सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

✨ भ्रातृ द्वितीया / भाई दूज (Brothers Dwitiya) विधि और नियम– 16 मार्च 2025

भ्रातृ द्वितीया / भाई दूज (Brothers Dwitiya) – 16 मार्च 2025

🔹 यह पर्व क्षत्रिय परंपरा, शौर्य और भाईचारे से जुड़ा है। इस दिन भाइयों के सुख, समृद्धि और विजय की कामना से तिलक किया जाता है। 🔹 महाभारत और स्कंद पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। 🔹 इस दिन योद्धाओं और भाइयों की रक्षा एवं विजय के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं।

📜 क्यों मनाते हैं?

भ्रातृ द्वितीया का महत्व भाई और बहन के बीच प्रेम एवं कर्तव्य से जुड़ा हुआ है, लेकिन यह मुख्य रूप से क्षत्रियों (योद्धाओं) और सैन्य परंपराओं से जुड़ा एक विशेष पर्व है। यह पर्व धर्म, पराक्रम और भाईचारे को समर्पित होता है।

📖 प्रमाण शास्त्रों में

भ्रातृ द्वितीया का उल्लेख स्कंद पुराण और महाभारत के अनुशासन पर्व में मिलता है।

श्लोक: "भ्रातृद्वितीया सम्प्राप्ता धर्मार्जनफलप्रदा।

यस्यां भ्राता स्नेहमयीं पूजां प्राप्य सुखं वसेत्॥"

अर्थ: भ्रातृ द्वितीया वह पवित्र तिथि है, जो धर्म की रक्षा करने वाले भाइयों को सुख और विजय प्रदान करती है। इस दिन किया गया पूजन भाइयों के लिए कल्याणकारी होता है।

🎯 कैसे मनाते हैं?

इस दिन भाई की पूजा की जाती है, लेकिन यह पर्व विशेष रूप से योद्धाओं और राजवंशों से जुड़ा होता है। भाई को तिलक किया जाता है और विजय एवं दीर्घायु की प्रार्थना की जाती है।क्षत्रिय परिवारों में इस दिन शस्त्र-पूजन और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।

📜 इस पर्व का धार्मिक उल्लेख

🔹 धर्म-सिन्धु, निर्णय-सिन्धु तथा व्रतराज में इस दिन का कोई विशेष उल्लेख नहीं मिलता। 🔹 हालांकि, यह पर्व सांस्कृतिक रूप से भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा और कल्याण से जुड़ा है। 📖 पौराणिक 

🔖 कथा एवं इतिहास

यह पर्व प्राचीन काल में योद्धाओं और भाइयों के बीच रक्षा-संकल्प का प्रतीक था। इसका उल्लेख महाभारत और स्कंद पुराण में मिलता है। माना जाता है कि इस दिन भाइयों को विजय, रक्षा और धर्म का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता था।

होली के बाद मनाए जाने वाले भाई दूज, जिसे भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है, के संबंध में एक प्रमुख पौराणिक कथा प्रचलित है। यह कथा भाई-बहन के प्रेम और समर्पण को दर्शाती है।

कथा: एक नगर में एक वृद्धा रहती थी, जिसके एक पुत्र और एक पुत्री थे। पुत्री का विवाह हो चुका था। होली के बाद, पुत्र ने अपनी माँ से बहन के घर तिलक के लिए जाने की अनुमति मांगी। माँ ने अनुमति दे दी, और वह बहन के घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे एक नदी मिली, जिसने कहा कि वह उसका काल है, और नदी पार करते ही वह डूब जाएगा। भाई ने विनती की कि वह पहले अपनी बहन से तिलक करवा ले, फिर लौटकर अपने प्राण अर्पित करेगा। नदी ने उसे जाने दिया।

आगे चलकर उसे एक शेर मिला, जिसने भी उसे मारने की धमकी दी। भाई ने शेर से भी वही विनती की, और शेर ने उसे जाने दिया। फिर उसे एक साँप मिला, जिसने भी उसे डसने की धमकी दी। भाई ने साँप से भी वही विनती की, और साँप ने उसे जाने दिया।


🔱 तिलक का आध्यात्मिक महत्व (Mystical Importance of Tilak)

🟠 तिलक विधि और नियम:

बहनें अपने भाई के माथे पर रोली या कुमकुम से तिलक लगाती हैं। तिलक हमेशा दाएँ हाथ की अनामिका अंगुली से लगाना चाहिए, तर्जनी (इंडेक्स फिंगर) से तिलक लगाना अशुभ माना जाता है। तिलक के बाद आरती उतारना और मिष्ठान खिलाना शुभ होता है।

1. वैदिक तिलक मंत्र (ऋग्वेद से)

📜 मंत्र (हिंदी):
🔹 "ऊर्ध्वं गच्छतु मे पुण्यं, पापं च पततु अधः।
श्रीराम स्मरणेनैव, तिलकोऽयं धरिष्यते॥"

📜 मंत्र (रोमन इंग्लिश):
🔹 "Ūrdhva gacchatu me puya, pāpa ca patatu adha
Śrīrāma smara
enaiva, tilako'ya dhariyate॥"

📖 🌿 ग्रंथ प्रमाण:
ऋग्वेद (Rigveda) – यह मंत्र पुण्य को बढ़ाने और पापों को नष्ट करने के लिए तिलक लगाने के महत्व को बताता है।

तिलक (टीका) लगाने का प्रमाणित मंत्र

📜 मंत्र (हिंदी):
🔹 "ललाटे सततं पाण्डुं तिलकं धर्मलक्षणम्।
सर्वपापहरं दिव्यं सर्वसौभाग्यवर्धनम्॥"

📜 मंत्र (रोमन इंग्लिश):
🔹 "Lalāe satataṇḍu tilaka dharmalakaam
Sarvapāpahara
divya sarvasaubhāgyavardhanam॥"

📖 🌿 ग्रंथ प्रमाण:
स्कंद पुराण (Skanda Purana) – तिलक लगाने से धर्म की रक्षा होती है, पापों का नाश होता है और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

 3-तिलक मंत्र (नारद पंचरात्र से)

📜 मंत्र (हिंदी):
🔹 "ऊर्ध्वं पुण्ड्रं वयं दृष्ट्वा ब्रह्मविष्णुशिवात्मकम्।
पावनं सर्वलोकानां धन्यं त्रैलोक्यमण्डनम्॥"

📜 मंत्र (रोमन इंग्लिश):
🔹 "Ūrdhva puṇḍra vaya dṛṣṭvā brahma-viṣṇu-śivātmakam
Pāvana
sarvalokānā dhanya trailokyamaṇḍanam॥"

📖 🌿 ग्रंथ प्रमाण:
नारद पंचरात्र (Narada Pancharatra) –  ऊर्ध्व तिलक लगाने से विष्णु, ब्रह्मा और शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

🕉तिलक और आध्यात्मिक ऊर्जा:

🔹 तीसरा नेत्र चक्र (Third Eye Chakra)तिलक आज्ञा चक्र को सक्रिय करता है, जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। 🔹 सकारात्मक ऊर्जा (Positive Vibrations)तिलक नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर दिव्य आशीर्वाद को आमंत्रित करता है।

🧭 मुख दिशा:

तिलक लगाने वाले का मुख पूर्व (East) या उत्तर (North) दिशा में होना चाहिए।तिलक लगवाने वाले (भाई) का मुख पश्चिम (West) या दक्षिण (South) दिशा में होना चाहिए।


 


🌞 तिलक और उसके लाभ

1️ रोली (Red Tilak)आभामंडल (Aura) को शुद्ध करता है, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मकता को आकर्षित करता है। 2️ कुमकुम (Vermilion Tilak)सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे स्वास्थ्य, ऊर्जा और जीवन शक्ति में वृद्धि होती है। 3️ रंगीन तिलक (Colored Mark)धर्म और भगवान के प्रति प्रेम एवं सम्मान का प्रतीक।


📅 16 मार्च 2025 – विशेष मुहूर्त 

(Shubh Muhurat & Bhadra Timings)

🔸 भद्रा काल: 18:19 से पाताल लोक में, इस कारण भद्रा का पृथ्वी पर प्रभाव नहीं रहेगा। यह आर्थिक उन्नति के लिए शुभ है। 🔸 धन लाभ प्राप्ति योग: धन से जुड़े कार्यों में सफलता मिलने का योग।

⏳ 48 मिनट का विशेष मुहूर्त:

📍 सूर्योदय के बाद: 01:37 मिनट - 02:24 मिनट & 04:48 मिनट - 06:24 मिनट 📍 सूर्यास्त के समय: 3:13 घंटे - 4:00 घंटे 🔹 16 मार्च 2025 को तिलक का शुभ मुहूर्त: प्रातः 08:30 – 10:15 AM, अभिजीत मुहूर्त: 12:05 – 12:50 PM

लग्न एवं पुष्कर मुहूर्त:

📍 मेष लग्न (Pushkar Muhurat): 13:28 - 13:32 & 12:11 - 13:45 📍 कर्क लग्न (Shreshtha Muhurat): 14:27 - 14:32 (14:00 - 15:00)


🔱 निष्कर्ष: निष्कर्ष: भ्रातृ द्वितीया और यम द्वितीया (भाई दूज) एक जैसे नहीं हैं।

भ्रातृ द्वितीया -योद्धा परंपरा और क्षत्रियों से जुड़ी है, जबकि यम द्वितीया भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। भ्रातृ द्वितीया भाई-बहन के स्नेह, आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता को बढ़ाने का पर्व है। इस दिन किए गए तिलक से धन, स्वास्थ्य और विजय का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 🌿


 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्राद्ध की गूढ़ बाते ,किसकी श्राद्ध कब करे

श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चा...

रामचरितमानस की चौपाईयाँ-मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक (ramayan)

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं ना...

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती...

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा ज...

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...