा करते समय आपका मुंह उत्तर दिशा में होना श्रेष्ठ है।
-दीपक की बत्ती भी उत्तर दिशा की ओर हो।
-सबसे प्रथम कार्य कच्चे सूत को होली को जलाने के पूर्व लकडी के चारो और तीन बार लपेटे।
विशेष-गोबर  से बनी gullery की माला जिसमें 5,या 11 गुलेरी हो/ गाय के गोबर की छोटे  गोल आकृति की हो उसके बीच मे छेद हो एसी 5,9,11 की एक माला घर के एक सदस्य के लिए अनिष्ट निवारण शत्रु नाश के लिए जो होलिका को समर्पित करते हें |
*आम की मंजरी या बोर चन्दन मिलाकर खाने का महत्व हे |
भगवान कृष्ण को झूले मे झूलने एवं ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र 11 बार बोलना चाहिए |
परिवार के प्रत्येक सदस्य के नाम 01 माला बनाए जाने का विधान है ।
मध्यकी लकड़ी अर्जुन वृक्ष की श्रेष्ठ परंतु इसके अभाव मे एरंडकी लकड़ी प्रयुक्त |  
-आसन पर उत्तर दिशा की और अथव पश्चिम दिशा की और मुह कर बैठे ।
-सर खुला नही रखे ।
-काले तिल टोने टोटके से सुरक्षा हेतू साथ रखे । होलिका मे "पित्रेभ्य नम:| कहकर छोड़ दे |
-नवविवाहिता एक वर्ष या पहली होली जलती या पूजा होते नही देखे ।
-दीपक की वर्तिका उत्तर दिशा की और हो।

 

शुभ होली-2024-मार्च

चतुर्दशी,प्रतिपदा एवं भद्रा को होली दहन शास्त्र विरुद्ध है

इसलिए धर्म शास्त्रों में लिखित बातों को ध्यान में रखते हुए

होली दहन का शुभ समय

 

(होलिका हन  रात्रि 23.13 से 00.25 तथा पूजन शुभ समय )

*समस्त शुभ –मगल कार्य वर्जित –*

पूजा शुभ समय-रात्रि 22;06 तक भद्रा है, इसलिए रात्रि 23.13

के पश्चात होलिका दहन |

-रात्रि 23.13 से 00.25 तक होलिका पूजन शुभ समय ;

*होलिका अग्नि की  राख अगले दिन प्रात: घर में लाकर रखने से  परिवार की अशुभ अदद्र्श्य शक्तियों  से सुरक्षा होती है।

होलिका दहन मंत्र-

दीप यान्यद्यते घोरे चिति राक्षसि सप्तमे |

हिताय सर्व जगत प्रीतये पार्वति पतये ||

 

होलिका विभूति वंदना मंत्र

वन्दितासि सुरेंद्रेण ब्रहमणा शंकरेण च |

अतस्त्वं पाहि नो देवी भूते भूति प्रदे  भव |

(आप इन्द्र, ब्रह्म एवं शङ्कर द्वारा पूजा कि गयी ,इसलिये हे देवी ,मेरी रक्षा करो |

हे भूते एश्वर्य प्रदायनी हो | )

मंत्र -' अस्मभिर्भय असृक्पा त्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः

अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्‌

 हे होली , राक्षसी(असृक्पा) के भय से डरे हुए (संत्रस्त) मूर्खो (बालिशो)

 से सृजित होने के कारण मै तुम्हारी पूजा करता हूँ |हे भूते ,

 हमे  सर्व एश्वर्य प्रदान करो |

मंगल प्रार्थना   -

नाना वर्ण विराजते हि गगनं,
     
सोल्लास सर्वे जनाः।
प्रति बीथ्या अभिषिक्त बाल सुहृदा,
      खेलन्ति रंगेर्मुदा।।
आशासे उत्सवम इदं प्रहरयेद्
  निखिलान् हि कष्ट अन्तव।
होली उत्सवम एतद हि स्यात्,
     
सुसुफलं भूयो शुभ अशंदा।।
भावार्थ-
* होलिकोत्सव में आकाश विभिन्न वर्णों से विराजित होता है,

सभी उल्लास से परिपूर्णं रहते हैं।

बाल सखा ,गली गली में रंगों से खेलते हुये अनन्द्विभोरित होते हैं,

ऐसा होलित्सव हम सभी के कष्टों पर कठोर प्रहार कर

हमारे जीवन को सफलताओं तथा शुभान्षाशाओं से परिपूरित कर  दे,

ऐसी प्रभु से प्रार्थना है|

 

होली पूजा पूर्व संकल्प विधि

 

05pushp evm bina tute chavl rakhe.

-संकल्प पूजा पूर्व-

ऊँ विष्णु: विष्णु: विष्णु: श्रीमद्भगवतो महा पुरुषस्य विष्णोराज्ञया

अद्य दिवसे शनिवासरे ,काल नाम संवत्सरे संवत् __2080 फाल्गुन मासे शुभे शुक्लपक्षे पूर्णिमायां शुभ तिथि    ------गौत्र (अपने गौत्र का नाम लें) उत्पन्ना ________ (अपने नाम का उच्चारण करें)

मम इह जन्मनि जन्मान्तरे वा  सर्व पाप क्षय पूर्वक

दीर्घायु विपुल धन धान्यं भवनं वाहनंम  सर्व एश्वर्यम ,

कीर्तिम पुत्र पौत्रान राज श्रियम देहि,सर्व आपदा च

 विप्दाम नाशय नाशय,सर्व विजयंम च आरोग्यम,

सर्व  शत्रुपराजय मम् दैहिक दैविक भौतिक त्रिविध ताप निवृत्यर्थं

 सद अभीष्ट सिद्धयर्थे

प्रह्लाद नृसिंह होली इत्यादीनां पूजनम अहंम करिष्यामि।

ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु।

गजाननं भूत गणादि सेवितंम कपित्थ जम्बू फल चारु भक्षणम्।
उमा सुतम शोक विनाश कारकम नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥

ऊँ गं गणपतये नम: पंच उपचारार्थे गंध  अक्षत पुष्पाणि सर्मपयामि।

(पुष्प एवं अक्षत (चावल) समर्पित करे (छोड़े).)

ऊँ अम्बिकायै नम: पंच उपचारार्थे गंध  अक्षत पुष्पाणि सर्मपयामि।

(पुष्प एवं अक्षत (चावल) समर्पित करे (छोड़े).)

ऊँ नृसिंहाय नम: पंच उपचारार्थे गंध  अक्षत समर्पयामि।

 

(पुष्प एवं अक्षत(चावल)समर्पित करे (छोड़े).)

ऊँ प्रह्लादाय नम: पंच उपचारार्थे  गंध  अक्षत समर्पयामि।

(पुष्प एवं अक्षत (चावल) समर्पित करे (छोड़े).)

असृक्प अभय संत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूति प्रदा भव:॥

(पुष्प एवं अक्षत (चावल) समर्पित करे (छोड़े).)

 Before pray-

- pashchim yaa uttar dishaa kee aur muh kar ,

 

daahinee hathelee men jal lekar

 

              nimn mantr bole

 

 

oom viṣṇauah viṣṇauah viṣṇauah shreemadbhagavato mahaa puruasy viṣṇaoraagyayaa ady divase _shanivasre_kaal naam snvatsare smvat ___2080_ faalgun maase shubhe shuklapake pooraimaayaan shubh tithi  (shanivasre) ________ gautr (apane gautr kaa naam len) utpannaa ________ (apane naam kaa uchchaaraa karen) mam ih janmani janmaantare vaa  sarv paap kay poorvak deerghaayu vipul dhan dhaanyn bhavann vaahannm  sarv eshvaryam ,keertim putr pautraan raaj shriyam dehi,sarv aapadaa ch vipdaam naashay naashay,sarv vijaynm ch aarogyam,

sarv  shatruparaajay mam daihik daivik bhautik trividh taap nivrityarthn sad abheeṣṭ siddhayarthe prahlaad nrisinh holee ityaadeenaan poojanam ahnm kariyaami.

Oom puaaaree kaakah punaatu.

Gajaanann bhoot gaaadi sevitn kapitthajamboofalachaarubhakaaam.

Umaasutn shokavinaashakaarakn namaami vighneshvarapaadapamajam

Oom gn gaaapataye namah pnchopachaaraarthe gndhaakatapupaaai samarpayaami.

Oon ambikaayai namah pnch upachaaraarthe gndh  akat pupaaai sarmapayaami.

Oom nrisinhaay namah pnch upachaaraarthe gndh  akat samarpayaami.

Oom prahlaadaay namah pnch upachaaraarthe  gndh  akat samarpayaami.

Asrikp abhay sntrastaiah kritaa tvn holi baalishaiah

atastvaan poojayiyaami bhoote bhootipradaa bhavah

hsatheli ka jal pruthvi par chhor de.

 

दीप मंत्र
दीप याम्य अध्यते घोरे चिति राक्षसि सप्तमे ।हिताय सर्व जगत |
अयं होली महोत्सवः भवत्कृते भवत्परिवार कृते च क्षेम स्थैर्य आयुः आरोग्य ऐश्वर्य अभिवृद्घि  कारकः  भवतु अपि च श्रीसद्कपा प्रसादेन सकल दुःख निवृत्तिः आध्यात्मिक प्रगतिः श्रीभगवत्प्राप्तिः च भवतु इति|
होलिका अग्नि की  राख अगले दिन प्रात: घर में लाकर रखने से  परिवार की अशुभ अदृश्य शक्तियों  से सुरक्षा होती है।
होलिका दहन मंत्र-
दीपयान्यद्यते घोरे चिति राक्षसि सप्तमे |
हिताय सर्व जगत प्रीतये पार्वति पतये ||
होलिका विभूति वंदना मंत्र
वन्दितासि सुरेंद्रेण ब्रहमणा शङ्करेण च |
अतस्त्वं पाहि नो देवी भूते भूति प्रदे  भव |
(आप इन्द्र, ब्रह्म एवं शङ्कर द्वारा पूजा कि गयी ,इसलिये हे देवी ,मेरी रक्षा करो | हे भूते एश्वर्य प्रदायनी हो | )
मंत्र -' अस्माभिर्भय असृक्पा त्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्‌
(हे होली , राक्षसी(सृक्पा) के भय से डरे हुए (संत्रस्त) मूर्खो (बालिशो) से सृजित होने के कारण मै तुम्हारी पूजा करता हूँ |हे भूते , हमे  सर्व एश्वर्य प्रदान करो |
-*अयं होली महोत्सवः भवत्कृते भवत्परिवारकृते च क्षेमस्थैर्य
आयुः आरोग्य ऐश्वर्य अभिवृद्घि कारकः  भवतु अपि च श्री सद्गुरु कृपा प्रसादेन
सकलदुःखनिवृत्तिः आध्यात्मिक प्रगतिः श्रीभगवत्प्राप्तिः च भवतु इति||
   
।। होलिल्याः हार्दिक शुभाशयाः ।।
( होली महोत्सव समस्त आत्मीय जनो के लिए सुख कल्याण स्थिरकारी हो |
आयु ,आरोग्य,एश्वर्य मे वृद्धि हो ,सद्गुरु की कृपा से समस्त दुखो कष्टों का निवारण हो कर ,आध्यात्मिक प्रगति एवं ईश्वर की प्राप्ति हो |

   पान, १ सुपारी एवं हल्दी की गांठ रख लें। पान के पत्ते पर सुपारी और हल्दी की गांठ,सूखे  नारियल में रख कर  होली की 5 परिक्रमा कर अग्नि में अर्पित करें। ।

 
Upaay totke
चंद्र पुजा खीर भोग  ,हनुमान जी एवं लक्ष्मी पुजा विशेष-
"श्रीम ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नम:।
चन्द्रमसे नम:।
श्रीम क्लीं कृष्णाय नम:।
-यदि आपके घर का सामान चोरी होता हो  या टोना किया जाता  हो ,होली की रात को उपाय करे – अपना नाम, गौत्र उच्चारित कर हाथ मे जल लेकर  
  लेखक की अनुभूत है।
ये घर के चोर, चोरी की वस्तु उपयोग करता की आयु या दाम्पत्य साथी की आयु प्रतिष्ठा की हानी करती है।
    चोरी करने वाली महिला के ,पिता की आयु कम एवं पुरुष की माता की आयु कम होती है।**
  1-श्वेत  -सरसों, गुग्गल, लोबान , पीपल के पत्ते ,गौमूत्र के छींटे गौघृत जावित्री, जटामासी व केसर इन सबको मिलाकर होली की अग्नि मे मध्यरात्रि मे दाल दे |
2-गोरोचन व तगर लाल कपड़े में बांधकर अपने घर में पूजा स्थान में रख दें। टोने-टोटके का असर समाप्त हो कर करनेवाले को कष्ट होगा
- सर्व शत्रुन चौरान खादय 2 मारय 2 ,हं पवन नंदनाय नम:-पपीते के २१ बीजों को एकत्रित कर तांबे के ताबीज में भरकर गले में धारण कर लें।हर बीज अभिमंत्रित करे |
*तुला,मिथुन,कुम्भ राशि या र,, ,,के,छ अक्षर से प्रारंभ नाम या शनि,राहु दशा अन्तर्दशा* वाले होलिका अग्नि में सूखे नारियल को ऊपर से कास्ट कर उसमें तिल, नारियल, सरसो तैल भरकर "सभी प्रकार के अनिष्ट से सुरक्षा की कामना करते हुए अपने सिर के चारो ओर घूम कर अग्नि में डाल दे।
*धन बचत व्यापारिक लाभ*
गाय के गोबर की लक्ष्मी की प्रतिमा  12-1बजे दिन या मध्य रात्रि मे बना कर,सूखा ले फिर चांदी का  सिक्का ,गुग्गल, लाल कपड़े में  मौली से बांधकर तिजोरी में रखें
*टोने एवं दुर्घटना से बचाव*   पांच काली गुंजा लेकर होली की पांच परिक्रमा लगाकर  पांचों गुन्जाओं को सिर के ऊपर से पांच बार उतारकर  होली में फेंक दें। 
 *शीघ्र विवाह वृष, कन्या, मीन लग्न या राशि या नाम के प्रथम अक्षर - प,,वी,,,ई ए, ,हेतु*
 विष्णु, कृष्ण राधा, सीतराम, मंदिर या होली की अग्नि में -

   पान, १ सुपारी एवं हल्दी की गांठ रख लें। पान के पत्ते पर सुपारी और हल्दी की गांठ,सूखे  नारियल में रख कर  होली की 5 परिक्रमा कर अग्नि में अर्पित करें। ।

ज्योतिष शिरोमणि पण्डित

वी के तिवारी

  9424446706

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28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -