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कामाख्या शक्ति पीठ (देवी मासिक धर्म) महोत्सव - चक्र पूजा , मंत्र,दीपक, वर्तिका परिक्रमा ,एवं दिशा रक्त-वस्त्र- प्रसाद विवरण

 

01🔱 कामाख्या शक्ति पीठ (देवी मासिक धर्म) महोत्सव - विवरण 🔱

📍 स्थान एवं परिचय:

  • स्थिति: नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असम, भारत।
  • निकटतम शहर: गुवाहाटी (असम की राजधानी)।
  • नदी: ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे।
  • मुख्य शक्ति पीठ: यहाँ देवी सती का योनि अंग गिरा था।

कामाख्या मंदिर का आंतरिक भाग (Garbha Griha & Inner Structure)

 

कामाख्या मंदिर का आंतरिक भाग बाहरी संरचना से भी अधिक रहस्यमय और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है। यहाँ कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि देवी का योनि-कुंड (योनि रूपी पिंड) स्थित है, जो प्राकृतिक पत्थर से निर्मित है और जलधारा से सदा तर रहता है।

🛕 महत्त्व एवं विशेषताएँ

  • यह भारत का सबसे प्रसिद्ध तांत्रिक शक्ति पीठ है।
  • यहाँ देवी को रक्तवर्णी महाकामाख्या के रूप में पूजा जाता है।
  • मंदिर का गर्भगृह एक गुफा में स्थित है, जहाँ कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि योनि आकृति वाला पत्थर है जिससे प्राकृतिक जलधारा बहती है।
  • तंत्र साधना, मंत्र सिद्धि और योग क्रियाओं के लिए यह सर्वश्रेष्ठ स्थान माना जाता है।

🔹 कालिका पुराण

श्लोक:
"कामाख्यायां महादेवी तस्यां लिंगं सदा स्थितम्।
कामरूपे महाक्षेत्रे सर्वसिद्धि प्रदायकम्॥"

📖 हिंदी अर्थ:
कामाख्या महादेवी का निवास स्थल है, जहाँ सदैव उनका लिंग रूप स्थित है। यह स्थान कामरूप क्षेत्र का महातीर्थ है और सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करने वाला है।


📜 देवी भागवत पुराण

श्लोक:
"
कामाख्या तंत्रपथेश्वरी देवी,
योगिन्यां योगदा सर्वसिद्धि जननी॥"

📖 हिंदी अर्थ:
कामाख्या देवी तंत्र साधना की अधिष्ठात्री देवी हैं। वे योगिनियों को योग और सभी सिद्धियाँ प्रदान करने वाली जगत जननी हैं।


📜 तंत्र चूड़ामणि ग्रंथ

श्लोक:
"
कामाख्या परमा देवी सर्वतंत्र विदायिनी।
योनि स्थल समाराध्या सर्वभोग प्रदायिनी॥"

📖 हिंदी अर्थ:
महादेवी कामाख्या सर्वोच्च देवी हैं, जो सभी तंत्रों का ज्ञान देने वाली हैं। वे योनि स्थल पर पूजित होती हैं और अपने भक्तों को सभी प्रकार के भोग और सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।


📜 शिव पुराण

श्लोक:
"
योनि लिंग प्रतिष्ठायां योगिनी सर्वदा स्थिता।
योगिनां सिद्धिदात्री च कामाख्या तां नमाम्यहम्॥"

📖 हिंदी अर्थ:
कामाख्या देवी योनि लिंग प्रतिष्ठा में सदैव स्थित रहती हैं। वे योगियों को सिद्धियाँ प्रदान करने वाली महान योगिनी हैं। मैं उन महाशक्ति स्वरूपिणी देवी को नमन करता हूँ।


कामाख्या देवी तंत्र मार्ग की सबसे शक्तिशाली देवी हैं।
योग, तंत्र और सिद्धि प्राप्ति के लिए इनकी आराधना की जाती है।
यह स्थान सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला एवं भोग तथा मोक्ष देने वाला है।

इन ग्रंथों के अनुसार, कामाख्या देवी योग, तंत्र, और सिद्धि की देवी हैं।


🔆 दीपक, वर्तिका एवं दिशा

  • दीपक: यहाँ दीये में तिल के तेल या शुद्ध घी का उपयोग किया जाता है।
  • वर्तिका: कमल गट्टे की वर्तिका शुभ मानी जाती है।
  • दिशा: मुख्य मंदिर का मुख पूर्व दिशा में है।
  • शिखर शैली: नागर शैली में बना भव्य मंदिर।

🕉पूजा विधि एवं मंत्र

  • कामाख्या देवी के प्रमुख मंत्र:
    1. "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कामाख्यायै नमः।"
    2. "ॐ ह्रीं ऐं क्लीं नमः कामाख्यायै नमः।"
    3. "कामाख्ये वरदे देवी नीलपर्वतवासिनि।
      त्वं देवी जगतां माता योनि मुद्रे नमोऽस्तुते॥"
  • पूजा विधियाँ:
    • गुप्त नवरात्रि में विशेष पूजा।
    • तंत्र साधकों के लिए रात्रि में गुप्त साधनाएँ।
    • कामाख्या अमावस्या, दुर्गा अष्टमी, और महाशिवरात्रि पर भव्य अनुष्ठान।

🌙 माह, तिथि एवं विशेष पर्व

🔹 अंबुबाची महोत्सव (अंबुबाची मेला)

  • तिथि: आषाढ़ मास (जून के अंत में)
  • इस दौरान तीन दिन तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं, क्योंकि देवी का मासिक धर्म माना जाता है।
  • चौथे दिन मंदिर के द्वार खुलते हैं और भक्तों को विशेष प्रसाद (रक्तरंजित वस्त्र) दिया जाता है।

🔹 नवरात्रि (शारदीय व चैत्र)

  • नवरात्रि में विशेष पूजा, हवन, और तंत्र अनुष्ठान होते हैं।

🔹 कामाख्या जयंती

  • श्रावण मास की पूर्णिमा को देवी की उत्पत्ति तिथि मानी जाती है।

🔄 परिक्रमा विधि एवं प्रमुख स्थल

1️   मुख्य मंदिरगर्भगृह में देवी की शक्ति योनि के रूप में विराजमान।
2️
    पंच शक्तिपीठबगला, तारा, छिन्नमस्ता, त्रिपुरासुंदरी, भुवनेश्वरी।
3️
    काल भैरव मंदिरशक्ति पीठ का रक्षक स्थल।
4️
    गुप्त गुफाएँतंत्र सिद्धियों के लिए प्रसिद्ध।

परिक्रमा विधि:

  • भक्त गर्भगृह के बाहर से 3, 7 या 21 बार परिक्रमा करते हैं।
  • पंच-शक्ति मंदिरों के दर्शन आवश्यक माने जाते हैं।

🔱 निष्कर्ष

कामाख्या देवी शक्ति, तंत्र, और सिद्धि की प्रमुख देवी हैं।
यह स्थान गुप्त तंत्र साधना और योग की सर्वोच्च स्थली है।
अंबुबाची मेला में माँ के शक्ति चक्र की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है।

🔱 अंबुबाची मेला और माँ कामाख्या के शक्ति चक्र की पूजा 🔱

 अंबुबाची मेला आषाढ़ मास (जून के अंत) में कामाख्या देवी मंदिर, गुवाहाटी (असम) में आयोजित होने वाला एक विशेष तांत्रिक उत्सव है।

 -देवी का वार्षिक ऋतु स्नान (मासिक धर्म) महोत्सव माना जाता है, जिसमें तीन दिन तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं और चौथे दिन विशेष पूजा के बाद भक्तों के लिए द्वार खोले जाते हैं।

📍 अंबुबाची मेला का महत्त्व

1️    माँ कामाख्या के शक्ति चक्र (योनि पीठ) की विशेष पूजा होती है।

2️     तीन दिन तक मंदिर बंद रहता है, क्योंकि माना जाता है कि इस दौरान देवी रजस्वला होती हैं।

3️    तांत्रिक, साधु-संत, अघोरी और काली उपासक बड़ी संख्या में आते हैं और शक्ति उपासना करते हैं।

4️     किसी भी मूर्ति की पूजा नहीं की जाती, बल्कि शक्ति चक्र (योनि स्थल) की आराधना की जाती है।

5️    माँ के रक्तरंजित वस्त्र (रक्त-वस्त्र) को प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है।

🛕 शक्ति चक्र की पूजा विधि (अंबुबाची विशेष अनुष्ठान)

📌 शक्ति चक्र क्या है?

    कामाख्या मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि एक गर्भगृह में स्थित पाषाण शक्ति चक्र (योनि स्थल) है।

    यह शक्ति चक्र जलधारा से प्राकृतिक रूप से सींचा जाता है, जिससे इसमें सदैव नमी बनी रहती है।

    इसे सृष्टि और प्रजनन शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

📌 तीन दिवसीय शक्ति चक्र अनुष्ठान:

    प्रथम दिन (अंबुबाची प्रवेश) मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

    द्वितीय और तृतीय दिन मंत्र जाप, तंत्र अनुष्ठान और विशेष साधनाएँ होती हैं।

    चतुर्थ दिन (अंबुबाची उद्यापन) विशेष पूजा के बाद मंदिर के द्वार खोले जाते हैं। भक्तों को प्रसाद स्वरूप रक्त-वस्त्र दिया जाता है।

📌 विशेष पूजा विधि:

1️      शक्ति चक्र का जलाभिषेक पवित्र गंगाजल और दुग्ध से।

2️     लाल पुष्प (गुड़हल और कमल) एवं सिंदूर अर्पण।

3        कामाख्या मंत्रों का जाप:

    "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कामाख्यायै नमः।"

    "कामाख्ये वरदे देवी नीलपर्वतवासिनि।

    त्वं देवी जगतां माता योनि मुद्रे नमोऽस्तुते॥"

    4️      विशेष तांत्रिक साधना योगिनी और डाकिनी सिद्धियों के लिए।

🌙 अंबुबाची के दौरान तांत्रिक साधनाएँ

    कामाख्या सिद्धि साधना: तांत्रिकों द्वारा विशेष शक्ति साधनाएँ की जाती हैं।

    वशीकरण और आकर्षण साधना: इस काल में किए गए अनुष्ठान अधिक प्रभावशाली माने जाते हैं।

    गुप्त तंत्र क्रियाएँ: केवल अनुभवी तांत्रिकों को ही इस अनुष्ठान का ज्ञान होता है।

    महाकाली और बगला मुखी की पूजा: शक्ति के विभिन्न रूपों की साधना की जाती है।

📜 धार्मिक ग्रंथों में अंबुबाची महत्त्व

📖 कालिका पुराण:

    "अंबुबाचे महायोगे, योनि शक्तिः प्रतिष्ठिता।

    तस्मात् सर्वे तपस्यन्ति, सिद्ध्यर्थं योगिनः सदा॥"

अंबुबाची योग के समय माँ की योनि शक्ति जाग्रत होती है। इसलिए इस काल में सभी योगी, तांत्रिक और साधक सिद्धि प्राप्ति के लिए तपस्या करते हैं।

📖 तंत्र चूड़ामणि ग्रंथ:

    "अंबुबाचे व्रतं श्रेष्ठं योगिनां सिद्धिदायकम्।

    शक्ति पीठे पूजनं कुर्यात्, ततः सिद्धिर्भवेद ध्रुवम्॥"

अंबुबाची व्रत योगियों के लिए सर्वश्रेष्ठ और सिद्धि देने वाला व्रत है। इस समय शक्ति पीठ में पूजा करने से निश्चित रूप से सिद्धि प्राप्त होती है।
देवी भागवत, कालिका पुराण, और शिव पुराण में इस शक्ति पीठ का विशेष महत्त्व बताया गया है।

-शक्ति पीठ केवल तीर्थ स्थल ही नहीं, बल्कि शक्ति साधना के सिद्ध स्थल भी हैं। यहाँ तपस्या, ध्यान और साधना करने से शक्ति कृपा प्राप्त होती हैजो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से इन स्थानों की यात्रा करता है, वह आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करता है।

1-🔱 विशेष तांत्रिक साधनाएँ कामाख्या तंत्र 🔱

माँ कामाख्या को तंत्र विद्या की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। यहाँ की तांत्रिक साधनाएँ अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली होती हैं।

विशेष रूप से अंबुबाची महोत्सव, दीपावली रात्रि, गुप्त नवरात्रि और पूर्णिमा की रात में की गई साधनाएँ शीघ्र फलदायी मानी जाती हैं।


🕉 प्रमुख तांत्रिक साधनाएँ

1️ कामाख्या वशीकरण साधना

यह साधना किसी को आकर्षित करने, मान-सम्मान प्राप्ति, और प्रभावशाली व्यक्तित्व के लिए की जाती है।
इसे पूर्णिमा या शुक्रवार रात्रि में माँ कामाख्या के समक्ष किया जाता है।
इसमें गुड़हल या कमल के फूल, लाल चंदन, और शुद्ध घी का दीपक आवश्यक होता है।

🔹 मंत्र:

"ॐ ह्रीं ऐं क्लीं कामाख्ये क्लीं क्लीं स्वाहा॥"

🔹 विधि:
1️
 नहाकर लाल वस्त्र धारण करें।
2️
 माँ कामाख्या के चित्र या यंत्र के सामने दीपक जलाएँ।
3️
 लाल चंदन और पुष्प चढ़ाएँ।
4️
 मंत्र का 108 बार जाप करें।
5️
 यह क्रिया 21 दिन तक करें।


2️    कामाख्या तांत्रिक सिद्धि साधना

यह साधना गुप्त ज्ञान, तांत्रिक शक्तियाँ और योगिनी सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए की जाती है।
इसे अमावस्या रात्रि या अंबुबाची काल में किया जाता है।
यह केवल अनुभवी साधकों के लिए होती है।

🔹 मंत्र:

"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्लूं ब्लूं कामाख्ये नमः॥"

🔹 विधि:
1️
    एकांत स्थान में काले आसन पर बैठें।
2️
    माँ कामाख्या के यंत्र को स्थापित करें।
3️
    दीपक में सरसों के तेल का प्रयोग करें।
4️
    काली मिर्च और लौंग का हवन करें।
5️
     मंत्र का 1008 बार जाप करें।


3️    महाकाली-कामाख्या रक्षा कवच साधना

यह साधना शत्रु नाश, नकारात्मक ऊर्जा से बचाव, और आत्मरक्षा के लिए की जाती है।
इसे मंगलवार या शनिवार रात्रि में किया जाता है।

🔹 मंत्र:

"ॐ ह्रीं ऐं क्लीं कालिके कामाख्ये नमः॥"

🔹 विधि:
1️
 तांत्रिक मुद्रा में सिद्ध काली यंत्र को स्थापित करें।
2️
   काजल, काले तिल, और भस्म का प्रयोग करें।
3️
   मंत्र का 1080 बार जाप करें और हवन करें।


4    कामाख्या अघोरी साधना

यह साधना अति गुप्त है और केवल अनुभवी साधकों द्वारा की जाती है।
इसमें श्मशान साधना या माँ काली के तांत्रिक स्वरूप की उपासना होती है।

🔹 मंत्र:

"ॐ ह्रीं क्रीं काली कामाख्ये ह्रूं फट स्वाहा॥"

🔹 सावधानियाँ:
यह साधना केवल सिद्ध गुरु के मार्गदर्शन में ही करें।
कोई भी आकस्मिक बाधा या भय हो, तो तुरंत साधना रोक दें।


🛕 कामाख्या की विशेषताएँ🛕

📍 देवी के मासिक धर्म को कैसे पहचाना जाता है?

1️    योनि पीठ से निकलने वाले जल का लाल होना
कामाख्या मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि यहाँ एक शक्ति चक्र (योनि पीठ) स्थित है।
यह पवित्र स्थल प्राकृतिक जलधारा (भूमिगत जल स्रोत) से हमेशा गीला रहता है।
आषाढ़ मास में यह जल स्वतः लाल हो जाता है, जिसे देवी का मासिक रक्त माना जाता है।

2️         मंदिर के वस्त्र का लाल होना
गर्भगृह में देवी के शक्ति चक्र पर रखे गए वस्त्र का रंग तीन दिनों में लाल हो जाता है।
यह वस्त्र "रक्त-वस्त्र" कहलाता है, जिसे भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।

3️     तांत्रिक योगियों की विशेष साधना
इस काल में तांत्रिक और योगी माँ कामाख्या के दिव्य संकेतों को ध्यान और साधना के माध्यम से पहचानते हैं।
कई अनुभवी साधकों का मानना है कि इस दौरान ऊर्जा तरंगों में विशेष परिवर्तन आता है, जिससे देवी की जाग्रत स्थिति का अनुभव किया जा सकता है।

शक्ति चक्र से निकलने वाले रक्त का प्रयोग

1️       अंबुबाची काल में रक्त-वस्त्र (रक्त-रंजित कपड़ा) का महत्त्व

माँ कामाख्या के गर्भगृह में रखे वस्त्र का रंग लाल हो जाता है, जिसे पवित्र रक्त-वस्त्र कहा जाता है।
यह वस्त्र शक्तिशाली तांत्रिक प्रयोगों और सिद्धि साधनाओं में काम आता है।
इसे गुप्त साधनाओं में रक्षा कवच के रूप में धारण किया जाता है।

🔹 उपयोग:

  • इसे व्यक्तिगत सुरक्षा, व्यापार वृद्धि और वशीकरण के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • साधक इसे ताबीज के रूप में धारण करते हैं।

2️        शक्ति साधना में योनि रक्त का प्रयोग

कुछ तांत्रिक परंपराओं में, रक्त को ऊर्जावान और सिद्धिदायक माना जाता है।
विशेषकर, महाकाली और बगला मुखी साधनाओं में इसका प्रयोग किया जाता है।
यह कामाख्या तंत्र, योगिनी साधना और डाकिनी सिद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

🔹 विशेष अनुष्ठान:

"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कामाख्ये योनि शक्तये नमः।"

  • इस मंत्र का प्रयोग तांत्रिक साधनाओं में किया जाता है।

3️       सिद्ध तंत्र अनुष्ठानों में प्रयोग

यह विशेषकर वशीकरण, आकर्षण और शक्ति साधना के लिए किया जाता है।
सिद्ध तांत्रिक रक्त को यंत्र और ताबीज में संचित कर विशेष अनुष्ठान करते हैं।
केवल अनुभवी साधकों को ही इन प्रयोगों की अनुमति होती है।


⚠️ विशेष सावधानियाँ

कामाख्या पीठ में उपलब्ध रक्त-वस्त्र को पवित्र माना जाता है और इसका सही तरीके से उपयोग किया जाना चाहिए।
अनुष्ठानों में धार्मिक नियमों और सिद्धि विधियों का पालन अनिवार्य होता है।

📜 धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख

📖 कालिका पुराण

"अंबुबाचे महायोगे, योनि शक्तिः प्रतिष्ठिता।
तस्मात् सर्वे तपस्यन्ति, सिद्ध्यर्थं योगिनः सदा॥"

📖 हिंदी अर्थ:
अंबुबाची योग के समय माँ की योनि शक्ति जाग्रत होती है, इसलिए सभी योगी और तांत्रिक सिद्धि प्राप्ति के लिए इस काल में तपस्या करते हैं।

📖 तंत्र चूड़ामणि ग्रंथ

"अंबुबाचे व्रतं श्रेष्ठं योगिनां सिद्धिदायकम्।
शक्ति पीठे पूजनं कुर्यात्, ततः सिद्धिर्भवेद ध्रुवम्॥"

📖 हिंदी अर्थ:
अंबुबाची व्रत योगियों और तांत्रिकों के लिए सर्वश्रेष्ठ सिद्धिदायक व्रत है। इस समय शक्ति पीठ में पूजन करने से निश्चित रूप से सिद्धि प्राप्त होती है।


📍 तांत्रिक दृष्टि से देवी के मासिक धर्म का महत्त्व

🔸 यह सृष्टि शक्ति, उर्वरता और तंत्र ऊर्जा के जागरण का प्रतीक है।

🔸 इस दौरान की गई तांत्रिक साधनाएँ और मंत्र सिद्धियाँ अत्यंत प्रभावशाली होती हैं।

🔸 योगिनी, डाकिनी और तंत्र साधना करने वाले साधक इस समय को विशेष मानते हैं।

🔸 देवी के रक्त-वस्त्र को तांत्रिक रक्षा कवच के रूप में प्रयोग किया जाता है

 🔆 निष्कर्ष

योनि रक्त शक्ति, सृजन और सिद्धि का प्रतीक है।
कामाख्या पीठ में इसका प्रयोग विशेष तांत्रिक अनुष्ठानों में किया जाता है।
यह केवल अनुभवी साधकों के लिए उपयुक्त है और इसे गुप्त रूप से किया जाता है।

🔹 माँ कामाख्या की साधनाएँ शीघ्र फलदायी और सिद्धिदायक होती हैं।

🔹 यह साधनाएँ मनचाहा प्रेम, सफलता, शक्ति और आध्यात्मिक जागरण देती हैं।

🔹 साधक को विशेष नियमों और सावधानियों का पालन करना आवश्यक होता है।

🔹 तांत्रिक साधना केवल गुरु के मार्गदर्शन में करनी चाहिए।


 

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28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...