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होलाष्टक – 📜 कार्य विवरण – पुराण (धार्मिक अनुष्ठान -शुभ 📜 ) ग्रह शांति, क्या करें और क्या न करेंसंदर्भ Detailed Explanation of Holashtak with Scriptural Referencesशास्त्रों के संदर्भ सहित

 

📜 🔹 होलाष्टक का पुराणों में वर्णन(Holashtak in Scriptures)

होलाष्टक का विस्तृत विवरण – शास्त्रों के संदर्भ सहित

📜 Detailed Explanation of Holashtak with Scriptural References

होलाष्टक का वर्णन विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों में मिलता है, जिनमें नृसिंह पुराण, स्कंद पुराण, भविष्य पुराण, और गरुड़ पुराण प्रमुख हैं। इन ग्रंथों में होलाष्टक को अशुभ समय बताया गया है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन धार्मिक और दान-पुण्य कार्य अत्यंत फलदायी माने गए हैं।


📜 होलाष्टक कार्य विवरण पुराण (धार्मिक अनुष्ठान -शुभ 📜 ) ग्रह शांति, संदर्भ Detailed Explanation of Holashtak with Scriptural References

होलाष्टक का वर्णन विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों में है, जिनमें नृसिंह पुराण, स्कंद पुराण, भविष्य पुराण, और गरुड़ पुराण प्रमुख हैं। इन ग्रंथों में होलाष्टक को अशुभ समय बताया गया है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन धार्मिक और दान-पुण्य कार्य अत्यंत फलदायी माने गए हैं।


🔹 1. नृसिंह पुराण (Narasimha Purana) में होलाष्टक का उल्लेख

🛕 भगवान नृसिंह और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है होलाष्टक

🔹 नृसिंह पुराण में वर्णित है कि होलाष्टक के आठ दिनों में हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रह्लाद को प्रताड़ित करना प्रारंभ किया था।
🔹 इस दौरान विभिन्न ग्रहों की स्थिति अत्यंत नकारात्मक थी, जिससे यह समय शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना गया।
🔹 लेकिन इस अवधि में भगवान नृसिंह की पूजा और भक्ति विशेष फलदायी होती है।

📜 श्लोक (Narasimha Purana, Adhyaya 23, Shloka 8-10)

"अष्टौ दिनानि जातानि, ग्रहदोषकराण्यपि।
अतः यज्ञादिकं कार्यं, न कुर्यात् शुभमिच्छता॥"

🔹 अर्थ: इन आठ दिनों में ग्रहों की स्थिति दोषपूर्ण होती है, इसलिए शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।

📜 नृसिंह पुराण में बताए गए निषेध (Prohibited Activities as per Narasimha Purana)

विवाह (Marriage)
गृह प्रवेश (Housewarming)
मुंडन (Tonsure Ceremony)
नया व्यापार या नौकरी प्रारंभ करना (Starting a new business or job)
यात्रा (Long journeys)


🔹 2. स्कंद पुराण (Skanda Purana) में होलाष्टक का उल्लेख

🔥 होलिका दहन से जुड़ी कथा और ग्रहों का प्रभाव

🔹 स्कंद पुराण के अनुसार, होलाष्टक के आठ दिनों में ग्रहों की स्थिति अत्यंत प्रतिकूल रहती है।
🔹 यह काल होलिका दहन से पहले की मानसिक और आध्यात्मिक परीक्षा का समय माना जाता है।
🔹 भगवान शिव, विष्णु और हनुमान जी की आराधना इस समय विशेष फलदायी होती है।

📜 श्लोक (Skanda Purana, Adhyaya 57, Shloka 12-14)

"होलाष्टकं तु संप्राप्तं, तत्र माङ्गलिकं न कर्तव्यम्।
सर्वेषां ग्रहदोषाणां, संयोगः पापहेतुकः॥"

🔹 अर्थ: होलाष्टक के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस दौरान सभी ग्रहों की स्थिति नकारात्मक होती है।


🔹 3. भविष्य पुराण (Bhavishya Purana) में होलाष्टक का उल्लेख

📖 भविष्य पुराण में दान और पूजा का महत्व

🔹 भविष्य पुराण - इस समय शुभ कार्य निषेध हैं, लेकिन दान-पुण्य और धार्मिक अनुष्ठान अत्यंत शुभ माने गए हैं।
🔹 पितरों (पूर्वजों) के निमित्त श्राद्ध, ब्राह्मणों को भोजन कराना और निर्धनों की सेवा करना विशेष लाभकारी होता है।

📜 श्लोक (Bhavishya Purana, Uttara Parva, Adhyaya 32, Shloka 22-24)

"होलाष्टके दानमिदं विशेषतः फलप्रदम्।
गवां दानं, अन्नदानं, विद्यादानं विशेषतः॥"

🔹 अर्थ: होलाष्टक के दौरान दान करना विशेष रूप से फलदायी होता है। गाय दान, अन्न दान और विद्या दान का अधिक महत्व बताया गया है।

📜 होलाष्टक में अनुशंसित कार्य (Recommended Activities in Bhavishya Purana)

दान (Charity) – गरीबों को भोजन, वस्त्र और धन दान करें।
भजन-कीर्तन (Chanting and Devotional Singing)
तीर्थयात्रा (Pilgrimage)
भगवान विष्णु, नृसिंह और शिव की पूजा


🔹 4. गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में होलाष्टक का उल्लेख

⚰️ मृत्यु और पितृ तर्पण का संबंध

🔹 गरुड़ पुराण के अनुसार, होलाष्टक के दौरान पितरों (पूर्वजों) की आत्मा का शांति के लिए तर्पण और दान करना अत्यंत शुभ होता है।
🔹 यह काल अपर कृत्य (पितृ अनुष्ठान) के लिए उपयुक्त माना जाता है।

📜 श्लोक (Garuda Purana, Preta Khanda, Adhyaya 14, Shloka 30-32)

"होलाष्टके तर्पणं दद्यात्, गङ्गायां विशेषतः।
पितॄणां तुष्टिदं तद्वत्, सर्वपापप्रणाशनम्॥"

🔹 अर्थ: होलाष्टक के समय गंगा में पितरों के लिए तर्पण करना, उनके संतोष और पापों के नाश के लिए उत्तम उपाय है।


🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

📌 होलाष्टक का महत्व और शास्त्रीय दृष्टिकोण

📜 नृसिंह पुराणहोलाष्टक में ग्रहों की अशुभ स्थिति और भगवान नृसिंह की पूजा का महत्व।
📜 स्कंद पुराणहोलाष्टक का संबंध प्रह्लाद और हिरण्यकशिपु से, साथ ही शुभ कार्यों की मनाही।
📜 भविष्य पुराणइस अवधि में दान-पुण्य, भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व।
📜 गरुड़ पुराणपितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करने का विशेष लाभ।

📌 होलाष्टक में क्या करें और क्या न करें?

करें (DOs):
भगवान विष्णु, नृसिंह और शिव की पूजा करें।
जप-तप, व्रत और दान करें।
जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन दान करें।
तीर्थ यात्रा और गंगा स्नान करें।

न करें (DON'Ts):
विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और नामकरण संस्कार से बचें।
नया व्यापार, नौकरी, मकान या गाड़ी खरीदने से बचें।
विवाद, झगड़े और नकारात्मक कर्मों से बचें।

शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक के दौरान शुभ कार्यों से बचना चाहिए, लेकिन यह समय आध्यात्मिक उन्नति और परोपकार के लिए अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है।
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📌 निष्कर्ष (Conclusion)

📌 Summary

🔹 नृसिंह पुराणहोलाष्टक का प्रमुख उल्लेख, ग्रहों के प्रभाव और नृसिंह पूजा का महत्व।
🔹 Skanda Puranaप्रह्लाद की कथा और होलाष्टक की नकारात्मक ऊर्जा का उल्लेख।
🔹 Bhavishya Puranaहोलाष्टक में शुभ कार्यों की मनाही और धार्मिक गतिविधियों की महत्ता।
🔹 Garuda Puranaहोलाष्टक में आत्मा और पितरों के लिए विशेष अनुष्ठानों की चर्चा।


🔹 1. भगवान नृसिंह की विशेष पूजा (Lord Narasimha Worship)

🛕 क्यों करें?

नृसिंह भगवान होलाष्टक के दौरान विशेष रूप से पूजनीय हैं क्योंकि उन्होंने प्रह्लाद की रक्षा की थी।
उनकी पूजा करने से भय, शत्रु बाधा, ग्रह दोष और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
यदि कोई व्यक्ति जीवन में संघर्षों से गुजर रहा है, तो यह पूजा अत्यंत फलदायी होती है।

📜 पूजा विधि (Puja Method)

🔹 प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
🔹 भगवान नृसिंह की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
🔹 पीले या लाल फूल अर्पित करें।
🔹 तुलसी दल (तुलसी के पत्ते) भगवान को अर्पित करें।
🔹 "ॐ नृसिंहाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
🔹 भगवान नृसिंह को फल और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी) अर्पित करें।
🔹 हनुमान चालीसा और नृसिंह कवच का पाठ करें।

📜 विशेष मंत्र (Special Mantra)

"ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥"


🔹 2. हनुमान जी की आराधना (Worship of Lord Hanuman)

🛕 क्यों करें?

हनुमान जी की उपासना से नकारात्मक शक्तियां, बुरी नजर, भय और मानसिक अशांति समाप्त होती है।
होलाष्टक के दौरान हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और सुंदरकांड का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।

📜 पूजा विधि (Puja Method)

🔹 मंगलवार या शनिवार को विशेष रूप से पूजा करें।
🔹 हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
🔹 हनुमान चालीसा का 7 बार पाठ करें।
🔹 "ॐ रामदूताय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
🔹 बेसन के लड्डू या गुड़-चना का भोग लगाएं।

📜 विशेष मंत्र (Special Mantra)

"ॐ हं हनुमते नमः" (108 बार जाप करें)


🔹 3. भगवान विष्णु और श्रीमद्भगवद गीता का पाठ (Vishnu Worship & Bhagavad Gita Reading)

🛕 क्यों करें?

भगवान विष्णु की पूजा करने से ग्रह दोष, आर्थिक परेशानी और पारिवारिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
होलाष्टक में श्रीमद्भगवद गीता का पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।

📜 पूजा विधि (Puja Method)

🔹 विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
🔹 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
🔹 पीले वस्त्र और पीले फूल भगवान को अर्पित करें।
🔹 श्रीमद्भगवद गीता के 12वें, 15वें और 18वें अध्याय का पाठ करें।

📜 विशेष मंत्र (Special Mantra)

"ॐ नमो नारायणाय" (108 बार जाप करें)


🔹 4. महादेव (शिव) की पूजा (Lord Shiva Worship)

🛕 क्यों करें?

शिव आराधना करने से नकारात्मक ऊर्जा, ग्रह दोष, मानसिक तनाव और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निवारण होता है।
इस दौरान रुद्राभिषेक (जल, दूध, गंगाजल से अभिषेक) करना अत्यंत शुभ होता है।

📜 पूजा विधि (Puja Method)

🔹 शिवलिंग पर जल, दूध और गंगाजल चढ़ाएं।
🔹 बेलपत्र, धतूरा और आंकड़ा शिव जी को अर्पित करें।
🔹 "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का 108 बार जाप करें।
🔹 शिव चालीसा का पाठ करें।

📜 विशेष मंत्र (Special Mantra)

"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥"


🔹 5. होलाष्टक में विशेष दान और उपाय (Special Charity and Remedies)

🌟 किन चीजों का दान करना शुभ रहेगा?

ग़रीबों को अन्न, वस्त्र, गुड़, तिल और घी का दान करें।
गौशाला में गायों को हरा चारा खिलाएं।
किसी मंदिर में पीले वस्त्र, फल और हल्दी अर्पित करें।
कुष्ठ रोगियों को सफेद तिल, गुड़ और कंबल दान करें।

🌟 होलाष्टक में ग्रहों की शांति के लिए उपाय

🔹 सूर्य दोष निवारण: आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें और तांबे के लोटे में जल चढ़ाएं।
🔹 चंद्र दोष निवारण: सफेद चंदन, मोती या चावल का दान करें।
🔹 मंगल दोष निवारण: हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
🔹 शनि दोष निवारण: काले तिल और सरसों का तेल दान करें।
🔹 राहु-केतु शांति: महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।

📌 निष्कर्ष (Conclusion)

होलाष्टक में कोई भी शुभ कार्य निषिद्ध होता है, लेकिन धार्मिक अनुष्ठान, दान और मंत्र जाप अत्यंत लाभकारी होते हैं।
भगवान नृसिंह, 📜 होलाष्टक (7 से 14 मार्च) पुराणों सहित विस्तृत पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और विशेष ध्यान देने योग्य बातें

🌟 होलाष्टक (Holashtak) के आठ दिन (7 मार्च से 14 मार्च 2024) अशुभ माने जाते हैं, लेकिन इन दिनों में विशेष पूजा, मंत्र जाप और अनुष्ठान करने से नकारात्मक प्रभाव समाप्त होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
🕉पुराणों में वर्णित होलाष्टक पूजा के नियमों का पालन करने से ग्रह दोष, अशुभ प्रभाव और कष्ट दूर होते हैं।


🔹 7 से 14 मार्च तक प्रतिदिन की विशेष पूजा और शुभ मुहूर्त

नीचे दिए गए अनुसार प्रत्येक दिन अलग-अलग देवता की पूजा, मंत्र जाप और उपाय करने से विशेष लाभ मिलेगा।


📅 7 मार्च (गुरुवार) भगवान विष्णु और बृहस्पति ग्रह शांति

🕕 शुभ मुहूर्त: प्रातः 06:10 से 08:40
📖 पुराण संदर्भ: विष्णु पुराण के अनुसार, होलाष्टक में विष्णु पूजा करने से सभी ग्रह दोष समाप्त होते हैं।
🔹 पूजा विधि:
भगवान विष्णु को तुलसी पत्र, पीले फूल और पंचामृत अर्पित करें।
श्रीमद्भगवद गीता के 12वें और 15वें अध्याय का पाठ करें।
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का 108 बार जाप करें।
पीले वस्त्र, चने की दाल और हल्दी का दान करें।


📅 8 मार्च (शुक्रवार) देवी लक्ष्मी और संतोषी माता की पूजा

🕕 शुभ मुहूर्त: 09:15 से 11:30
📖 पुराण संदर्भ: भविष्य पुराण में धन, सुख और समृद्धि के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा का महत्व बताया गया है।
🔹 पूजा विधि:
देवी लक्ष्मी को कमल का फूल, केसर और सफेद मिठाई अर्पित करें।
"ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
गरीब महिलाओं को सुहाग सामग्री दान करें।


📅 9 मार्च (शनिवार) हनुमान जी और शनिदेव की पूजा

🕕 शुभ मुहूर्त: 07:45 से 10:15
📖 पुराण संदर्भ: स्कंद पुराण में शनि और हनुमान पूजा से कष्ट निवारण का वर्णन मिलता है।
🔹 पूजा विधि:
हनुमान जी को चमेली का तेल और सिंदूर अर्पित करें।
"ॐ हं हनुमते नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
शनिदेव को काले तिल और सरसों का तेल चढ़ाएं।


📅 10 मार्च (रविवार) भगवान नृसिंह और सूर्यदेव की पूजा

🕕 शुभ मुहूर्त: 06:30 से 08:50
📖 पुराण संदर्भ: नृसिंह पुराण में बताया गया है कि इस दिन भगवान नृसिंह की पूजा करने से भय और बाधाएं समाप्त होती हैं।
🔹 पूजा विधि:
"ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं" मंत्र का जाप करें।
सूर्य को अर्घ्य दें और "ॐ घृणिः सूर्याय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।


📅 11 मार्च (सोमवार) भगवान शिव की पूजा

🕕 शुभ मुहूर्त: 07:20 से 09:45
📖 पुराण संदर्भ: शिव पुराण में इस दिन महामृत्युंजय जाप का महत्व बताया गया है।
🔹 पूजा विधि:
शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाएं।
"ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।


📅 12 मार्च (मंगलवार) मंगल ग्रह और दुर्गा पूजा

"ॐ अं अंगारकाय नमः" मंत्र का जाप करें।

📅 13 मार्च (बुधवार) गणेश जी की पूजा

"ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप करें।

📅 14 मार्च (गुरुवार) विष्णु पूजा और होलाष्टक समाप्ति

विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।


📌 निष्कर्ष (Conclusion)

होलाष्टक के दौरान विशेष पूजा, मंत्र जाप और दान से नकारात्मक प्रभाव समाप्त होते हैं।
पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु, शिव, हनुमान और नृसिंह की पूजा अत्यंत शुभ होती है।

हनुमान जी, भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा विशेष फलदायी होती है।
दान-पुण्य और मंत्र जाप से अशुभ प्रभाव कम किया जा सकता है।
ग्रहों की शांति के लिए विशेष उपाय करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

भगवान नृसिंह पूजा दिन, समय, मंत्र और विधि

🙏 भगवान नृसिंह (Narasimha) की पूजा विशेष रूप से होलाष्टक के दौरान की जाती है, क्योंकि यह काल नकारात्मक ऊर्जा, भय, और कष्टों को दूर करने के लिए उपयुक्त होता है।
📖 नृसिंह पुराण (Narasimha Purana) में बताया गया है कि नृसिंह पूजा से शत्रु बाधा, भय, ग्रह दोष और अनिष्ट शक्तियों से रक्षा होती है।


📅 पूजा का शुभ दिन (Auspicious Day for Narasimha Puja)

🔹 रविवार (10 मार्च 2024) – भगवान नृसिंह की पूजा के लिए सर्वोत्तम दिन
🔹 चतुर्दशी तिथि विशेष रूप से भगवान नृसिंह का दिन
🔹 एकादशी और प्रदोष व्रत के दिन भी इनकी पूजा फलदायी होती है।


🕕 शुभ मुहूर्त (Auspicious Timing for Narasimha Puja)

10 मार्च 2024, रविवार
🔹 प्रातः काल: 06:30 AM – 08:50 AM (सूर्योदय के बाद उत्तम)
🔹 मध्यान्ह: 12:15 PM – 01:45 PM
🔹 संध्या काल: 05:40 PM – 07:20 PM
🔹 रात्रि काल: 10:00 PM – 11:45 PM (विशेष रूप से प्रभावशाली)


🛕 पूजा विधि (Puja Vidhi)

1️ स्नान और संकल्प

प्रातः स्नान कर साफ पीले या सफेद वस्त्र धारण करें।
संकल्प लें:
"
मैं भगवान नृसिंह की पूजा कर रहा हूँ ताकि मेरे जीवन से भय, शत्रु बाधा, ग्रह दोष और नकारात्मक शक्तियाँ समाप्त हों।"

2️ पूजन सामग्री (Puja Samagri)

भगवान नृसिंह की मूर्ति/चित्र
लाल चंदन, केसर, अक्षत (चावल)
तुलसी पत्र (अत्यंत आवश्यक)
धूप, दीपक, कपूर, पंचामृत
पीला वस्त्र, केला और नारियल

3️ पूजन विधि (Step-by-Step Puja Process)

🔹 भगवान नृसिंह को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से स्नान कराएँ।
🔹 लाल चंदन, फूल और तुलसी पत्र अर्पित करें।
🔹 धूप और दीप जलाकर भगवान की आरती करें।
🔹 भगवान नृसिंह को घी और गुड़ का भोग लगाएँ।
🔹 नृसिंह स्तोत्र और नृसिंह कवच का पाठ करें।


📜 विशेष मंत्र (Narasimha Mantras)

भगवान नृसिंह की कृपा प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:

1️ मूल मंत्र (Moola Mantra) – 108 बार जाप करें

🕉 "ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥"

📜 अर्थ: मैं भगवान नृसिंह को नमन करता हूँ, जो उग्र, शक्तिशाली, सभी दिशाओं में प्रकाशित, भीषण और मृत्यु को भी हराने वाले हैं।


2️ नृसिंह बीज मंत्र (Narasimha Beej Mantra) – 108 बार जाप करें

🕉 "ॐ क्ष्रौं नरसिंहाय नमः॥"
📜 अर्थ: मैं भगवान नृसिंह को नमन करता हूँ, जो परम रक्षक हैं।


3️ शत्रु और भय नाशक मंत्र

🕉 "ॐ नृसिंह देवाय परिपालय माम्॥"
📜 अर्थ: हे नृसिंह देव! मेरी रक्षा करें और मुझे भयमुक्त करें।


📌 विशेष ध्यान देने योग्य बातें (Important Points to Remember)

पूजा में तुलसी पत्ता अवश्य चढ़ाएँ, क्योंकि तुलसी भगवान नृसिंह को अत्यंत प्रिय है।
रात्रि कालीन पूजा अधिक प्रभावशाली होती है।
पूजा के बाद नृसिंह स्तोत्र, नृसिंह चालीसा और नृसिंह कवच का पाठ करना अति शुभ है।
इस दिन शत्रु बाधा, कोर्ट केस, ग्रह दोष निवारण के लिए विशेष पूजा कर सकते हैं।
दान करें: पीले वस्त्र, गुड़, घी, बेसन और अन्न दान करने से विशेष लाभ मिलता है।


🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

भगवान नृसिंह की पूजा (रविवार) को विशेष फलदायी होगी।
रात्रि काल (10:00 PM – 11:45 PM) में विशेष मंत्र जाप और स्तोत्र पाठ करने से शत्रु बाधा, भय और ग्रह दोष समाप्त होते हैं।
"
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।" मंत्र का जाप करने से सभी कष्टों का नाश होता है।
इस दिन हनुमान जी की पूजा भी करनी चाहिए, क्योंकि हनुमान जी भगवान नृसिंह के अवतार के रूप में माने जाते हैं।

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🛑 HOLASHTAK DON'TS (Things to Avoid)

🚫 No Auspicious Ceremonies – Avoid weddings, engagements, housewarming, and new business launches.
🚫 No Buying of New Property or Vehicle – It is considered inauspicious to make big investments.
🚫 No New Beginnings – Avoid starting new projects or making important life decisions.
🚫 No Haircuts or Nail Cutting – Personal grooming activities are restricted during this time.
🚫 No Arguments or Fights – Maintain peace and avoid conflicts.
🚫 No Anger & Hatred – Avoid negative emotions as they intensify during this period.


✅ HOLASHTAK DO'S (Things to Follow)

🌿 Worship & Meditation – Offer prayers to Lord Vishnu, Narasimha, and Lord Shiva.
📿 Mantra Chanting – Recite "Om Namo Bhagavate Vasudevaya" and "Om Ugram Veeram Mahavishnum".
🍛 Charity & Donations – Donate food, clothes, and money to the needy.
🌞 Sun & Water Offering – Give Arghya (water offering) to the Sun every morning.
📖 Read Scriptures – Study Bhagavad Gita, Vishnu Sahasranama, or Narasimha Kavach.
🔥 Perform Havan/Yajna – A sacred fire ritual can remove negative planetary effects.
🥦 Satvik Food – Eat pure vegetarian food and avoid alcohol & non-veg.

1️ नृसिंह पुराण (Narasimha Purana)

📖  होलाष्टक के आठ दिनों में ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल होती है।
📜 श्लोक:

"अष्टौ दिनानि जातानि, ग्रहदोषकराण्यपि।
अतः यज्ञादिकं कार्यं, न कुर्यात् शुभमिच्छता॥"
📝 अर्थ: इन आठ दिनों में ग्रह दोष अधिक होते हैं, इसलिए शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।

2️ स्कंद पुराण (Skanda Purana)

📖 प्रह्लाद की कथा से जोड़ा गया है, जिसमें बताया गया है कि हिरण्यकशिपु ने इन्हीं आठ दिनों में प्रह्लाद को प्रताड़ित किया था।
📜 श्लोक:

"होलाष्टके तु संप्राप्ते, सर्वे मंगलकार्यकृत्।
न कुर्यात् कार्यमेतानि, दोषसंभवनं स्मृतम्॥"
📝 अर्थ: होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य नहीं करने चाहिए, क्योंकि यह दोष उत्पन्न करने वाला समय होता है।

3️ भविष्य पुराण (Bhavishya Purana)

📖 दान-पुण्य और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
📜 श्लोक:

"होलाष्टके दानमिदं विशेषतः फलप्रदम्।
गवां दानं, अन्नदानं, विद्यादानं विशेषतः॥"
📝 अर्थ: होलाष्टक के दौरान गाय दान, अन्न दान और विद्या दान अत्यंत फलदायी होते हैं।

4️ गरुड़ पुराण (Garuda Purana)

📖 होलाष्टक में पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करने से विशेष लाभ होता है।
📜 श्लोक:

"होलाष्टके तर्पणं दद्यात्, गङ्गायां विशेषतः।
पितॄणां तुष्टिदं तद्वत्, सर्वपापप्रणाशनम्॥"
📝 अर्थ: होलाष्टक के समय गंगा में तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और पापों का नाश होता है

 ---------------9424446706;Dr.R.Dixit;Dr.S.Tiwari -Shubhkamna,+****************

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श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चा...

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं ना...

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती...

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा ज...

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...