सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

होली - क्यों? पौराणिक कथा, पूजन मंत्र, परिक्रमा, महत्व? Holi - Why? Mythological Story, Puja Mantra, Parikrama, Significance?

- होली - क्यों? पौराणिक कथा, पूजन मंत्र, परिक्रमा, महत्व? Holi - Why? Mythol?(BILINGWAL)

होली क्यों मनाई जाती है? | Why is Holi Celebrated?

होली की शुभकामनाएँ! Happy Holi! 🎨🔥

होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार मुख्य रूप से प्रह्लाद और होलिका की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है, जिसमें भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने असुर राज हिरण्यकशिपु और उसकी बहन होलिका का अंत किया था। इसके अलावा, यह त्योहार प्रेम, एकता और उल्लास का भी प्रतीक माना जाता है।

Holi symbolizes the victory of good over evil. This festival is mainly associated with the legend of Prahlad and Holika, where Lord Vishnu protected the devotee Prahlad and ended the tyranny of the demon king Hiranyakashipu and his sister Holika. Apart from this, the festival also signifies love, unity, and joy.

-होली की शुरुआत कब और कैसे हुई? | When and How Did Holi Begin?

होली का वर्णन ऋग्वेद, पुराणों और महाभारत में मिलता है। यह त्योहार प्राचीन काल से मनाया जाता आ रहा है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह कृषि से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि यह वसंत ऋतु के आगमन और नई फसल के स्वागत का समय होता है।

Holi is mentioned in the Rigveda, Puranas, and Mahabharata. This festival has been celebrated since ancient times. Some beliefs also associate it with agriculture, as it marks the arrival of spring and the harvesting of new crops

होली से जुड़ी पौराणिक कथा | The Mythological Story of Holi.

होली की पौराणिक कथा (ग्रंथों के संदर्भ सहित) |

Holi Mythological Story with Scriptures

होली का उल्लेख विभिन्न पुराणों, वेदों और महाकाव्यों में मिलता है। इस त्योहार का मुख्य आधार प्रह्लाद और होलिका की कथा है, जो विभिन्न ग्रंथों में अलग-अलग ढंग से वर्णित है।


१. विष्णु पुराण (Vishnu Purana) – प्रह्लाद और होलिका कथा

संस्कृत श्लोक:

हिरण्यकशिपुर्नाम दैत्यराजो महाबलः।
विष्णुभक्तिं सुतं दृष्ट्वा, क्रुद्धोऽथ तमुवाच ह॥

हिंदी अनुवाद:

हिरण्यकशिपु नामक महाबली दैत्यराज ने जब अपने पुत्र को विष्णु भक्ति में लीन देखा, तो वह क्रोधित हो उठा।

कथा सारांश:

  • हिरण्यकशिपु को वरदान था कि वह किसी भी अस्त्र-शस्त्र, दिन-रात, बाहर-भीतर, मानव-दैत्य द्वारा नहीं मारा जा सकता।
  • उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था।
  • ***हिरण्यकशिपु ने कई बार प्रह्लाद को मारने की कोशिश की, लेकिन हर बार वह विफल रहा।
  • अंत में, उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया,

 जिसे वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी।

  • होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठी,

 लेकिन विष्णु-कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहा और होलिका जलकर भस्म हो गई

  • इस घटना के उपलक्ष्य में होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई।
  • ------------------------------------------------------------------------------------------------
  • (🔱 हिरण्यकशिपु द्वारा प्रह्लाद को मारने के प्रयास 🔱
  •  
  • हिरण्यकशिपु, जो स्वयं को अमर मानता था, अपने पुत्र प्रह्लाद की भगवान विष्णु के प्रति भक्ति को सहन नहीं कर पा रहा था। उसने कई क्रूर प्रयास किए प्रह्लाद को मारने के, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से हर बार वह बच गया।
  • १. विषैले नागों से डसवाने का प्रयास 🐍
  • हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को विषैले नागों के बीच फेंक दिया।
  • नागों ने अपने तीव्र विष से प्रह्लाद को डसने का प्रयास किया, लेकिन विष्णु-कृपा से विष प्रभावहीन हो गया।
  • प्रह्लाद सुरक्षित और प्रसन्न रहा, जबकि नाग स्वयं थक गए।
  •  
  • 📖 स्रोत विष्णु पुराण (अध्याय १७)
  • २. ऊँचाई से गिराकर मारने का प्रयास 🏔
  •  
  • हिरण्यकशिपु ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे प्रह्लाद को एक ऊँचे पर्वत से नीचे फेंक दें।
  • प्रह्लाद ने भगवान विष्णु का स्मरण किया, और जैसे ही उसे फेंका गया, विष्णुजी ने स्वयं उसे अपनी दिव्य शक्ति से थाम लिया।
  • प्रह्लाद जरा भी चोट खाए बिना भूमि पर उतरा, जबकि सैनिक आश्चर्यचकित रह गए।
  •  
  • 📖 स्रोत भागवत पुराण (स्कंध ७, अध्याय ५)
  • ३. हाथी के पैरों तले कुचलवाने का प्रयास 🐘
  • हिरण्यकशिपु ने आदेश दिया कि प्रह्लाद को एक क्रोधित हाथी के पैरों तले कुचल दिया जाए।
  • विशाल हाथी को प्रह्लाद के ऊपर छोड़ा गया, लेकिन जैसे ही उसने प्रह्लाद को देखा, वह शांत हो गया और उसके पैरों में बैठ गया।
  • सभी दैत्य यह देखकर हैरान रह गए कि कैसे एक हिंसक हाथी भी प्रह्लाद को कोई नुकसान नहीं पहुँचा पाया।
  • 📖 स्रोत नारद पुराण (अध्याय ८)
  • ४. ज़हरीला भोजन खिलाने का प्रयास 🍲
  • हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को विषमिश्रित भोजन देने का प्रयास किया।
  • प्रह्लाद ने उस भोजन को भगवान का प्रसाद मानकर ग्रहण किया।
  • भगवान विष्णु की कृपा से वह विष अमृत में बदल गया, और प्रह्लाद सुरक्षित रहा।
  • 📖 स्रोत पद्म पुराण (उत्तर खंड, अध्याय २९)
  • ५. तलवार से मारने का प्रयास
  • हिरण्यकशिपु खुद अपनी तलवार लेकर प्रह्लाद को मारने के लिए दौड़ा।
  • जैसे ही उसने तलवार चलाई, उसके हाथ जड़ हो गए और वह प्रह्लाद को छू भी नहीं सका।
  • हिरण्यकशिपु और अधिक क्रोधित हो गया, लेकिन प्रह्लाद शांत भाव से भगवान विष्णु का नाम लेता रहा।
  •  
  • 📖 स्रोत महाभारत (अनुशासन पर्व, अध्याय १४२)
  • ६. होलिका के साथ अग्नि में जलाने का प्रयास 🔥
  • हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठे।
  • होलिका को वरदान था कि उसे अग्नि नहीं जला सकती, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहा और होलिका भस्म हो गई।
  • यही कारण है कि होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई।
  • 📖 स्रोत विष्णु पुराण (अध्याय १५-१७)
  • 🔆 निष्कर्ष (Conclusion) 🔆
  • हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए नागों से डसवाने, ऊँचाई से गिराने, हाथी के पैरों तले कुचलवाने, विष देने, तलवार से मारने, और अग्नि में जलाने।
  • हर बार भगवान विष्णु ने प्रह्लाद की रक्षा की।
  • अंततः भगवान नृसिंह ने हिरण्यकशिपु का वध कर प्रह्लाद की भक्ति की विजय कराई।))

📖 स्रोतविष्णु पुराण (चतुर्थ अंश, अध्याय १५-१७)


२. भागवत पुराण (Bhagavata Purana) – हिरण्यकशिपु वध और नृसिंह अवतार

संस्कृत श्लोक:

नखैर्यदा दैत्यवरस्य मूर्धनि,
चकर्थ कण्ठेऽपि च संधि भेदम्॥

हिंदी अनुवाद:

जब हिरण्यकशिपु का वध हुआ, तब भगवान नृसिंह ने अपने नखों से उसके सिर और गले को विदीर्ण कर दिया।

📖 स्रोतभागवत पुराण (स्कंध ७, अध्याय ५-८)

  • इस ग्रंथ में प्रह्लाद की भक्ति और नृसिंह अवतार का विस्तार से वर्णन मिलता है।
  • भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण कर हिरण्यकशिपु को एक द्वार पर, संध्या समय, नखों से मारकर वरदान को निष्फल किया।

३. नारद पुराण (Narada Purana) – होलिका दहन की विधि

संस्कृत श्लोक:

होलिका पूजयेन्नित्यं, अग्न्यर्चां विधिपूर्वकम्।
भस्मना सर्वदुःखानि, नश्यन्ति जनसंसदि॥

हिंदी अनुवाद:

जो व्यक्ति होलिका की विधिपूर्वक पूजा करता है और उसकी भस्म का तिलक लगाता है, उसके सभी दुःख दूर हो जाते हैं।

📖 स्रोतनारद पुराण (पूर्व खंड, अध्याय ८)


४. पद्म पुराण (Padma Purana) – होली के लाभ

संस्कृत श्लोक:

फाल्गुने पूर्णिमायां तु, होलिका दाहमाचरेत्।
यस्य स्मरणमात्रेण, सर्वदुःखं विनश्यति॥

हिंदी अनुवाद:

फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

📖 स्रोतपद्म पुराण (उत्तर खंड, अध्याय २९)


५. महाभारत (Mahabharata) – कृष्ण और गोपियों की होली

संस्कृत श्लोक:

कृष्णेन गोपिकाभिश्च, होलीकासव्रते कृते।
स्नेहं सम्प्राप्य सर्वेऽपि, नृत्यन्ति गानकानने॥

हिंदी अनुवाद:

भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ होली खेली और सभी प्रेमपूर्वक आनंदित हुए।

📖 स्रोतमहाभारत (अनुशासन पर्व, अध्याय १४२)

  • वृंदावन और मथुरा में राधा-कृष्ण की रंगों की होली का विशेष महत्व है।

🔆 होली की परिक्रमा विधि (Holika Parikrama Vidhi) 🔆

📌 कितनी परिक्रमा की जाती है?
👉 ७ बार परिक्रमा करनी चाहिए, क्योंकि यह सात चक्रों को शुद्ध करती है।

📜 विधि (Steps for Parikrama):

  1. 🔱 भद्रा वर्जित (Bhadra Varjit) –सूर्यास्त के बाद होलिका की पूजा करें।
  2. कच्चे धागे से होलिका की ५, , या ११ बार परिक्रमा करें।
  3. परिक्रमा के दौरान नारियल, तिल, गेहूँ, गुड़ और हल्दी चढ़ाएँ।
  4. होलिका दहन के बाद उसकी राख का तिलक लगाएँ, जिससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

🔆 होली 🔱 होलिका दहन मंत्र 🔱पूजन मंत्र (Holika Pujan Mantra) 🔆

१. होलिका पूजन मंत्र:

🕉 असृक्पाभयं सर्वेभ्यः, शत्रुभ्यश्च विशेषतः।
दह दह पापं सर्वं, होलासुर नमोऽस्तु ते॥

👉 अर्थ: हे होलिका! समस्त भय और शत्रुओं से हमारी रक्षा करो। सभी पापों का दहन करो।


 

👉 अर्थ: हे होलिका! समस्त भय और शत्रुओं से हमारी रक्षा करो। सभी पापों का दहन करो।

3-. होलिका परिक्रमा मंत्र:

परिक्रमा विधि७ बार अग्नि की परिक्रमा कर नकारात्मक ऊर्जा समाप्त करें।

🕉 जय देवी महाकालि, जय करालवदने।
प्रह्लादरक्षकायै नः, अग्निस्वाहा नमोऽस्तु ते॥

👉 अर्थ: हे माँ काली! आप प्रह्लाद की रक्षक हैं, हमें भी कष्टों से मुक्त करें।

होलिका दहन मंत्रअग्निदेव को समर्पित कर सभी दोषों से मुक्त होने की प्रार्थना करें।

🔱 निष्कर्ष (Conclusion) 🔱

  • होली का मुख्य आधारप्रह्लाद की भक्ति और होलिका का अंत।
  • ग्रंथों में उल्लेखविष्णु पुराण, भागवत पुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण, महाभारत।

परिक्रमा विधि७ बार अग्नि की परिक्रमा कर नकारात्मक ऊर्जा समाप्त करें। होली का

 

  • ==================================================

होली का धार्मिक और सामाजिक महत्व | Religious and Social Significance of Holi

  1. धार्मिक महत्वयह त्योहार भगवान विष्णु की कृपा, भक्त प्रह्लाद की भक्ति और बुराई के अंत का प्रतीक है।
    Religious Significance – The festival symbolizes Lord Vishnu’s grace, Prahlad’s devotion, and the triumph of good over evil.
  2. आध्यात्मिक महत्वहोलिका दहन करने से पापों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
    Spiritual Significance – Holika Dahan destroys negative energies and spreads positive vibrations.
  3. सामाजिक महत्वहोली समाज में प्रेम, भाईचारा और समानता का संदेश देती है।
    Social Significance – Holi promotes love, brotherhood, and equality in society.
  4. कृषि महत्वयह त्योहार नई फसल के आगमन और वसंत ऋतु की खुशी का प्रतीक है।
    Agricultural Significance – The festival marks the arrival of new crops and the joy of spring.
  1. रंगों का पर्वयह जीवन में खुशियाँ और रंग भरने का पर्व है।🔥 इसी कारण होली पर्व भक्ति, सत्य, और धर्म की जीत का प्रतीक है! 🔥

🔱 Attempts by Hiranyakashipu to Kill Prahlad 🔱

Hiranyakashipu, who considered himself immortal, could not tolerate his son Prahlad's devotion to Lord Vishnu. He made several cruel attempts to kill Prahlad, but each time, by the grace of Vishnu, Prahlad was saved.


1. Attempt to Kill Prahlad with Poisonous Serpents 🐍

Hiranyakashipu threw Prahlad among poisonous snakes.
The snakes tried to bite him with their deadly venom, but by Lord Vishnu’s grace, the venom became ineffective.
Prahlad remained unharmed and happy, while the serpents themselves became exhausted.

📖 Source – Vishnu Purana (Chapter 17)


2. Throwing Prahlad from a Great Height 🏔

Hiranyakashipu ordered his soldiers to throw Prahlad from a high mountain.
Prahlad meditated on Lord Vishnu, and as he was thrown, Vishnu caught him with his divine power.
Prahlad landed safely without any injuries, leaving the soldiers astonished.

📖 Source – Bhagavata Purana (Canto 7, Chapter 5)


3. Crushing Prahlad Under an Elephant’s Feet 🐘

Hiranyakashipu commanded that Prahlad be trampled under the feet of a raging elephant.
The enormous elephant was released towards Prahlad, but as soon as it saw him, it became calm and sat at his feet.
The demons were amazed at how even a wild elephant could not harm Prahlad.

📖 Source – Narada Purana (Chapter 8)


4. Poisoning Prahlad’s Food 🍲

Hiranyakashipu tried to kill Prahlad by giving him poisoned food.
Prahlad accepted it as a sacred offering to the Lord.
By Vishnu’s grace, the poison turned into nectar, and Prahlad remained safe.

📖 Source – Padma Purana (Uttara Khanda, Chapter 29)


5. Attacking Prahlad with a Sword

Hiranyakashipu himself took up his sword to kill Prahlad.
As soon as he swung the sword, his hands became paralyzed, and he was unable to touch Prahlad.
Hiranyakashipu grew even more furious, while Prahlad remained calm, chanting Vishnu’s name.

📖 Source – Mahabharata (Anushasana Parva, Chapter 142)


6. Burning Prahlad with Holika in Fire 🔥

Hiranyakashipu ordered his sister Holika to sit in the fire with Prahlad on her lap.
Holika had a boon that fire could not burn her, but due to Lord Vishnu’s grace, Prahlad remained unharmed while Holika was reduced to ashes.
This event led to the tradition of Holika Dahan (Holika Burning Ceremony).

📖 Source – Vishnu Purana (Chapters 15-17)


🔆 Conclusion 🔆

Hiranyakashipu tried multiple ways to kill Prahlad – poisoning him, throwing him from a height, crushing him under an elephant, giving him toxic food, attacking with a sword, and burning him alive.
Each time, Lord Vishnu protected Prahlad.
Eventually, Lord Narasimha (half-lion, half-man form of Vishnu) killed Hiranyakashipu, proving the victory of devotion over arrogance.

📖 Source – Vishnu Purana (Fourth Section, Chapters 15-17)


📜 Hiranyakashipu's Death and Narasimha Avatar – Bhagavata Purana

Sanskrit Verse:
🔱 Nakhairyadā daityavarasya mūrdhani,
🔱 Chakartha kaṇṭhe'pi cha sandhi bhedam

Hindi Translation:
"When Hiranyakashipu was slain, Lord Narasimha tore his head and throat apart with his nails."

📖 Source – Bhagavata Purana (Canto 7, Chapters 5-8)

This text describes Prahlad’s devotion and the appearance of Lord Narasimha.
Lord Vishnu took the Narasimha form and killed Hiranyakashipu at the doorway, during twilight, using his nails, making the boon ineffective.


📖 Narada Purana – Ritual of Holika Dahan

Sanskrit Verse:
🔱 Holikā pūjayennityaṁ, agnyarchāṁ vidhipūrvakam
🔱 Bhasmanā sarvaduḥkhāni, naśyanti janasansadi

Hindi Translation:
"A person who worships Holika with proper rituals and applies its sacred ashes is freed from all suffering."

📖 Source – Narada Purana (Purva Khanda, Chapter 8)

The ritual of Holika Dahan removes negativity and obstacles.


📖 Padma Purana – Benefits of Holika Dahan

Sanskrit Verse:
🔱 Phālgune pūrṇimāyāṁ tu, holikā dāhamācaret
🔱 Yasya smaraṇamātreṇa, sarvaduḥkhaṁ vinaśyati

Hindi Translation:
"Performing Holika Dahan on the full moon of Phalguna month destroys all sorrows."

📖 Source – Padma Purana (Uttara Khanda, Chapter 29)

The festival is believed to burn away negativity and bring prosperity.


📖 Mahabharata – Krishna and Holi in Vrindavan

Sanskrit Verse:
🔱 Kṛṣṇena gopikābhiścha, holīkāsavrate kṛte
🔱 Snehaṁ samprāpya sarve'pi, nṛtyanti gānakānane

Hindi Translation:
"Lord Krishna played Holi with the Gopis, filling the forest with joy and love."

📖 Source – Mahabharata (Anushasana Parva, Chapter 142)

Vrindavan and Mathura celebrate Holi as the festival of Radha-Krishna’s divine love.


🔆 Holika Parikrama (Circumambulation of Holika Fire) 🔆

📜 How Many Times Should One Circumambulate?

👉 7 times, as it is believed to purify the seven energy centers (chakras).

📜 Steps for Holika Parikrama:

  1. 🔱 Avoid Bhadra Period – Perform the ritual after sunset.
  2. Tie a sacred thread around Holika 5, 7, or 11 times.
  3. Offer coconut, sesame seeds, wheat, jaggery, and turmeric while walking around the fire.
  4. After the fire is extinguished, apply Holika ashes on the forehead to remove negative energies.

🔆 Holika Worship Mantras 🔆

1. Holika Pujan Mantra:

🔱 "Asṛkpābhayaṁ sarvebhyaḥ, śatrubhyaścha viśeṣataḥ
🔱 Daha daha pāpaṁ sarvaṁ, holāsura namo'stu te॥"

Meaning: O Holika! Burn away all fears and enemies. Destroy all sins.


2. Holika Parikrama Mantra:

🔱 "Jaya devī mahākāli, jaya karālavadane
🔱 Prahlādarakṣakāyai naḥ, agnisvāhā namo'stu te॥"

Meaning: O Mother Kali! You protected Prahlad, please free us from all misfortunes.


🔱 Conclusion 🔱

Holi is rooted in Prahlad’s unwavering devotion and Holika’s demise.
Hindu scriptures like Vishnu Purana, Bhagavata Purana, Narada Purana, Padma Purana, and Mahabharata document its significance.
Holika Parikrama and worship cleanse negative energies and bring prosperity.
🔥 Holi symbolizes the victory of devotion, truth, and righteousness over evil! 🔥

| Conclusion

होली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का संगम है। यह त्योहार हमें सत्य की विजय, प्रेम, उल्लास और सामाजिक समरसता का संदेश देता है।

Holi is not just a festival but a confluence of religious, social, and cultural beliefs. It teaches us the victory of truth, love, joy, and social harmony.

आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
Wishing you all a very Happy Holi!
🎨🔥🎉

========94244446706===V.K.Tiwari====Astrology,Palmistry,Numerology,Vastu ======Since-1972-===========



 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्राद्ध की गूढ़ बाते ,किसकी श्राद्ध कब करे

श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चा...

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं ना...

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती...

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा ज...

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...