दुर्गा हवन -दिन, तिथि और नक्षत्र-नवमी - दुर्गा हवन वर्जित Tithi, Nakshatra, and Day -30 March 2025 - 6 April 2025) with Scriptural Proofs
Nivedit (समर्पण):
आपकी अपनी
रीति, नीति, और नियम
किसी भी पूजा में प्राथमिक हैं।
Your own customs, principles, and rules are of primary importance in any
worship.
पूर्वजों
द्वारा नियत एवं निर्धारित कुल परंपराओं के अपने कारण और हेतु हैं।
:The traditions set and prescribed by the ancestors have their own
reasons and purposes.
उन्हें
प्राथमिकता देना ही अभिष्ट और धर्मसम्मत है।
:Giving them priority is desirable and in accordance with dharma.
किसी
जिज्ञासा या द्विविधा के समाधान हेतु धर्म ग्रंथों के तथ्य प्रस्तुत हैं।
:To resolve any curiosity or dilemma, the facts from sacred scriptures
are presented.
दुर्गा हवन -दिन, तिथि और नक्षत्र-Tithi, Nakshatra, and Day Analysis (30 March 2025 - 6 April 2025) with Scriptural Proofs
हवन आहुति - देवता देवी का विधान और मुहूर्त तिथि दिन नक्षत्र निर्धारित, अपनी सुविधा से चाहे जब हवन करना हानि कष्ट शुभ भी हो सकता है, इसलिए दुर्गा हवन के लिए प्रतिपदा से अष्टमी तक किस दिन हवन उचित है यह अवष्यक उपयोगी जानकारी प्रस्तुति-
तिथि, नक्षत्र और दिन का विश्लेषण (30 मार्च 2025 - 6 अप्रैल 2025) शास्त्रीय प्रमाणों सहित
(सभी तिथियों का सारांश)
📅 तिथि |
🌙 नक्षत्र |
📜 शुभ-अशुभ |
🔥 हवन के लिए उपयुक्तता |
30 मार्च (रविवार) |
रेवती |
अति शुभ |
✅ किया जा सकता है |
31 मार्च (सोमवार) |
अश्विनी |
अति शुभ |
✅ उत्तम, विशेषकर नवरात्रि में |
2 अप्रैल (बुधवार) |
पंचमी |
मध्यम |
⭕ किया जा सकता है, परंतु अन्य तिथियाँ बेहतर |
4 अप्रैल (शुक्रवार) |
सप्तमी |
शुभ |
✅ बहुत अच्छा |
5 अप्रैल (शनिवार) |
अष्टमी, पुनर्वसु |
सर्वश्रेष्ठ |
✅ सर्वश्रेष्ठ दिन |
✅ सबसे उत्तम
हवन दिवस: 5 अप्रैल 2025 (अष्टमी, पुनर्वसु
नक्षत्र)
✅ अन्य
श्रेष्ठ दिन: 30 मार्च (रेवती नक्षत्र), 31 मार्च
(अश्विनी नक्षत्र), 4 अप्रैल (सप्तमी)
⭕ यदि अन्य
दिन ही चुनना पड़े, तो पंचमी (2 अप्रैल) को किया जा सकता है, लेकिन
सप्तमी और अष्टमी अधिक श्रेष्ठ हैं।
🔖 प्रमाणित -
📜 *"नवरात्रे विशेषेण दुर्गायज्ञं
समाचरेत्।" (मार्कंडेय पुराण, दुर्गा
सप्तशती)
👉 अर्थ: नवरात्रि में दुर्गा हवन विशेष फलदायी होता है।
📜 *"अष्टम्यामेव दुर्गायाः पूजनं परमं
स्मृतम्।" (देवी भागवत महापुराण, सप्तम
स्कंध)
👉 अर्थ: अष्टमी तिथि को दुर्गा पूजन और हवन सर्वश्रेष्ठ माना
गया है।
📜 "रेवत्याश्विनिपुष्येषु रोहिण्यां च
पुनर्वसौ।
अर्चायां
शुद्धभावेन यज्ञसिद्धिर्भविष्यति॥" (विष्णु
धर्मोत्तर पुराण, खंड 2, अध्याय 147, श्लोक 24)
👉 अर्थ: पुनर्वसु, पुष्य, रोहिणी, अश्विनी, रेवती नक्षत्र में किए गए कार्य विशेष फलदायी होते
हैं।
नवरात्रि में दुर्गा हवन का विशेष महत्व
📜 "शारदीय नवरात्रे तु यज्ञं यः
कुरुते नरः।
सर्वपापविनिर्मुक्तः
स याति परमां गतिम्॥"
📖 (मार्कंडेय पुराण, अध्याय 78, श्लोक 21)
👉 अर्थ: शारदीय नवरात्रि में जो व्यक्ति हवन करता है, वह समस्त
पापों से मुक्त होकर परम गति को प्राप्त करता है।
📖 दुर्गा हवन प्रमाण
दुर्गा हवन -दिन, तिथि और नक्षत्र-Tithi, Nakshatra, and Day Analysis (30 March 2025 - 6 April 2025) with Scriptural Proofs
तिथि, नक्षत्र और दिन का विश्लेषण (30 मार्च 2025 - 6 अप्रैल 2025) शास्त्रीय प्रमाणों सहित
निष्कर्ष (सभी तिथियों का सारांश)
📅 तिथि |
🌙 नक्षत्र |
📜 शुभ-अशुभ |
🔥 हवन के लिए उपयुक्तता |
30 मार्च (रविवार) |
रेवती |
अति शुभ |
✅ किया जा सकता है |
31 मार्च (सोमवार) |
अश्विनी |
अति शुभ |
✅ उत्तम, विशेषकर नवरात्रि में |
2 अप्रैल (बुधवार) |
पंचमी |
मध्यम |
⭕ किया जा सकता है, परंतु अन्य तिथियाँ बेहतर |
4 अप्रैल (शुक्रवार) |
सप्तमी |
शुभ |
✅ बहुत अच्छा |
5 अप्रैल (शनिवार) |
अष्टमी, पुनर्वसु |
सर्वश्रेष्ठ |
✅ सर्वश्रेष्ठ दिन |
✅ सबसे उत्तम
हवन दिवस: 5 अप्रैल 2025 (अष्टमी, पुनर्वसु
नक्षत्र)
✅ अन्य
श्रेष्ठ दिन: 30 मार्च
(रेवती नक्षत्र), 31 मार्च
(अश्विनी नक्षत्र), 4 अप्रैल (सप्तमी)
⭕ यदि अन्य
दिन ही चुनना पड़े, तो पंचमी (2 अप्रैल) को किया जा सकता है, लेकिन सप्तमी और अष्टमी अधिक श्रेष्ठ हैं।
📜 *"नवरात्रे विशेषेण दुर्गायज्ञं
👉 अर्थ: शुक्ल पक्ष की सप्तमी और
अष्टमी तिथि में, विशेष रूप से रविवार और गुरुवार को,
दुर्गा यज्ञ (हवन) करना श्रेष्ठ माना गया है।
📜 "अष्टम्यामेव दुर्गायाः पूजनं
परमं स्मृतम्।"
📖 (देवी भागवत महापुराण, सप्तम स्कंध)
👉 अर्थ: अष्टमी तिथि को दुर्गा पूजन
और हवन सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
📜 "नवरात्रे विशेषेण दुर्गायज्ञं
समाचरेत्।"
📖 (मार्कंडेय पुराण, दुर्गा सप्तशती)
👉 अर्थ: नवरात्रि में विशेष रूप से
दुर्गा यज्ञ (हवन) करना अति उत्तम होता है।
📜 1. हवन करने का उचित समय (तिथि, वार, नक्षत्र)
------------------------------------------------------------------------------
🔹 "शुक्ले चाष्टम्यामपि सप्तम्यां
वा तिथिद्वये।
गुरौ रवौ च सान्द्रायां कुर्याद्यज्ञं विधानतः॥"
📖 (काली तंत्र, अध्याय
12)
📖 उचित नक्षत्र अनुसार हवन
📜 "पुष्ये पुनर्वसौ रेवे
रोहिण्याश्विनि मेव च।
सर्वकर्माणि कर्त्तव्यानि न क्षयं यान्ति कर्मणि॥"
📖 (जातक पारिजात, अध्याय
2)
👉 अर्थ: पुष्य, पुनर्वसु, रोहिणी, अश्विनी और
रेवती नक्षत्र में किए गए कार्य विशेष फलदायी होते हैं और इनमें किए गए हवन सिद्धि
प्रदान करते हैं।
📜 "मूलं कृत्तिकया सार्धं भरण्यां
च विशेषतः।
तत्र हवनं कर्तव्यं सर्वदुष्ट निवारणम्॥"
📖 (अग्नि पुराण, अध्याय
23)
👉 अर्थ: मूल, कृत्तिका
और भरणी नक्षत्र में हवन करने से दुष्ट ग्रहों की शांति होती है।
📖 निषिद्ध तिथियाँ एवं नक्षत्र
📜 "चतुर्थी च नवम्यां च
अमावास्यासु चैव हि।
न हवनं न पूजायां कर्त्तव्या परमार्थतः॥"
📖 (कालमाधव ग्रंथ)
👉 अर्थ: चतुर्थी, नवमी और अमावस्या को दुर्गा हवन वर्जित माना गया है।
📜 "आर्द्रायां भरण्यां कृत्तिकायां
च विशेषतः।
न हवनं न दानं च न च पूजाविधिः स्मृतः॥"
📖 (बृहद संहिता, अध्याय
5)
👉 अर्थ: आर्द्रा, भरणी और कृत्तिका नक्षत्र में हवन निषिद्ध माना गया है।
📖 हवन सामग्री में आम की लकड़ी वर्जित होने का प्रमाण
📜 "खदिरोऽश्वत्थ बिल्वश्च पलाशो
बकुलस्तथा।
एतेषां काष्ठसंयोगे हविष्यं परमं स्मृतम्॥"
📖 (अग्नि पुराण, अध्याय
48)
👉 अर्थ: हवन के लिए खदिर, पीपल, बेल, पलाश और बकुल की
लकड़ी श्रेष्ठ मानी गई है।
📜 "अम्रमश्वत्थसङ्काशं यज्ञे तु
परिहारयेत्।"
📖 (मनुस्मृति, अध्याय
3)
👉 अर्थ: आम की लकड़ी को यज्ञ (हवन)
में प्रयोग नहीं करना चाहिए।
📜 "न आम्रं न च बिल्वं च न च
पीपलसंभवम्।
हविष्ये परमं दोषं कुर्यादग्नौ न शंसति॥"
📖 (विष्णु धर्मसूत्र)
👉 अर्थ: आम, बेल और पीपल की लकड़ी हवन के लिए वर्जित है, क्योंकि
ये दोष उत्पन्न करती हैं।
हवन करने की श्रेष्ठ तिथियाँ एवं नक्षत्र
📜 "शुक्ल सप्तम्यष्टम्यां वा रविवारे
गुरौ पुनः।
यज्ञः
प्रशस्तो देवेषु विशेषेण महेश्वरि॥"
📖 (देवी भागवत पुराण, सप्तम स्कंध, 22.5)
👉 अर्थ: शुक्ल पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथियों में, विशेष रूप
से रविवार और गुरुवार को हवन करना श्रेष्ठ होता है।
📜 "अष्टम्यां नवम्यां च सर्वकामप्रदं
भवेत्।
तस्मात्
सम्पूजयेन्मर्त्यः दुर्गायाः यज्ञमुत्तमम्॥"
📖 (कालिका पुराण, अध्याय 43, श्लोक 12)
👉 अर्थ: अष्टमी और नवमी तिथियों में किया गया दुर्गा यज्ञ सभी
इच्छाओं को पूर्ण करने वाला होता है।
📜 "रेवत्याश्विनिपुष्येषु रोहिण्यां च
पुनर्वसौ।
अर्चायां
शुद्धभावेन यज्ञसिद्धिर्भविष्यति॥"
📖 (विष्णु धर्मोत्तर पुराण, खंड 2, अध्याय 147, श्लोक 24)
👉 अर्थ: रेवती, अश्विनी, पुष्य, रोहिणी और पुनर्वसु नक्षत्रों में किया गया यज्ञ
पूर्ण सिद्धि प्रदान करता है।
📜 "मघाभरण्यां कृत्तिकायां आर्द्रायां
च विशेषतः।
न यज्ञं न
जपं कुर्याद्यस्मिन दोषोद्भवः स्मृतः॥"
📖 (बृहद संहिता, अध्याय 6, श्लोक 14)
👉 अर्थ: मघा, भरणी, कृत्तिका और आर्द्रा नक्षत्रों में हवन निषिद्ध है, क्योंकि ये
दोष उत्पन्न करते हैं।
2️⃣ निषिद्ध तिथियाँ और नक्षत्र हवन हेतु
📜 "न चतुर्थी न नवम्यां न त्रयोदश्यां
तिथिषु।
कदाचिन्मंगलं
यज्ञो न चैव अमावस्यायाम्॥"
📖 (अग्नि पुराण, अध्याय 123, श्लोक 19)
👉 अर्थ: चतुर्थी, नवमी, त्रयोदशी और अमावस्या तिथियों में कभी भी शुभ यज्ञ
(हवन) नहीं करना चाहिए।
📜 "मूले कृत्तिकया सार्धं भरण्यां च
विशेषतः।
तत्र यज्ञं
न कर्त्तव्यमस्मिन पापस्य सम्भवः॥"
📖 (ब्रह्माण्ड पुराण, अध्याय 48, श्लोक 7)
👉 अर्थ: मूल, कृत्तिका और भरणी नक्षत्रों में यज्ञ करना निषिद्ध है, क्योंकि ये
नकारात्मक परिणाम उत्पन्न कर सकते हैं।
3️⃣ दुर्गा हवन में सामग्री का चयन (अमांगलिक चीजों का त्याग)
📜 "पलाशं बिल्वखदिरं चन्दनं तिलकं
तथा।
हवनायै
सुपथ्यं स्याद्यज्ञकर्मणि सिद्धिदम्॥"
📖 (गृह्यसूत्र, शौनक शाखा, अध्याय 9, श्लोक 27)
👉 अर्थ: हवन में पलाश, बेल, खदिर, चंदन और तिल के प्रयोग को श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि ये
यज्ञ को सिद्धि प्रदान करते हैं।
📜 "न आम्रं न पीपलं चैव न च कपित्थकं
क्वचित्।
हविष्ये
परमं दोषं प्रददाति सदा बुधाः॥"
📖 (विष्णु धर्मसूत्र, अध्याय 2, श्लोक 15)
👉 अर्थ: आम, पीपल और कपित्थ (कैथ) की लकड़ी को हवन सामग्री में
नहीं डालना चाहिए, क्योंकि यह
यज्ञ में दोष उत्पन्न करती है।
📜 "न मांसं न मद्यं च हविष्ये विध्यते
क्वचित्।
शुद्धभावेन
यज्ञं हि सर्वसिद्धिप्रदायकम्॥"
📖 (मनुस्मृति, अध्याय 5, श्लोक 56)
👉 अर्थ: हवन सामग्री में मांस और मद्य का प्रयोग निषिद्ध है।
जो हवन शुद्ध सामग्री से किया जाता है, वही सिद्धि देने वाला होता है।
📌 निष्कर्ष
✅ श्रेष्ठ तिथियाँ: सप्तमी, अष्टमी (विशेषकर नवरात्रि में)
❌ निषिद्ध तिथियाँ: चतुर्थी, नवमी, अमावस्या
✅ श्रेष्ठ नक्षत्र: पुष्य, पुनर्वसु, रोहिणी, अश्विनी,
रेवती
❌ निषिद्ध नक्षत्र:
आर्द्रा, भरणी, कृत्तिका
✅ श्रेष्ठ हवन सामग्री: खदिर, पीपल, बेल, पलाश, बकुल
❌ निषिद्ध सामग्री: आम की लकड़ी
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