जन्माष्टमी
भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन
पितरों की
मुक्ति, तीन जन्म
के पाप नाश एवं कुल उद्धारक भगवान श्री कृष्ण की
जयंती जन्माष्टमी का विशिष्ट दुर्लभ पर्व उपवास एवं व्रत पूजा का श्रेष्ठ अवसर है
पूजा के विशिष्ट मुहूर्त एवं
शुभकामनाओं सहित परम आत्मीय आपको समर्पित है |
विभिन्न पुराणों के उदाहरण सहित कृपया स्वयं वाचन करें एवं अपने अन्य आत्मीय को शेयर कर पुण्य के भागी बने| शुभमस्तु|
जयंती - जन्माष्टमी कुल उद्धारक पर्व:
जन्माष्टमी -जयंती - कुल उद्धारक पर्व:
पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त
(5251 वर्ष - श्री कृष्ण जन्म महोत्सव दुर्लभ
अति विशिष्ट संयोग)
पूजा का श्रेष्ठ समय-
पूजा प्रारम्भ - मेष लग्न 21:50 से प्रारम्भ वृषभ लग्न पूजन अभिषेक के लिए विशेष शुभ फलदाई है | वृषभ लग्न रात्रि 22:42-00:40 ; प्रारम्भ गुरु ग्रह का सर्वोत्तम समय उपलब्ध होगा|
| ग्रहस्थ वर्ग के लिए विभिन्न पुराणों के
आधार पर जन्माष्टमी पर्व के लिए जो सिद्धांत निर्धारित किए गए हैं उनके
अनुसार-
1-कल्पतरु ग्रंथ
ब्रह्मपुराण के अनुसार, भाद्र मास कृष्ण पक्ष
की अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र को देवकी के पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ |
|प्रत्येक माह की अष्टमी भी मनोकामना पूरक-
मदन रत्न ग्रंथ में अग्नि पुराण का संदर्भ देते
हुए लिखा गया है कि प्रत्येक माह में अष्टमी को श्रीकृष्ण की पूजा करने से संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण होती है एवं
सफलताएं मिलती है|
अग्नि पुराण एवं पद्म पुराण के अनुसार -अर्द्धरात्रि में
अष्टमी युक्त रोहिणी पुण्य
वाली होती है|
अग्नि पुराण एवं पद्म पुराण के अनुसार -अर्द्धरात्रि में अष्टमी
युक्त रोहिणी पुण्य
वाली होती है|
अतः उपवास के लिए ग्रह स्थिति है
सामान्य
जन्माष्टमी एवं जयंती जन्माष्टमी क्या है?
भविष्य पुराण विष्णु रहस्य एवं अग्नि पुराण -
सामान्यतः जब अर्ध रात्रि के समय भाद्र
मास में अष्टमी तिथि हो तो जन्माष्टमी पर्व होना सुनिश्चित है परंतु यदि तत समय
रोहिणी नक्षत्र भी हो तो इस को विशेष महत्व प्रदान करते हुए जयंती जन्माष्टमी कहा
गया है |
जन्माष्टमी व्रत क्यों करना चाहिए ?
आप सात्विक एवं राजसी गुणवान रहना चाहते हैं ,
1- सदैव धन से परिपूर्ण रहना चाहते हैं,
2- विगत 3 जन्मों के पापों से मुक्त होना चाहते
हैं ,
3-पितरों को प्रेत योनि से मुक्त कराना चाहते हैं
तो रोहणी युक्त जन्माष्टमी का व्रत अवश्य करना चाहिए |
मदन रत्न मैं स्कंद पुराण-
जो व्यक्ति जन्माष्टमी को व्रत करते हैं
उनके पास लक्ष्मी सदा स्थिर रहती है एवं उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं |
भविष्य पुराण-
व्रत न करने वाले व्यक्ति में राक्षस प्रवृत्ति उत्पन्न होती है|
वायु पुराण
समस्त पापों को नाश करने वाला श्री कृष्ण का यह
जन्मोत्सव पर्व है | विधि एवं अपने वित्तीय सामर्थ्य के अनुसार व्रत करने
वाला अपने कुल की 21 पीढ़ी
का उद्धार करता है |
सर्वप्रथम जन्माष्टमी व्रत किसके
द्वारा किया गया?
भविष्य पुराण के अनुसार-
धर्मज्ञ युधिष्ठिर के द्वारा जन्माष्टमी
व्रत के विषय में पूछने पर भगवान श्री कृष्ण के द्वारा बताया गया कि भाद्र मास
कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र के शुभ योग में
अर्द्धरात्रि के समय वसुदेवजी एवं देवकी के द्वारा में प्रकट हुआ|
मेरे बाल स्वरूप का चिंतन करते हुए
अर्चना करना चाहिए |
मथुरा वासियों के द्वारा इस व्रत को प्रारम्भ संपन्न किया गया|
धर्मज्ञ युधिष्ठिर के द्वारा हस्तिनापुर
में जन्माष्टमी व्रत का श्री गणेश किया गया |
Jyotish Shiromani - Pt V.K Tiwari
9424446706,
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