सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान के मंत्र : सफलता के लिए

गणेश जी के निम्न मंत्र प्रतिदिन पढ़े -   सभी बाधाएं एवं  दुःख दूर होंगे और सभी कार्यों में सफलता मिलेगी   | ज्ञानार्थ वाचकों गणेश य निर्वाण वाचका। तयो रीशं परम ब्रम्ह गणेशम प्रणमाम्यहम्।।1 एक शब्द प्रधान अर्थो  दंत् बल वाचक। बलम प्रधानम सर्व अस्माक एक दंतम नमाम्यहं।।2 दीनार्थ वाच्को हे रम्ब श्च  प्रणमाम्यहम्। विपत्ति वाचको विघ्नो नायक खण्डन अर्थक:।।3 विपत खंडन कारकम नमामि विग्ं नायकं । विष्णू दततेशच नैवेद्यर्यास्य नैवेद्यर्यास्य लम्बोदर्ं च तं।।4 शूर्पा कारी च यत्कर्णौ विघ्न वारण कारणो । संपदौ ज्ञान रूपों चा शूर्प कर्णम नमाम्य्हम ।।5 विष्णू प्रसाद पुष्पम चा यन्मुर्घ्न्ंं मुनी दत्तकं। तद गजेन्द्र वक्त्र्ं नमाम्यहं।।6 Regards Jyotish Shiromani Pt V.K Tiwari 9424446706

Sept- vrat tyohaar 2018

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

गणेश चतुर्थी

शिवा गणेश चतुर्थी  \ स्थापना समय-   स्थापना दिन में ही की जाना चाहिए क्योंकि गणेश जी का जन्म मध्यान्ह समय हुआ है| इसलिए मध्यान काल विशेष रूप से स्थापना के लिए श्रेष्ठ है। भगवान श्री गणेश भगवान श्री गणेश जी की जन्म  लग्न का समय 12;41 ए 13:27 ,18 को एवं 19 को 11:45 से 12:४० बजे तक है। इसके साथ ही धनु,लग्न 13 : 21 से 15 : 26 तक अनुकूल सिद्ध होगी इस समय होरा काल भी उत्तम है।मीन लग्न-18:46 से 19:40 तक शुभ योग है | किस प्रकार की गणेश प्रतिमा की स्थापना की जाना चाहिए ? स्कंद पुराण के अनुसार सूप की तरह बड़े कान सर्प यज्ञोपवीत की तरह हाथों में पाठ एवं अंकुश धारण किए हुए एक दांत वाली मूर्ति अधिक उत्तम रहेगी इसके साथ ही प्रतिमा का रंग श्वेत,सिलेटी या काला मिश्रित श्रेष्ठ होगा| शुंड यदि दाहिनी तरफ हो तो यह एक श्रेष्ठ प्रतिमा होगी| चतुर्थी तिथि के कारण चंद्र दर्शन वर्जित होता है। भविष्य पुराण के अनुसार भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का नाम शिवा है । - स्नान दान जप और उपवास आदि का सौ गुना फल प्राप्त होता है ।इस का विशेष महत्व है। -विवाहित स्त्रियां इस दिन गुड़ की नमक और मीठ

व्रत हरतालिका तीज

वैवाहिक सुख एवं सौभाग्य वर्धक व्रत हरतालिका तीज 12 सितंबर 2018 उमा- महेश्वर पूजा पर्व (पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी ज्योतिष शिरोमणि-9424446706) पूजा के विशेष शुभ समय - 1.14-5.06 am,  8.10-9.50 pm, 11:48 pm - 6.00 am  श्रृंगार एवं तैयारी का शुभ समय Day time -13:14-17.00 रात्रि पूजा की शुभ बेला –  स्थिर विशेष उपयुक्त  AM -02:02 - 4:19  PM, 20:10-21.50,  Night -11:48-02.00 व्रत किस प्रकार प्रारंभ हुआ?  पार्वती जी द्वारा शिवजी से विवाह के लिए की गई ,पूजा के परिणाम स्वरुप,उनको सौभाग्य प्राप्त हुआ था|  पूजा एवं व्रत क्यों करना चाहिए- जगत जननी पार्वती जी की कृपा के लिए विशेष ग्रहों के सहयोग से निर्मित हरतालिका व्रत करना अत्यंत महत्वपूर्ण है| उमा तथा महेश्वर की पूजा करने से क्या लाभ अथवा किन उद्देश्यों की पूर्ति होती है? विवाह विलंब या विवाह बाधा नाशक , वैवाहिक सुख एवं सौभाग्य वर्धक व्रत,  पार्वती जी द्वारा सर्वप्रथम  शिव जी को प्राप्त करने के लिए या व्रत किया था | सरल विधि-  पूर्व  या उत्तर दिशा में मोहब्बत कर, दाहिने हाथ में जल लेकर- मम उमा महेश्वर सायुज्य  सिद्धिय

जन्माष्टमी -जयंती - पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त ,कुल उद्धारक पर्व:

जन्माष्टमी   भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन पितरों की मुक्ति , तीन जन्म के पाप नाश   एवं कुल उद्धारक भगवान श्री कृष्ण की जयंती जन्माष्टमी का विशिष्ट दुर्लभ पर्व उपवास एवं व्रत पूजा का श्रेष्ठ अवसर है पूजा के विशिष्ट मुहूर्त   एवं शुभकामनाओं सहित   परम आत्मीय आपको समर्पित है | विभिन्न पुराणों के उदाहरण सहित   कृपया स्वयं वाचन करें एवं अपने अन्य   आत्मीय को   शेयर कर पुण्य के भागी बने | शुभमस्तु | जयंती - जन्माष्टमी कुल उद्धारक पर्व:   जन्माष्टमी -जयंती -  कुल उद्धारक पर्व: पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त ( 5251 वर्ष - श्री कृष्ण जन्म महोत्सव दुर्लभ अति विशिष्ट संयोग )   पूजा का श्रेष्ठ समय- पूजा प्रारम्भ - मेष लग्न 21:50 से प्रारम्भ वृषभ लग्न पूजन अभिषेक के लिए विशेष शुभ फलदाई है | वृषभ लग्न रात्रि 22:42-00:40 ; प्रारम्भ गुरु ग्रह का सर्वोत्तम समय उपलब्ध होगा| | ग्रहस्थ वर्ग के लिए विभिन्न पुराणों के आधार पर   जन्माष्टमी पर्व के लिए जो सिद्धांत निर्धारित किए गए हैं उनके अनुसार- 1- कल्पतरु ग्रंथ   ब्रह्मपुराण के अनुसार ,   भाद्र मास कृष्ण पक्ष की अष्