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त्रिपुर सुंदरी शक्ति पीठ-श्री यंत्र,त्रिपुरेश भैरव,त्रिपुरेश भैरव,रहस्य

 


त्रिपुर सुंदरी शक्ति पीठ सम्पूर्ण विवरण

त्रिपुर सुंदरी मंदिर, जिसे स्थानीय रूप से 'माताबाड़ी' के नाम से जाना जाता है, त्रिपुरा राज्य के उदयपुर शहर में स्थित एक प्राचीन और पवित्र शक्ति पीठ है। यह मंदिर देवी त्रिपुर सुंदरी को समर्पित है और 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है।

मंदिर का बाहरी स्वरूप: मंदिर का बाहरी भाग पारंपरिक बंगाली वास्तुकला शैली में निर्मित है, जिसमें एक वर्गाकार गर्भगृह के ऊपर शिखर स्थित है। मंदिर के चारों ओर एक शांत सरोवर है, जो इसकी सुंदरता में वृद्धि करता है।

मंदिर का आंतरिक स्वरूप: मंदिर के अंदर देवी त्रिपुर सुंदरी की दो समान मूर्तियाँ स्थापित हैं, जिन्हें 'त्रिपुर सुंदरी' (लगभग 5 फीट ऊँची) और 'छोटी माँ' (लगभग 2 फीट ऊँची) के नाम से जाना जाता है। देवी की मूर्तियाँ काले पत्थर से निर्मित हैं और उन्हें माँ काली के रूप में पूजा जाता है।

1. परिचय (Introduction)

  • त्रिपुर सुंदरी शक्ति पीठ 51 शक्ति पीठों में से एक है, जहाँ देवी सती के अंग गिरे थे।
  • यह शक्ति पीठ देवी त्रिपुर सुंदरी को समर्पित है, जो सौंदर्य, शक्ति और तांत्रिक उपासना की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं।
  • यह स्थान विशेष रूप से तांत्रिक और आध्यात्मिक साधना के लिए प्रसिद्ध है।

2. स्थान (Location)

  • त्रिपुर सुंदरी शक्ति पीठ त्रिपुरा राज्य के उदयपुर (गोमती जिला) में स्थित है।
  • इसे त्रिपुरा सुंदरी मंदिर या माताबाड़ी मंदिर भी कहा जाता है।
  • यह मंदिर पूर्वोत्तर भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र स्थलों में से एक है।

3. पौराणिक मान्यता (Mythological Significance)

  • मान्यता के अनुसार, यहाँ माता सती का दाहिना पैर (दक्षिण चरण) गिरा था।
  • यहाँ माता को त्रिपुरा सुंदरी और भैरव को त्रिपुरेश कहा जाता है।
  • यह शक्ति पीठ तंत्र साधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे "शक्ति तंत्र की राजधानी" भी कहा जाता है।

4. विशेषताएँ (Unique Features)

  • मंदिर में माता की 26 इंच लंबी मूर्ति स्थित है, जिसे सोरोशी देवी के रूप में पूजा जाता है।
  • यह मंदिर तांत्रिक साधना के लिए प्रसिद्ध है और इसे "श्री यंत्र का जीवंत स्वरूप" माना जाता है।
  • माता की मूर्ति काली रूप में है, लेकिन इसे सुंदरी माना जाता है, जिससे त्रिपुर सुंदरी नाम पड़ा।
  • यहाँ की शक्ति अत्यंत जागृत मानी जाती है और साधक विशेष रूप से यहाँ तांत्रिक अनुष्ठान करते हैं।

5. धार्मिक महत्व (Religious Significance)

  • यह मंदिर मुक्ति, ज्ञान, धन, और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।
  • साधक यहाँ आकर तंत्र साधना, मंत्र सिद्धि और विशेष अनुष्ठान करते हैं।
  • श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएँ यहाँ पूरी होती हैं।
  • यह स्थान शक्ति, तंत्र और वैदिक परंपरा का अद्भुत संगम है।

6. त्योहार और अनुष्ठान (Festivals & Rituals)

  • नवरात्रि, दीपावली, और दुर्गा पूजा विशेष भव्यता से मनाई जाती है।
  • हर साल खासी समुदाय का पशु बलि अनुष्ठान यहाँ आयोजित होता है।
  • विशेष रूप से तांत्रिक साधक पूर्णिमा और अमावस्या को साधना के लिए यहाँ आते हैं।

7. मंदिर की वास्तुकला (Temple Architecture)

  • यह मंदिर बंगाल शैली की वास्तुकला में बना हुआ है।
  • श्री यंत्र के आधार पर इसकी संरचना की गई है, जिससे इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा अत्यधिक शक्तिशाली मानी जाती है।
  • मंदिर परिसर में एक विशाल कुंड (कल्याण सागर) स्थित है, जिसमें श्रद्धालु स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं।

8. प्रसिद्धि के कारण (Reasons for Fame)

  • 51 शक्ति पीठों में से एक होने के कारण श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र।
  • तंत्र साधना और आध्यात्मिक शक्ति के लिए विश्व प्रसिद्ध।
  • देवी त्रिपुरा सुंदरी का श्री यंत्र से सीधा संबंध।
  • यहाँ की शक्ति सिद्धपीठ मानी जाती है, जिससे साधकों को सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।

9. मनोकामना पूर्ति (Fulfillment of Wishes)

  • विशेष रूप से वैवाहिक सुख, संतान प्राप्ति, धन-वैभव और आध्यात्मिक उन्नति के लिए इस स्थान का अत्यधिक महत्व है।

10. यात्रा और पहुँच (How to Reach)

  • हवाई मार्ग: अगरतला हवाई अड्डा (55 किमी) निकटतम हवाई अड्डा है।
  • रेल मार्ग: अगरतला रेलवे स्टेशन से उदयपुर पहुँचा जा सकता है।
  • सड़क मार्ग: त्रिपुरा के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।

 

📖 कालिका पुराण

"त्रिपुरा सुंदरीं देवीं त्रिपुरेशं महेश्वरम्।
यत्र पादद्वयं देव्या नित्यं तिष्ठति सांप्रतम्॥"

📖 हिंदी अर्थ:
त्रिपुरा सुंदरी देवी और त्रिपुरेश भैरव जहाँ स्थित हैं, वहाँ देवी के दाहिने चरण का पतन हुआ था।


📖 देवी भागवत पुराण

"त्रिपुरा सुंदरी देवी त्रैलोक्य विजयप्रदा।
यस्याः पूजन मात्रेण सर्वसिद्धिः प्रजायते॥"

📖 हिंदी अर्थ:
त्रिपुरा सुंदरी देवी तीनों लोकों को विजय दिलाने वाली हैं। उनकी पूजा करने मात्र से सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।


📍 मंदिर की विशेषताएँ

🔹 यह शक्तिपीठ श्री चक्र (महाविद्या तंत्र) साधना का केंद्र है।
🔹 देवी का विग्रह काले पत्थर से बना हुआ है और इसे श्री महालक्ष्मी और महाकाली का संयुक्त रूप माना जाता है।
🔹 त्रिपुरेश भैरव (Tripuresh Bhairava) का शास्त्रों में वर्णन मुख्य रूप से तंत्र ग्रंथों और शिवपुराण में मिलता है। वे भगवान शिव के उग्र रूप माने जाते हैं, जो सृष्टि, संहार और तंत्र साधना के अधिष्ठाता हैं।

शास्त्रों के अनुसार त्रिपुरेश भैरव का स्वरूप:

  1. रूप और वेशभूषा:
    • शरीर पर भस्म का लेप
    • गले में रुद्राक्ष और नरमुंड माला
    • बाल बिखरे हुए और जटाजूटधारी
  2. अस्त्र-शस्त्र:
    • त्रिशूल (शक्ति का प्रतीक)
    • डमरू (सृष्टि का कंपन)
    • खड्ग (न्याय और शक्ति का संकेत)
    • खप्पर (तंत्र एवं योग का प्रतीक

त्रिपुरेश भैरव (Tripuresh Bhairava) का शास्त्रों में वर्णन मुख्य रूप से तंत्र ग्रंथों और शिवपुराण में मिलता है। वे भगवान शिव के उग्र रूप माने जाते हैं, जो सृष्टि, संहार और तंत्र साधना के अधिष्ठाता हैं।

शास्त्रों के अनुसार त्रिपुरेश भैरव का स्वरूप:

  1. रूप और वेशभूषा:
    • शरीर पर भस्म का लेप
    • गले में रुद्राक्ष और नरमुंड माला
    • बाल बिखरे हुए और जटाजूटधारी
  2. अस्त्र-शस्त्र:
    • त्रिशूल (शक्ति का प्रतीक)
    • डमरू (सृष्टि का कंपन)
    • खड्ग (न्याय और शक्ति का संकेत)
    • खप्पर (तंत्र एवं योग का प्रतीक

र में बांग्ला शैली की वास्तुकला है, जिसमें 51 शक्तिपीठों की ऊर्जा समाहित मानी जाती है।


📍 त्रिपुरा सुंदरी देवी की तांत्रिक साधना

🔸 यह स्थान महाविद्या तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है।
🔸 यहाँ पर श्री चक्र और त्रिपुर सुंदरी यंत्र की पूजा की जाती है।
🔸 यह राजसत्ता, विजय, ऐश्वर्य, सौंदर्य और सिद्धि का पीठ है।

🔹 त्रिपुर सुंदरी मंत्र:

"ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरे देवी महालक्ष्म्यै नमः॥"

🔹 साधना विधि:
पूर्णिमा रात्रि में लाल वस्त्र धारण कर श्री चक्र के समक्ष दीपक जलाएँ।
श्री चक्र को कमल पुष्प, कुमकुम, और घी का दीपक अर्पित करें।
इस मंत्र का 108 बार जाप करें।


📍 त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ की विशेषताएँ

🔹 राजयोग, ऐश्वर्य और विजय प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावी स्थान।
🔹 गुप्त नवरात्रि, पूर्णिमा और महालक्ष्मी पूजन में विशेष महत्व।


त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ में देवी का दाहिना चरण स्थित है।
यहाँ पर त्रिपुरेश भैरव की पूजा भी होती है।
यह महाविद्या और श्री चक्र साधना के लिए अत्यंत प्रसिद्ध स्थान है।

2- त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ का उल्लेख विभिन्न ग्रंथों में मिलता है, जिनमें देवी की महिमा, पूजा विधि, और तांत्रिक साधनाओं का वर्णन किया गया है।​

1. ग्रंथों में उल्लेख:

    ललिता सहस्रनाम (Lalita Sahasranama): यह ग्रंथ 'ब्रह्माण्ड पुराण' के ललितोपाख्यान में स्थित है, जिसमें देवी ललिता (त्रिपुरा सुंदरी) के एक हजार नामों का वर्णन है। इन नामों में देवी की विभिन्न शक्तियों और स्वरूपों का विवरण मिलता है। यह ग्रंथ देवी की स्तुति और उपासना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। ​

    त्रिपुरा रहस्य (Tripura Rahasya): यह ग्रंथ त्रिपुरा सुंदरी की महानता और अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों पर केंद्रित है। इसमें देवी को सर्वोच्च चेतना के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव से भी ऊपर हैं। यह ग्रंथ साधकों को आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक ज्ञान की ओर मार्गदर्शन करता है। ​

    त्रिपुरा उपनिषद (Tripura Upanishad): यह उपनिषद ऋग्वेद से संबंधित है और इसमें देवी त्रिपुरा सुंदरी को ब्रह्मांड की परम शक्ति के रूप में वर्णित किया गया है। इसमें त्रिपुरा का अर्थ तीन मार्गोंकर्म, उपासना, और ज्ञानसे जोड़ा गया है, जो साधकों को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाते हैं। ​

2. विशेष तिथि और माह:

त्रिपुरा सुंदरी की पूजा के लिए नवरात्रि (चैत्र और आश्विन माह) का समय विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा, पूर्णिमा और शुक्रवार के दिन भी देवी की उपासना के लिए शुभ माने जाते हैं।​

3. त्रिपुरेश भैरव:

    आवाहन और ध्यान: देवी का आह्वान करें और उनके स्वरूप का ध्यान करें।​

    स्नान और शुद्धिकरण: मूर्ति या चित्र को गंगाजल से स्नान कराएं और शुद्ध करें।​

    अभिषेक: पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से अभिषेक करें।​

    वस्त्र और आभूषण: देवी को नए वस्त्र और आभूषण अर्पित करें।​

    पुष्पांजलि: लाल पुष्प, विशेषकर गुड़हल, अर्पित करें।​

    धूप और दीप: धूप और दीप प्रज्वलित करें, दीपक की बाती पूर्व दिशा की ओर रखें।​

    नैवेद्य: मिठाई, फल, और पान का भोग लगाएं।​

    आरती और मंत्र जाप: आरती करें और देवी के मंत्रों का जाप करें।​

4. मंत्र:

"ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरायै नमः"​

इस मंत्र का जाप 108 बार करें, जिससे मानसिक शांति, सौंदर्य, और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।​

5. अर्पण सामग्री:

    पुष्प: लाल गुड़हल​

    नैवेद्य: मिठाई, फल, पान​

    वस्त्र: लाल या गुलाबी रंग के वस्त्र​

    आभूषण: चूड़ी, बिंदी, सिंदूर​

6. दीपक, वर्तिका, दिशा, और परिक्रमा:

    दीपक: घी का दीपक प्रज्वलित करें, बाती पूर्व दिशा की ओर रखें।​

    परिक्रमा: देवी की मूर्ति के चारों ओर दक्षिणावर्त (दक्षिण से उत्तर की ओर) परिक्रमा करें।​

7. विशेष महत्वपूर्ण रहस्य:

त्रिपु तारा तारिणी शक्तिपीठ का सम्पूर्ण विवरण]रा सुंदरी की उपासना में श्रीचक्र का विशेष महत्व है। श्रीचक्र, जिसे श्री यंत्र भी कहा जाता है, देवी का प्रतीकात्मक रूप है और इसकी साधना से साधक को आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं।

 


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