सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

नक्षत्र के (Birth Star's unfav star and remedy)अशुभ नक्षत्र, मंत्र एवं दान

 


 

 BIRTH नक्षत्र के अशुभ नक्षत्र, मंत्र एवं दान

 यहाँ प्रत्येक नक्षत्र के तीन अशुभ नक्षत्रों के लिए अलग-अलग मंत्र और दान दिए गए हैं:

मुख्य नक्षत्रअशुभ नक्षत्र 1मंत्र 1दान 1अशुभ नक्षत्र 2मंत्र 2दान 2अशुभ नक्षत्र 3मंत्र 3दान 3
अश्विनीमृगशिराॐ सोमाय नमःचावल, दूधपुनर्वसुॐ अदितये नमःघी, शक्करमघाॐ पितृभ्यः स्वधा नमःअन्न, जल
भरणीआर्द्राॐ रुद्राय नमःरुद्राक्ष, शहदपुष्यॐ बृहस्पतये नमःहल्दी, चने की दालपूर्वा फाल्गुनीॐ भगाय नमःगुड़, तिल
कृतिकापुनर्वसुॐ अदितये नमःसफेद वस्त्रआश्लेषाॐ नागाय नमःतांबे की वस्तुएँउत्तर फाल्गुनीॐ अर्यमाय नमःदूध, चावल
रोहिणीपुष्यॐ बृहस्पतये नमःहल्दी, चने की दालमघाॐ पितृभ्यः स्वधा नमःअन्न, जलहस्तॐ सवित्रे नमःसोना, घी
मृगशिराआश्लेषाॐ नागाय नमःतांबे की वस्तुएँपूर्वा फाल्गुनीॐ भगाय नमःगुड़, तिलचित्राॐ त्वष्ट्रे नमःशहद, वस्त्र
आर्द्रामघाॐ पितृभ्यः स्वधा नमःअन्न, जलउत्तर फाल्गुनीॐ अर्यमाय नमःदूध, चावलस्वातिॐ वायवे नमःधान, काले तिल
पुनर्वसुहस्तॐ सवित्रे नमःसोना, घीचित्राॐ त्वष्ट्रे नमःशहद, वस्त्रविशाखाॐ इन्द्राय नमःशक्कर, घी
पुष्यस्वातिॐ वायवे नमःधान, काले तिलअनुराधाॐ मित्राय नमःकंबल, तेलज्येष्ठाॐ इन्द्राय नमःचांदी, पीला वस्त्र
आश्लेषाचित्राॐ त्वष्ट्रे नमःशहद, वस्त्रविशाखाॐ इन्द्राय नमःशक्कर, घीमूलॐ निर्ऋतये नमःकाले वस्त्र, तिल
मघाअनुराधाॐ मित्राय नमःकंबल, तेलज्येष्ठाॐ इन्द्राय नमःचांदी, पीला वस्त्रधनिष्ठाॐ वसुभ्यः नमःसोना, गुड़
पूर्वा फाल्गुनीविशाखाॐ इन्द्राय नमःशक्कर, घीमूलॐ निर्ऋतये नमःकाले वस्त्र, तिलशतभिषाॐ वरुणाय नमःजल, चांदी
उत्तर फाल्गुनीज्येष्ठाॐ इन्द्राय नमःचांदी, पीला वस्त्रधनिष्ठाॐ वसुभ्यः नमःसोना, गुड़पूर्वा भाद्रपदॐ अजैकपादाय नमःकाले वस्त्र, तिल
हस्तमूलॐ निर्ऋतये नमःकाले वस्त्र, तिलशतभिषाॐ वरुणाय नमःजल, चांदीउत्तर भाद्रपदॐ अहिर्बुध्न्याय नमःतांबे की वस्तुएँ
चित्राधनिष्ठाॐ वसुभ्यः नमःसोना, गुड़पूर्वा भाद्रपदॐ अजैकपादाय नमःकाले वस्त्र, तिलरेवतीॐ पूषणे नमःशहद, पीला वस्त्र
स्वातिशतभिषाॐ वरुणाय नमःजल, चांदीउत्तर भाद्रपदॐ अहिर्बुध्न्याय नमःतांबे की वस्तुएँअश्विनीॐ अश्विनीकुमाराय नमःतिल, गुड़
विशाखापूर्वा भाद्रपदॐ अजैकपादाय नमःकाले वस्त्र, तिलरेवतीॐ पूषणे नमःशहद, पीला वस्त्रभरणीॐ यमाय नमःकाला तिल, लोहे की वस्तुएँ
अनुराधाउत्तराषाढ़ाॐ विश्वेदेवाय नमःसफेद वस्त्रअश्विनीॐ अश्विनीकुमाराय नमःतिल, गुड़कृतिकाॐ अग्नये नमःघी, गुड़
ज्येष्ठारेवतीॐ पूषणे नमःशहद, पीला वस्त्रभरणीॐ यमाय नमःकाला तिल, लोहे की वस्तुएँरोहिणीॐ ब्रह्मणे नमःचावल, दूध
मूलअश्विनीॐ अश्विनीकुमाराय नमःतिल, गुड़कृतिकाॐ अग्नये नमःघी, गुड़मृगशिराॐ सोमाय नमःचावल, दूध
पूर्वाषाढ़ाभरणीॐ यमाय नमःकाला तिल, लोहे की वस्तुएँरोहिणीॐ ब्रह्मणे नमःचावल, दूधआर्द्राॐ रुद्राय नमःरुद्राक्ष, शहद
उत्तराषाढ़ाकृतिकाॐ अग्नये नमःघी, गुड़मृगशिराॐ सोमाय नमःचावल, दूधपुनर्वसुॐ अदितये नमःघी, शक्कर
श्रवणरोहिणीॐ ब्रह्मणे नमःचावल, दूधआर्द्राॐ रुद्राय नमःरुद्राक्ष, शहदपुष्यॐ बृहस्पतये नमःहल्दी, चने की दाल
धनिष्ठामृगशिराॐ सोमाय नमःचावल, दूधपुनर्वसुॐ अदितये नमःघी, शक्करआश्लेषाॐ नागाय नमःतांबे की वस्तुएँ
शतभिषाआर्द्राॐ रुद्राय नमःरुद्राक्ष, शहदपुष्यॐ बृहस्पतये नमःहल्दी, चने की दाल

अश्विनी नक्षत्र

  1. मृगशिरा नक्षत्र के लिए - "ॐ सोमाय नमः" मंत्र का जाप करें और चावल व दूध का दान करें।

  2. पुनर्वसु नक्षत्र के लिए - "ॐ अदितये नमः" मंत्र का जाप करें और घी व शक्कर का दान करें।

  3. मघा नक्षत्र के लिए - "ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः" मंत्र का जाप करें और अन्न व जल का दान करें।

भरणी नक्षत्र

  1. आर्द्रा नक्षत्र के लिए - "ॐ रुद्राय नमः" मंत्र का जाप करें और रुद्राक्ष व शहद का दान करें।

  2. पुष्य नक्षत्र के लिए - "ॐ बृहस्पतये नमः" मंत्र का जाप करें और हल्दी व चने की दाल का दान करें।

  3. पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के लिए - "ॐ भगाय नमः" मंत्र का जाप करें और गुड़ व तिल का दान करें।

कृतिका नक्षत्र

  1. पुनर्वसु नक्षत्र के लिए - "ॐ अदितये नमः" मंत्र का जाप करें और सफेद वस्त्र का दान करें।

  2. आश्लेषा नक्षत्र के लिए - "ॐ नागाय नमः" मंत्र का जाप करें और तांबे की वस्तुओं का दान करें।

  3. उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र के लिए - "ॐ अर्यमाय नमः" मंत्र का जाप करें और दूध व चावल का दान करें।

रोहिणी नक्षत्र

  1. पुष्य नक्षत्र के लिए - "ॐ बृहस्पतये नमः" मंत्र का जाप करें और हल्दी व चने की दाल का दान करें।

  2. मघा नक्षत्र के लिए - "ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः" मंत्र का जाप करें और अन्न व जल का दान करें।

  3. हस्त नक्षत्र के लिए - "ॐ सवित्रे नमः" मंत्र का जाप करें और सोना व घी का दान करें।

मृगशिरा नक्षत्र

  1. आश्लेषा नक्षत्र के लिए - "ॐ नागाय नमः" मंत्र का जाप करें और तांबे की वस्तुओं का दान करें।

  2. पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के लिए - "ॐ भगाय नमः" मंत्र का जाप करें और गुड़ व तिल का दान करें।

  3. चित्रा नक्षत्र के लिए - "ॐ त्वष्ट्रे नमः" मंत्र का जाप करें और शहद व वस्त्र का दान करें।

     

    आश्लेषा नक्षत्र के अशुभ नक्षत्र, उनके मंत्र और दान

    आश्लेषा नक्षत्र से जुड़े तीन अशुभ नक्षत्रों और उनके निवारण के उपाय निम्नलिखित हैं:

    1. चित्रा नक्षत्र (अशुभ प्रभाव निवारण)

  4. मंत्र: "ॐ त्वष्ट्रे नमः"
  5. दान: शहद, लाल वस्त्र और तांबे के बर्तन का दान करें।

2. विशाखा नक्षत्र (अशुभ प्रभाव निवारण)

  • मंत्र: "ॐ इन्द्राय नमः"
  • दान: तिल, शक्कर और पीले वस्त्र का दान करें।

3. मूल नक्षत्र (अशुभ प्रभाव निवारण)

  • मंत्र: "ॐ नारायणाय नमः"
  • दान: चावल, गुड़ और केले का दान करें।

विशेष उपाय:

  • नागदेवता की पूजा करें और सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
  • रुद्राभिषेक कराएं और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
  • भोजन में हल्दी और दूध का अधिक प्रयोग करें।
  1. पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र

  2. भरणी नक्षत्र के लिए - "ॐ यमाय नमः" मंत्र का जाप करें और तांबे की वस्तुओं का दान करें।
  3. रोहिणी नक्षत्र के लिए - "ॐ चंद्राय नमः" मंत्र का जाप करें और चावल व सफेद वस्त्र का दान करें।
  4. आर्द्रा नक्षत्र के लिए - "ॐ रुद्राय नमः" मंत्र का जाप करें और शहद व रुद्राक्ष का दान करें।

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र

  1. कृतिका नक्षत्र के लिए - "ॐ अग्नये नमः" मंत्र का जाप करें और तिल व तेल का दान करें।
  2. मृगशिरा नक्षत्र के लिए - "ॐ सोमाय नमः" मंत्र का जाप करें और दूध व सफेद पुष्प का दान करें।
  3. पुनर्वसु नक्षत्र के लिए - "ॐ अदितये नमः" मंत्र का जाप करें और घी व शक्कर का दान करें।

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र

  1. पुनर्वसु नक्षत्र के लिए - "ॐ अदितये नमः" मंत्र का जाप करें और घी व चावल का दान करें।
  2. आश्लेषा नक्षत्र के लिए - "ॐ नागाय नमः" मंत्र का जाप करें और तांबे की वस्तुओं का दान करें।
  3. पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के लिए - "ॐ भगाय नमः" मंत्र का जाप करें और गुड़ व तिल का दान करें।

पुनर्वसु नक्षत्र

  1. हस्त नक्षत्र के लिए - "ॐ सवित्रे नमः" मंत्र का जाप करें और सोना व घी का दान करें।
  2. चित्रा नक्षत्र के लिए - "ॐ त्वष्ट्रे नमः" मंत्र का जाप करें और शहद व वस्त्र का दान करें।
  3. विशाखा नक्षत्र के लिए - "ॐ इन्द्राय नमः" मंत्र का जाप करें और तिल व शक्कर का दान करें।

पुष्य नक्षत्र

  1. स्वाति नक्षत्र के लिए - "ॐ वायवे नमः" मंत्र का जाप करें और हरे वस्त्र व मूंग का दान करें।
  2. अनुराधा नक्षत्र के लिए - "ॐ मित्राय नमः" मंत्र का जाप करें और दीपक व कंबल का दान करें।
  3. ज्येष्ठा नक्षत्र के लिए - "ॐ वरुणाय नमः" मंत्र का जाप करें और जल व नीले पुष्पों का दान करें।

    विशाखा नक्षत्र

    1. आर्द्रा नक्षत्र के लिए - "ॐ रुद्राय नमः" मंत्र का जाप करें और शहद व रुद्राक्ष का दान करें।
    2. मूल नक्षत्र के लिए - "ॐ नारायणाय नमः" मंत्र का जाप करें और चावल व गुड़ का दान करें।
    3. श्रवण नक्षत्र के लिए - "ॐ विष्णवे नमः" मंत्र का जाप करें और पीले वस्त्र व हल्दी का दान करें।

    अनुराधा नक्षत्र

    1. उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के लिए - "ॐ विष्णवे नमः" मंत्र का जाप करें और पीले वस्त्र व हल्दी का दान करें।
    2. श्रवण नक्षत्र के लिए - "ॐ अच्युताय नमः" मंत्र का जाप करें और गाय को चारा खिलाएं।
    3. मघा नक्षत्र के लिए - "ॐ पितृभ्यः स्वाहा" मंत्र का जाप करें और तिल-गुड़ का दान करें।

    ज्येष्ठा नक्षत्र

    1. अश्विनी नक्षत्र के लिए - "ॐ केतवे नमः" मंत्र का जाप करें और काले तिल व लोहे का दान करें।
    2. पुष्य नक्षत्र के लिए - "ॐ बृहस्पतये नमः" मंत्र का जाप करें और हल्दी व चने की दाल का दान करें।
    3. शतभिषा नक्षत्र के लिए - "ॐ वरुणाय नमः" मंत्र का जाप करें और जल व नीले पुष्पों का दान करें।

    आर्द्रा नक्षत्र

    1. मघा नक्षत्र के लिए - "ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः" मंत्र का जाप करें और अन्न व जल का दान करें।
    2. उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र के लिए - "ॐ अर्यमाय नमः" मंत्र का जाप करें और दूध व चावल का दान करें।
    3. स्वाति नक्षत्र के लिए - "ॐ वायवे नमः" मंत्र का जाप करें और हरे वस्त्र व मूंग का दान करें।

    हस्त नक्षत्र

  4. मूल नक्षत्र के लिए - "ॐ रुद्राय नमः" मंत्र का जाप करें और रुद्राक्ष व शहद का दान करें।
  5. शतभिषा नक्षत्र के लिए - "ॐ वरुणाय नमः" मंत्र का जाप करें और जल व नीले पुष्पों का दान करें।
  6. उत्तर भाद्रपद नक्षत्र के लिए - "ॐ अच्युताय नमः" मंत्र का जाप करें और पीले वस्त्र व हल्दी का दान करें।

चित्रा नक्षत्र

  1. धनिष्ठा नक्षत्र के लिए - "ॐ मंगलाय नमः" मंत्र का जाप करें और लाल वस्त्र व मसूर दाल का दान करें।
  2. पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के लिए - "ॐ अदितये नमः" मंत्र का जाप करें और घी व चावल का दान करें।
  3. रेवती नक्षत्र के लिए - "ॐ वासुदेवाय नमः" मंत्र का जाप करें और पीले फल व वस्त्र का दान करें।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र

  1. पुनर्वसु नक्षत्र के लिए - "ॐ अदितये नमः" मंत्र का जाप करें और घी व सफेद वस्त्र का दान करें।
  2. आश्लेषा नक्षत्र के लिए - "ॐ नागाय नमः" मंत्र का जाप करें और तांबे की वस्तुओं का दान करें।
  3. पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के लिए - "ॐ भगाय नमः" मंत्र का जाप करें और गुड़ व तिल का दान करें।

उत्तर भाद्रपद नक्षत्र

  1. पुष्य नक्षत्र के लिए - "ॐ बृहस्पतये नमः" मंत्र का जाप करें और हल्दी व चने की दाल का दान करें।
  2. मघा नक्षत्र के लिए - "ॐ पितृभ्यः स्वाहा" मंत्र का जाप करें और तिल-गुड़ का दान करें।
  3. उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र के लिए - "ॐ अर्यमाय नमः" मंत्र का जाप करें और दूध व चावल का दान करें।

रेवती नक्षत्र

  1. आश्लेषा नक्षत्र के लिए - "ॐ नागाय नमः" मंत्र का जाप करें और तांबे की वस्तुओं का दान करें।
  2. पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के लिए - "ॐ भगाय नमः" मंत्र का जाप करें और गुड़ व तिल का दान करें।
  3. हस्त नक्षत्र के लिए - "ॐ सवित्रे नमः" मंत्र का जाप करें और सोना व घी का दान करें।

श्रवण नक्षत्र

  1. रोहिणी नक्षत्र के लिए - "ॐ चंद्राय नमः" मंत्र का जाप करें और चावल व दूध का दान करें।
  2. आर्द्रा नक्षत्र के लिए - "ॐ रुद्राय नमः" मंत्र का जाप करें और शहद व रुद्राक्ष का दान करें।
  3. पुष्य नक्षत्र के लिए - "ॐ बृहस्पतये नमः" मंत्र का जाप करें और हल्दी व चने की दाल का दान करें।

धनिष्ठा नक्षत्र

  1. मृगशिरा नक्षत्र के लिए - "ॐ सोमाय नमः" मंत्र का जाप करें और दूध व सफेद पुष्प का दान करें।
  2. पुनर्वसु नक्षत्र के लिए - "ॐ अदितये नमः" मंत्र का जाप करें और सफेद वस्त्र व घी का दान करें।
  3. आश्लेषा नक्षत्र के लिए - "ॐ नागाय नमः" मंत्र का जाप करें और तांबे की वस्तुओं का दान करें।

शतभिषा नक्षत्र

  1. आर्द्रा नक्षत्र के लिए - "ॐ रुद्राय नमः" मंत्र का जाप करें और शहद व रुद्राक्ष का दान करें।
  2. पुष्य नक्षत्र के लिए - "ॐ बृहस्पतये नमः" मंत्र का जाप करें और हल्दी व चने की दाल का दान करें।
  3. मघा नक्षत्र के लिए - "ॐ पितृभ्यः स्वाहा" मंत्र का जाप करें और तिल-गुड़ का दान करें।

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र

  1. कृतिका नक्षत्र के लिए - "ॐ अग्नये नमः" मंत्र का जाप करें और गुड़ व तिल का दान करें।
  2. मृगशिरा नक्षत्र के लिए - "ॐ सोमाय नमः" मंत्र का जाप करें और चावल व दूध का दान करें।
  3. पुनर्वसु नक्षत्र के लिए - "ॐ अदितये नमः" मंत्र का जाप करें और सफेद वस्त्र का दान करें।

मघा नक्षत्र

  1. अनुराधा नक्षत्र के लिए - "ॐ मित्राय नमः" मंत्र का जाप करें और दीपक व कंबल का दान करें।
  2. ज्येष्ठा नक्षत्र के लिए - "ॐ वरुणाय नमः" मंत्र का जाप करें और जल व नीले पुष्पों का दान करें।
  3. धनिष्ठा नक्षत्र के लिए - "ॐ कुबेराय नमः" मंत्र का जाप करें और धन व धातु का दान करें।

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र

  1. विशाखा नक्षत्र के लिए - "ॐ इन्द्राय नमः" मंत्र का जाप करें और तिल व शक्कर का दान करें।
  2. मूल नक्षत्र के लिए - "ॐ नारायणाय नमः" मंत्र का जाप करें और चावल व गुड़ का दान करें।
  3. शतभिषा नक्षत्र के लिए - "ॐ वरुणाय नमः" मंत्र का जाप करें और जल व नीले पुष्पों का दान करें।

उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र

  1. ज्येष्ठा नक्षत्र के लिए - "ॐ वरुणाय नमः" मंत्र का जाप करें और जल व नीले पुष्पों का दान करें।
  2. धनिष्ठा नक्षत्र के लिए - "ॐ कुबेराय नमः" मंत्र का जाप करें और धन व धातु का दान करें।
  3. पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के लिए - "ॐ अहिर्बुध्न्याय नमः" मंत्र का जाप करें और काले तिल व लोहे का दान करें।

निष्कर्ष

प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में नक्षत्रों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। यदि किसी विशेष नक्षत्र का प्रभाव नकारात्मक रूप में प्रकट हो रहा हो, तो उसके निवारण हेतु उपयुक्त मंत्रों का जाप और दान अत्यंत लाभकारी होता है। उचित उपायों को अपनाकर जीवन में संतुलन और सकारात्मकता लाई जा सकती है।

आपके नक्षत्र से जुड़े किसी भी प्रश्न के लिए आप हमें कमेंट में पूछ सकते हैं!


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्राद्ध की गूढ़ बाते ,किसकी श्राद्ध कब करे

श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चा...

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं ना...

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती...

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा ज...

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...