
✨ भ्रातृ द्वितीया / भाई दूज (Brothers Dwitiya) – 16 मार्च 2025 ✨
🔹 यह पर्व क्षत्रिय परंपरा, शौर्य और भाईचारे से जुड़ा है। इस दिन भाइयों के सुख, समृद्धि और विजय की कामना से तिलक किया जाता है। 🔹 महाभारत और स्कंद पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। 🔹 इस दिन योद्धाओं और भाइयों की रक्षा एवं विजय के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं।
📜 क्यों मनाते हैं?
भ्रातृ द्वितीया का महत्व भाई और बहन के बीच प्रेम एवं कर्तव्य से जुड़ा हुआ है, लेकिन यह मुख्य रूप से क्षत्रियों (योद्धाओं) और सैन्य परंपराओं से जुड़ा एक विशेष पर्व है। यह पर्व धर्म, पराक्रम और भाईचारे को समर्पित होता है।
📖 प्रमाण शास्त्रों में
भ्रातृ द्वितीया का उल्लेख स्कंद पुराण और महाभारत के अनुशासन पर्व में मिलता है।
श्लोक: "भ्रातृद्वितीया सम्प्राप्ता धर्मार्जनफलप्रदा।
यस्यां भ्राता स्नेहमयीं पूजां प्राप्य सुखं वसेत्॥"
अर्थ: भ्रातृ द्वितीया वह पवित्र तिथि है, जो धर्म की रक्षा करने वाले भाइयों को सुख और विजय प्रदान करती है। इस दिन किया गया पूजन भाइयों के लिए कल्याणकारी होता है।
🎯 कैसे मनाते हैं?
• इस दिन भाई की पूजा की जाती है, लेकिन यह पर्व विशेष रूप से योद्धाओं और राजवंशों से जुड़ा होता है। • भाई को तिलक किया जाता है और विजय एवं दीर्घायु की प्रार्थना की जाती है। • क्षत्रिय परिवारों में इस दिन शस्त्र-पूजन और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
📜 इस पर्व का धार्मिक उल्लेख
🔹 धर्म-सिन्धु, निर्णय-सिन्धु तथा व्रतराज में इस दिन का कोई विशेष उल्लेख नहीं मिलता। 🔹 हालांकि, यह पर्व सांस्कृतिक रूप से भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा और कल्याण से जुड़ा है। 📖 पौराणिक
🔖 कथा एवं इतिहास
यह पर्व प्राचीन काल में योद्धाओं और भाइयों के बीच रक्षा-संकल्प का प्रतीक था। इसका उल्लेख महाभारत और स्कंद पुराण में मिलता है। माना जाता है कि इस दिन भाइयों को विजय, रक्षा और धर्म का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता था।
होली के बाद मनाए जाने वाले भाई दूज, जिसे भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है, के संबंध में एक प्रमुख पौराणिक कथा प्रचलित है। यह कथा भाई-बहन के प्रेम और समर्पण को दर्शाती है।
कथा: एक नगर में एक वृद्धा रहती थी, जिसके एक पुत्र और एक पुत्री थे। पुत्री का विवाह हो चुका था। होली के बाद, पुत्र ने अपनी माँ से बहन के घर तिलक के लिए जाने की अनुमति मांगी। माँ ने अनुमति दे दी, और वह बहन के घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे एक नदी मिली, जिसने कहा कि वह उसका काल है, और नदी पार करते ही वह डूब जाएगा। भाई ने विनती की कि वह पहले अपनी बहन से तिलक करवा ले, फिर लौटकर अपने प्राण अर्पित करेगा। नदी ने उसे जाने दिया।
आगे चलकर उसे एक शेर मिला, जिसने भी उसे मारने की धमकी दी। भाई ने शेर से भी वही विनती की, और शेर ने उसे जाने दिया। फिर उसे एक साँप मिला, जिसने भी उसे डसने की धमकी दी। भाई ने साँप से भी वही विनती की, और साँप ने उसे जाने दिया।
🔱 तिलक का आध्यात्मिक महत्व (Mystical Importance of Tilak)
🟠 तिलक विधि और नियम:
✅ बहनें अपने भाई के माथे पर रोली या कुमकुम से तिलक लगाती हैं। ✅ तिलक हमेशा दाएँ हाथ की अनामिका अंगुली से लगाना चाहिए, तर्जनी (इंडेक्स फिंगर) से तिलक लगाना अशुभ माना जाता है। ✅ तिलक के बाद आरती उतारना और मिष्ठान खिलाना शुभ होता है।
1. वैदिक तिलक मंत्र (ऋग्वेद से)
📜 मंत्र (हिंदी):
🔹 "ऊर्ध्वं गच्छतु मे पुण्यं,
पापं च पततु अधः।
श्रीराम स्मरणेनैव, तिलकोऽयं धरिष्यते॥"
📜 मंत्र (रोमन इंग्लिश):
🔹 "Ūrdhvaṃ gacchatu me puṇyaṃ, pāpaṃ ca patatu adhaḥ।
Śrīrāma smaraṇenaiva, tilako'yaṃ dhariṣyate॥"
📖 🌿 ग्रंथ प्रमाण:
➡ ऋग्वेद (Rigveda) – यह मंत्र पुण्य को बढ़ाने और पापों को नष्ट करने के लिए तिलक लगाने के
महत्व को बताता है।
तिलक (टीका) लगाने का प्रमाणित मंत्र
📜 मंत्र (हिंदी):
🔹 "ललाटे सततं पाण्डुं तिलकं
धर्मलक्षणम्।
सर्वपापहरं दिव्यं सर्वसौभाग्यवर्धनम्॥"
📜 मंत्र (रोमन इंग्लिश):
🔹 "Lalāṭe satataṃ pāṇḍuṃ tilakaṃ dharmalakṣaṇam।
Sarvapāpaharaṃ divyaṃ sarvasaubhāgyavardhanam॥"
📖 🌿 ग्रंथ प्रमाण:
➡ स्कंद पुराण (Skanda
Purana) – तिलक लगाने से धर्म की रक्षा होती है, पापों
का नाश होता है और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
3-तिलक मंत्र (नारद पंचरात्र से)
📜 मंत्र (हिंदी):
🔹 "ऊर्ध्वं पुण्ड्रं वयं
दृष्ट्वा ब्रह्मविष्णुशिवात्मकम्।
पावनं सर्वलोकानां धन्यं त्रैलोक्यमण्डनम्॥"
📜 मंत्र (रोमन इंग्लिश):
🔹 "Ūrdhvaṃ puṇḍraṃ vayaṃ dṛṣṭvā brahma-viṣṇu-śivātmakam।
Pāvanaṃ sarvalokānāṃ dhanyaṃ trailokyamaṇḍanam॥"
📖 🌿 ग्रंथ प्रमाण:
➡ नारद पंचरात्र (Narada
Pancharatra) – ऊर्ध्व तिलक लगाने से विष्णु,
ब्रह्मा और शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
🕉️ तिलक और आध्यात्मिक ऊर्जा:
🔹 तीसरा नेत्र चक्र (Third Eye Chakra) – तिलक आज्ञा चक्र को सक्रिय करता है, जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। 🔹 सकारात्मक ऊर्जा (Positive Vibrations) – तिलक नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर दिव्य आशीर्वाद को आमंत्रित करता है।
🧭 मुख दिशा:
• तिलक लगाने वाले का मुख पूर्व (East) या उत्तर (North) दिशा में होना चाहिए। • तिलक लगवाने वाले (भाई) का मुख पश्चिम (West) या दक्षिण (South) दिशा में होना चाहिए।
🌞 तिलक और उसके लाभ
1️⃣ रोली (Red Tilak) – आभामंडल (Aura) को शुद्ध करता है, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मकता को आकर्षित करता है। 2️⃣ कुमकुम (Vermilion Tilak) – सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे स्वास्थ्य, ऊर्जा और जीवन शक्ति में वृद्धि होती है। 3️⃣ रंगीन तिलक (Colored Mark) – धर्म और भगवान के प्रति प्रेम एवं सम्मान का प्रतीक।
📅 16 मार्च 2025 – विशेष मुहूर्त
(Shubh Muhurat & Bhadra Timings)
🔸 भद्रा काल: 18:19 से पाताल लोक में, इस कारण भद्रा का पृथ्वी पर प्रभाव नहीं रहेगा। यह आर्थिक उन्नति के लिए शुभ है। 🔸 धन लाभ प्राप्ति योग: धन से जुड़े कार्यों में सफलता मिलने का योग।
⏳ 48 मिनट का विशेष मुहूर्त:
📍 सूर्योदय के बाद: 01:37 मिनट - 02:24 मिनट & 04:48 मिनट - 06:24 मिनट 📍 सूर्यास्त के समय: 3:13 घंटे - 4:00 घंटे 🔹 16 मार्च 2025 को तिलक का शुभ मुहूर्त: प्रातः 08:30 – 10:15 AM, अभिजीत मुहूर्त: 12:05 – 12:50 PM।
⏳ लग्न एवं पुष्कर मुहूर्त:
📍 मेष लग्न (Pushkar Muhurat): 13:28 - 13:32 & 12:11 - 13:45 📍 कर्क लग्न (Shreshtha Muhurat): 14:27 - 14:32 (14:00 - 15:00)
➡️ 🔱 निष्कर्ष: निष्कर्ष: भ्रातृ द्वितीया और यम द्वितीया (भाई दूज) एक जैसे नहीं हैं।
भ्रातृ द्वितीया -योद्धा परंपरा और क्षत्रियों से जुड़ी है, जबकि यम द्वितीया भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। भ्रातृ द्वितीया भाई-बहन के स्नेह, आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता को बढ़ाने का पर्व है। इस दिन किए गए तिलक से धन, स्वास्थ्य और विजय का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 🌿✨
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